essay on stress in hindi

स्ट्रेस क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपचार

How To Manage Stress In Hindi

हर रोज हम सभी अपनी जिंदगी में तमाम मुश्किलों का सामना करते हैं। कई बार ऐसे हालात आते हैं जिन्हें हम चाहकर भी संभाल नहीं पाते हैं। तो कई बार उनसे निपटते हुए हमें भारी टेंशन का सामना करना पड़ता है।

हम में से कई लोग कुछ किस्म के तनावों को झेलते हुए इतना आदी हो चुके होते हैं कि उन्‍हें महसूस ही नहीं कर पाते। ऐसे तनाव को यूस्ट्रेस (eustress) कहा जाता है। अगर देखा जाए तो ये तनाव आपकी परफॉरमेंस और काम करने की क्षमता पर निगेटिव असर डालता है।

इस आर्टिकल में मैं आपको तनाव/टेंशन क्या है, तनाव के लक्षण, ज्यादा टेंशन लेने से नुकसान, टेंशन से बचने के उपाय और कुछ सरल स्ट्रेस मैनेजमेंट टिप्स (tips for stress management in hindi) के बारे में जानकारी दूंगा।

Table of Contents

टेंशन/स्ट्रेस क्या है? (What is stress?) :

स्ट्रेस या तनाव होना सामान्य बात है। ये तब महसूस होता है जब किसी स्थिति से निपटना मुश्किल हो जाता है। टेंशन होने पर एड्रेनालाईन (Adrenaline) हमारे पूरे शरीर में दौड़ने लगता है। दिल की धड़कन बढ़ जाती है और मानसिक और शारीरिक चेतना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। हमें पसीना आता है, सनसनी महसूस होती है और कई बार पूरे शरीर के रोएं खड़े हो जाते हैं। 

कितना खतरनाक है तनाव?

© Shutterstock

ऐसा नहीं है कि हमारे पूर्वजों की जिंदगी में तनाव नहीं होता था, लेकिन वो 'करो या मरो' की स्थिति को अपनाकर आसानी से इससे पार पा सकते थे। आज हमारे जीवन में तनाव की मात्रा और उनकी आवृत्ति भी कहीं ज्यादा है। लेकिन सबसे मुश्किल की बात यह है कि स्ट्रेस देने वाले हार्मोन जैसे एड्रेलिन और कॉर्टिसोल का उत्सर्जन उस वक्त और ज्यादा खतरनाक हो जाता है जब हमें उनकी जरूरत ना हो। 

अगर तनाव (stress in hindi) लंबे वक्त तक रहे तो ये हमारे इम्यून सिस्टम और हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा बाहरी बीमारियों से निपटने की हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है। 

इसका मतलब साफ है कि तनाव उस वक्त और ज्यादा खतरनाक हो जाता है जब आपको हर पांच मिनट में करो या मरो की स्थिति में जाना पड़े। क्या इस स्थिति से निपटने का कोई आसान और स्वस्थ तरीका हो सकता है? ये काम हम कैसे कर सकते हैं? अगर हम ये पता लगा सकें कि जो हम महसूस कर रहे हैं उसका कारण क्या है? तो हम मुश्किलों से और अधिक स्मार्ट तरीके से निपट सकते हैं। 

ज्यादा तनाव लेने से होने वाले नुकसान:

  • हमारा इम्यून सिस्टम और हृदय को नुकसान पहुंच सकता है।
  • गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 
  • उम्र कम हो जाती है। 
  • सेक्स लाइफ खराब हो सकती है।

तनाव को समझना क्यों जरूरी है? (Why does understanding stress matter?)

तनाव के कारण कई गंभीर मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। भारत में हर चार में से एक इंसान हर साल टेंशन की समस्या की चपेट में आ जाता है। यही वो कारण है जिसकी वजह से कई बार हम लोग काम करते हुए भी लंबे वक्त तक काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। 

अगर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लंबे वक्त तक अनदेखा किया जाए जो ये गंभीर समस्या में बदल सकता है। देश में टेंशन और डिप्रेशन का इलाज करवाने वाले मरीजों में से तीन चौथाई महिलाएं हैं। लेकिन जो तीन चौथाई लोग टेंशन और डिप्रेशन के कारण आत्महत्या कर लेते हैं वह पुरुष हैं। चूंकि डिप्रेशन और टेंशन ही सुसाइड के मामलों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं इसलिए इसके इलाज के महत्व की जरुरत को आसानी से समझा जा सकता है। 

इसके अलावा टेंशन होने पर उसके बारे में बात करना किसी कमजोरी की निशानी नहीं है। उसके लिए हिम्मत चाहिए।

क्यों होता है तनाव? (What causes stress?)

आजकल होने वाले तनाव के कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं। जैसे -

  • अलगाव और कुछ अन्य कारण जैसे घर छोड़ना
  • पार्टनर से ब्रेकअप
  • नौकरी में बदलाव होना
  • बच्चों का घर छोड़ना 
  • आपका स्वास्थ्य और मूड
  • पार्टनर का निधन होना या करीब न होना
  • तलाक के कारण परिवार टूट जाना 
  • सेक्स और सेक्स से जुड़ी समस्याएं
  • नशाखोरी और ड्रिंक करना 
  • बुरी आदतों का शिकार होना 
  • हिंसा या बुरे व्यवहार का शिकार होना 

थोड़ी देर के लिए जीवन में उतार-चढ़ाव आना बहुत आम बात है लेकिन अगर ये लंबे वक्त तक बनी रहे जो ये जिंदगी से जुड़ी बाकी चीजों को भी खराब कर सकती है। वैसे भी तनाव इसलिए कभी नहीं होता क्योंकि आप कमजोर हैं बल्कि हमेशा इसलिए होता है कि आप उसकी मौजूदगी होने के बाद भी टेंशन को रहने दे रहे हैं और उसका विरोध नहीं कर रहे हैं। 

तनाव होने पर हमेशा चीजों को सकारात्मक तरीके से देखने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ मामलों में हो सकता है कि आपको फ्रेश स्टार्ट की भी जरुरत पड़े। लेकिन अगर आप लगातार नौकरियां, पार्टनर या घर बदल रहे हैं तो ऐसे हालात में आपको हालात नहीं बल्कि खुद को बदलने की जरुरत है। 

क्या हैं चेतावनी देने वाले लक्षण (​What are the warning signs?)

अगर आपको इतना ज्यादा तनाव होता है कि संभलने का मौका तक नहीं मिलता है, तो ये आपके लिए खतरे की घंटी जैसा हो सकता है। इसलिए ये जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि तनाव होने से पहले के कौन से वो लक्षण हैं जिन्हें जानकर आप थोड़ी देर में होने वाले तनाव से पहले ही निपट सकते हैं। 

टेंशन से पहले होने वाले सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं। 

  • सामान्य से ज्यादा या कम भोजन करना। 
  • तेजी से मूड बदलना। 
  • आत्मसम्मान में कमी आना। 
  • हर वक्त टेंशन या बेचैनी महसूस करना। 
  • ज्यादा या कम सोना। 
  • कमजोर याददाश्त या भूलने की समस्या। 
  • जरुरत से ज्यादा शराब या ड्रग्स लेना। 
  • जरुरत से ज्यादा थकान या ऊर्जा में कमी होना। 
  • परिवार और दोस्तों से दूर-दूर रहना। 
  • चरित्र से दूर हो जाना। 
  • ध्यान कें​द्रित न करना और काम में संघर्ष करना। 
  • उन चीजों में भी मन न लगना जो पहले आपको पसंद थीं। 
  • विचित्र अनुभव होना, उन चीजों का दिखना जो वहां हैं ही नहीं। 

इसके अलावा टेंशन के कुछ शारीरिक लक्षण भी हो सकते हैं जिनमें सिरदर्द , कब्ज या किसी खास अंग या शरीर में दर्द होना शामिल है। 

अपने अनुभव के बारे में कैसे बताएं? (How do I talk about how I'm feeling?)

हम सभी जानते हैं कि जब हम किसी से जुड़ाव महसूस करते हैं तो उससे बात करना हमेशा अच्छा होता है। हम लोगों में से कुछ के लिए, सोशल मीडिया इसका सबसे अच्छा माध्यम है। लेकिन रिसर्च हमें बताती है कि सोशल मीडिया ही हम लोगों में से कई की जिंदगी की सबसे बड़ी मुसीबत बनकर उभरा है। 

ये कहावत काफी पुरानी है कि 'दर्द बांटने से कम होता है'। लेकिन यकीन मानिए ये बात सच है। ये लोगों को बताने के लिए नहीं है, ना ही ये साबित करने के लिए है कि आप जरुरत में हैं और किस दौर से गुजर रहे हैं। बल्कि ये उनसे समझने के लिए है कि अगर वह उस तकलीफ में होते तो क्या करते? 

यकीन मानिए कई बार जब हम टेंशन में होते हैं तो आसान से उपाय भी हमारे दिमाग में नहीं आते हैं। लेकिन दूसरे वही बात सुनकर हमें ऐसे रास्ते सुझा देते हैं जो हमारी हर मुश्किल को आसान बना देते हैं। इसलिए खुलकर संवाद करना भी बहुत जरूरी है। वैसे भी किसी से बात करना कौन सी बड़ी बात है। किसी से बात करना, कपड़े धोने, कार धोने या कंप्यूटर पर गेम खेलने जैसा ही छोटा सा काम है। इसलिए ईमानदारी से बात रखिए और दोस्तों को हर वो बात बता दीजिए जो आपको परेशान कर रही है।

घबराएं नहीं, डॉक्टर से सलाह लें 

क्या कभी आपको जुकाम, दस्त या फिर बुखार ​की समस्या हुई है? इन बीमारियों के इलाज के लिए आप जरूर ही डॉक्टर के पास भी गए होंगे। अगर हां, तो फिर टेंशन होने पर डॉक्टर के पास जाने में हिचक क्यों? 

अगर आप वाकई टेंशन से उबरने में मुश्किल महसूस कर रहे हों तो बेहतर है कि बिना देर किए डॉक्टर के पास जाएं। मनोचिकित्सक वाकई बहुत धैर्य से मरीज की बात सुनते हैं और वह आपकी समस्या को औरों से बेहतर समझते हैं। उनके सामने बात रखने से वह न सिर्फ आपका सही इलाज कर सकते हैं बल्कि आपकी जिंदगी को नई राह भी दिखा सकते हैं। 

टेंशन, डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी उतनी ही आम बीमारी है जितनी कि जुकाम या बुखार होना। अगर आप उनके इलाज के लिए डॉक्टर के पास जा सकते हैं तो फिर टेंशन के इलाज के लिए क्यों नहीं? संकोच छोड़ दीजिए और डॉक्टर से इस मामले में बात कीजिए। 

हमारा ये आर्टिकल आपको कैसा लगा? मेंटल हेल्थ से जुड़ी कोई भी समस्या, सलाह, सुझाव या राय आप हमसे कॉमेंट बॉक्स में शेयर कर सकते हैं।

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तनाव पर निबंध: अर्थ और प्रकार || Essay on stress: meaning and types in Hindi

तनाव के अर्थ पर निबंध:

तनाव एक ऐसा शब्द है जिसे मनोवैज्ञानिकों ने भौतिकी से लिया है। यह शारीरिक (जैव-रासायनिक) परिवर्तन है जो सिस्टम पर एक ओवरलोडिंग बल के परिणामस्वरूप होता है। प्रत्येक शारीरिक परिवर्तन से संबंधित मनोवैज्ञानिक परिवर्तन उत्पन्न होने की संभावना होती है और इसके विपरीत प्रत्येक मनोवैज्ञानिक परिवर्तन से शारीरिक परिवर्तन हो सकता है।

इससे पहले कि हम तनाव शब्द में आएं और इससे छुटकारा पाने के तरीकों और तरीकों की व्याख्या करें, तनाव की प्रकृति को समझना महत्वपूर्ण है। तनाव एक वैश्विक शब्द है और तनाव तनाव का ही एक रूप है। तनाव शब्द लैटिन शब्द स्ट्रिंगर से आया है, जिसका अर्थ है "कसना"। तनाव ऐसी चीजों के प्रति व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और रासायनिक प्रतिक्रिया है जो डराती है, उत्तेजित करती है, भ्रमित करती है, खतरे में डालती है या परेशान करती है।

  Essay 1. तनाव का अर्थ (Meaning of Stress)

तनाव मूल रूप से 'विघर्षण' है। हमारा शरीर लगातार बदलते वातावरण के साथ समायोजन करते हुए इसका अनुभव करता है। हम पर इसके शारीरिक तथा मानसिक प्रभाव होते हैं जो सकारात्मक या नकारात्मक दोनों ही तरह के हो सकते हैं।

सकारात्मक दृष्टिकोण से तनाव हमें मुश्किल हालात से जुझने की प्रेरणा और ताकत देता है।

नकारात्मक प्रभाव देखिए तो यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का विनाश भी करता है।

कार्य की समय-सीमा परिवार की जिम्मेदारी दर्द ट्राफिक जाम आर्थिक दबाव साथ ही साथ कार्य क्षेत्र में पदोन्नति नया घर और शादिय तनाव के ऐसे कई कारण हैं जो हमें प्रतिदिन प्रभावित कर रहे हैं यहां तक कि हमारे जीवन में होने वाला बहुत सुखद परिवर्तन भी कई बार थकाने वाला   हो सकता है।

परिवर्तन अपने-आप में ही तनावपूर्ण है। साथ ही कोई परिवर्तन न होना भी तनावपूर्ण है। इससे बचा नहीं जा सकता। तो हमें यह सीखने की जरूरत है कि इससे समाज इस कैसे बिठाया जाए।

शरीर पर तनाव का प्रभाव (Effects of Stress on the Body):

तनाव अगर लंबे समय तक रहे और तीव्र हो, तो गंभीर बीमारियाँ होने का खतरा बढ जाता है और मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं को बदतर बना देता है । तनाव अकेला शायद ही किसी रोग का कारण बनता है, लेकिन चिकित्सक कहते है कि रोग के विरुद्ध शरीर के शुरुआती संघर्ष में और बाद में शरीर उस रोग से किस तरह निपटता है, इसमें तनाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।

लंबे समय तक चलने वाला तनाव, सबसे पहले हृदय वाहिका-तंत्र, प्रतिरोधक प्रणाली, आमाशय-आंत प्रणाली पर बुरा असर डालता है । और फिर हृदय रोगों के बढे हुए खतरों या उसमें गिरावट, माइग्रेन, दमा और कई अन्य रोगों का कारण बनता है ।

तनाव के प्रकार (Types of Stress)

1. जीवन से जुड़े तनाव (Stress Related to Life)

तनाव मूल रूप से विघर्षण है। हमारा शरीर लगातार बदलते वातावरण के साथ समायोजन करते हुए इसका अनुभव करता है। हम पर इसके शारीरिक तथा मानसिक प्रभाव होते हैं, जो सकारात्मक या नकारात्मक दोनों ही तरह के हो सकते हैं।

सकारात्मक दृष्टिकोण से तनाव हमें मुश्किल हालात से जूझने की प्रेरणा और ताकत देता है। नकारात्मक प्रभाव देखें तो यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का विनाश भी करता है।

कार्य की समय-सीमा परिवार की जिम्मेदारी, दर्द, ट्राफिक, जाम, आर्थिक दबाव, साथ ही साथ कार्य क्षेत्र में पदोन्नति नया घर और साधना तनाव के ऐसे कई कारण हैं, जो हमें प्रतिदिन प्रभावित कर रहे हैं, यहां तक कि हमारे जीवन में होने वाला बहुत सुखद परिवर्तन भी कई बार थकाने वाला हो सकता है।

परिवर्तन अपने-आप में ही तनावपूर्ण है। साथ ही कोई परिवर्तन ना होना भी तनावपूर्ण है इससे बचा नहीं जा सकता तो हमें यह सीखने की जरूरत है कि इससे सामंजस्य कैसे बिठाया जाए।

तनाव के प्रकार

1. जीवन से जुड़े तनाव

1. जब जीवन या स्वास्थ्य संकट में हो या जब मानव पर दबाव डाला जा रहा हो या फिर किसी अप्रिय या चुनौतीपूर्ण काम का अनुभव हुआ हो।

ii. शरीर एड्रिनेलिन स्रावित करता है और लडो या भाग जाओ वाली प्रतिक्रिया महसूस करते हैं।

2. भीतरी रूप से उत्पन्न में तनाव (Inner Tension)

i. ऐसी परिस्थितियों या घटनाओं के बारे में चिंतित होकर दुखी रहना, जो नियंत्रण से बाहर है जीवन के प्रति तनाव या व्यकुंलता भरा नजरिया या रिश्तो में समस्याएं होना।

ii. यह 'तनाव का आदी' होने या अत्यधिक उसी का परिणाम भी हो सकता है या तनावपूर्ण रहने से वास्तव में कुछ और प्रेरित होना।

3. पर्यावरणीय और कार्यक्षेत्र के तनाव (environmental and workplace stress)

i. घर या कार्यक्षेत्र का तनावपूर्ण पर्यावरण।

ii. शोर, भीड़, प्रदूषण, अव्यवस्था, द्वंद्ध या किसी अन्य विचलन से हो सकता है।

iii. काम की समय सीमा, प्रस्तुत, कार्य छेत्र में सुरक्षा, यह सभी आपकी नौकरी से जुड़े तनाव हैं।

4. थकान और अत्यधिक काम (Fatigue and Excessive work)

यह तनाव एक लंबे समय से निर्मित हो रहा होता है- यह तब होता है, जब या तो कम समय में बहुत कुछ हासिल करना चाहते हो या समय प्रबंधन के प्रभावी तरीकों का उपयोग ना कर रहे है।

शरीर प्रदूषण के रूप में तनाव (stress as body pollution)

आदिमानव के दौर में गए थे तो उस समय तनाव किसी खास मौके पर ही पैदा होता था। जब बात जीवन मरण की होती थी या शरीर को चुनौती मिलती थी, और वे अपनी प्रतिक्रिया शारीरिक रूप से ही देते थे और फिर आराम करने और स्वास्थ्य होने का समय भी मिलता था।

परिवार के किसी सदस्य की लंबी बीमारी या नौकरी छूट जाने जैसी वजहों के चलते हमें चिंता से घिरे रहते हैं। ऐसे में तनाव के हार्मोन लंबी अवधि तक बहुत अधिक मात्रा में स्रावित होते हैं और इस स्थिति से समायोजन करने के लिए वे शरीर के स्रोतों को खत्म करना शुरू कर देते हैं। ऐसे में तनाव शरीर प्रदूषण का एक रूप बन जाता है।

जबकि आज तनाव प्रतिदिन के जीवन का हिस्सा बन गया है और हमें बहुत लंबे समय तक चौकन्ना रहना पड़ता है। इतना कि हम इस परिस्थिति को ही सामान्य मानने लगे हैं तनाव हमारा स्थाई साथी बन गया है।

निराशाजनक लग रहा है? क्या मन कर रहा है की गुफा मानव के समय में पहुंच जाएं? यह परिदृश्य इतना आसमान भी नहीं है। शेरॉन को अभी-अभी कई स्रोतों से शरीर प्रदूषण की भारी खुराक मिली है। कार्यक्षेत्र में उसकी मानसिक अवस्था जिस हवा में वह सांस ले रही है, जो लता हुआ भोजन वह खा, रही है, उसमें उपस्थित विषाक्त पदार्थ और प्रति रक्षकों यहां अतिरिक्त कैलोरी की तो बात ही नहीं हुई है और घर में अजीब असमजस भारी स्थिति यदि वह सोचे कि इन सब का उसके स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं होगा तो वह खुद से छलावा कर रही है।

जब व्यक्ति हर रोज ही ऐसी बल्कि इससे भी बदतर परिस्थिति में रह रहा हो तो मानव शरीर के अनुकूलन क्षमता पर केवल आश्चर्य ही  जता सकते हैं। जीवन में तनाव को आधिकाधिक रूप से कम करके अपनी उर्जा बचाकर उसे अन्य सकारात्मक कामों पर खर्च कर सकते हैं।

तनाव दूसरी विषाक्त पदार्थ के समान ही शरीर प्रदूषण का एक रूप है इससे पूरी तरह बचा नहीं जा सकता लेकिन आपको इसके नकारात्मक प्रभावों और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में सजग रहना चाहिए।

मानसिक तनाव या साधारणतः नकारात्मक विचार समय-समय पर आते हैं। ये भी शरीर प्रदूषण का ही प्रकार है – इसे हम मस्तिष्क का प्रदूषण कह सकते हैं। इसके अलावा मीडिया द्वारा ताजा त्रासदियों को  हर रोज जिस तरह प्रस्तुत किया जाता है। वह इसमें इंजन का काम करता है और यदि सतर्क ना रहे तो मस्तिष्क का प्रदूषण जीवन का अंग बन जाएगा।

तब जीवन अपने आप में ही तनावपूर्ण हो जाएगा। तनाव अपनी आदतों की तरफ ले जाता है, जैसे खानपान संबंधी दोष बहुत अधिक या बहुत कम खाना और नींद में अनियमितता हो जाना। दोनों ही परिस्थितियां अगर लंबे समय तक रहे तो आपको सारी रूप से अस्वस्थ बना देती है।

FAQ-question

प्रश्न-तनाव प्रबंध का महत्व.

उत्तर -लंबे समय तक तनाव न केवल मानसिक स्वास्थ्य बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।तनाव के जवाब में आपका शरीर संचालित रूप से रक्तचाप, और आपकी मांसपेशियां मैं रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है.तनाव से स्ट्रोक दिल का दौरा,पेप्टिक अल्सर और अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।  

प्रश्न-तनाव की विशेषता क्या है।

उत्तर- तनाव एक द्वंद है जो एवं भावनाओं में गहरी दरार पैदा करता है। तनाव अन्य अनेक मनोविकार का प्रवेश द्वार है। उससे मन अशांत भावना स्तर एवं शरीर आवश्यकता का अनुभव करते हैं ऐसी स्थिति में हमारे कार्य क्षमता प्रभावित होती है और हमारी शारीरिक व मानसिक विकास यात्रा में व्यवधान आता है।

प्रश्न-तनाव क्या है परिभाषा।

उत्तर- तनाव (Stress) मनःस्थिति से उपजा विकार है। मनःस्थिति एवं परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं असामंजस्य के कारण तनाव उत्पन्न होता है। तनाव एक द्वन्द है, जो मन एवं भावनाओं में गहरी दरार पैदा करता है। तनाव अन्य अनेक मनोविकारों का प्रवेश द्वार है।

प्रश्न-परीक्षा का तनाव पर निबंध.

उत्तर- तनाव क्या है? प्रतिक्रिया लोगों को अत्यधिक मांग या परीक्षा से गुजर के रूप में इस तरह के दबाव, है. आप यह कार्य जिम्मेदारियों, या दबाव के अन्य प्रकार के साथ मुश्किल से निपटने के लिए या आप उत्सुक के लिए इस तरह की मांग को पूरा करने की कोशिश कर रहा हो सकता है मिल सकता है.

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How to Reduce Stress in Hindi

How to Reduce Stress in Hindi: तनावमुक्त जीवन के16 आसान तरीके

How to Reduce Stress in Hindi क्या आपको पता है आज के समय से सबसे तेज़ी से फैलने वाली महामारी stress अर्थात तनाव है? दुखद तो यह है कि किसी को इस बात का अंदाज़ा ही नहीं है कि सारी बीमारियों की जड़ तनाव ही होता है। हम अक्सर इसे सामान्य बात कहकर टाल देते हैं। जबकि ये टालने वाली बात नहीं ।

इस आर्टिकल में में आपके साथ Tension dur karne ka mantra साझा करूंगी। ये इतने सरल हैं कि आसानी से समझकर जीवन में प्रयोग किए जा सकते हैं।

हो सकता है कि आपको लगे कि ये आसन तो नहीं है। मेरा सुझाव है, आप कुछ दिन इनको Experiments के रूप में ज़रूर आजमाएं।

तनाव से मुक्त होने के तरीके जानने से पहले यह जान लेना अति आवश्यक है कि तनाव है क्या? कैसे इसकी शुरुआत होती है?

What is Stress in Hindi तनाव क्या है?

किताबी भाषा ना बोलकर मैं सरल शब्दों में बात करना पसंद करती हूं।

तनाव, एक वाक्य में कहूं तो “तनाव उन बातों का Reaction है जो हमारे मन मुताबिक नहीं होती।” इस तरह से देखा जाए तो तनाव भी अन्य भावनाओं की तरह मन की उपज है। उम्मीद है आप इस बात से सहमत होंगे।

अब देखते हैं कि इसकी उत्पत्ति कैसे होती है?

How Does Stress Happens तनाव कैसे होता है?

क्या आपने कभी ऐसे दिन का अनुभव किया है जब आपको सुबह सुबह कुछ अच्छी ख़बर मिली हो। जिस खुशी का अनुभव उस सुबह हुआ, कुछ ऐसी ही खुशियां सारे दिन मिलती रहीं। उम्मीद है आपका उत्तर “हां” में होगा।

क्या आपका दिन शुभ था, ग्रह नक्षत्र अच्छे थे, या कोई अन्य जादुई बात का परिणाम था?

उत्तर बिल्कुल साफ़ है, ये आपके मन में उत्पन्न भावनाओं का परिणाम था। Details में समझते हैं कि कैसे? हमारे मस्तिष्क में हर पल करोड़ों न्यूरॉन बनते रहते हैं। इन न्यूरॉन की Quality हमारे विचारों तथा भावनाओं पर निर्भर करती है।

यदि हमारा एक विचार सकारात्मक तथा उत्साहवर्धक रहा तो दूसरा उसी के हिसाब से बनता है। आपका अगला पल भी उत्साहवर्धक होता है, इसी तरह विचारों के साथ न्यूरॉन की कड़ियां बनती जाती हैं।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं। यदि टोकरी में रखे एक आलू में कीड़े लग गए हैं तो उसे बाकियों से अलग कर दिया जाता है। क्यों? यदि अलग नहीं किया तो बाकी के आलू में भी वे कीड़े फैल जाते हैं। ठीक इसी तरह यदि एक नकारात्मक विचार मन में आया और उसे रोका नहीं गया तो सारे न्यूरॉन को असर करता है और कमज़ोर तथा नकारात्मक भावनाएं बढ़ती जाती हैं।

फिर मन में तनाव बढ़ने लगता है। यदि इस तनाव को सही समय पर सही तरीके से नही खत्म किया गया तो यह मन के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने लगता है। परिणाम स्वरूप व्यक्ति कमज़ोर होने लगता है, बीमारियां बढ़ने लगती हैं।

उम्मीद है आपको तनाव को जड़ के बारे में अच्छी तरह समझ में आ गया होगा। अब देखते हैं कि Stress Management क्या होता है?

What is Stress Management in Hindi

जैसा कि आपने पहले ही Paragraph में पढ़ा कि WHO ने कुछ सालों पहले ही warning दे दी थी कि २०२० तक दुनिया में सबसे ज्यादा patients तनाव तथा depression के होंगे।

वैज्ञानिकों ने इस बीमारी का इलाज़ करने के लिए एक प्राकृतिक उपाय सुझाया। इस Stress Management में अपने विचारों तथा भावनाओं पर थोड़ा सा ध्यान देखते इस बीमारी को आसानी से भगाया जा सकता है।

यहां यह कहना अनिवार्य है कि यदि सहि समय पर इस तरफ़ ध्यान नहीं दिया गया तो यही तनाव Depression का भयंकर रूप ले लेता है।

Reduce Stress Meaning in Hindi

Reduce का अर्थ किसी चीज़ को काम करना होता है। stress तनाव का ही पाश्चात्य भाषा रूपांतरण है। इस प्रकार Stress Reduce का अर्थ तनाव कम करना होता है।

Types of Stress in Hindi and Reason Behind Stress तनाव के प्रकार तथा उसके कारण

How to Reduce Stress in Hindi/ Types of Stress in Hindi Images

How to Reduce Stress in Hindi के बारे में जानने से पहसे तनाव को थोड़ा और गहराई में समझने के लिए यह जानते हैं कि यह कितने प्रकार का होता है। अक्सर हम छोटी छोटी बातों को Ignore कर देते हैं। जबकि यही छोटी बातें समय के साथ बहुत बड़ा रूप धारण कर लेती हैं।

१- Physical Stress शारीरिक तनाव किसी भी प्रकार के शारीरिक चोट, बीमारी, अथवा अन्य शारीरिक पीड़ा का खयाल नहीं रखा गया तो इससे तनाव होने लगता है।

२- Psychological Stressमनोवैज्ञानिक तनाव भावनात्मक उतार चढ़ाव, जैसे कि चिंता, जलन, लगाव, स्वयं को दूसरे से कम की भावना, इत्यादि की वजह से तनाव उत्पन्न होता है।

३- Psychosocial Stress मनोसामाजिक तनाव इस प्रकार का तनाव अक्सर तब होता है जब सामाजिक बंधनों का बोझ बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए विवाह संबंधी समस्याएं, लोगों के सामने खुद को छोटा समझना, लोगों द्वारा उपेक्षित महसूस करना, काम के स्थान पर तनाव इत्यादि।

४- Psycho Spiritual Stress मनो आध्यात्मिक तनाव कई बार जब मन के खिलाफ किसी आध्यात्मिक अथवा धार्मिक क्रिया कलापों का हिस्सा बनना पड़ता है तब भी तनाव होता है। कभी कभी जीवन के लक्ष्य की तलाश में भी तनाव बढ़ने लगता है।

५- Cognitive Stress संज्ञानात्मक तनाव याददाश्त की कमी, फ़ोकस में कमी और डरावने अथवा सोचनीय विचार भी तनाव का कारण बनते हैं।

६- Emotional Stress भावनात्मक तनाव चाहकर भी अपने भावनाओं पर काबू ना पाना, स्वयं को चिंताग्रस्त महसूस करना तनाव का कारण बनता है।

७- Behavioral Stress व्यावहारिक तनाव अक्सर जब अपनी किसी आदत की वजह से शारीरिक या मानसिक नुकसान होने लगता है तो आदतें भी तनाव का कारण बन जाती हैं। उदाहरण के लिए समय पर काम खत्म नहीं कर पाना। उपर्युक्त किसी भी तनाव को यदि सही समय पर Treat नहीं किया जाय तो परिणाम गंभीर रूप ले लेते हैं।

How to Reduce Stress in Hindi/ How to Reduce Mind Stress in Hindi

चलिए, अब देखते हैं कि जीवन को तनाव मुक्त अथवा अत्यधिक खुशहाल कैसे बनाया जा सकता है। In Other Words, How to live tension free life ?

१- दिनचर्या में बदलाव लाएं किसी भी तनाव से निकलने या बचने के लिए सबसे पहले अपनी दिनचर्या पर ध्यान दें। सुबह सोकर उठने से लेकर रात को बिस्तर पर जाने तक आपने क्या किया, उसपर ध्यान दें।

सुबह नाश्ते, दोपहर के भोजन, दिन में चाय, कॉफ़ी अथवा रात्रि भोजन का असमय होना भी। तनाव का कारण बनता है। अतः अपनी दिनचर्या को आसान, फ़ोकस तथा ऐसा बनाएं जिसे जीने में आपको उत्साह महसूस हो।

२- सकारात्मक तथा उत्साहवर्धक विचारों से स्वयं को ऊर्जावान रखें

How to Reduce Stress in Hindi/ Think Positive Images

यदि आपको Law of Attraction के बारे में अधिक जानना है तो नीचे दिए लिंक पर जाकर पढ़ें।

13 Secret Tips about Law Of Attraction In Hindi

सीधी बात करूं तो यदि आप नकारात्मक विचार करने वैसी परिस्थितियां आकर्षित कर सकते हैं तो क्यों ना सकारात्मक सोचें!

सकारात्मक तथा उत्साहित करने वाले विचार कुछ हो दिनों में सच होने लगेंगे। इसके साथ ही अपने मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक सिद्ध होंगे।

३- How to Reduce Stress in Hindi यह पल भी गुज़र जायेगा फॉर्मूला देखिए दोस्त, मेरे विचार कोई किताबी बातें नहीं, बल्कि अपने अनुभव होते हैं। कुछ सालों पहले जब मैं तनाव से गुज़र रही थी तो मैंने कहीं पर ये विचार पढ़े।

“येे पल भी गुज़र जायेगा” मैंने सीखा, जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है। ना ही सुख ना ही दुःख, उतार चढ़ाव आते रहते हैं। तो जब भी तनाव महसूस हो खुद को याद दिलाइए कि यह समय भी चला जायेगा। मेरे लिए यह फार्मूला जादुई तरीके से काम कर रहा था। आप भी आज़मा कर देखिए।

४- How to Reduce Stress in Hindi- सही भोजन का सेवन करें क्या आपको पता है, मन और शरीर पर सबसे ज़्यादा प्रभाव पानी तथा भोजन का होता है? यदि आप मांसाहारी हैं तो शाकाहार अपनाएं, ज्यादातर फलों का सेवन करें। एक हफ़्ते प्रयोग के रूप में यह करके देखें।

कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं कि क्या परिवर्तन महसूस किया आपने?

Most importantly, भोजन बनाने वाले को किसी भी प्रकार का तनाव ना दें। क्योंकि भोजन सिर्फ अन्न नहीं बल्कि अन्न पानी तथा। बनाने वाले के विचारों से बनता है। आप सोचेंगे ये क्या फॉर्मूला है?

ज़रा सोचिए, माँ के द्वारा बनाए गए सादे भोजन का स्वाद किसी पांच सितारे होटल से अच्छा क्यों होता है? भावनाएं भी भोजन का स्वाद बढ़ाने के साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाती हैं।

५- समय प्रबंधन कर अपने शारीरिक और मानसिक स्थिति पर ध्यान दें यदि आप अपने आस पास नज़र घुमाएंगे तो आपको ऐसे लोग ज्यादा दिखेंगे जिनका वजन ज़रूरत से ज्यादा या कम है। कई बार जब मैंने इन लोगों से इस विषय पर बात की तो पता चला इनके पास समय की कमी है।

दोस्त, दिन के २४ घंटे ईश्वर में बिल गेट्स को दिए हैं, देश के प्रधानमंत्री महोदय के साथ मुझे और आपको भी दिए हैं। गौर करेंगे तो पाएंगे कि इनके पास हमसे ज्यादा जिम्मेदारियां हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि वो लोग अपने एक एक मिनट का खयाल रखते हैं।

How to Reduce Stress in Hindi अपने समय का सही प्रबंधन करें। कल सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक क्या करना है, सारा ब्यौरा सोने से पहले बना लें। इसका फायदा यह होगा कि आपको बस follow करना होगा। आप दिन का भरपूर सदुपयोग करने से साथ उत्साहित भी महसूस करेंगे।

Most Importantly, अपनी दिनचर्या में शारीरिक व्यायाम, कोई खेल जैसे कि क्रिकेट, फुटबॉल आदि जोड़ें। जो आपकी शारीरिक रूप से फिट रखेगा। तथा व्यायाम एक Stress Booster भी है, इस प्रकार यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है।

६- How to Reduce Stress in Hindi सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताएं क्या आपको पता है, आप जिन पांच लोगों के साथ सबसे ज्यादा समय बिताते हैं, समय के साथ उनके जैसा बन जाते हैं। यह कोई खयाली बातें नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से Proven है।

आपकी सोच, रहन सहन तथा लाइफस्टाइल उनके जैसी बन जाती है। बचपन में ही माता पिता गलत संगत से दूर रहने की सलाह इसी लिए देते हैं।

यदि संगत का जीवन पर इतना प्रभाव है तो क्यों ना ऐसे लोगों के साथ समय बिताया जाए जिनके साथ रहकर हम बेहतर बन सकते हैं। कई बार हमारे आस पास ऐसे लोग नहीं होते हैं, ऐसे में किसी महान व्यक्ति की लिखी किताबें पढ़ें।

ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं जो आपकी समस्याएं सुनकर आपको दयादृष्टि Sympathy देने के बजाय उससे निकलने का रास्ता दिखाएं। ऐसे लोग जो समस्याओं के बजाय जीवन को ऊपर उठाने वाली बातें करें, ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं।

७- How to Reduce Stress in Hindi- भरपूर नींद लें

How to Reduce Stress in Hindi/ Sleepin Images

आपको चलाने वाली मशीन अर्थात आपका मास्तिष्क, तब तन अनवरत चलता रहता है जब तक आप जाग रहे होते हैं। नींद की अवस्था में ही उसे आराम मिलता है, इसलिए आप सोकर उठने के बाद ताज़गी महसूस करते हैं।

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Therefore, रात को समय पर सोना, तथा सूर्योदय से पहले उठना, मन पर जादुई प्रभाव डालता है। अच्छी तथा भरपूर नींद के लिए सोने के एक घंटे पहले किसी भी टेक्नोलॉजी जैसे कि फोन, या टीवी का प्रयोग ना करें।

समय पर तथा स्वस्थ नींद में किताबें अच्छा किरदार निभाती हैं। सोने से बिलकुल पहले एक या दो पन्ने। कोई। सकारात्मक किताब पढ़ने की आदत डालें।

८- How to Reduce Stress in Hindi नई चीजें सीखें क्या आपको पता है, जीवन में ठहराव आने से भी तनाव होने लगता है। ठहराव आने का एक मुख्य कारण यह है को मनुष्य सीखना बंद कर देता है। पढ़ाई पूरी हो गई, अच्छी नौकरी मिल गई, शादी हो गई, या बच्चे सेटल्ड हो गए, अब और लिए सीखना? अक्सर मुझे लोग यही जवाब देते हैं।

सबसे दुखद तो यह है को इस ठहराव से बचने के लिए लोग अक्सर गलत राह चुनते हैं। नशा, सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताना आदि जीवन में आए ठहराव का परिणाम है।

जीवन कभी पूर्ण नहीं होता, इसलिए आजीवन सीखते रहना चाहिए। सुखी तथा शांतपूर्ण जीवन का मंत्र यही है।

जीवन के किसी भी मोड़ पर आप कुछ ऐसा सीखिए जिससे आपको कुछ नया अनुभव हो। उदाहरण के लिए, वाद्य यंत्र बजाना, सिंगिंग, अपनी पसंद के विषय का अध्ययन इत्यादि। महापुरुषों की जीवनी का बारीकी से अध्ययन करना मेरा पसंदीदा काम है।

९- How to Reduce Stress in Hindi- Emotional Junk से बचें अपने बच्चों को हम पिज़्ज़ा, बर्गर इत्यादि खाने से मना करते हैं क्योंकि यह जंक फूड है। आपको पता है कि जंक फूड उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

क्या आपको पता है कि इमोशनल जंक फूड आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सोच रहें हैं कि आप ऐसा कुछ नहीं खाते?

चलिए थोड़ा डिटेल्स में बताती हूं, आजकल सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा जंक फूड बिकता है। “फलां जगह पर फलां घटना हुई, किसी ने मदद नहीं की।” विचलित कर देनी वाली तस्वीरों के साथ ऐसे खबरें आपके मानस पटल को आहत करती हैं।

जो परिस्थितियां हमारे बस में नहीं हैं, उनके लिए प्रार्थना ही सबसे बड़ी मदद है। समय के साथ अत्याचार बढ़ता जा रहा है, स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य के खयाल रखना आपकी अपनी जिम्मेदारी है। कृपया, इन इमोशनल जंक से स्वयं को बचाने के लिए ऐसी खबरें ना पढ़ें।

१०- How to Reduce Stress in Hindi कम से कम २५-३० मिनट प्रतिदिन ध्यान करें Meditation मेरा पहला मशवरा होता है किंतु इसे मैंने बाद में रखा। इसके पीछे की वजह स मात्र यह थी कि आपने तनाव के कारणों को ज़रा गहराई में समझ जाएं।

ध्यान किसी भी शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक तनाव या बीमारी को दूर करने का सबसे सरल तथा प्रभावी उपचार है। ध्यान के अभ्यास से मस्तिष्क में होने वाले बदलाव तथा लाभ के बारे में मैंने पहले ही विस्तार में लिखा है। आप नीचे दिए लिंक पर जाकर ज़रूर पढ़ें।

Meditation Benefits for Brain in Hindi

किस भी प्रकार का ध्यान जो आपके लिए सहज तथा सरल लगे, दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।

११- How to Reduce Stress in Hindi प्रकृति के साथ समय बिताएं क्या आपको पता है, तनाव का सबसे प्रभावी इलाज़ प्रकृति करती है। वृक्ष हमें सिर्फ़ ऑक्सीजन ही नहीं देते बल्कि हमारा तनाव खींचकर हमें ताज़गी भी देते हैं। इसलिए आप देखेंगे कि शहरी लोग ग्रामीण लोगों की अपेक्षा अधिक तनावग्रस्त दिखते हैं।

इसलिए दिन में कुछ समय किसी पेड़ के साथ बिताएँ। या प्रकृति के बीच पैदल चलें।

जल, शरीर में सत्तर प्रतिशत हिस्सा जल रहता है। कभी कभी किसी समुद्री किनारों पर घूम आएं। आपकी सारी समस्या कुछ मिनटों में गायब सी हो जायेगी। मन जब शांत होता है तो निवारण खोज लेता है।

व्यस्त जीवन से समय निकालकर कुछ दिनों के लिए, किसी पर्वतीय इलाके या समुद्री किनारों पर घूमने को जीवन का हिस्सा बनाएं।

१२- How to Reduce Stress in Hindi सांसों पर ध्यान दें जिन्दा रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है? सांसें! रोटी कपड़ा मकान के बिना मनुष्य कितनी देर रह सकता है, सांसों के बिना कितनी देर रह सकता है?

अब आप सांसों की अहमियत समझ गए होंगे। कभी अपने ध्यान दिया कि ये कैसे चलती हैं, शरीर में कहां तक जाती हैं अथवा कैसे महसूस होता है?

तनाव का सबसे Instant इलाज़ अपनी सांसों पर ध्यान देना मात्र है। गहरी सांस लें, उसकी शीतलता को महसूस करें। छोड़ते समय। उसकी। गरमाहट को महसूस करें। जब आप। सांसों पर ध्यान देते हैं तो ये। स्वांस आपके मन से सारा तनाव बाहर निकाल देती है।

ये बिलकुल वैसा है जैसे जब आप किसी रिश्ते में व्यक्ति का जितना खयाल रखते हैं वह आपको उतना खुश रखता है।

अपनी सांसों का खयाल रखना शुरू कर दें, आपके मानसिक स्वास्थ्य का खयाल वह बिना मांगे रखेगी।

१३- How to Reduce Stress in Hindi -PMA किताबें पढ़ें

How to Reduce Stress in Hindi/ Reading Images

पुस्तकें लिखे हुए शब्द मात्र नहीं होते किन्तु एक महान हस्ती से आपकी सीधी बात होती है। बिल्कुल वैसे ही जैसे अभी हम दोनों की बात हो रही है।

तनाव निवारण के लिए किताबें अच्छी मित्र साबित हुई हैं।

१४- How to Reduce Stress in Hindi स्वयं के जीवन को महत्व देना सीखें कई बार मैंने देखा है कि मनुष्य दूसरों में भावनात्मक रूप से इतना लिप्त हो जाता है कि स्वयं को भूल जाता है। फिर कभी रिश्तों में कड़वाहट आई तो उसके जीने की इच्छा खत्म हो जाती है।

दूसरों को चाहना गलत नहीं, किन्तु स्वयं को खोकर किसी को चाहना गलत है। आप इस धरा पर आए हैं, आप भी महत्वपूर्ण हैं। अपने जीवन के महत्व को समझें और स्वयं का खयाल रखना सीखें।

समय समय पर अपनी पसंद की चीजें खाएं, कपड़े पहनें, अपनी रुचि के काम करें। अपने आप के साथ कुछ समय बितायें। स्वयं को जानने की कोशिश करें।

१५- How to Reduce Stress in Hindi वर्तमान में जीने की कला सीखें अक्सर तनाव का असली कारण अतीत की यादें अथवा वर्तमान की चिन्ता होती है। इस चक्कर में मनुष्य वर्तमान को उपेक्षित कर देता है। जबकि गौर किया जाए तो उसके पास मात्र वर्तमान ही है।

अपने जीवन को रुचिकर बनाएं तथा वर्तमान में जिएं। चिंता किसी भी परेशानी का हल नहीं है बल्कि वह हालत को और खराब कर देती है। इसलिए खुश रहें। समय के साथ रास्ते खुल जाते हैं और सब ठीक हो जाता है।

समय पर विश्वास करना सीखें।

१६- How to Reduce Stress in Hindi- ज़रूरत पड़ने पर सलाह या मदद लें यदि आप लंबे समय से तनाव से ग्रस्त हैं तथा इन उपायों से आपको फायदा ना हो तो ज़रूर किसी से सलाह लें। आजकल काउंसलिंग या। मेडिकेशन से तनाव से आराम पाया जा सकता है।

अपने जीवन की कीमत को समझें तथा अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का खयाल रखें। स्वयं का खयाल रखने में संकोच तथा विलम्ब ना करें।

Final Word: उम्मीद है आपको यह आर्टिकल How to Reduce Stress in Hindi पसंद आया होगा। यदि आप इसमें कोई सुझाव देना चाहें तो कॉमेंट करके ज़रूर बताएं।

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छात्रों में तनाव के मुख्य कारक तथा इनके निवारण के कुछ खास उपाय

अकादमिक सफलता के उच्च स्तर पर सफलता को प्राप्त करने के लिए छात्रों पर शिक्षा का दबाव उनकी आनंदोल्लास को खत्म करता जा रहा है और उन्हें दिन प्रति दिन चिंता और निराशा की ओर ले जाता है जिस कारण कई छात्र अपने करियर को लेकर काफी डिप्रेशन में आ जाते हैं. यहाँ हम छात्रों के बीच तनाव पैदा करने वाले विभिन्न कारकों के बारे में चर्चा करेंगे तथा साथ ही साथ हम प्रत्येक कारक के विभिन्न पहलुओं और इसे रोकने के तरीकों पर भी बात करेंगे..

Jagranjosh

सभी कक्षाओं के एग्जाम लगभग समाप्त हो चुके हैं तथा अब परिणाम की प्रतीक्षा का समय भी दिन प्रति दिन बीतता जा रहा है. अर्थात परिणाम के घोषित होते ही छात्रों को एक और तनाव का सामना करना पड़ता है जब उन्हें अगले पाठ्यक्रम में चुने जाने वाले विषय या स्ट्रीम का चयन करना होता है. दरअसल इन बातों पर तनाव होना छात्रों के लिए एक प्राकृतिक प्रवृति है.

अकादमिक सफलता के उच्च स्तर पर सफलता को प्राप्त करने के लिए छात्रों पर शिक्षा का दबाव उनकी आनंदोल्लास को खत्म करता जा रहा है और उन्हें दिन प्रति दिन चिंता और निराशा की ओर ले जाता है जिस कारण कई छात्र अपने करियर को लेकर काफी डिप्रेशन में आ जाते हैं.

जब एक छात्र इस प्रकार के तनाव में होता है तो इससे उनके अकादमिक शिक्षा पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं. जिससे उनके ग्रेडस पर तो प्रभाव पड़ता ही है साथ ही साथ स्वास्थ को लेकर भी परेशान रहने लगते हैं.

इसलिए छात्रों तथा अभिभावकों को सबसे पहले यह जानना बहुत ज़रूरी है कि ऐसे कौन-कौन से मुख्य कारक हैं जिस कारण छात्र अक्सर तनाव में आ जाते हैं तथा इसके निवारण के लिए छात्रों तथा अभिभावकों को क्या करना चाहिए:

तनाव के लक्षण:

छात्रों की नियमित गतिविधियों में होने वाली कई बदलावों का पता लगाकर तनाव को पहचाना जा सकता है. हालाकी कई बार कुछ छात्रों को पता होता है कि वह अपने अकादमिक शिक्षा को लेकर काफी तनाव में हैं लेकिन इस वषय पर न वह अपने माता-पिता से चर्चा करते हैं और नाहीं किसी और से इस विषय में कोई मदद लेते हैं. वहीँ दूसरी ओर कुछ ऐसे भी छात्र होते हैं जिनके तनाव का कारण उन्हें खुद अच्छी तरह समझ नहीं आता है. अर्थात ऐसी परिस्तिथि में अभिभावकों को चाहिए की वह अपने बच्चों के तनाव के कारण को समझ कर उसका निष्कर्ष निकाल सकें.

छात्रों में होने वाले तनाव के मुख्य संकेत नीचे अंकित है:

1. भूख में परिवर्तन.

2. खेल और कहीं आने जाने में रुचि न होना.

3. सामाजिक अलगाव.

4. चिड़चिड़ापन और अधीरता(Impatience).

5. नींद की समस्याएं.

6. अत्यधिक चिंता और नकारात्मक विचार.

7. परफॉरमेंस में कमी आना

9. दबाव में होने की प्रवृति

10. पूरी तरह से खुद को खाली महसूस करना

छात्रों के लिए अप्रैल महीने में रिलीज़ हुई स्कालरशिपस और उनसे जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारियां

अब हम छात्रों के बीच तनाव पैदा करने वाले विभिन्न कारकों के बारे में चर्चा करेंगे तथा साथ ही साथ हम प्रत्येक कारक के विभिन्न पहलुओं और इसे रोकने के तरीकों पर भी बात करेंगे.

1. परीक्षा का दबाव:

अक्सर देखा गया है कि छात्र एग्जाम के प्रेशर में या पढ़ाई के बढ़ते दबाव के कारण डिप्रेशन में आ जाते हैं. आज कल बढ़ते हुवे प्रतियोगिता की होड़ में छात्रों पर दबाव बढ़ता ही जा रहा है. अर्थात वह अपने अपेक्षा के विपरीत खुद को देखते ही असमर्थ महसूस करने लगते हैं. ऐसे समय में चाहिए की पेरेंट्स छात्रों को पूरा सहयोग करें. उनपर अपनी महत्वाकांक्षाओं का बोझ डालनें के बजाय उन्हें समझाएं की कोई प्रतियोगी परीक्षा या किसी विषय को लेकर तनाव लेने की जगह निसंदेह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें.

2. शैक्षिक दबाव: शैक्षिक दबाव का कई बार कारण खुद अभिभावक भी बन जाते हैं क्यूंकि अक्सर छात्रों पर उनके पेरेंट्स द्वारा अच्छे मार्क्स प्राप्त करने का दबाव होता है, जबकि इसकी जगह पेरेंट्स को अपने बच्चे को प्रोत्साहित करना चाहिए की वह केवल पढ़ाई में अपना 100% दें और अच्छी शिक्षा प्राप्त करें एग्जाम के मार्क्स तथा पास या फेल होना जीवन का एक हिस्सा है और इससे सीख लेकर आगे अच्छा करने का प्रयतन करना चाहिए.

3. रूचि के अनुसार आगे न बढ़ना: साथ ही यह भी देखा गया है कि कई बार छात्र अपने रूचि के अनुसार शैक्षिक करियर में आगे नहीं बढ़ पाते हैं जिस कारण उन्हें उनके अपेक्षा के अनुकूल सफलता न मिलने के कारण वह तनाव में आ जाते हैं. ऐसी परिस्तिथि में छात्रों को खुल कर अपनी रूचि अपने पेरेंट्स को समझाना चाहिए, भविष्य में उसके स्कोप्स कितने हैं इस बारे में उनसे चर्चा करनी चाहिए.

साथ ही साथ अभिभावकों को भी यह सलाह है कि वह अपने बच्चे की रूचि के अनुसार ही उनके शैक्षिक करियर को चुने, जिसमें उनका बच्चा अच्छी तरह आगे बढ़ सके.

4. पीयर प्रेशर: अक्सर किशोरावस्था में बच्चे अपने दोस्तों, सहपाठियों को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. कभी-कभी यह सहकर्मी प्रभाव सकारात्मक होता है जिसमें एक बच्चा खेल से जुड़ी गतिविधियों में अधिक भाग लेने या पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित होता है क्योंकि उसके दोस्त ऐसा कर रहे होते हैं. लेकिन कभी कभी दोस्तों का गलत प्रभाव भी पड़ सकता है जिसकी वजह से बच्चे गलत चीजों का शिकार बन जाते हैं और अगर माता-पिता बच्चों पर ज़बरदस्ती करने की कोशिश करते हैं तो उसका उल्टा असर होता है और बच्चे आक्रामक हो जाते हैं या माता-पिता से अपनी बातें छुपाने लगते हैं. तथा जिस तरन वह तनाव में भी आ जाते हैं. अर्थात यदि आपको ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आपका सहकर्मी या मित्र आपको किसी ऐसे गतिविधियों के लिए प्रेरित कर रहा है जो आपके लिए बिलकुल सही नहीं तो बीना डरे आप अपने मित्र को ऐसी गतिविधियों के लिए मना करना सीखें. तथा साथ ही साथ अभिभावक भी अपने बच्चे को हमेशा यह विश्वास दिलाएँ की आप हमेशा उसके साथ हैं अर्थात आप उसे किसी भी परिस्थिति में आप अकेला नहीं छोड़ेंगे. ऐसा करने से वो अपनी बातों को आपसे नहीं छुपाएगा और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.

निष्कर्ष: आशा है कि हमारे बताये हुए सुझाव छात्रों को शैक्षिक करियर में आगे बढ़ने में तथा उनके शैक्षिक तनाव को कम करने में मददगार साबित होंगे. छात्र अपनी शैक्षिक उपलब्धियों से खुद को मोटीवेट करें तथा शैक्षिक तनाव के जो नकारात्मक कारण हैं उनसे सीख लेकर खुद को अगली बार और अच्छा करने के लिए  प्रेरित कर आगे बढ़ें.

शुभकामनायें!!

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How to overcome exam stress in hindi ऐसे रहे एक्जाम टाइम पे टेंशन फ्री.

हर स्टूडेंट की ज़िंदगी मे Exams का महत्व काफी ज्यादा होता है चाहे वह स्कूल के Exam हो या कॉलेज के. परीक्षा लेने का लक्ष्य यह होता है कि साल भर हम जो भी पढ़ते है उससे हमने क्या समझा और कितना याद रहा. हालांकि हमारा education system और मार्क्स पाने की रेस अपने आप मे एक debatable issue है.

इस बात मे कोई संदेह नहीं है की हर छात्र का पढने का तरीका अलग अलग होता है और वैसे ही रूटीन भी अलग-अलग अलग होता है। कई लोग सेशन शुरू होते ही पढाई में लग जाते है तो कुछ लोग थोडा समय रुक कर पड़ना शुरू करते है और परीक्षा आने तक कवर कर लेते है लेकिन कई स्टूडेंट ऐसे होते है जो पूरा साल पढाई नही करते और अंत में चीजों को रटते है। ऐसे मे कई छात्र Exam से पहले काफी stress ले लेते है और घबरा जाते है। दोस्तो इस आर्टिक्ल में हम उन समस्याओ पर बात करेंगे जिनका सामना बच्चे परीक्षा के समय करते है।

Causes of examination stress in students – छात्रों में Exam के समय तनाव के कारण

स्ट्रेस को पैदा करने के कुछ stressoss होते है तो सबसे पहले हम stressoss को जान लेते है;-

तैयारी में कमी – Lack of preparation

सबसे पहले हम यह बात करेगे कि कई बार बच्चे पढाई को हल्के में लेकर बाकि चीजों पर ध्यान लगाते है, खेल-कूद जरूरी है लेकिन पढाई भी उतनी ही जरूरी है। इस बात को बच्चे गंभीरता से न लेकर अपना टाइम खराब करते है और फिर परीक्षा के समय आने पर किताबो को कंप्यूटर की तरह दिमाग में भरने की कोशिश करते है जो की संभव नही होता और फिर इसके बाद शुरू होती है Anxiety और घबराहट जिसके कारण बच्चे किताबो में ध्यान नही लगा पाते.

माँ-बाप और टीचर की बच्चो से उम्मीद – Expectation of parents and teachers

Exam का समय आते ही न सिर्फ बच्चो को बल्कि उनके माँ-बाप और टीचर को भी टेंशन शुरू हो जाती है. वो सोचते है कि उनके बच्चे आस-पड़ोस के या उनके रिश्तेदारों के बच्चो से ज्यादा नंबर लेकर आये, इसके लिए वह अपने बच्चो की तुलना दुसरे बच्चो से करने लगते है, खासकर ऐसा दसवीं और बाहरवी की परीक्षा में देखा जा सकता है हालाकि यह एक हद तक एक उदहारण देने या अपने बच्चो को उत्साहित करने के लिए सही है लेकिन बार बार अपने बच्चो की तुलना दुसरो से करना उनपर दबाव बनाने जैसा है.

इसके अलावा जो टीचर उन्हें पढ़ाते है वो पूरे साल की मेहनत का फल चाहते है. सभी टीचर्स चाहते है कि हमारा पढाया हुआ हर बच्चा अच्छे नंबर लेकर आये. तो Exam का समय छात्र ही नही बल्कि टीचर्स के लिए भी तनाव से भरा रहता है, टीचर उम्मीद करते है कि हर बच्चा अच्छे नंबर लाकर अगली क्लास में पहुंचें इसके लिए टीचर किसी एक विषय पर बहुत ज्यादा फोकस करते है जिससे बच्चा दुसरे विषय पर ध्यान नही दे पाता. वो भी कई बार तनाव का कारण बनता है.

छात्रों की आशाएं – Expectations of students

ऐसा जरूरी नही है की दबाव सिर्फ दुसरो से ही आता है, कई बार दुसरो से खुद की तुलना करने और उनसे अच्छा करने के चक्कर में स्ट्रैस में आ जाते है. खुद को दुसरो से बेहतर बनाने के अलावा जो बाते ज्यादा तनाव पैदा करती है वो है कि question paper  कितना आसान या मुश्किल आएगा. कई बार बच्चे इस टेंशन में भी पढ़ नही पाते.

एकदम से रूटीन में बदलाव आना – change in routine

Exam का समय आते ही बच्चे अपना रोजमर्रा का टाइम-टेबल बदलते है और अधिकतर समय पढाई को ही देना चाहते है लेकिन कई बार बच्चे इसे पूरा नही कर पाते सामान्यत: बच्चे पढाई के साथ साथ खेल-कूद, गेम्स और दोस्तों के साथ घुमने का शोक रखते है और अचानक से रूटीन में बदलाव, समस्या पैदा करता है जो की Anxiety और Low mood को जन्म देता है.

तो यह थे कुछ सामान्य बिंदु जिनकी वजह से बच्चो को Exams के समय तनाव महसूस होता है। इसके अलावा stress की वजह से बच्चे की तबियत खराब हो जाती है, शारीरिक काम बहुत कम हो जाता है, ज्यादा से ज्यादा पढने की कोशिश की जाती है जिससे कई चीज़े समझ नही आती या तो आपस में मिक्स हो जाती है इसलिए कई बार बच्चे परीक्षा में पूछे गए सवालों के जवाब भूल जाते है या फिर वे कुछ और जवाब लिख कर आ जाते है.

How to deal with Exam stress in hindi – एग्जाम स्ट्रेस को कैसे करे दूर

परीक्षा के समय होने वाले तनाव से बचने के लिए हमे कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहियें

बहुत ज्यादा नया समझने की कोशिश न करे

परीक्षा समय नजदीक आते ही जो कुछ भी आपने पूरे साल पढाई की है उसी पर या उससे सम्बंधित सवालों पर ही फोकस करना एक सही रास्ता है बजाय इसके की आप किताब लेकर बैठ जाए और उन्हें रटना शुरू कर दे जिसे अपने पूरे साल नही पढ़ा.

बार-बार ब्रेक लें

मनोविज्ञान के अध्ययनों के अनुसार, औसत मानव मस्तिष्क केवल एक कार्य पर लगभग 45 मिनट तक प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित कर सकता है। इसके अलावा, तंत्रिका विज्ञान में शोध से पता चलता है कि बहुत लंबे समय तक एक ही चीज पर ध्यान केंद्रित करने से मस्तिष्क की सही प्रक्रिया करने की क्षमता कम हो जाती है।

कैफीन का सेवन

एक्जाम के दौरान कई स्टूडेंट्स ज्यादा कॉफी पीते है। कैफीन आपकी बॉडी में एड्रेनालाईन हार्मोन बड़ाता है, जिससे अस्थायी रूप से आपका मूड अच्छा हो जाता है, लेकिन इसे ज्यादा लेने से यह आपको बाद में थका हुआ और depressed बना देता है। यह शरीर मे कोर्टिसोल के स्तर को भी बढ़ाता है जो “stress hormone” है।

सीमित मात्रा में कैफीन आपकी याददाश्त पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, इसलिए यदि आप आमतौर दिन मे एक कप कॉफी लेते हैं, तो कोई समस्या नहीं है।

अपनी सेहत का ख्याल रखे

Exams के समय भोजन और नींद का ध्यान रखे. संतुलित भोजन ले जिससे शरीर ठीक रहे और पूरी नींद ले जिससे पढ़ते समय आपको नींद न आये और आप आराम से फोकस कर पायें। और दिन मे कम से कम 10 ग्लास पानी जरूर पिये। पर्याप्त पानी न पीने से आप सुस्त और तनाव महसूस कर सकते हैं।

खुद को खुश और माहोल को सकारात्मक रखे

परीक्षा के समय खुश रहने और माहोल सकारात्मक होने से हमारी रूचि और ध्यान बना रहता है जो चीजों को याद रखने और समझने में हमारी मदद करता है. इसलिए जब जब पड़ते समय आपको लगे की आप पर टेंशन हावी हो रही है तो अपना पसंदीता काम करे. उदाहरण के तौर पर आप अपने पसंदीता गाने सुन सकते है या विडियो गेम खेल सकते है।

खुद का comparision दूसरों से न करे 

कई स्टूडेंट्स यह सोच सोचकर परेशान हो जाते है की उनके दोस्तो ने उनसे ज्यादा पढ़ लिया है।  ऐसे मे उनके नंबर मुझसे ज्यादा आने वाले है। इस तरह की सोच आपमे डर पैदा कर सकती है इसलिए दूसरों के बारे मे सोचने से बचे और अपनी तुलना दूसरों से बिलकुल भी न करे।

Exam वाले दिन ये करें

Exam से एक रात पहले टेंशन फ्री होकर जल्दी सो जाए और मन में सकारात्मक विचार लेकर समय से तैयार हो जाए. लम्बी सांसे ले, इससे मन में शांति आती है और चीज़े याद रहती है

एक्जाम को सीखने के अनुभव के रूप में ले 

याद रखे कोई भी Exam ज़िंदगी का आखिरी एक्जाम नहीं होता इसलिए हिम्मत बिलकुल भी न हारे और नंबर पर फोकस न करते हुए बेहतर करने पर ध्यान दे। इससे आप टेंशन फ्री होकर अपना best effort दे सकते है।

परीक्षा का लक्ष्य किसी विषय पर आपके ज्ञान के स्तर का आकलन करना है। इससे आपको अपनी पाठ्यक्रम सामग्री के बारे में अपनी ताकत और कमजोरियों को पहचानने में मदद मिलती है। आप अपनी गलतियों से सीख सकते हैं। परीक्षा में खराब प्रदर्शन खराब हो जाने का मतलब यह बिलकुल भी नहीं है की आपमे काबिलियत नहीं है। इसलिए बिलकुल भी न घबराए और अच्छे से एक्जाम दें।

उम्मीद करते है इस आर्टिक्ल से आपको कुछ लाभ होगा। अगर आपके कोई सवाल या सुझाव है तो कृपया कमेंट के माध्यम से अपनी बात रखे और हमारे आने वाले आर्टिक्ल की नोटिफ़िकेशन पाने के लिए हमे फ्री subscribe करना न भूले।

लेखक के बारे मे 

शुभम प्रजापति एक स्कूल काउन्सलर है जो मनोविज्ञान से संबंधित विषयो पर लिखने का शोक रखते है। ये छात्रों और अभिभावकों के साथ मिलकर उनके शैक्षणिक, व्यवहारिक और सामाजिक विकास में मार्गदर्शन करते है

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Revisiting Word - stress in Hindi for a Speech Synthesis Programme

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Pramod Pandey

In this paper, I present a new account of word stress in Hindi. I begin with the attempt to show that the apparently different patterns of Hindi stress described in the literature are in fact bound by one core pattern. The core pattern crucially involves an interdependence between rhythm and quantity in the placement of stress within a window of three syllables from the right. The Hindi data pose the following challenge to metrical stress theory and OT: ternary feet arise not from Extrametricality or Nonfinality but from a weight and rhythm-based foot structure in which both the factors are integrated. The new analysis presented in this paper meets the challenge in terms of the constraints Window (Kager, 2012), PERFECTGRID and PG-FORWARDPULL. The latter constraints are proposed following the insights in Prince (1983) and Hayes (1995).

essay on stress in hindi

Anusree Sreenivasan

The present work aims to study the stress patterns in Marathi. The paper looks into the Dravidian/ Indo-Aryan dichotomy in the language. Marathi, though an Indo-Aryan language, shares features of Dravidian languages because of its geographically unique positioning of the area in which it is spoken. This paper investigates the stress pattern of the words in Marathi-disyllabic and trisyllabic words, and investigates which language family it follows in this case. The acoustic correlates of stress in Marathi are also delineated in the present work. This paper attempts to give an Optimality Theoretic account of the stress patterns in Marathi.

Sindh University Research Journal (Science. Series)

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Investigation of acoustic correlates of lexical stress tests the hypothesis that lexical stress modifies acoustic properties of sounds in Sindhi. The experiment was carefully designed in order to examine the phonetic exponents of lexical stress. The analysis is based on the voice samples of recorded 10 Sindhi word stress pairs, and they were similar however, they just differ in terms of assignment of primary stress. A total 2000 voice samples (10×10×20=2000) were analyzed in a fixed carrier phrase. The data consists of Sindhi stressed and unstressed vowels /i, ɪ, e, ɛ, ə, ɑ, ɔ, o, ʊ/ and u/, from ten native speakers of 1 Utradi (Northern) dialect recorded on Praat speech processing tool, and a high quality microphone. Four parameters were considered for an acoustic analysis of lexical stress i.e., duration, fundamental frequency (F0), vowel quality (F1-F2) and the stop closure. The acoustic examination of the voice samples provides evidence for higher frequency of stressed vowels and lower frequency for unstressed vowels relatively. In addition, the data analysis reveals that there were statistically significant differences in the values of short and long vowels referencing to the stressed and unstressed syllables. Similarly, the frequency values of the duration and stop closure of stressed vowels were also greater than the unstressed, while F0 and F1-F2 values were higher in stressed and lower in unstressed vowels which explicitly provides a strong evidence that phonetic correlates of lexical stress in Sindhi.

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This study examined the acoustic correlates of primary and secondary stress in Indian English. Together with the patterns of lexical stress placement, the parameters of syllable duration, pitch slope, intensity and spectral balance were examined in six noun-verb pairs. Two L1 backgrounds (Hindi and Malayalam) were examined. Results showed that lexical stress placement varied substantially across the speakers, but was in the majority of cases on the same syllable as in American or British English. Second, speakers relied on (in order of importance) differences in intensity, spectral balance, duration, and pitch slope to distinguish primary from secondary stress. The results also showed that Indian English differs from other varieties in the phonetic realisation of the primary-secondary stress distinction.

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We report our work on stress labeling of syllables in the speech corpus of Tamil Text to Speech Synthesis. Syllable is the minimum possible speech segment which can be spoken independent of the adjacent phones. Keeping this in mind, a new syllabification strategy, which preserves the coarticulation effects of the phones present in the identified syllables, is proposed for Tamil language. The syllables are stress labeled based on the combination of their Pitch, Energy and Duration (PED). The byproduct of the stress labeling of the corpus is the prosodic knowledge that the first syllable in Tamil is stressed (in most cases, except when there is some emphasis of a particular syllable in a word) and the second syllable is stressed if the first syllable is/has a short vowel. Based on this, a rudimentary prosody model is developed for Tamil TTS.

The paper presents a sketch of the segmental phonology based on evidence from the phenomenon of stress. In particular, the paper shows how the stress pattern in Indian English reveals the structure of a majority of the surface diphthongs as vowel sequences.

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We report an experiment investigating the relative weighting of acoustic cues (vowel quality, intensity, duration and f0) in lexical stress perception in Indian English (IndE), compared with Southern Standard British English (SSBE). GLMM modelling of responses shows both similarities (e.g. vowel quality was by far the most important cue for both IndE and SSBE) and differences (IndE listeners were less sensitive to all cues except duration, and made least use of f0). Differentiating IndE participants according to L1 background (Indo-Aryan vs Dravidian), however, reveals a finer-grained picture, with L1 Indo-Aryan listeners exhibiting cue hierarchy and degree of cue strength that are closer to SSBE listeners. For L1 Dravidian listeners, while vowel quality remains the most important cue, the strength of this cue, and that of intensity, are significantly lower than for L1 Indo-Aryan and SSBE listeners. At the same time, duration ranks more highly for these listeners.

Shambhu Nath Saha

— English lexical stress is acoustically related to combination of fundamental frequency (F0), duration, intensity and vowel quality. Current study compares the use of these correlates by 10 L1 English and 20 L1 Bengali speakers to find out which correlates are most difficult for Bengali speakers to acquire. Results showed that English and Bengali speakers used the acoustic correlates of vowel duration, intensity and F0 in similar manner, but Bengali speakers produced significantly less English like stress patterns. English speakers reduced vowel duration significantly more in the unstressed vowels compared to Bengali speakers and degree of intensity and F0 increase in stressed vowels by English speakers was higher than that by Bengali speakers. Moreover Bengali speakers produced English like vowel quality in certain unstressed syllables, but in other cases there were significant differences in vowel quality across groups. This study supports the idea of interference from L1 to L2 (nonnative) phonology.

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
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  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
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  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
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  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
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  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
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  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
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  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
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  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
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  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

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HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay On Importance Of Examination In Hindi – परिश्रम का महत्व पर निबंध

September 23, 2017 by essaykiduniya

Parishram ka mahatva Essay in Hindi. Here you will get Paragraph and Short Essay On Importance Of Examination In Hindi Language for Students of all classes in 300 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में परिश्रम का महत्व पर निबंध मिलेगा।

Essay On Importance Of Examination In Hindi – परिश्रम का महत्व पर निबंध ( 100 words )

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में परीक्षा का बहुत महत्व है। परीक्षा हमें हमारी अच्छाईयाँ और कमियाँ बताती है। यह हमें हमारी गलतियाँ बताकर उन्हें सहीं करवाती है और आगे बढ़ने में सहायता करती हैं। परीक्षा के माध्यम से हमें पता लग जाता है कि हम कहाँ पर पीछे हैं और हम उन्हें सुधार के आगे बढ़ सकते हैं। यदि हम परीक्षा में सफल होते हैं तो आगे बढ़ते हैं और विफल होते हैं तो हमें अनुभव मिलता है और कुछ नया सीखते हैं जो हमें हमेशा याद रहता है। परीक्षा हमारे व्यक्तित्व और ग्यान को निखारती है।

Essay On Importance Of Examination In Hindi – परिश्रम का महत्व पर निबंध ( 200 words )

हर व्यक्ति को अपने जीवन में बहुत सी परीक्षाएँ देनी पड़ती है जो कि हमारे जीवन में बहुत ही अहम भूमिका निभाती हैं। परीक्षा का हमारे जीवन में बहुत महत्व है क्योंकि यह हमें बताती है कि जो कुछ भी हमने अब तक सीखा है वह हमें भली भाँति आता है या नहीं और यदि नहीं आता है तो परीक्षा से हमें पता लग जाता है कि हम कहाँ पर गलती कर रहे हैं ताकि हम अपनी गलती सुधार सके और अच्छे से सीख सके। परीक्षा हमारे व्यक्तितव को और सीखने की शक्ति को निखारता है।

यदि समय समय पर परीक्षा का आयोजन नहीं किया जाऐगा तो हम कभी कभी भी अपनी गलती नहीं दान सकेंगे और कुछ नया नहीं सीख सकेंगे। परीक्षा में हमें सफलता मिले या विफलता दोनों ही हमें बहुत कुछ सीखा जाती है। यदि हम सफल होते हैं तो हम नए पड़ाव पर चले जाते है और यदि विफल होते हैं तो हमें बहुत से अनुभव मिल जाते हैं जो जिंदगी भर हमारे काम आते हैं। परीक्षा के बिना हम कभी भी खुद की कमियों को नहीं जान सकते। परीक्षा हमें जिंदगी के बारे में समझाती है और कुछ अच्छा सीखाकर आगे बढाती हैं।

Essay On Importance Of Examination In Hindi – परिश्रम का महत्व पर निबंध ( 300 words )

परीक्षाएं मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और नापसंद हिस्सा हैं। फ्लू हमें छोड़ सकता है, टाइफाइड हमें छोड़ सकता है, लेकिन परीक्षाएं हमें कभी नहीं छोड़ सकतीं वे रात और दिन हमें परेशान करते हैं हर शरीर परीक्षा से डरता है यह आदमी या भगवान। यह एक दया है कि हम परीक्षाओं के बिना नहीं कर सकते। अक्सर यह कहा जाता है कि परीक्षा एक आवश्यक बुराई है। मैं कहूंगा कि वे एक भयानक बुराई हैं वे हमारे युवा लड़के और लड़कियों से हँसी लेते हैं। जब परीक्षाएं नजर आ रही हैं, तो छात्रों को इस चेहरे की खुशी और उनके रातों की नींद खो देते हैं।

वे घबरा, पीला और भयभीत होते हैं यह रोगग्रस्त राज्य सामान्यतः परीक्षा बुखार के रूप में जाना जाता है। परीक्षा एक छात्र की वास्तविक क्षमता का परीक्षण नहीं करती है वार्षिक परीक्षा केवल एक जुआ है यदि एक छात्र जो पूरे वर्ष में बहुत गंभीर है परीक्षा से पहले बीमार हो जाता है, तो अगली कक्षा में पदोन्नति के लिए नहीं माना जा सकता है। ये परीक्षाएं एक छात्र की क्षमता की जांच करने और अधिकतम सामग्री उल्टी करने की परीक्षा देती हैं। परीक्षा कई बुराइयों को जन्म देते हैं। सस्ते नोट्स और गाइड बाजार बाढ़ बहुत कम छात्र पाठ-किताबें पढ़ते हैं। अधिकांश छात्र कम कटौती और निश्चित-सफलता पुस्तिकाएं चाहते हैं वे छात्रों को अनुचित साधनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। परीक्षा की वर्तमान प्रणाली को बदलना चाहिए। टर्मिनल परीक्षाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

उद्देश्य और अर्ध-उद्देश्य प्रकार के प्रश्नों को सेट किया जाना चाहिए ताकि अनुचित साधनों का उपयोग किया जा सके। इस तरह से छात्र पूरे पाठ्यक्रम को तैयार कर सकते हैं। परीक्षा एक आवश्यक बुराई है, लेकिन हमें कुछ सिस्टम तैयार करना चाहिए ताकि परीक्षा की नई प्रणाली शुरू की जा सके। इस मुद्दे पर वैश्विक बनें।

हम उम्मीद करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay On Importance Of Examination In Hindi – परिश्रम का महत्व पर निबंध ) पसंद आएगा।

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