टेलीविजन पर निबंध / Essay on Television in Hindi
टेलीविजन पर निबंध / Essay on Television in Hindi!
टेलीविजन को विज्ञान का एक अदभुत आविष्कार माना जाता है । इसको हिन्दी में दूरदर्शन कहा जाता है क्योंकि इसके द्वारा दूर की वस्तुओं के दर्शन होते हैं । दूरदर्शन पर दृश्यों को देखकर लगता है कि घटनाएँ दूर नहीं बल्कि आँखों के सामने घट रही हैं । जनता का मनोरंजन करने वाला तथा देश-दुनिया की खबर बताने वाला यह उपकरण आज बहुत लोकप्रिय हो गया है ।
टेलीविजन का आविष्कार वैज्ञानिक जे.एल.बेयर्ड ने किया था । शुरू-शुरू में इस पर केवल श्वेत-श्याम चित्र देखे जाते थे । अब इस पर रंग-बिरंगे चित्र भी देखे जा सकते हैं । लिया गया चित्र जिस रंग में है हमें वह चित्र उसी रंग में देखने को मिलता है । टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण इसके केन्द्र से होता है जो विभिन्न प्रसारण कर्त्ताओं द्वारा स्थान-स्थान पर बनाए गए हैं । इन केन्द्रों को स्टूडियो कहा जा सकता है । टेलीविजन पर कार्यक्रमों के प्रसारण में संचार उपग्रहों की मदद की जाती है । आजकल प्रसारण डिजिटल हो गए हैं जिससे दर्शकों को साफ-सुथरे चित्र देखने को मिलते हैं ।
टेलीविजन दर्शकों के लिए मनोरंजक कार्यक्रमों का एक बड़ा पैकेट लेकर आता है । दूसरे शब्दों में यह इतने तरह के मनोरंजक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करता है कि दर्शक दुविधा में होते हैं कि किसे देखें और किसे छोड़ दें । यह दुविधा इसलिए कि पहले जहाँ एक ही चैनल सरकारी दूरदर्शन था वहीं अब सौ-दो सौ चैनल हैं । हर चैनल पर रात-दिन कुछ-न-कुछ चलता ही रहता है । कोई फिल्म दिखा रहा होता है तो कोई धारावाहिक । किसी पर मदारियों का खेल चल रहा है तो किसी पर नुक्कड़ शो । कोई सर्कस तो कोई जादू दिखा रहा है । किसी पर नाच-गाना चल रहा है तो किसी पर खेल का आँखों देखा हाल । समाचार सुनाने एवं दिखाने वाले भी कई चैनल हैं । एक ही खबर बार-बार सुनते-सुनते ऊब सी होने लगती है ।
टेलीविजन के आने से मनोरंजन की दुनिया में हलचल मच गई । जो लोग पहले सिनेमाघरों पर खिड़कीतोड़ भीड़ लगाते थे अब घर में टेलीविजन के सामने बैठकर फिल्मों का आनंद लेने लगे । बच्चों की तो चाँदी हो गई । वे कामिक्स के कार्टूनों से नजरें हटाकर टेलीविजन पर कार्टून धारावाहिक देखने लगे । गृहणियाँ दुपहरी में पड़ोसिनियों से मनोरंजक वार्ता छोड्कर टेलीविजन के सामने बैठकर सास-बहू की सीरियल देखने लगीं ।
छात्र एन.सी.इ.आर.टी. के शैक्षिक कार्यक्रमों को घर बैठे देखकर पाठ्य-क्रमों की समझ बढ़ाने लगे । बौद्धिक मिजाज के लोगों को मनोरंजक अंदाज
ADVERTISEMENTS:
में प्रस्तुत की गई खबरों के प्रति लौ लग गई । वृद्ध टेलीविजन के माध्यम से आध्यात्मिक जगत में पहुँच गए । उनकी धार्मिक आस्था मजबूत दिखाई देने लगी ।
तात्पर्य यह कि टेलीविजन पर हर कोई अपने लायक कार्यक्रमों को ढूँढ ही लेता है ।
दैनिक जीवन में अनेक समस्याएँ हैं । कामकाजी व्यक्ति दिनभर की उलझनों को सुलझाते थक जाता है । शाम को कुछ देर टेलीविजन देखकर वह अपना मनोरंजन करता है । विद्यार्थियों को इसके माध्यम से ज्ञान की अनेक बातें सीखने को मिलती हैं । किसानों को मौसम की खबर मिलती है । वे अच्छी फसल प्राप्त करने की विधियाँ सीखते हैं । गृहणियाँ गृह-कौशल की तकनीकें सीखती हैं । टेलीविजन पर आम महत्त्व की सूचनाएँ प्रसारित की जाती हैं । इसके माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलती है । ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों तथा अन्य महत्त्वपूर्ण खेलों की प्रतियोगिताओं को देखकर युवा खेलों के प्रति आकर्षित होते हैं ।
टेलीविजन अब घर-घर की जरूरी वस्तु बन गई है । टेलीविजन के सेट के साथ अब केबल जोड़ा जाता है जिसके द्वारा विभिन्न प्रकार के चैनलों को देखा जा सकता है । इस सेवा के बदले उपभोक्ताओं से मासिक फीस वसूली जाती है । वैसे लोग अब एक कदम और आगे बढ्कर डी.टी.एच. के युग में प्रवेश कर गए हैं । डी.टी.एच. अर्थात् ‘ डायरेक्ट टु होम ‘ सेवा से बिना केबल के ही विभिन्न चैनलों को देखने की व्यवस्था की जाती है । इसके लिए घर में एक सैट टॉप बॉक्स लगाना पड़ता है ।
टेलीविजन के अनेक लाभ हैं तो कुछ हानियाँ भी हैं । यह लोगों को मनोरंजन की अधिकता के युग में ले गया है । अधिक टेलीविजन देखने से आँखों की तथा दिमाग संबंधी अनेक परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। बैठे-बैठे घंटों टेलीविजन देखना शारीरिक थकान एवं सुस्ती को जन्म देता है । लोगों का जो समय पहले सामाजिक कार्यों में व्यय होता था वह अब टेलीविजन की भेंट चढ़ रहा है । बच्चे खेल खेलने के बजाय टेलीविजन से चिपककर बैठे देखे जा सकते हैं । इसलिए किसी प्रकार की अति से बचकर लोगों को निर्धारित समय पर ही टेलीविजन देखना चाहिए ।
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टेलीविजन पर निबंध (Essay On Television in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे 10 lines
Essay On Television in Hindi – टेलीविजन एक लोकप्रिय मनोरंजन उपकरण है। यह बहुत आम है और लगभग सभी घरों में पाया जाता है। जब टेलीविजन ने पहली बार प्रसारण शुरू किया, तो इसे “इडियट बॉक्स” के रूप में जाना जाता था क्योंकि उस समय टेलीविजन का एकमात्र उद्देश्य मनोरंजन प्रदान करना था। अब, प्रौद्योगिकी और रचनात्मकता की प्रगति के साथ, टेलीविजन एक महत्वपूर्ण जनसंचार माध्यम के रूप में उभरा है। आज टीवी पर कई सीखने वाले और सूचनात्मक चैनल हैं जो ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।
“टेलीविजन” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: “टेली” और “विजन”। टेली ग्रीक मूल का एक उपसर्ग है, जिसका अर्थ दूर है, जिसका उपयोग लंबी दूरी पर संचालन के लिए उपकरणों के नाम बनाने में किया जाता है, जबकि दृष्टि का अर्थ है देखने की क्रिया या संकाय। “टेलीविजन” को सिग्नल प्राप्त करने के लिए एक स्क्रीन वाले उपकरण के रूप में कहा जा सकता है।
टेलीविजन निबंध 10 लाइन्स (Television Essay 10 Lines in Hindi)
- 1) फिलो टेलर फार्न्सवर्थ 1927 में टेलीविजन का विचार लेकर आए।
- 2) भारत में पहली बार दूरदर्शन 1959 में दिखाया गया था।
- 3) हम टीवी पर कोई फिल्म, खेल, समाचार या अन्य बहुत सी चीजें देख सकते हैं।
- 4) लोगों के लिए खाली समय बिताने के लिए टीवी भी एक अच्छा तरीका है।
- 5) टीवी लोगों को और अधिक रचनात्मक भी बनाता है।
- 6) वैज्ञानिक ज्ञान के प्रसार का सबसे सशक्त माध्यम टेलीविजन है।
- 7) अब इसके माध्यम से आध्यात्मिक और धार्मिक संदेश भी प्रसारित किए जाते हैं।
- 8) टीवी देखने में बहुत अधिक समय व्यतीत करना समय की बर्बादी है।
- 9) अधिक समय तक टीवी देखने से हमारा स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
- 10) हमें इसे सबसे अधिक सावधानी और अनुशासन के साथ उपयोग करने की आवश्यकता है।
टेलीविजन पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Television in Hindi)
टेलीविजन नवीनतम वैज्ञानिक चमत्कारों में से एक है जो लोगों को दुनिया से जोड़ता है। टेलीविजन संचार और मनोरंजन के माध्यम के रूप में अच्छा काम करता है। हम दुनिया भर में होने वाले महत्वपूर्ण खेल आयोजनों, राजनीतिक समाचारों और अन्य कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण देख सकते हैं। इससे हमें दूर की चीजों, स्थानों और घटनाओं का सीधा बोध होता है। इस प्रकार, टेलीविजन ने पूरे विश्व को लिविंग रूम में ला दिया है। टेलीविजन देखने से हम ज्ञानी भी बनते हैं।
व्यापक शिक्षण के लिए टेलीविजन भी एक अन्य प्रभावी उपकरण है। लाखों लोग टीवी पर ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल, परिवार नियोजन और सामान्य ज्ञान पर शैक्षिक कार्यक्रम प्राप्त कर सकते हैं।
टेलीविजन पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Television in Hindi)
टेलीविजन दुनिया को जोड़ता है। आधुनिक दुनिया में, टेलीविजन से ज्यादा परिचित कुछ भी नहीं है। 1925 में जॉन बेयर्ड ने इसका आविष्कार किया। इसे भारत में 1959 में पेश किया गया था। यह वास्तव में विज्ञान में देखने के लिए एक आश्चर्य है। टेलीविजन के दो कार्य हैं। एक तरफ रेडियो है तो दूसरी तरफ सिनेमा हॉल। पहले रेडियो सुनते थे लेकिन आजकल लोग बड़े पर्दे पर फिल्में देखने के लिए सिनेमाघर जाते हैं। कई मायनों में टेलीविजन एक बहुत ही लाभकारी साधन है। यह निर्देश और मनोरंजन दोनों के लिए एक प्रभावी उपकरण है। टेलीविजन के माध्यम से लोग अध्ययन कर सकते हैं और ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
टेलीविजन हमें सिनेमा दिखाता है और खेलों और खेलों का सीधा प्रसारण करता है। इसकी स्क्रीन पर हमें प्रकृति के रमणीय दृश्य और जंगलों में और समुद्र के गहरे पानी में घूमते जानवरों के रोमांचकारी दृश्य दिखाई देते हैं। हम कई शो और सीरियल और फिल्मों का आनंद ले सकते हैं। यह विज्ञापन का भी एक सशक्त माध्यम है।
लोगों को दिन में कम से कम आधा घंटा टेलीविजन देखना चाहिए। कई बार बच्चों पर टेलीविजन का बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि वे सारा दिन टेलीविजन के सामने बैठे रहते हैं और अपना पसंदीदा शो देखते हैं जो उनके लिए बहुत बुरा होता है। टेलीविजन पेशेवर लोगों के लिए अच्छा है और गैर-पेशेवर लोगों के लिए बुरा है।
टेलीविजन पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay on Television in Hindi)
साल 1927 में टेलीविजन का आविष्कार करने का श्रेय फिलो टेलर फार्न्सवर्थ को जाता है। तब से अब तक इसमें कई बदलाव किए गए। जब इसे पहली बार बनाया गया था, तो यह बहुत बड़ा था और काफी जगह घेरता था। लेकिन अब हम ऐसे टीवी खरीद सकते हैं जो पेंटिंग जितने पतले हों और जिन्हें दीवार पर लटकाया जा सके। टीवी अब केवल टीवी नहीं रह गए हैं; वे अब “स्मार्ट टीवी” हैं।
टेलीविजन का महत्व
टीवी के महत्व पर हर किसी का अलग नजरिया होता है। यह हमें बताता है कि शहर, राज्य, देश या दुनिया में क्या हो रहा है। यह एक देश के नेता के लिए लोगों से बात करने का एक तरीका है। अब जबकि टेलीविजन पर बहुत सारे शैक्षिक कार्यक्रम हैं, यह छात्रों के लिए सीखने का एक बेहतर तरीका है। हम टीवी से दुनिया के इतिहास, प्राचीन सभ्यताओं और अतीत के बारे में अन्य तथ्यों के बारे में सीखते हैं।
टेलीविजन का प्रभाव
टेलीविजन का हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। टीवी देखने से व्यक्ति के तन और मन पर भी प्रभाव पड़ सकता है। चैनलों पर दिखाई जाने वाली कुछ खबरें गलत भी हो सकती हैं। बहुत से लोग टीवी देखते समय खाना भूल जाते हैं। जब आपके पास खाली समय हो तो टीवी देखना ठीक है, लेकिन कुछ लोग अपना महत्वपूर्ण काम नहीं कर पाते क्योंकि वे अपने पसंदीदा टीवी शो या फिल्म देखने में व्यस्त रहते हैं। इसने नई पीढ़ी को बहुत बुरे तरीकों से प्रभावित किया है।
टेलीविजन देखने के प्रभाव अच्छे और बुरे दोनों हो सकते हैं। हालाँकि, हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि एक उपकरण सिर्फ एक उपकरण है, अच्छा या बुरा नहीं। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसका उपयोग और उपयोग कैसे करते हैं।
टेलीविजन पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Television in Hindi)
टेलीविजन वास्तव में शिक्षा का एक बड़ा स्रोत हो सकता है यदि केवल सूचनात्मक और ज्ञान आधारित चैनल देखे या सब्सक्राइब किए जाएं। ऐसे कई चैनल हैं जो स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम पेश करते हैं। छात्रों के लिए विशिष्ट विषयों पर आधारित ट्यूटोरियल चैनल भी हैं। विभिन्न प्रकार के दर्शकों को पूरा करने के लिए एक टेलीविजन में विभिन्न प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रम होते हैं। इसमें बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के लिए भी शैक्षिक कार्यक्रम हैं।
शिक्षा में टेलीविजन की भूमिका
शिक्षा निर्माण में टेलीविजन की भूमिका को दुनिया भर के कई देशों ने स्वीकार किया है। इसका उपयोग औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा दोनों को प्रभावी ढंग से पढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता है। एक टेलीविजन को स्कूल के पाठ्यक्रम के साथ जोड़ा जा सकता है और एक विशिष्ट विषय को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
टेलीविजन उन युवाओं और वयस्कों के लिए प्रभावी ढंग से गैर-औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है, जिनके पास औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं था। यह प्रभावी ढंग से कौशल प्रदान कर सकता है, व्यावसायिक प्रशिक्षण और अन्य आवश्यक सांस्कृतिक और नागरिक शिक्षा प्रदान कर सकता है, जब इसे ठीक से उपयोग किया जाए।
शैक्षिक टेलीविजन कार्यक्रम
न्यूटन के गति के नियमों को समझने के लिए आज आपको स्कूल के बाद अपने भौतिकी के शिक्षक से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। आपको बस अपने टेलीविजन में शैक्षिक अनुभाग में स्विच करने और भौतिक विज्ञान में कई ट्यूटोरियल कार्यक्रमों में से चुनने की आवश्यकता है।
विषय उन्मुख कार्यक्रमों के बावजूद, एक टेलीविजन विभिन्न अन्य गैर-औपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों की पेशकश करता है जो विषय वस्तु के अलावा अन्य मुद्दों पर आपके समग्र ज्ञान को बढ़ाते हैं। कुछ उदाहरण देने के लिए हिस्ट्री चैनल, डिस्कवरी चैनल, नेशनल ज्योग्राफिक चैनल और विभिन्न अन्य विज्ञान आधारित चैनल शिक्षा प्रदान करने का एक बड़ा काम करते हैं।
शिक्षा निर्माण में टेलीविजन की भूमिका को दुनिया भर में व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है। दुनिया के कुछ सुदूर कोनों में भी टेलीविजन की उपलब्धता टेलीविजन के माध्यम से शिक्षा के लिए एक अतिरिक्त लाभ है। जिन लोगों की औपचारिक शिक्षा या स्कूल की अवधारणा तक पहुंच नहीं है, उनके पास टेलीविजन शैक्षिक कार्यक्रमों में आशा की एक किरण है।
टेलीविजन पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Television in Hindi)
टेलीविजन सबसे लोकप्रिय उपकरणों में से एक है जिसका उपयोग पूरी दुनिया में मनोरंजन के लिए किया जाता है। यह आजकल काफी आम हो गया है और लगभग हर घर में एक टेलीविजन सेट होता है। शुरुआत में, हम देखते हैं कि कैसे इसे ‘इडियट बॉक्स’ कहा जाता था। ऐसा ज्यादातर इसलिए था क्योंकि उन दिनों में मनोरंजन के बारे में सब कुछ था। उसके पास इतने सूचनात्मक चैनल नहीं थे जितने अब हैं।
इसके अलावा, इस आविष्कार के साथ, सनक ने कई लोगों को अपना सारा समय टीवी देखने में बिताने के लिए आकर्षित किया। लोग इसे हानिकारक मानने लगे क्योंकि यह बच्चों को सबसे अधिक आकर्षित करता था। दूसरे शब्दों में, बच्चे अपना अधिकांश समय टीवी देखने में बिताते हैं और पढ़ाई नहीं करते। हालाँकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, टेलीविजन के चैनल बदलते गए। अधिक से अधिक चैनलों को विभिन्न विशेषताओं के साथ प्रसारित किया गया। इस प्रकार इसने हमें मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान भी दिया।
टेलीविजन देखने के फायदे
टेलीविजन के आविष्कार ने हमें कई तरह के लाभ दिए। यह आम आदमी को मनोरंजन का सस्ता साधन उपलब्ध कराने में सहायक था। चूंकि वे बहुत किफायती हैं, अब हर कोई टेलीविजन का मालिक हो सकता है और मनोरंजन तक पहुंच प्राप्त कर सकता है।
इसके अलावा, यह हमें दुनिया की नवीनतम घटनाओं से अपडेट रखता है। दुनिया के दूसरे कोने से समाचार प्राप्त करना अब संभव है। इसी तरह, टेलीविजन शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रदान करता है जो विज्ञान और वन्य जीवन और अन्य के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाता है।
इसके अलावा, टेलीविजन व्यक्तियों को कौशल विकसित करने के लिए भी प्रेरित करता है। उनके पास प्रेरक वक्ताओं के भाषण दिखाने वाले विभिन्न कार्यक्रम भी हैं। यह लोगों को बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। आप यह भी कह सकते हैं कि टेलीविज़न हमें मिलने वाले जोखिम को बढ़ाता है। यह कई खेलों, राष्ट्रीय आयोजनों और बहुत कुछ के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाता है।
टेलीविजन जहां बहुत सारे फायदे लेकर आता है, वहीं इसका एक नकारात्मक पक्ष भी है। टेलीविजन युवाओं के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है और हम आगे चर्चा करेंगे कि कैसे।
टेलीविजन युवाओं को कैसे नुकसान पहुंचा रहा है
सबसे पहले, हम देखते हैं कि कैसे टेलीविजन अनुचित सामग्री प्रसारित कर रहा है जो सभी प्रकार की सामाजिक बुराइयों जैसे हिंसा, छेड़खानी और बहुत कुछ को बढ़ावा देता है। दूसरा, यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। अगर आप घंटों टीवी के सामने बिताते हैं तो आपकी आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती है। आपके आसन से आपकी गर्दन और पीठ में भी दर्द होगा।
साथ ही यह लोगों को एडिक्ट भी बनाता है। लोग अपने टीवी के आदी हो जाते हैं और सामाजिक संपर्क से बचते हैं। यह उनके सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है क्योंकि वे अपना समय अपने कमरे में अकेले बिताते हैं। यह लत उन्हें कमजोर भी बनाती है और वे अपने कार्यक्रमों को भी गंभीरता से लेते हैं।
सबसे ख़तरनाक न्यूज़ चैनलों और अन्य पर प्रसारित होने वाली फ़र्ज़ी जानकारी है। कई मीडिया चैनल अब केवल सरकारों के दुष्प्रचार को बढ़ावा दे रहे हैं और नागरिकों को गलत जानकारी दे रहे हैं। यह हमारे देश के अन्यथा शांतिपूर्ण समुदाय के भीतर बहुत अधिक विभाजन का कारण बनता है।
इस प्रकार, टीवी देखने पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है। माता-पिता को अपने बच्चों के टीवी देखने के समय को सीमित करना चाहिए और उन्हें बाहरी खेलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। जहां तक माता-पिता की बात है, हमें टीवी पर हर बात को सच नहीं मानना चाहिए। हमें स्थिति का बेहतर निर्णायक होना चाहिए और बिना किसी प्रभाव के समझदारी से काम लेना चाहिए।
टेलीविजन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q.1 स्मार्ट टीवी क्या है.
उत्तर. शब्द “स्मार्ट टीवी” उन टेलीविज़न को संदर्भित करता है जिनमें इंटरनेट से जुड़ने के लिए पहले से ही अंतर्निहित तकनीक है।
Q.2 टीवी को हिंदी में क्या कहते हैं?
उत्तर. हिंदी में टेलीविजन को दूरदर्शन के नाम से जाना जाता है।
Q.3 टेलीविजन का मूल शब्द क्या है?
उत्तर. टेलीविजन शब्द बनाने के लिए दो शब्दों को एक साथ रखा गया था। “टेली” शब्द का अर्थ है “दूर” और “दृष्टि” का अर्थ है “देखने में सक्षम होना”।
Q.4 कौन सा ब्रांड टेलीविजन का सबसे बड़ा उत्पादक है?
उत्तर. सैमसंग दुनिया में टेलीविजन का सबसे बड़ा उत्पादक है।
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- Essays in Hindi /
Essay on Television in Hindi: जानिए टेलीविजन पर परीक्षाओं में पूछे जाने वाले निबंध
- Updated on
- नवम्बर 22, 2023
टेलीविजन, जिसे आम बोल-चाल में “इडियट बॉक्स” या “छोटी स्क्रीन” कहा जाता है। यह हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। शुरुआत से ही टेलीविजन लोगों के लिए मनोरंजन के साथ जानकारी के एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में भी काम कर रहा है। टेलीविजन ने पिछले कुछ दशकों में एक उल्लेखनीय परिवर्तन किया है। टेलीविजन के महत्व के साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं जो लोगों को ध्यान में रखने चाहिए। टेलीविजन लगभग प्रत्येक घर में पाया जाता है और इतना अधिक उपयोगी साधन होने के कारण कई बार विद्यार्थियों से टेलीविजन पर निबंध तैयार करने के लिए दिया जाता है। यदि आप Essay on Television in Hindi के बारे में जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
This Blog Includes:
टेलीविजन पर निबंध सैंपल 1, टेलीविजन पर निबंध सैंपल 3, टेलीविजन को देखने के फायदे, टेलीविजन को अत्याधिक देखने से युवाओं को किस प्रकार नुकसान होता है, टेलीविजन पर 10 लाइन्स.
आज टेलीविज़न के समय में प्रत्येक घर में पाया जाता है। यह एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में कार्य करता है जो लोगों का मनोरंजन करता है, शिक्षित और सचेत करता है और उन्हें सूचना उपलब्ध करवाता है। शुरुआत के समय में ब्लैक एंड व्हाइट इमेज बॉक्स होने से लेकर आज की हाई-डेफिनिशन, इंटरनेट से जुड़ी स्क्रीन तक, टेलीविजन ने एक ट्रांसफॉर्मेटिव यात्रा की है। यह वैश्विक घटनाओं और विविध संस्कृतियों के बारे में जानकारी देता है। चाहे वह समाचार हो, खेल हो, डॉक्यूमेंट्री फिल्म हो, या काल्पनिक नाटक हो, टेलीविजन विविध प्रकार की रुचियों को पूरा करता है। हालाँकि, इसका प्रभाव मनोरंजन के अलावा भी है; टेलीविजन पब्लिक ओपिनियन को आकार देता है और कल्चरल कंजर्वेशन को बढ़ावा देता है। टेलीविजन सामान्य जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है, जो सोशल ट्रेंड्स को दर्शाता है और दुनिया भर के दर्शकों के लिए एक साझा अनुभव प्रदान करता है।
टेलीविजन पर निबंध सैंपल 2
टेलीविज़न, जो एक समय सीमित चैनलों को प्रसारित करने वाला एक साधारण बॉक्स था। आज के समय में एक डायनेमिक पावर के रूप में विकसित हुआ है जो मनोरंजन को लोगों को मनोरंजन के अलावा भी जानकारी उपलब्ध करावाता है। आज डिजिटल युग में, यह न केवल दर्शकों कर लिए है बल्कि हमें दुनिया से जोड़ने वाले एक मध्य रूप में भी काम करता है। स्मार्ट टीवी और स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म के आने से ने देखने के अनुभव को बदल दिया है, जो लोगों के लिया ढेर सारा कंटेंट पेश करता है।
टेलीविजन को एक स्टोरी टेलर भी कह सकते हैं, जो स्टोरीज के माध्यम से लोगों को एक साथ ला रहा है। इससे हम नई संस्कृतियों, आस पास दृश्यों और दृष्टिकोणों से परिचित होते हैं जो हमारी पहुंच से परे हैं। ऑन-डिमांड प्रोग्रामिंग के बढ़ने के साथ, दर्शक अपने कंटेंट को क्यूरेट कर सकते हैं।
इसके अलावा, टेलीविजन ने सोशल नेरेटिव्स को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समाचार चैनल सूचना प्रसारित करने और जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सामाजिक मुद्दों और वैश्विक घटनाओं को बहुत कम समय में फोकस में लाया जाता है। जागरूकता को बढ़ावा दिया जाता है।
टेलीविजन का इतना अधिक उपयोग इसके प्रभाव के बारे में चिंता पैदा करता है। लेकिन साथ ही टेलीविजन आवश्यक जानकारी और मनोरंजन प्रदान करके हमारे जीवन को समृद्ध बनाता है। इस चीज पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि यह ध्यान भटकाने के बजाय ज्ञान का स्रोत बना रहे।
Essay on Television in Hindi पर निबंध सैंपल 3 नीचे दिया गया है-
टेलीविज़न लोगों के बीच में सबसे लोकप्रिय उपकरणों में से एक है। इसका उपयोग पूरी दुनिया में मनोरंजन के लिए किया जाता है। शुरुआत से आज तक परिवार के सभी सदस्यों के बीच इसका उपयोग किया जाता है और लगभग हर घर में एक टेलीविजन सेट होता है। जब यह शुरुआत में उपयोग में लिया गया था, हम देखते थे कि लोगों के द्वारा कैसे इसे ‘इडियट बॉक्स’ कहा जाता था। ऐसा ज्यादातर इसलिए था क्योंकि उन दिनों, यह सब मनोरंजन के बारे में था। इसमें उतने सूचनाप्रद चैनल नहीं थे जितने अब हैं। लेकिन आज के समय में यह लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग। मूवीज से लेकर न्यूज तक और कार्टून से लेकर क्रिकेट तक, कई चीजें देखने के लिए इसका आज भी व्यापक रूप उपयोग किया जाता है।
टेलीविज़न के आविष्कार से कई लाभ हुए हैं, जिससे आम आदमी को मनोरंजन का एक किफायती स्रोत उपलब्ध हुआ। इसके सामर्थ्य ने इसे सभी के लिए सुलभ बना दिया, जिससे टेलीविजन कार्यक्रमों का बहुत बड़े स्तर पर आनंद लिया जा सका।
इसके अलावा, टेलीविजन सूचना प्राप्त करने के लिए एक मूल्यवान स्रोत के रूप में कार्य करता है, जो हमें ग्लोबल इवेंट्स पर अपडेट रखता है। एजुकेशनल प्रोग्राम हमारे ज्ञान में योगदान करते हैं, विज्ञान और वन्य जीवन जैसे विषयों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
टेलीविजन प्रेरणा और कौशल विकास में भी भूमिका निभाता है। मोटिवेशनल स्पीकर वाले कार्यक्रमों के साथ, यह व्यक्तियों को सुधार के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अतिरिक्त, यह विभिन्न खेलों, राष्ट्रीय आयोजनों और बहुत कुछ को कवर करके हमें उनके बारे में जानकारी देता है।
इन फायदों के बावजूद, टेलीविजन का एक नकारात्मक पहलू भी है। यह युवाओं के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिस विषय पर हम अधिक विस्तार से विचार करेंगे।
कई बार टेलीविजन अनुचित सामग्री प्रसारित करता है जो हिंसा और छेड़छाड़ जैसी विभिन्न सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा देता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करता है, आंखों की रोशनी कमजोर करता है और उन लोगों के लिए गर्दन और पीठ में दर्द पैदा करता है जो अत्यधिक घंटे देखने में बिताते हैं।
इसके अलावा, टेलीविजन लत को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति खुद को सामाजिक मेलजोल से अलग कर लेते हैं। यह लोगों के सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है क्योंकि वे खुद को एकांत स्थानों तक सीमित कर लेते हैं और सिर्फ अपने टीवी कार्यक्रमों को बहुत गंभीरता से लेते हैं।
सबसे खतरनाक पहलू समाचार चैनलों और अन्य मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से फर्जी सूचनाओं का प्रसार है। कई चैनल अब सरकारी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, जिससे हमारे सौहार्दपूर्ण समुदाय में विभाजन पैदा हो रहा है।
इसलिए, टीवी देखने को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। माता-पिता को अपने बच्चों के स्क्रीन समय को सीमित करना चाहिए, बाहरी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। दर्शकों के रूप में, हमें टीवी पर आने वाली हर बात को निर्विवाद रूप से सच नहीं मानना चाहिए। उपलब्ध जानकारी का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना, अनुचित प्रभाव से मुक्त होकर, विवेकपूर्ण और स्वतंत्र रूप से कार्य करना आवश्यक है।
टेलीविजन दर्शकों के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह, इस पर चर्चा बहुत बड़ी हो सकती है। फिर भी आपको यह बात ध्यान में रखना आवश्यक है कि कोई उपकरण स्वयं न तो स्वाभाविक रूप से अच्छा है और न ही बुरा; टेलीविजन बस एक उपकरण है। इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति इसका उपयोग कैसे करते हैं। टेलीविजन का विवेकपूर्ण उपयोग करके और अपने देखने के समय का प्रबंधन करके, हम इसकी कमियों को कम करते हुए इसके लाभों का उपयोग कर सकते हैं।
Essay on Television in Hindi जानने के बाद अब जानिए टेलीविजन पर 10 लाइन्स, जो नीचे नीचे दी गई हैं-
- आज केसमय में टेलीविजन मनोरंजन और दुनिया के बारे में जानकारी के सबसे लोकप्रिय स्रोतों में से एक है।
- टेलीविज़न नाम के इस शब्द को प्राचीन ग्रीक शब्द “टेली” से आया है, जिसका अर्थ है दूर और लैटिन शब्द “विज़ियो” जिसका अर्थ है दृष्टि।
- TV नाम को वर्ष 1948 में टेलीविज़न के संक्षिप्त रूप के कहां जाने लगा।
- शुरुआत के समय टेलीविजन में CRT मॉनिटर का उपयोग किया जाता था। आधुनिक टेलीविजन LED या LCD का उपयोग करते हैं।
- कलर टीवी का आविष्कार के जॉन लोगी बेयर्ड ने 1937 में किया गया था।
- पुराने टेलीविज़न साधारण एंटेना के द्वारा या केबल से उपलब्ध नेटवर्क पर संचालित होते थे।
- मॉडर्न टीवी स्मार्ट हैं और मोबाइल फोन के समान हैं।
- टेलीविज़न दशकों से लोगों के लिए मनोरंजन उपलब्ध करवाने का कार्य कर रहा है।
- टेलीविजन के फायदे और नुकसान दोनों हैं।
- BARC के अनुसार, 2018-2020 के बीच 6.9% अधिक भारतीय परिवारों के पास टीवी है।
टेलीविज़न चलती छवियों और ध्वनि को प्रसारित करने का एक टेलीकम्युनिकेशन माध्यम है। यह शब्द टेलीविज़न सेट, या टेलीविज़न प्रसारण के माध्यम को बताता है। टेलीविजन विज्ञापन, मनोरंजन, समाचार और खेल का एक जन माध्यम है।
फिलो फ़ार्नस्वर्थ जो की एक अमेरिकी आविष्कारक जिन्होंने पहली पूर्ण-इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन प्रणाली विकसित की।
फोटो सिस्टम के डेवलप होने के बाद ऐसे माध्यम की खोज शुरू हुई जिसमें चल चित्र देखें जा सकते थे, अंत में टेलीविजन का निर्माण हुआ। टेलीविज़न का आविष्कार संभवतः घर में निजी देखने की सुविधा के लिए किया गया था। साथ में लोगों को अपने प्रियजनों के साथ भी समय बिताने का मौका मिला।
आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Essay on Television in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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टेलीविजन पर निबंध Television Essay In Hindi
Television Essay In Hindi प्रिय साथियों आपका स्वागत हैं. इस हिंदी में टेलीविजन पर निबंध में आज हम आपके साथ स्टूडेंट्स के लिए Television Essay दूरदर्शन /टेलीविजन का महत्व इसका अर्थ तथा बच्चों तथा विद्यार्थियों पर इसका प्रभाव, दूरदर्शन की उपयोगिता तथा television ke labh aur hani (लाभ हानि) नुकसान फायदों के बारे में बात करेगे.
Television Essay In Hindi हिंदी में टेलीविजन पर निबंध
नमस्कार आज का निबंध, टेलीविजन पर निबंध Short Essay On Television In Hindi And English दिया गया हैं.
स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में टेलीविजन के महत्व लाभ हानि उपयोगिता आदि पर छोटा बड़ा निबंध यहाँ दिया गया हैं. उम्मीद करते है हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लिखे ये निबंध एस्से आपको पसंद आएगे.
Short Essay On Television : In this essay, paragraph we talk about Television Also called Tv In the short term. It’s a part of our daily routine, Television’s importance, benefits, side effects.
Television Essay prepares for students who read in class 5, 6, 7, 8, 9 in multi-language (Hindi And English) .
for English students read it as Essay On Television and the Hindi language reader takes it as Tittel “Television par nibandh’ ‘ before we start it please if you like our article then don’t forget to share with a friend. Because your cooperation gives us new inspiration.
100 शब्द हिंदी निबंध
परिचय – टेलीविजन आधुनिक दुनिया का एक चमत्कार है। यह एक वस्तु की एक छवि को दूर करने के लिए एक उपकरण है।
अधिकांश घरों में टेलीविजन सेट हैं। हम न केवल भारत में बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में होने वाली विभिन्न घटनाओं के लाइव प्रसारण को देखकर आनंद लेते हैं।
उपयोगिता – टेलीविजन संचार का एक बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है। छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार कार्यक्रम है, किसानों और अन्य लोगों को स्वास्थ्य आदतों, परिवार नियोजन, छोटी बचत और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण सिखाया जाता है।
मनोरंजन का स्रोत – टेलीविजन लोगों के लिए मनोरंजन का स्रोत है। छोटे नाटकों और फीचर फिल्मों द्वारा प्रसारित किया जाता है, जो हमें क्रिकेट मैच और अन्य लोकप्रिय खेल वस्तुओं को लाखों लोगों द्वारा बहुत रुचि के साथ देखकर प्रसन्न करते हैं।
शैक्षणिक महत्व – विज्ञान, गणित, इंजीनियरिंग, और कृषि में दिलचस्प विषयों पर वार्ता भी प्रचारित होती है। विभिन्न देशों में जंगल में जानवरों और पक्षियों का जीवन स्पष्ट रूप से टेलीविजन द्वारा दिखाया जाता है।
हम दुनिया के अन्य हिस्सों के सुंदर प्राकृतिक दृश्यों को देखने में सक्षम हैं जिन्हें हम यात्रा करने का भी सपना नहीं देख सकते हैं। इस प्रकार टेलीविजन बड़े शैक्षिक महत्व का उपकरण है। इसका उपयोग वाणिज्यिक विज्ञापन, खोए बच्चों और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं की जानकारी के लिए भी किया जाता है।
100 Words English Essay
Introduction- Television is a marvel of the world. it is a device to transmit an image of an object far away. most of the houses have Television sets.
we enjoy seeing the live telecasts of various events that happen not only in India but in other parts of the world As well.
usefulness- Television is a very powerful medium of communication. there is a program specially prepared for students, farmers, and other people who are taught health habits, family planning, small savings, and national reconstruction.
source of entertainment- Television is a source of entertainment for people. small plays and feature films that are telecast by it delight us cricket matches and other popular sports items are watched on it with great interest by millions.
Educative Value – interesting lessons in science, mathematics, engineering, and agriculture are telecast. life of animals and birds in the forest in various countries is vividly shown by Television.
we are able to see the beautiful natural scenery of other parts of the world which we may not even dream to visit.
thus Television is of great educative value. it is also used for commercial advertisement, information about lost children, and quiz competitions.
300 शब्दों में टीवी पर निबंध
वर्तमान काल में अनेक वैज्ञानिक आविष्कार हुए है. इनमें दूरदर्शन टेलीविजन का आविष्कार काफी चमत्कारी आविष्कार है.
इससे घर बैठे ही दूर के द्रश्य एवं समाचार साक्षात देखे और सुने जा सकते है. यह मनोरंजन के साथ ही शिक्षा प्रचार और ज्ञान प्रचार का श्रेष्ट साधन है.
दूरदर्शन का परिचय अर्थ
दूरदर्शन या टेलीविजन का अर्थ है दूर से देखना. यह ऐसा यंत्र है जिससे हम दूर स्थित वस्तुओ कों देख सकते है. और ध्वनि भी सुन सकते है. इंग्लैंड के वैज्ञानिक जॉन बेयार्ड ने 1926 में सर्वप्रथम दूरदर्शन का उपयोग किया था.
टेलीविजन यंत्र पर शब्द तरंगो के स्थान पर प्रकाश रश्मियाँ विद्युत तरंगो में बदल जाती है, जो फोटो इलेक्ट्रानिक शीशे पर पड़कर साक्षात् चित्र बन जाती है.
इस काम के लिए कैथोड रे ट्यूब काम में लेते है. दूरदर्शन या टेलीविजन वस्तुतः रेडियों का विकसित रूप है. जिनमे ध्वनि तथा चित्र दोनों का प्रसारण होता है.
टेलीविजन की उपयोगिता और महत्व (Usability and importance of television)
हमारे देश में सनः 1959 से टेलीविजन का प्रयोग प्रारम्भ हुआ. वर्तमान में कृत्रिम उपग्रह के द्वारा सारे भारत में दूरदर्शन का प्रचार हो रहा है.
दूरदर्शन के सैकड़ो चैनलों से अनेक तरह के कार्यक्रम सीरियल एवं फिल्मे प्रसारित होती है. इनसे तुरंत घटित या आँखों देखा प्रसारण होता है.
दूरदर्शन की सबसे बड़ी उपयोगिता मनोरंजन के कार्यक्रमों के साथ समाचारों का तत्काल प्रचारण है. इससे शिक्षा का प्रचार होता है. तथा रोजगार के साधनों का ज्ञान कराया जाता है.
और राष्ट्रिय कार्यक्रमों एवं खेलकूद आदि का टेलीविजन से सीधा प्रसारण किया जाता है. इस तरह जनचेतना को जाग्रत करने में तथा प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में दूरदर्शन विशेष उपयोगी माना जाता है.
टेलीविजन का प्रभाव (Television effect Advantages & Disadvantages)
दूरदर्शन या टेलीविजन के अनेक लाभ है. परन्तु इससे कुछ हानियाँ भी है. बालक दूरदर्शन से चिपके रहते है, इससे उनकी आँखे कमजोर हो जाती है. और पढ़ने में रूचि नही रखते है.
युवक दूरदर्शन के द्रश्यों की नकल करके गलत आचरण करने लगते है. टेलीविजन का वर्तमान नई पीढ़ी पर इस तरह बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
आज के युग में टेलीविजन की विशेष उपयोगिता है. जनता में जागृति लाने का यह श्रेष्ट साधन है. परन्तु बालकों एवं युवकों को इससे होने वाली हानि से बचाए रखना चाहिए.
टीवी संस्कृति का प्रदूषण और उसका प्रभाव – आज विज्ञान ने हमें अनेक सुख सुविधा के साधन दिए हैं. जिनमें टेलीविजन भी एक हैं. यह मनोरंजन का सबसे सस्ता साधन हैं. इसकी उपलब्धता आज लगभग सभी घरों में हैं.
अंधाधुंध वैज्ञानिक प्रगति के कारण जिस प्रकार हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा हैं. ठीक उसी प्रकार टीवी संस्कृति का प्रदूषण व्यक्ति विशेष को ही नहीं, पूरे समाज को किसी न किसी रूप में प्रभावित कर रहा हैं.
परिणामस्वरूप इसका दुष्प्रभाव बच्चों से लेकर वृद्धों तक देखा जा सकता हैं. उदहारण के लिए टीवी चैनलों पर होने वाला नंगा नाच, सैक्सी वेशभूषा, अनैतिक आचार व्यवहार ने ऐसा वातावरण बनाया हैं कि परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर घर में टीवी नहीं देख सकते हैं.
साथ ही टेलीविजन पर विवाहेतर प्रेम सम्बन्धों, हत्याओं, लूटपाट आदि के ऐसे काल्पनिक दृश्य दिखाए जा रहे हैं जिनसे युवा पीढ़ी पथ भ्रष्ट होती जा रही हैं. इतना ही नहीं कोई भी विज्ञापन हो, अर्ध नग्न नारी खड़ी दिखती हैं.
किशोरों के मन पर कलुषित प्रभाव – किशोर मन चंचल और अस्थिर होता हैं. टेलीविजन पर अनेक ऐसे चैनल हैं जो तरंग, उल्लास, उमंग और मस्ती भरे कार्यक्रम लेकर आते हैं. किशोर ऐसे कार्यक्रम पर जान देते हैं. और उन्हें अंग बनाना चाहते हैं. वास्तविक जीवन में चाहे वे जैसे न बन पाएं.
किन्तु वैसी आकांक्षा अवश्य रखते हैं. इसके लिए वे वैसी ही वेशभूषा, चाल ढाल, बोलचाल और फैशन अपनाते हैं. इसका प्रभाव हमें पार्टियों और बारातों में दिखाई देता हैं. वे पुरानी मर्यादाओं को तोड़कर स्वच्छन्द जीवन धारा को अपनाने लगते हैं.
मर्यादाविहीन आचरण को प्रोत्साहन – भारतीय संस्कृति जन जीवन को संस्कार और मर्यादाओं के बीच रहकर जीने की प्रेरणा प्रदान करती हैं लेकिन पाश्चात्य सभ्यता व संस्कृति के अंधानुकरण से बनने वाले टेलीविजन कार्यक्रम मर्यादाविहीन आचरण को प्रोत्साहित करते हैं.
इनका खुला प्रदर्शन सड़कों, बाजारों और होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में युवा वर्ग के माध्यम से सहज ही देखने को मिलता हैं.
संस्कृतियों मूल्यों में गिरावट – सांस्कृतिक मूल्य हमारी विरासत है जिनमें बंधकर परिवार और समाज अपनी निर्धारित मर्यादा के मध्य संचालित होता हैं.
आज टीवी के विभिन्न चैनलों से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों से हमारे सांस्कृतिक मूल्यों में गिरावट आई हैं.
नैतिक आचरण यार और फार की सीमाओं में बंधकर फलने फूलने लगा हैं. सामाजिक मर्यादाएं ढेर हो रही हैं.किशोर मन सांस्कृतिक मूल्यों की परवाह न कर पाश्चात्य अंधानुकरण कर स्वच्छन्द जीवन जीने को अभ्यस्त हो रहा हैं.
समय का दुरूपयोग – टेलीविजन में आने वाले कार्यक्रमों के प्रति जन मानस की आसक्ति इतनी बढ़ गई हैं कि दिन रात सब कामों को छोड़कर उनसे चिपके रहते हैं. वे दूरदर्शन के कार्यक्रमों के बारे में तो जानते हैं.
पर अपने पड़ोसी के बारे में नहीं जानते हैं. विशेषकर विद्यार्थी वर्ग तो इन कार्यक्रमों के प्रति इतना दीवाना हो गया हैं कि उसे अपने भविष्य का भी ख्याल नही रहता हैं. एक प्रकार से वे अपने जीवन के अमूल्य समय का दुरूपयोग टेलीविजन देखकर करते हैं.
उपसंहार : दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता, अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं. कई देशों में तो टीवी के कारण भी अपराध भी बढ़े हैं.
परन्तु इसमें दोष टीवी का नहीं हैं. कार्यक्रम प्रसारण समिति का हैं. दूरदर्शन तो मनोरंजन का सशक्त साधन हैं जिसके समुचित उपयोग से हम जीवन को अधिक सुखद स्वस्थ और सुंदर बना सकते हैं.
टेलीविजन के नुकसान निबंध | Television Ke Labh Aur Hani Essay in Hindi
स्वतंत्र व्यवसाय की अर्थनीति के नए वैश्विक वातावरण ने विदेशी पूंजी निवेश को खुली छुट दे रखी है. जिसके कारण दूरदर्शन में में ऐसे विज्ञापन की भरमार हो गई है. जो उन्मुक्त वाँसना हिंसा अपराध लालच और इर्ष्या जैसी हिनतम प्रवर्तियो को आधार मानकर चल रहे है.
यह अत्यंत खेद का विषय है. कि राष्ट्रीय दूरदर्शन ने भी उनकी भौंडी नकल की ठान ली है. आधुनिकता के नाम पर जो कुछ दिखाया जा रहा है. जो सुनाया जा रहा है. उनका भारतीय जीवन और संस्कृति का दूर दूर तक कोई रिश्ता नही है.
वे सत्य से कोसो तक दूर है. नई पीढ़ी जो स्वंय में रचनात्मक गुणों के विकास की जगह दूरदर्शन के सामने बैठकर कुछ सीखना, जानना और मनोरंजन करना चाहती है. उसका तो भगवान् ही मालिक है.
जो असत्य है वो सत्य नही हो सकता. समाज को शिव बनाने का प्रयत्न नही होगा तो वह शव ही होगा. आज तो यह मज़बूरी हो गई है. कि दूरदर्शन पर दिखाएं जा रहे वासनायुक्त असशील युक्त द्रश्य से चार पीढ़िया एक साथ आँखे चार कर रही है. नतीजा आपके सामने है.
बलात्कार, अपहरण, छोटी बच्चियों के साथ निकट सम्बन्धियों द्वारा शर्मनाक यौनाचार की घटनाओं में वृद्धि. ठुमक कर चलते शिशु दूरदर्शन पर दिखाएं जा रहे , सुनाए जा रहे स्वर और भंगिमाओ पर अपनी कमर लचकाने लगे है.
ऐसे कार्यक्रम न शिव है, और न ही इनमे समाज को शिवम सुन्दरम बनाने की ताकत है. फिर जो शिव नही है वो सुंदर कैसे हो सकता है. यदि इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से समाज को बचाना है तो एक व्यवस्थित आचार संहिता लागू की जानी चाहिए.
जिसमे यह सम्मलित किया जाए कि समाचार पत्रों, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर प्रसारित सभ्य और मर्यादित कार्यक्रमों को ही प्रचारित किया जाना चाहिए.
समाज के गणमान्य लोगों, माता पिता और अन्य परिवारजनों को आगे आकर एक व्यवस्थित योजना के साथ अपनी वर्तमान पीढ़ी को सुसंस्कारित करने का बीड़ा उठाना होगा. जिससे अश्लित विज्ञापनों, अमर्यादित टीवी कार्यक्रमों पर रोक लगाईं जा सके.
टेलीविजन में आपकों सुबह से शाम तक ऐसे कार्यक्रम बहुत ही सिमित संख्या में ही मिलेगे जिन्हें अपने परिवार के साथ बैठकर देखा जा सके. अधिकतर कार्यक्रम विदेशी संस्कृति को अच्छा दिखाने और उसका अनुसरण करने की सीख देते नजर आते है.
आज के समय में यदि टेलीविजन को ईडीयट बॉक्स या डिब्बा कहा जाए तो गलत नही होगा. लोगों को चीजो को बढ़ा चढ़ाकर दिखाकर अपने झांसे में लेने के अलावा अपराधिक प्रवृतियों को बढ़ाना ही आज टेलीविजन का पर्याय बन चूका है. आज के डिजिटल विश्व में लोगों को जाग्रत होकर टेलीविजन की बजाय इन्टरनेट का सहारा लेना चाहिए.
टेलीविजन का समाज पर प्रभाव पर निबंध | Impact Of Television On Society Essay In Hindi
प्रस्तावना:- जनसंचार के सभी माध्यम समाजो को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इनमें टेलीवीजन भी एक ऐसा सशक्त माध्यम हैं,
जो द्रश्य और श्रव्य दोनों माध्यमों को एक साथ प्रसारित करता हैं. जिसके कारण कोई भी प्रसारण जीवंत मालूम होता हैं.
इसलिए इसका प्रभाव भी लोगो पर त्वरित व सर्वाधिक होता हैं. भारतीय समाज में प्रारम्भ में दूरदर्शन प्रसारित धारावाहिकों एवं सिनेमा के कारण और बाद में कई चैनलों के आगमन के साथ यह जनसंचार का ऐसा सशक्त माध्यम बन गया, जिसकी पहुच करोड़ों लोगों तक हो गई.
भारत में टेलीविजन की शुरुआत -भारत में टेलिविज़न की शुरुआत वर्ष 1959 ई में हुई थी. वर्तमान में तीन सौ से अधिक टेलीविजन चैनल २४ घंटे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित करते हैं.
जो इसकी प्रगति के द्योतक हैं. विभिन्न खेलों का सीधा प्रसारण अब टेलीविजन पर होता हैं. जिसके कारण लोग देश एवं विदेश में आयोजित होने वाले खेलों का आनन्द टेलीविजन के माध्यम से उठाना पसंद करते हैं.
टेलीविजन प्रसारण के उद्देश्य – टेलीविजन प्रसारण के उद्देश्यों से ही समाज पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में पता चल जाता हैं. टेलीविजन प्रसारण के उद्देश्य होते हैं- मनोरंजन, जनमत का निर्माण, सूचनाओं का प्रसार, भ्रष्टाचार एवं घोटालों का पर्दाफाश तथा समाज की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करना.
इस तरह टेलीविजन के माध्यम से लोगों को देश की हर गतिविधि की जानकारी तो मिलती ही हैं चुनाव एवं अन्य परिस्थियों में सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों से जन साधारण को अवगत कराने में भी टेलीविजन प्रसारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, यह सरकार एवं जनता के बीच सेतु का कार्य करते हैं.
समाज पर टेलीविजन का प्रभाव – जहाँ तक बात समाज पर टेलीविजन के प्रभाव की हैं तो समाज पर टेलीविजन का प्रभाव की है तो समाज पर टेलीविजन का प्रभाव आजकल स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं.
टेलीविजन पर प्रसारित धारावहिकों के कलाकार रातो रात स्टार के रूप में लोकप्रियता पाते हैं. करोड़ो लोगों तक टेलीविजन की पहुच के कारण फ़िल्मी दुनियां के बड़े बड़े कलाकार भी अब टीवी पर प्रसारित कार्यक्रमों में भाग लेने लगे हैं.
टेलीविजन के रियलिटी शो में भाग लेने के लिए शहरी ही नहीं ग्रामीण युवाओं में भी विशेष आकर्षण देखा जाने लगा हैं.
टेलीविजन किस प्रकार का संचार माध्यम हैं?
यह दृश्य श्रव्य संचार माध्यम की श्रेणी में आता हैं.
टेलीविजन का आविष्कार किसने किया था?
टेलीविजन का आविष्कार जॉन लोगी बेयर्ड ने 1925 में लंदन में किया था.
भारत में टेलीविजन की शुरुआत कब हुई थी?
15 सितम्बर 1959
पहला भारतीय टीवी सीरियल कौनसा था?
हम लोग (1984 में प्रसारित)
- दूरदर्शन पर निबंध हिंदी में
- खेलकूद का महत्व पर निबंध
- संचार के आधुनिक साधन पर निबंध
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ESSAY KI DUNIYA
HINDI ESSAYS & TOPICS
Essay on Television in Hindi – टेलीविजन पर निबंध
October 3, 2017 by essaykiduniya
Here you will get Paragraphs, Short Essay on Television in Hindi Language for students of all Classes in 200, 300, 400 and 500 words. Essay on Television Advantages and Disadvantages in Hindi. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में टेलीविजन पर निबंध मिलेगा।
Short Essay on Television in Hindi Language – टेलीविजन पर निबंध (200 Words)
आधुनिक युग का नया आविष्कार टेलीविजन सबको आकर्षित कर रहा है। बच्चे इससे बहुत प्रभावित हैं। बच्चों को इससे शिक्षा और मनोरंजन प्राप्त होता है। शिक्षा की यह सहायक सामग्री के रूप में प्रयुक्त होता है। विद्यालयों में इसका बहुत महत्व है। घर में बैठ दूर के दृश्य देखना एक विचित्र बात है। ऐसे दिखाई देता है जैसे हम स्वप्न देख रहे हों। देश-विदेश के समाचार चित्रों सहित देखना आश्चर्यजनक प्रतीत होता है। नाटक, चलचित्र आदि सब इस टेलीविजन में दिखाये जाते हैं। थोड़े समय में घर में बैठकर हम अधिक से अधिक मनोरंजक प्राप्त करते हैं। व्यापारी लोग विज्ञापन देकर अधिक धन कमाते हैं।
आजकल के बालक और बालिकाएँ अपना अधिक ध्यान दूरदर्शन पर दे रहे हैं। रात को तो कभी तीन बजे उठकर खेल जगत का आनन्द लेते हैं। वे पढ़ाई छोड़कर दूरदर्शन पर नाटक, चलचित्र, चित्रहार आदि मनोरंजक कार्यक्रम देखते हैं। थक जाने के कारण वे स्कूल से मिला गृह-कार्य नहीं कर पाते। परिणामस्वरूप अध्यापकों, अभिभावकों तथा अपनी दृष्टि में हीन अनुभव करने लगते हैं। ऐसे बच्चों को पढ़ाई का काम जल्दी और पहले समाप्त करके दूरदर्शन देखना चाहिए। दूरदर्शन का सदुपयोग करना चाहिए। इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
Essay on Television in Hindi Language – टेलीविजन पर निबंध (300 Words)
टेलीविजन हमारे समय की सबसे बड़ी आविष्कारों में से एक है। जब से हमने इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को दो-आयामी चित्रों में बदलने की कला में महारत हासिल की है, जीवन फिर से कभी नहीं रहा है। बस घर पर बैठकर हम यह देख सकते हैं कि देश में और आसपास क्या हो रहा है। किसी बटन के प्रेस पर हमारे पास खबर, दृश्य, मनोरंजन, शिक्षा और सूचना तक पहुंच है भारतीय टेलीविजन सामग्री और प्रसारण की अवधि दोनों में एक लंबा सफर तय किया है। जब टीवी पहले भारत आए; इसका मतलब विकास के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जाना था। इसलिए इसके प्रारंभिक कार्यक्रम कृषि और शिक्षा आधारित थे।
समय के साथ टीवी एक बड़ा व्यवसाय बन गया है। न केवल प्रसार का समय बढ़ा है, दर्शकों के लिए उपलब्ध चैनलों की संख्या में भी गुणा किया गया है। टेलीविजन के निर्माण कार्यक्रमों का एक अलग उद्योग बन गया है औद्योगिक घरानों, फिल्म निर्माताओं और कलाकारों ने बड़े स्टूडियो और उत्पादन सुविधाएं स्थापित की हैं। आज हमारे पास भारतीय टेलीविजन के पूरे इतिहास में किसी भी समय की तुलना में अधिक सॉफ्टवेयर कंपनियां हैं प्रोड्यूसर्स, डायरेक्टर और टेलीविजन कंपनियों ने विशाल जानकारी बाजारों का इस्तेमाल किया है। वे हमारे समाज के लगभग हर पहलू से संबंधित मनोरंजन, सूचना और शैक्षिक कार्यक्रमों का निर्माण कर रहे हैं। इसके अलावा, ‘आप की अदालत’, ‘क्लोज-अप अन्ताक्षरी’ आदि जैसे कार्यक्रमों में हमारे पास मन, घड़ी, पुस्तकें और विचार जैसे कार्यक्रम हैं, जो कि मनोविज्ञान के रूप में विविध विषयों के साथ सौदा है, महिलाओं के मुद्दे। भारतीय गगनचुंबी इमारतों को खोलने और इनसैट श्रृंखला के उपग्रहों को जारी करने से भारतीय दर्शकों को भारतीय और विदेशी दोनों कार्यक्रमों को देखने का विकल्प मिला है।
Essay on Television in Hindi Language – टेलीविजन पर निबंध (400 Words)
टेलीविजन या दूरदर्शन को अग्रेजी में टी.वी. कहते हैं। यह एक ऐसा यंत्र है, जिस पर बोलने औ कोई कार्य करने वालों या वस्तुओं और स्थानों के चित्र वास्तविक वस्तुओं के समान कार्य करते दिखाई देते हैं। इसके साथ ही हम दूरदर्शन द्वारा आने वाले कार्यक्रमों को सुन भी सकते हैं। रेडियो द्वारा केवल शब्द ही सुने जाते हैं, परन्तु दूरदर्शन शब्द भी सुनाता है और आकृतियां भी दिखाता है। आजकल सभी समृद्ध परिवारों में दूरदर्शन देखे जा सकते हैं। पहले-पहले ये ब्लैक एण्ड व्हाइट (एक रंग के) ही थे।
अब तो ये रंगीन भी आ गये हैं और नगरों में प्रत्ये घर में इन्हें हम देखते हैं। ऐसे भी दूरदर्शन बन चुके हैं, जिनके रंग और ध्वनि को दूर-नियंत्रक द्वारा नियंत्रित किया जा सकता हैं। इसके लिए दूरदर्शन पर लगे बटनों को घुमाना नहीं पड़ता। दूरदर्शन का विचित्र आविष्कार 1950 के बाद हुआ है। इसमें उत्तरोत्तर सुधार होता जा रहा है। भारत में भी इसके अनेक कारखाने हैं। दुरदर्शन द्वारा हम सभी प्रकार के कार्यक्रम देख सकते हैं। स्वतन्त्रता दिवस का कार्यक्रम हो या गणतंत्र दिवस का नाटक हो या कवि-सम्मेलन, पाठ-चर्चा हो या राष्ट्रपति का भाषण, युद्धस्थल के दृश्य हों या शान्त नगरों की हलचलें-सभी कुछ दूरदर्शन पर देखा और सुना जा सकता है।
हम प्रतिदिन इसके द्वारा नई से नई पिक्चरें, विज्ञापनों की बातें, विद्यालयों के पाठ, खेलों की प्रतियोगिताएं आदि देख और सुन सकते हैं| दूरदर्शन हमारे ज्ञान को बढ़ाता है, जनता को शिक्षित करता है, मनोरंजन के दृशय दिखाता है और हमें समाचार भी दृशयों के साथ सुनाता है। ऊंचे पर्वतों, गहरी नदियों,अथाह सागरों और घने जंगलों के दृशय जो हम कभी साधारणत: नहीं देख सकते, वह भी हमें दिखाकर दूरदर्शन कौतूहल को सन्तुष्ट करता और ज्ञान बढ़ाता है यह बहुत ही उपयोगी यन्त्र है । समय के सदुपयोग का भी यह एक साधन है।
दूरदर्शन के विषय में कुछ विशेष बातें ध्यान में रखनी आवश्यक हैं। पहली तो यह कि सभी दृश्य सबके लिए नहीं होते। इसलिए वही दृशय देखने चाहिएँ, ताकि पढ़ाई-लिखाई जैसे आवश्यक कार्यों की उपेक्षा न होने पाये। और तीसरी बात यह है कि इसे कुछ दूरी से ही देखना चाहिए, जिससे आँखें खराब न हों । ठीक ढंग से देखने पर ही यह लाभप्रद होता है, अन्यथा हानि भी हो सकती है।
Essay on Television in Hindi – Essay on Television Advantages and Disadvantages in Hindi (500 words)
टेलीविजन को भारत में 15 सितंबर 1959 में एक प्रायोगिक आधार पर शुरू किया गया। इसे 1965 में नियमित सेवा में बदल दिया गया था। शुरुआत में टीवी सेट काफी महंगे थे और केवल ऊपरी वर्ग ही इसे खरीद सकता था। अक्टूबर 1972 से मुंबई, श्रीनगर, जालंधर, कोलकाता, चेन्नई और लखनऊ में त्वरित उत्तराधिकार में कई टीवी केंद्र स्थापित किए गए थे। नवंबर 1982 में टीवी नेटवर्क को नौवीं एशियाई खेलों के दौरान काफी बढ़ावा मिला, जब 20 ट्रांसमीटर विभिन्न राज्य की राजधानियों और कुछ महत्वपूर्ण शहरों में स्थापित किए गए। एक और ऐतिहासिक स्थल 15 अगस्त 1982 को जब भारत में रंगीन टीवी पेश की गई थी। रंगीन टीवी सेट महंगे थे। छोटे पोर्टेबल सेट – काले और सफेद और रंग आओ दूरदर्शन ने अपने राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किए।
22 फरवरी 1994 तक, कार्यात्मक ट्रांसमीटरों की संख्या 563 थी, जिसमें भारत की आबादी का 83.6 प्रतिशत हिस्सा था। टेलीविजन वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान का एक चमत्कार है। जे। एल। बेयर्ड आविष्कारक थे रेडियो ऑडियो है, जबकि टीवी ऑडियोजिज़ुअल है। आविष्कार वास्तव में एक क्रांति है इसने प्रोत्साहन, मनोरंजन और शिक्षा के क्षेत्र में पदोन्नति की है। हमें नवीनतम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचारों के बारे में सूचित रखा जाता है हमारे ड्राइंग रूम के आराम में, हम फिल्में, नाटक और जादूगर प्रदर्शन करते हैं। लघु दिलचस्प धारावाहिक हैं हम प्रसिद्ध राजनेताओं, वैज्ञानिकों, संपादकों, विद्वानों, संगीतकारों, फिल्म सितारों और अन्य पेशेवरों की वार्ता सुनते हैं। उनकी बातचीत हमारे ज्ञान को जोड़ती है और हम विकास के बराबर रहते हैं।
सार्वजनिक राय ढाला है यह एक बहुत शक्तिशाली माध्यम है और इसकी पहुंच बेहद जरूरी है। यह अस्पृश्यता, दहेज, सती परंपरा, बाल श्रम, बाल विवाह, पीने, जुआ, नशे की लत जैसे बुराइयों पर हमारा ध्यान केंद्रित करता है। लोग बुराइयों को बाहर निकालने के लिए जागरूक हो जाते हैं। छोटे परिवार के आदर्श, वृक्षारोपण, प्रौढ़ शिक्षा, गैर-औपचारिक शिक्षा, रोजगार सहायता, वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और विकलांग लोगों में नागरिक भावना के पैदावार के रूप में विज्ञान, और सरकारों की नीतियों और परियोजनाओं को लोकप्रिय बनाने में टीवी उपयोगी है। भ्रष्टाचार फैल रहा है यह इस द्रव्यमान माध्यम से जांच की जा सकती है इसके अलावा, काली विपणन, होर्डिंग, तस्करी को रोक दिया जा सकता है। नकारात्मक पक्ष पर, छात्रों को बहुत समय बर्बाद कर देते हैं।
उनके पसंदीदा कार्यक्रम देख रहे हैं प्रौढ़ लोग जागरूक नजर रखने वाले टीवी बन सकते हैं, जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जुड़नार देखने वाले खेल व्यक्ति के लिए टीवी का शानदार मनोरंजन मूल्य है। ग्रामीण लोगों के लिए कृषि कार्यक्रम और उनके प्रकार के मनोरंजन और वार्ताएं हैं। विभिन्न स्तरों के शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं। जब संसद सत्र में है तो हाइलाइट्स को कवर किया जा सकता है। टी वी हमें ‘जी’ कार्यक्रम देती है जो बाद में देखने के लिए वीसीआर पर रिकॉर्ड किए जा सकते हैं। पड़ोसियों और उनके बच्चों को कुछ नई या अच्छी फिल्में देखने में भी गिरावट आ सकती है, अगर वह परिवार की गोपनीयता को परेशान न करे यह हमारे जीवन का इतना हिस्सा बन गया है कि ऐसा लगता है कि इसके बिना हम जीवन में कुछ महत्वपूर्ण याद करेंगे। वास्तव में, हम जानकारी, संचार और मनोरंजन पर याद नहीं कर सकते हैं जो हमें मानसिक रूप से सतर्क और अच्छे हास्य में रखता है।
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Television in Hindi – टेलीविजन पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
good and bad effects of television in hindi |
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Essay on television in hindi (tv) टेलीविजन पर निबंध.
We have written an essay on television in Hindi is written in 1000 words to help every child to write an essay or paragraph on television in Hindi. Write an essay on television advantages and disadvantages in Hindi or essay on effect of television on students in Hindi. टेलीविजन पर निबंध।
Essay on Television in Hindi
टेलीविजन पर निबंध
विज्ञान के हर क्षेत्र में प्रगति कर रहे वैज्ञानिकों ने अनेक अदभुत् सफलताएं प्राप्त की हैं। टैलीविजन भी ऐसी ही एक उपलब्धि है। टैली का अर्थ है दूर और विज़न का अर्थ है दृष्टि अर्थात् ऐसा उपकरण जिसके द्वारा दूर घटने वाली घटनाएं देखी जा सकें। हिन्दी में इसका ‘दूरदर्शन’ नाम अत्यन्त उपयुक्त है।
स्काटलैण्ड के एक वैज्ञानिक ने 1926 में एटलांटिक सागर के पार चित्र भेजे थे, वही टैलीविज़न का सूत्रपात था। रेडियो और सिनेमा दोनों का मिला-जुला रूप टेलीविज़न है। टैलीविजन ने आज मनोरंजन के साधनों में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। इस पर अनेक प्रकार के मनोरंजन कार्यक्रम आते रहते हैं। पहले सिनेमा देखने के लिये लोगों को घर से बाहर जाना पड़ता था। टिकट लेने पर पैसे तो खर्च करने ही पड़ते थे साथ ही भीड़ होने पर लाइन में भी खड़ा होना पड़ता था। टिकट न मिलने पर निराश होकर घर लौट आते थे। अब टैलीविज़न पर घर बैठे ही फिल्में देखी जा सकती हैं। हमारे देश में विदेशी फिल्मों के अतिरिक्त अपनी फिल्में भी टैलीविज़न पर दिखाई जाती हैं।
टैलीविज़न द्वारा शिक्षा के प्रसार में भी बहुत सहायता मिलती है। रेडियो पर सुनाई विधि तो भूल सकती है किन्तु टेलीविज़न पर क्रियात्मक रूप से करके दिखलाया गया कार्य बड़ी सरलता से समझ में आ जाता है और थोड़े किये भूलता भी नहीं। स्कूलों और कालिजों के विद्यार्थियों के प्रशिक्षण के लिए यह एक सशक्त और सफल साधन है। टैलीविज़न द्वारा खेतीबाड़ी की विधियां भी किसानों को समझाई जाती हैं। यदि प्रत्येक पंचायत को सरकार द्वारा एक-एक सैट दे दिया जाये या पंचायतें स्वयं खरीद लें तो इससे किसान भाइयों को बहुत लाभ पहुंच सकता है। साथ ही नई विधियों द्वारा अन्न, फल और सब्जियों के उत्पादन को भी बढ़ाया जा सकता है। टैलीविज़न द्वारा नृत्य, संगीत और खेलों का भी समुचित प्रशिक्षण दिया जा सकता है। सामान्य जनता को परिवार नियोजन के साधनों एवम् लाभों से परिचित करवा कर जनसंख्या की वृद्धि पर नियंत्रण किया जा सकता है। आम रोगों और उनके बचाव आदि के कार्यक्रम प्रदर्शित करके जनता को स्वस्थ्य बनाया जा सकता है और औषधियों पर खर्च होने वाले रुपये को अन्य विकास कार्यों में लगाया जा सकता है।
भारत जैसे विशाल देश में टैलीविज़न भावनात्मक एकता भी ला सकता है। टैलीविज़न द्वारा महान् नेताओं, लेखकों, अभिनेताओं, विदेशी नेताओं या कलाकारों से मानो एक प्रकार का साक्षात्कार ही हो जाता है। विविध मैचों आदि के प्रदर्शन की भी व्यवस्था होती है। समाचार भी सुनाये जाते हैं और राष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री आदि के भाषणों को भी हम टैलीविज़न पर देख और सुन सकते हैं।
टैलीविज़न ने बच्चों के बौद्धिक और मानसिक विकास में बहुत सहायता दी है। जिन घरों में टैलीविज़न सैट हैं, उन घरों के बच्चों का सामान्य ज्ञान अन्य बच्चों की तुलना में बहुत विकसित है।
जहां टैलीविज़न के लाभ हैं वहां कुछ हानियां भी हैं। पिछले दिनों दिल्ली के एक डाक्टर ने चेतावनी दी थी कि छोटे बच्चों को टैलीविज़न नहीं देखना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों के स्नायु संस्थान पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उनको मिरगी जैसे दौरे पड़ने लगते हैं। टैलीविज़न से ज्ञान चाहे बढ़ता है, किन्तु जो बच्चे रात को अधिक देर तक टैलीविजन देखते रहते हैं वे प्राय: स्कूल या कालिज की शिक्षा में पिछड़ जाते हैं क्योंकि वे अपनी पढ़ाई की ओर पूरा ध्यान नहीं देते।
आधुनिक टैलीविज़न का जन्म इंग्लैंड के वैज्ञानिक जॉन एल. बेयर्ड ने 1925 में किया। धीरे-धीरे अन्य वैज्ञानिकों के सहयोग से इसकी तकनीक में सुधार एवं परिवर्तन किए जाने लगे। 1951 में दिल्ली में प्रथम दूरदर्शन केन्द्र स्थापित किया गया। 1965 में सार्वजनिक प्रसारण हुए लेकिन इनकी प्रसारण-क्षेत्र सीमा बहुत कम थी। 1975 में उपग्रह की सहायता से प्रसारण क्षेत्र में विस्तार हुआ तो अन्य शहरों तक पहुंचा। अब प्रसारण की समय सीमा 24 घण्टे है तथा क्षेत्र भी बढ़ गया है।
टैलीविज़न का सम्बन्ध पहले मनोरंजन के साथ था, परन्तु अब यह शिक्षा के क्षेत्र में भी सहायक हो रहा है। ग्रामीण किसानों के लिए यह खेती-बाड़ी में सहायता कर रहा है। व्यापारियों, कलाकारों, अध्यापकों को उनके विषयों की जानकारी देता है। कला-प्रेमियों को यह अनेक कलात्मक जानकारियां देता है। एक उपग्रह द्वारा 40% जनता को शिक्षित किया जा सकता है। आज इन्दिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी द्वारा जो शैक्षिक कार्यक्रम नैशनल चैनल पर प्रसारित होता है, वह विज्ञान, गणित तथा यू. जी. सी. परीक्षाओं के लिए बहुत लाभदायक है। चिकित्सा के क्षेत्र में दूरदर्शन का योगदान बहुत महत्त्वपूर्ण है। दवाईयों का बनाना, उनके ‘साल्ट’, उन की मात्रा, उनके उपयोग, उनकी हानियों आदि का पूरा विवरण टैलीविज़न पर दिया जाता है। शल्य-चिकित्सा क्षेत्र में दूरदर्शन पर बड़े-बड़े आप्रेशन दिखाए जाते हैं। मस्तिष्क, हृदय, गुर्दो का आप्रेशन भी सफलता से दिखाया जा चुका है।
कृषि के क्षेत्र में प्राप्त की जा रही सफलताओं को टैलीविज़न पर प्रदर्शित किया जाता है। किसानों को कृषि की नई-नई मशीनों, औज़ारों से परिचित कराया जाता है। मौसम की जानकारी किसानों को पहले से दे दी जाती है। इसी के अनुसार किसान अपनी खेती की देखभाल करते हैं।
टैलीविज़न द्वारा राष्ट्रीय, संस्कृतिक और भावात्मक एकता का प्रचार किया जाता है। एक प्रदेश का नागरिक जब दूसरे प्रदेश के सांस्कृतिक कार्यक्रम देखता है तो उनके रहन-सहन, वेश-भूषा, खान-पान, आचार-विचार से प्रभावित होता है और उन्हें अपनाने की कोशिश करता है। इसलिए तमिलनाडु, गुजरात और बंगाल के पकवान पंजाब में लोकप्रिय हो रहे हैं और पंजाब के व्यंजन विदेशों तक जा पहुंचे हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रमों के प्रसारणों जैसे 15 अगस्त, 26 जनवरी आदि समारोही द्वारा राष्ट्रीय और भावात्मक एकता पैदा की जाती है।
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टेलीविज़न पर निबंध | Essay on Television in Hindi
हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में टेलीविज़न पर निबंध हिंदी में (Television essay in Hindi) पड़ेंगे जो कि आपको Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। टेलीविज़न पर निबंध के अंतर्गत हम टेलीविज़न से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।
[Essay 1] टेलीविज़न पर लेख (Short Essay on Television in Hindi)
टेलीविजन को विज्ञान का अद्भुत आविष्कार कहा जाता है। इसे हिंदी में दूरदर्शन और अंग्रेजी में इसे टेलीविजन कहते हैं। इसे संक्षिप्त में टीवी (TV) कहते हैं। TV full form – Television होता है। इसके द्वारा हम दूर की वस्तुओं का दर्शन घर बैठे कर सकते हैं इसलिए इसे दूरदर्शन नाम दिया गया है। दूरदर्शन पर दृश्यों को देखकर ऐसा लगता है मानो यह घटनाएं कहीं दूर नहीं बल्कि आंखों के सामने घट रही हो। मनोरंजन करने तथा देश दुनिया की खबरें से अवगत कराने वाला यह आविष्कार आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुका है।
प्रारंभ में टेलीविजन पर सिर्फ श्वेत-श्याम चित्र देखे जा सकते थे परंतु वर्तमान समय में इस पर रंग-बिरंगे चित्र देखी जा सकती है। आजकल प्रसारण डिजिटल हो गया है। जिस वजह से दर्शकों को सभी चलचित्र साफ-सुथरे मिलते हैं। टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण इसके केंद्र से किया जाता है। जिसके लिए भिन्न-भिन्न स्थानों पर प्रसारण केंद्र बनाया गया है। जहां से प्रसारण कर्ताओं द्वारा प्रसारण चालू किया जाता है। इन केंद्रों को स्टूडियो (Studio) कहा जाता है। टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण संचार उपग्रह (Communication Satellite) की मदद से किया जाता है।
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टेलीविज़न को विज्ञान की अद्भुत उपलब्धियों में से एक माना जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, टेलीविज़न दूर के दर्शन कराने में सहायक है। रेडियो से हम केवल सुनकर ही अपनी ज्ञानवृद्धि अथवा मनोरंजन करते हैं जबकि टेलीविज़न द्वारा हम कार्यक्रमों तथा घटनाओं को देखते भी हैं।
जन-जन में है महान
टेलीविज़न एक सामाजिक वरदान,
खेल-कूद हो या असीम ज्ञान,
गीत-संगीत, राजनीति या हो विज्ञान,
मन-मन में बहा मनोरंजन का तूफ़ान।।
यदि यह कहा जाए कि आधुनिक युग में टेलीविज़न लोगों के मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है तो ग़लत न होगा। टेलीविज़न के द्वारा प्रत्येक वर्ग तथा क्षेत्र के लोगों के लिए अनेक प्रकार के मनोरंजक व शिक्षाप्रद कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं जिनके द्वारा मनोरंजन के अतिरिक्त हमें देश की सामाजिक, राजनीतिक व अन्य समस्याओं का पता चलता है।
ऐतिहासिक कार्यक्रमों में हमें अपने देश के इतिहास की झाँकी मिलती है। धार्मिक कार्यक्रमों द्वारा हमें यह ज्ञात होता है कि मूल रूप से सभी धर्म अहिंसा, करुणा, मैत्री और परोपकार आदि गुणों पर ही बल देते हैं। अतः धर्म के आधार पर एक दूसरे के प्रति वैरभाव रखना मूर्खता है।
भारतीय संस्कृति एवं नृत्य व संगीत के कार्यक्रमों में शास्त्रीय संगीत, गज़लें, मुशायरा, पाश्चात्य संगीत और प्रत्येक कक्षा के बच्चों के लिए कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। किसानों से सम्बन्धित “कृषि दर्शन” में बच्चों, युवा वर्ग और बड़े-बूढ़े लोगों के लिए विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। बहुत से कार्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण पदों पर आसीन व्यक्तियों के विचार जनता के समक्ष रखे जाते हैं तथा जनता के विचार उनके समक्ष रखे जाते हैं। इस प्रकार एक दूसरे के विचारों का आदान-प्रदान होता है।
लगभग सभी समाचार चैनलों में दर्शकों की समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए जाते हैं तथा देश में समाज सेवकों द्वारा की जा रही सेवाओं से जनता को अवगत कराया जाता है। हिन्दी तथा अंग्रेज़ी के अतिरिक्त देश की अन्य भाषाओं में भी कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। खेलों से सम्बन्धित कार्यक्रम तथा स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाता है।
समाचारों के प्रसारण के समय टेलीविज़न पर सम्बन्धित समाचारों के दृश्य भी दिखाए जाते हैं। सामयिक विषयों से सम्बन्धित चर्चाएँ, जिनमें देश-विदेश की सामाजिक तथा आर्थिक स्थितियों का विश्लेषण किया जाता है, सुनने से ज्ञान में वृद्धि होती है। व्यापारियों के लिए यह वरदान है। वे अपने-अपने उत्पादित माल का लुभावना प्रदर्शन कर माल की शीघ्र बिक्री के लिए द्वार खोल लेते हैं तथा उधर दर्शकों को भी अच्छी-अच्छी तथा नई-नई वस्तुओं की जानकारी मिल जाती है।
Discovery Channel में बर्फ से ढके पर्वत शिखर, भोजपत्रों के वन, झरने का निर्मल जल, खुला नीला वातावरण, खुली प्रकृति और पशु-पक्षी देखकर हमारा ज्ञान बढ़ता ही है। “आस्था” आदि धार्मिक चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रमों द्वारा वेदों और उपनिषदों आदि के विषय में जानकारी मिलती है।
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सर्वविदित है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के टेलीविज़न के कार्यक्रमों में विज्ञान, अंग्रेजी, गणित आदि विषयों का शिक्षण बहुत ही रुचिकर एवं स्पष्ट ढंग से किया जा रहा है जिससे विद्यार्थियों में इन विषयों को सीखने की उत्कट भावना जागृत हो रही है।
टेलीविज़न द्वारा सामान्य ज्ञान से सम्बन्धित कार्यक्रमों का भी प्रसारण किया जाता है जिससे दर्शकों के सामान्य-ज्ञान में वृद्धि होती है।फ़िल्में, नाटक व धारावाहिक टेलीविज़न के अत्यन्त लोकप्रिय कार्यक्रम हैं। आज के व्यस्त जीवन में हम घर बैठे फ़िल्म या नाटक देख सकते हैं जिससे समय तथा धन की बचत होती है, कहीं जाने का झंझट भी नहीं रहता। धारावाहिकों में संसार की श्रेष्ठ साहित्यिक रचनाओं को भी दिखाया जाता है। संगीत व नृत्य के कार्यक्रम हमारे मन को आह्लादित करते हैं। अन्त्याक्षरी के आयोजनों को भी लोग बहुत चाव से देखते हैं।
अनेक कार्यक्रम हास्य-व्यंग्य से भरपूर होते हैं। टेलीविज़न पर महिलाओं एवं बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। इनमें मनोरंजन के साथ-साथ अन्य चैनलों के समान सामयिक समस्याओं पर भी चर्चा होती है। इसी प्रकार विभिन्न उद्योगों के सम्बन्ध में भी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। आजकल केवल नगरों में ही नहीं अपितु कस्बों तथा गाँवों में भी टेलीविज़न के कार्यक्रम देखे जाते हैं। इसके लिए सरकार ने सारे भारत में प्रसारण सेवाएँ उपलब्ध करायी हैं।
टेलीविजन के अनेक लाभ हैं। परंतु उनके साथ कुछ हानिया भी यह लोगों को मनोरंजन करने की सुविधा तो देता है परंतु अधिक टेलीविजन देखने से आंख और दिमाग से संबंधित अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होने की समस्या होती है। यहां तक कि घंटों टेलीविजन देखने से शारीरिक थकान और सुस्ती आ जाती है। लोगों का जो समय पहले सामाजिक कार्यों में व्यतीत होता था अब वह समय टेलीविजन देखने में जाने लगा है। बच्चे खेलने के बजाय टेलीविजन में चिपक कर कार्टून देखना पसंद करते हैं इसलिए एक निर्धारित समय तक ही लोगों को टेलीविजन देखना चाहिए।
युवाओं में अत्यधिक टीवी देखने की आदत ने उन्हें गलत दिशा में ले गई है। कई वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं का मानना है कि अपराध के उपायों को उन्होंने टीवी के माध्यम से सीखा है। यह एक सरासर बुरा परवाह है। अच्छे बुरे में फर्क करने की ताकत टेलीविजन कभी-कभी खत्म कर देता है। आप उतना ही सोच सकते हैं जितना आपको व टेलीविजन दिखाता है। अत्यधिक टेलीविजन देखने से सिर्फ गलत काम ही नहीं बल्कि आपके समय की बर्बादी भी है। अंत में, निम्न पंक्तियों के साथ मैं अपने विचारों की इतिश्री करना चाहता हूँ।
“पूर्व युग सा आज का जीवन नहीं लाचार,
आ चुका है दूर द्वापर से बहुत संसार।”
अर्थात् आज का जीवन प्राचीन समय के पिछड़ेपन से बहुत आगे निकल गया है तथा द्वापर युग को बहुत पीछे छोड़ चुका है।
[ Essay 2] दूरदर्शन पर निबंध (Essay Writing on Television)
परिचय (Television Introduction)
दूरदर्शन अंग्रेजी शब्द टेलीविजन का हिन्दी पर्याय है। टेलीविजन’ (Television) अंग्रेजी के दो शब्दों ‘Tele’ और ‘vision’ से मिलकर बना है। Tele का अर्थ है ‘दूर’ और vision का अर्थ है ‘देखना’ अर्थात् ‘दूरदर्शन’। विज्ञान के जिन चमत्कारों ने मनुष्य को आश्चर्यचकित कर दिया है, उनमें टेलीविजन भी मुख्य है। इस यन्त्र के द्वारा दूर से प्रसारित ध्वनि चित्र सहित दर्शक के पास पहुंच जाती है।
भारत में दूरदर्शन का आगमन 15 सितम्बर, 1959 से ही समझना चाहिए, जब कि तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्रप्रसाद ने आकाशवाणी के टेलीविजन विभाग का उद्घाटन किया था। 500 वाट शक्ति वाला ट्रांसमीटर दिल्ली से 25 कि.मी. की दूरी तक कार्यक्रम प्रसारित कर सकता था। 1965 से एक News Bulletin के साथ नियमित रूप से प्रतिदिन एक घंटे का प्रसारण शुरू हुआ। टेलीविजन सेवा का बम्बई में विस्तार 1972 में ही हो पाया। 1975 तक कलकत्ता, चेन्नई, श्रीनगर, अमृतसर और लखनऊ में भी टेलीविजन केन्द्र स्थापित किए जा चुके थे।
प्रगति का एक पग और बढ़ा। 1 अगस्त, 1975 से अमेरिकी उपग्रह द्वारा 6 राज्यों के 2400 गाँवों की 25 लाख जनता दूरदर्शन से लाभान्वित हुई।
15 अगस्त, 1982 को भारतीय उपग्रह “INSAT-1 A” के माध्यम से विभिन्न दूरदर्शन केन्द्रों से एक ही कार्यक्रम दिखाना सम्भव हुआ। दूसरी ओर इन्सेट-1बी’ उपग्रह के सफल स्थापन के बाद सितम्बर, 1983 से न केवल भारत के विभिन्न दूरदर्शन-केन्द्रों में सामंजस्य स्थापित हो सका, अपितु देश के कोने-कोने में बसे हुए गाँव भी दूरदर्शन कार्यक्रम से लाभान्वित होने लगे। यही कार्य अब ‘इन्सेट-डी’ कर रहा है।
1981-1990 के दशक में ट्रांसमीटरों की संख्या 19 से बढ़कर 519 हो गई। अनेक शहरों में स्टूडियो भी खोले गए। दूरदर्शन ने 1993 में चार नए चैनल शुरू किए थे, किन्तु 1994 में परिवर्तन करके भाषानुसार कर दिए। 1995 इन्सेट 2-सी के प्रक्षेपण के बाद दूरदर्शन की नीति हर प्रांत के क्षेत्रीय चैनल बढ़ाने की रही।
15 अगस्त 1984 को सारे देश में एक साथ प्रसारित किए जाने वाले दैनिक राष्ट्रीय कार्यक्रमों का शुभारम्भ हुआ। 1987 में दैनिक प्रात:कालीन समाचार बुलेटिन का प्रसारण आरम्भ हुआ। 20 जनवरी 1989 को दोपहर का प्रसारण आरम्भ हुआ। जनवरी 1986 से दूरदर्शन की विज्ञापन-सेवा आरम्भ हुई। परिणामतः उसके राजस्व में बहुत अधिक वृद्धि हुई।
डी-डी 2 मैट्रो चैनल 1984 में शुरू हुआ। यह सेवा 46 शहरों में उपलब्ध है, किन्तु डिश एंटीना के जरिए देश के अन्य भागों में भी इसके कार्यक्रम देखे जा सकते हैं।
1995 से दूरदर्शन का अन्तरराष्ट्रीय चैनल शुरू हुआ। पी.ए.एस.-4 के द्वारा इसके प्रसारण एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप के पचास देशों में पहुँच चुके हैं। अमरीका और कनाडा के लिए इसके प्रसारण पी.ए.एस.-1 मे किए जा रहे हैं।
नए चेनलों में खेल चेनल’ तथा अगस्त 2000 से पंजाबी चैनल शुरू हुआ जो 24 घंटे कार्यक्रम प्रसारित करेगा। दूरदर्शन पर सरकारी नियंत्रण था। उसके विकास का दायित्व सरकार पर होता था। 23 नवम्बर 1997 से इसका कार्यभार प्रसार-भारती (स्वायत्त प्रसारण परिपद्) ने संभाल लिया है।
दूरदर्शन मन को स्थिर करने का साधन है, एकाग्रचित्तता का अभ्यास है। इसके कार्यक्रम देखते हुए हृदय, नेत्र और कानों की एकता दर्शनीय है। जरा-सा भी व्यवधान साधक को बुरा लगता है । दूरदर्शन के कार्यक्रम के मध्य अन्य कोई व्यवधान दर्शक को बेचैन कर देता है, क्रोधित कर देता है।
दूरदर्शन मनोरंजन, ज्ञानवर्धन, शिक्षा तथा विज्ञापन का सुलभ और सशक्त माध्यम है। फीचर फिल्म, टेलीफिल्म, चित्रहार, चित्रमाला, रंगोली, नाटक-एकांकी-प्रहसन, लोकनृत्य-संगीत, शास्त्रीय-नृत्य-संगीत, मैजिक-शा, अंग्रेजी धारावाहिक, हास्य फिल्में, ये सभी दूरदर्शन के मनोरंजक कार्यक्रम ही तो हैं। ये दिनभर के थके-हारे मानव के मन को गुद्गुदा कर स्वस्थ और प्रसन्न करते हैं, स्फूर्ति और शक्ति प्रदान करते हैं।
टेलीविजन का उपयोग (use of television) जीवन और जगत् के विविध पहलुओं के कार्यक्रम दर्शक का निःसन्देह ज्ञानवर्धन करते हैं। बातें फिल्मों की’ जैसे कार्यक्रम जहाँ फिल्म-जगत् की पूरी जानकारी देते हैं, वहाँ यू.जी.सी. के कार्यक्रम वैज्ञानिक प्रगति का सूक्ष्म-परिचय भी देते हैं। टेलीविजन द्वारा शरीर के कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए डॉक्टरी सलाह दी जाती है, तो कानून की पेचीदगियों को समझाने के लिए चर्चा की जाती है। प्रकृति के रहस्य, समुद्र की अतल गहराई नभ की अनन्तता, विभिन्न देशों का सर्वांगीण परिचय, भारत तथा विश्व की कला एवं संस्कृति की विविधता की जानकारी, सभी ज्ञानवर्धन के कार्यक्रम हैं।
व्यापार की समृद्धि प्रचार पर निर्भर है। वस्तु विशेष का जितना अधिक प्रचार होगा, उतनी ही अधिक उसकी मांग बढ़ेगी। दूरदर्शन Advertisement का श्रेष्ठ माध्यम है, वस्तु-विशेष की माँग पैदा करने का उत्तम उपाय है। दूरदर्शन के विज्ञापन दर्शक के हृदय पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं, जो जरूरतमन्दों को वस्तु-विशेष खरीदते समय प्रचारित वस्तु खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं।
जैसे-जैसे मानव की व्यस्तता बढ़ेगो, मानसिक तनाव बढ़ेंगे, जीवन में मनोरंजन की अपेक्षाएँ बढ़ेगी, वैसे-वैसे दूरदर्शन अपने में गुणात्मक सुधार उत्पन्न कर मनोरंजन का सशक्त साधन सिद्ध होता जाएगा।
[Essay 3] दूरदर्शन और मनोरंजन (Essay on Television in Hindi Language)
मनोरंजन जीवन के लिए अनिवार्य तत्त्व है। इसके अभाव में प्राणिमात्र मानसिक विकारों से ग्रस्त हो जाता है। टेलीविजन का महत्व हमारे जीवन में ( role of Television in our life) उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है। जितना कि हमारी और भी दिनचर्या की चीजें हैं। ऐसा लगता है मानो इसके बिना आपके स्वभाव में रुखाई और चिड़चिड़ापन आ जाता है; जीवन का संतुलन बिगड़ जाता है तथा जीवन नीरस हो जाता है।
बीसवीं शताब्दी की छठी दशाब्दी से पूर्व मनोरंजन के प्रमुख साधन थे-चित्रपट, आकाशवाणी, पॉकिट उपन्यास, सरकस, रंगमंचीय नाटक । ताश, कैरम, शतरंज, नौकाविहार तथा पिकनिक में भी मानव ने पर्याप्त आनन्द लूटा। जीवन में जूझते मानव को समय के अभाव की प्राचीर लाँघना कठिन हो रहा था। समय के अभाव में चित्रपट का सशक्त साधन प्रतिदिन उसका मनोरंजन करने में असमर्थ था। आकाशवाणी का मनोरंजन, सुलभ और सशक्त तो था, किन्तु मात्र ध्वनि पर आधारित था। नयनों का सुख उसमें कहाँ था? उधर, ताश और कैरम के लिए साथी चाहिएँ।
दूरदर्शन चित्रपट का संक्षिप्त रूपान्तर चित्रपट देखने के लिए टिकट खरीदने की परेशानी, सिनेमा-घर तक पहुंचने के लिए! मन का झंझट, हॉल के दमघोटू वातावरण की विवशता, अनचाहे और अनजाने व्यक्ति क अनायास दर्शन, समाज-द्रोही दर्शकों की अश्लील-हरकतें, सबसे छुट्टी मिली। घर बैठे चित्रपट का आनन्द प्रदान किया दूरदर्शन ने।
अहर्निश व्यापार के झंझटों से बेचैन व्यापारी, दिन भर दफ्तरी-फाइलों से सिर मारता लिपिक, बच्चों को पढ़ाते-पढ़ात सिरदर्द मोल लेने वाला शिक्षक, कठोर परिश्रम से क्लांत मजदूर और दिन-भर गृहस्थी के झंझटों से पीड़ित गृहिणी, मनोरंजन के लिए जब टेलीविजन खोलते हैं, तो थकान रफू-चक्कर हो जाती है, सिर-दर्द तिरोहित हो जाता है; मानव मनोरंजन-लोक में डूबकर रोटी-पानी भी भूल जाता है।
खेलना-कूदना बच्चों का स्वभाव है। गली के असभ्य साथियों से स्वभाव में विकृति आती है। गालियाँ और गंदा व्यवहार सीखता है। दूरदर्शन ने कहा, ‘भोले बालक! खेलकूद के मनोरंजन को छोड़ मुझसे दोस्ती का हाथ बढ़ा। मैं तेरा ज्ञानवर्धन भी करूंगा और आनन्द भी प्रदान करूँगा।
रोगी एक ओर रोग से बेचैन है और दूसरी ओर सेवाधारियों के व्यवहार से परेशान। बिस्तर पर लेटे-लेटे समय कटता नहीं। ऊपर से ‘मूड’ खराब) दूरदर्शन ने सुझाव दिया-तन का उपचार डॉक्टर करेगा और मन का मैं करूँगा। तू अपना टी.वी. ऑन कर और देख ‘मूड’ ठीक होता है नहीं।
दूरदर्शन के सर्वाधिक प्रिय कार्यक्रम हैं-फिल्म और उसके गीत । प्रसार-भारती टी.वी. के अतिरिक्त अन्य टी.वी. चेनल जैसे सोनी टी.वी., जी.टी.वी., स्टार मूवी प्रतिदिन 2-2, 3-3 चित्र दिखाते हैं। आपको एक चित्र पसंद नहीं, चेनल बदलिए दूसरी देख लीजिए। ‘तू नहीं, और सही, और नहीं, और सही।’
सिने गीत का करिश्माती मनोरंजन की जादू की छड़ी बन गया है। चित्रहार, रंगोली, ऑल दी बैस्ट, हंगामा अनलिमिटेड, अन्त्याक्षरी आदि दसियों नामों से यह जादुई छड़ी घूमती रहती है। आपको रसगुल्ले-सा मिठास देती है। गोल-गप्पों-सा चटपटा स्वाद देती है। आलू की टिकिया या समोसे-सा जायका प्रदान करती है। इनके अतिरिक्त प्राइवेट अलबम के गीत सोने में सुहागा सिद्ध होते हैं।
आज का तथाकथित सभ्य समाज अभिनेता-अभिनेत्रियों के दर्शन कर अपने को कृतार्थ समझाता है। उनके मुख से निकले शब्दों को वेद-वाक्य मानता है। उनके जीवन की विशेषताओं और स्वभाव की रंगीनी को देखकर उसका मन भी रंग जाता है । दूरदर्शन के विभिन्न चैनल, अपने विविध कार्यक्रमों द्वारा किसी न किसी अभिनेता-अभिनेत्री का दर्शकों से परिचय करवाते रहते हैं। साक्षात्कार के समय उनके जीवन से सम्बन्धित फिल्म के अंशों को प्रमाण रूप में दिखाकर उस साक्षात्कार को अधिक रसीला बना देते हैं।
सुप्रसिद्ध उपन्यासों तथा कहानियों पर बने एपीसोड दूरदर्शन मनोरंजन को द्विगुणित करते हैं। प्राय: आधा-आधा घंटे के ये एपीसोड दर्शक की रुचि को विभिन्न व्यंजनों से तृप्त करते रहते हैं। ‘न्याय’, ‘बंधन’ जैसे सोप ओपरा तो प्रतिदिन धारा-प्रवाह में बहकर नदी स्नान का-सा आनन्द प्रदान करते हैं। ये एपीसोड काल्पनिक ही हों, ऐसा नहीं। सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक एपीसोड भी जीवन को तरंगित करते रहते हैं। ‘रामायण, महाभारत’ और ‘चाणक्य’ की शृंखलाओं ने तो दर्शकों की चाहत कीर्तिमान ही तोड़ दिए थे और अब भी पुनः-पुनः देखकर मन नहीं भरता।
उपन्यासों के अतिरिक्त देश-विदेश की विभिन्न भाषाओं के नाटक तथा एकांकी भी अभिनीत होते हैं। ये नाटक-एकांकी भी भरपूर मनोरंजन से युक्त होते हैं।
नृत्य-संगीत में लोक नृत्य, शास्त्रीय नृत्य, पॉप नृत्य, तथा पाश्चात्य शैली के नृत्यों के साथ-साथ उभरता संगीत मन को मोह लेते हैं। खेल-प्रेमियों के लिए खेलों की दुनिया का मनोरंजन फिल्म के मनोरंजन से कम रोचक नहीं होता। क्रिकेट, हॉकी, बालीबाल, फुटबॉल, टेनिस, तैराकी, कुश्ती आदि खेलों के मैच जब दूरदर्शन पर आते हैं तो दर्शक उन्मत्त हो टी.वी. पर आँख गड़ाए रहते हैं। एशियाड तथा ओलम्पिक खेलों के करिश्में देखने को तो आँखें तरसती हैं। आँखों का टी.वी. पर आँख गड़ाना, तरसना दूरदर्शनीय मनोरंजन का प्रमाण ही तो है।
मनोरंजन अर्थात् मन का रंजन जिससे हो, वह मनोरंजन। दूरदर्शन मनोरंजन का सर्वश्रेष्ठ साधन ही नहीं, मनोरंजन का विश्वकोश है, जिसके हर पृष्ठ पर रंजन है, हास्य झलकियाँ हैं, हृदय को गुदगुदाने की शक्ति है।
[Essay 4] दूरदर्शन और ज्ञानवर्धन
चेतन अवस्था में इन्द्रियों और मन द्वारा बाहरी वस्तुओं, विषयों आदि का सन को होने वाला परिचय या बोध ज्ञान है। किसी बात या विषय के संबंध में होने वाली वह तथ्यपूर्ण, वास्तविक और संगत जानकारी या परिचय जो अध्ययन, अनुभव, निरीक्षण और प्रयोग आदि के द्वारा प्राप्त होता है, ज्ञान है। कुछ जानने, समझने आदि की योग्यता, वृत्ति या शक्ति ज्ञान है। ज्ञान की वृद्धि या विकास ज्ञानवर्धन है।
ज्ञान अज्ञान को दूर करता है। अच्छे-बुरे की पहचान करवाता है। सत्य से साक्षात्कार करवाता है। जीवन में आने वाले शारीरिक और मानसिक तापों के हरण का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्नति, प्रगति और उज्ज्वल जीवन के लिए पथ-प्रदर्शित करता है। इसलिए जीवन में ज्ञान का महत्त्व है, उसका वर्धन मानव का दायित्व है।
ज्ञानवर्धन के चार मार्ग बताए जाते हैं-अध्ययन, अनुभव, निरीक्षण और प्रयोग। कुछ जानने, समझने आदि की योग्यता, वृत्ति इन चारों बातों पर निर्भर है। दूरदर्शन वह चौराहा है, जहाँ ज्ञान के चारों मार्ग मिलते हैं। इसलिए दूरदर्शन ज्ञानवर्धन की गंगोत्री है। जिस प्रकार गंगोत्री से निकलकर गंगा भारत-भूको तृप्त करती है, पवित्र करती है, उसी प्रकार दूरदर्शन जनमानस में ज्ञान की गंगा बहाकर पवित्र करता है। इसी जीवन में ज्ञान के कपाट खोलकर सत्, चित् और आनन्द के दर्शन करवाता है।
जीवन में उम्र के बढ़ने के साथ-साथ जो वस्तु मिलती है, उसका नाम है अनुभव। जिस जीवन से आप गुजरे नहीं, जिस कष्ट को आपने भोगा नहीं, जो गलतियाँ आपने की नहीं, उसका अनुभव आपको नहीं होगा।बाँझ को प्रसववेदना का क्या अनुभव? लघुजीवन में अतिलघु अनुभव द्वारा ज्ञान से परिचय कैसे हो।अकबर इलाहाबादी तो अनुभव की कमी पर रो पड़े- कह दिया मैंने हुआ तजर्बा मुझको तो यही।
तजर्बा हो नहीं चुकता है कि मर जाते हैं। संसार के दो महत्त्वपूर्ण अंग है-सृष्टि और प्रकृति। इन दोनों का पूर्ण तो क्या सामान्य निरीक्षण भी इस जीवन में असम्भव है, दुर्लभ है।अतः निरीक्षण से ज्ञान प्राप्ति बहुत सीमित है।
ज्ञान का चौथा स्रोत है प्रयोग। कोई नई बात ढूंढ निकालने के लिए की जाने वाली कोई परीक्षणात्मक क्रिया अथवा उसका साधन प्रयोग है। किसी प्रकार की क्रिया का प्रत्यक्ष रूप से होने वाला साधन प्रयोग है। प्रयोग बहुत दुस्साहपूर्ण होता है और जीवन में रिस्क (दुस्साहस) लेने से आदमी कतराता है। फिर कितने रिस्क लेकर आदमी कितना ज्ञान प्राप्त करेगा? अत्यन्त सीमित।
दूरदर्शन ज्ञान का विश्व-कोश है । हर बुराई और अच्छाई का व्याख्याता है। करणीयअकरणीय को बताने वाला दार्शनिक है। जीवन के पुरुषार्थों के कार्यान्वयन का प्रेरक है। प्रकृति के रहस्यों और सृष्टि के समाचारों की मुँह बोलती तस्वीर है।
नगर ही नहीं प्रांत, देश, विदेश; पृथ्वी ही नहीं पाताल और अंतरिक्ष; भू की ही नहीं अन्यलोकों की;मानव ही नहीं प्राणि मात्र की अद्यतन, नवीनतम खबरों की जानकारी देकर दूरदर्शन करेण्ट नॉलिज’ (अद्यतन ज्ञान) प्रदान करता है । करेन्ट को अधिक करेन्ट बनाने के लिए हर 60 मिनिट बाद अपना कर्तव्य पूरा करता है। साथ ही अपनी खबरों के सत्यापन के लिए तत्सम्बन्धी चित्र भी दिखाता है। इससे अधिक प्रामाणिक और करेन्ट (सद्य) ज्ञान कहाँ से मिलेगा? राष्ट्र या विश्व में कोई अनहोनी घटना घटित हो जाए तो दूरदर्शन अपना कार्यक्रम रोक कर भी उस घटना की सूचना दर्शक को देता है । जैसे-इन्दिरा जी की हत्या की सूचना।
समाचार अफवाह भी हो सकते हैं, असत्य भी। पर जब आप अपनी आँखों से समाचारों सम्बन्धी घटनाओं को देख रहे हैं तो फिर प्रत्यक्षं किम् प्रमाणम् ?’ शेयर बाजारों के सूचकांक, दैनिक तापमान के उतार-चढ़ाव, गुमशुदा व्यक्तियों के बारे में सचित्र विवरण, ‘नौकरी के लिए स्थान खाली हैं’ के लाभों (नियोजन) की सूचना देना, करों के भुगतान का स्मरण करवाना भी दूरदर्शन द्वारा ज्ञानवर्धन में शामिल है।
देश का एक बड़ा भाग ग्रामों में बसता है। खेतीबाड़ी उसका व्यवसाय है। गाँव और खेती की छोटी-से-छोटी बात को विस्तारपूर्वक समझा कर यह कृषकों का ज्ञानवर्धन करता है। सच तो यह है ग्राम-विकास में दूरदर्शन का बहुत बड़ा योगदान है।
हमारा देश दर्शनीय स्थलों का आगार है। कला-कृतियों का भण्डार है। विश्व का महान् आश्चर्य ‘ताजमहल’ हमारे राजपूत राजाओं का करिश्मा है । इन सबको देख पाना इस जीवन में सामान्य व्यक्ति के लिए सम्भव नहीं। दूसरे, आप देखने भी गए तो उसका ऊपरी दर्शन मात्र कर सकेंगे। उसके निर्माण का रहस्य, कला का रोमांच, पृष्ठभूमि का इतिहास आप नहीं जान पाएंगे। मंदिर हो या मठ, ताजमहल हो या कश्मीर स्थित अमरनाथ का मंदिर, दक्षिणी-समुद्र-स्थित विवेकानन्द-शिला हो या अमृतसर का स्वर्ण मन्दिर दूरदर्शन इनके पूरे इतिहास के साथ-साथ कला विशेषताओं का दिग्दर्शन करवाएगा।
विदेश-भ्रमण कितने लोग कर पाते हैं। विश्व की कला-कृतियों को कितने लोग देख पाते हैं ? उत्तर है मुट्ठीभर । दूरदर्शन विश्व के प्रत्येक राष्ट्र के दर्शन करवाएगा, उनके रहनसहन, रीति-रिवाज़, आस्थाओं-मान्यताओं, सभ्यता और संस्कृति का विस्तार से सचित्र परिचय करवाएगा।ज्ञान बढ़ाएगा आपका।घोड़ी नहीं चढ़े तो बारात तो देखी है की कहावत सिद्ध करेगा।
स्वस्थ रहने के गुर जनता को देकर दूरदर्शन उनके स्वास्थ्य की चिंता करता है ।व्यायाम की उपयोगिता और योग के लाभ बताता है। भोजन द्वारा स्वास्थ्य की शिक्षा देता है। प्रकृति के रहस्य-रोमांच का ज्ञान पुस्तकों में मिलता है या उन शूरवीरों को है जिन्होंने जान की बाजी लगाकर वहाँ तक पहुँचने की चेष्टा की है। दूरदर्शन न केवल प्रकृति के श्रृंगार पहाड़ (एंवरेस्ट, नीलकंठ) और जलनिधि समुद्र के रहस्य-रोमांचों के दर्शन तथा परिचय करवाता है अपितु अन्य लोकों (चन्द्रलोक, मंगललोक) के दर्शन भी करवा कर हमारे ज्ञान को विस्तृत करता है। डिस्कवरी अर्थात् अनुसन्धान द्वारा समस्त भूमण्डल के सागरों, पर्वतों, वनों और उनमें रहने वाले अनदेखे जीवों के दर्शन कराता है।
महापुरुष किसी भी राष्ट्र की धरोहर हैं। उनकी जयन्तियाँ तथा पुण्यतिथियाँ मनाना राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पण है। दूरदर्शन महापुरुषों के जीवन पर प्रकाश डालकर, गोष्ठियाँ आयोजित कर जनता को उनके द्वारा किए गए महान् कार्यों की जानकारी देता है। उन्हें उन जैसा बनने की प्रेरणा देता है।
सच तो यह है कि दूरदर्शन स्रष्टा से सृष्टि तक, जीवन से लेकर मृत्यु तक, आविष्कार से लेकर उपयोग तक, परिवार से लेकर समाज तक, धर्म से लेकर राजनीति तक, कला से लेकर विज्ञान तक, विश्व से लेकर ब्रह्माण्ड तक, सबका ज्ञान परोसने वाला अद्भुत यान्त्रिक साधन है।
[Essay 5] दूरदर्शन का जीवन पर प्रभाव
दूरदर्शन का भारतीय पारिवारिक जीवन पर अद्भुत तथा आश्चर्यजनक अमिट प्रभाव पड़ रहा है। वह सुखद भी है और दुःखद भी। एक ओर बहू के चूंघट का लम्बा परदा उठा है तो देवर-जेठ-ननदोई में भाई तथा ससुर में पिता के दर्शन कर मन की बात कहने का साहस प्रकट हुआ है। शिशुओं के पालन-पोषण, परिवार के खान-पान, रहन-सहन और जीवन-शैली में गुणात्मक सुधार हुआ है तो पर्व-त्योहारों के मनाने के प्रति आस्था बढ़ी है। धार्मिक अंध-विश्वास के प्रति अनास्था जगी है। आडम्बर और कपटपूर्ण प्रतीकों से विश्वास हिला है।
दूरदर्शन ने अपने विविध कार्यक्रमों द्वारा ज्ञान का जो प्रकाश फैलाया है, उससे पारिवारिक जीवन प्रकाशित हुआ है। उससे व्यक्ति के सोच-समझ का दायरा बढ़ा है। अच्छे-बुरे की पहचान बनी है। तन से स्वस्थ और मन से प्रसन्न रखने की तथ्यपूर्ण संगत जानकारी से परिवार परिचित हुआ है। सामाजिक बुराइयों से बचने लगा है।
पुरुष और नारी की परस्पर सहमति, अनुशासन, आत्मसमर्पण तथा कर्तव्यपालन पारिवारिक जीवन में सुख, शांति और उन्नति के सोपान हैं। औरों को खिलाकर खाना, मर्यादित काम और शृंगार, शिखर पुरुष (परिवार प्रमुख) का आदरपूर्ण अनुशासन, नैतिकता के प्रति आग्रह, परम्पराओं का सम्मान, पारस्परिक सहयोग से चलने की प्रेरणा में पारिवारिक जीवन का सौन्दर्य है। दूरदर्शन के अनेक कार्यक्रमों से इन बातों पर अच्छा प्रभाव भी पड़ा है।
दूसरी ओर, दूरदर्शन आज यथार्थ के नाम पर या खुलेपन के नाम पर परिवार को जो कुछ परोस रहा है उसका प्रभाव विष से भी अधिक विषाक्त है, नीम से भी अधिक कडुआ है और साइनोमाइड से भी अधिक मारक है। उसके अधिकांश कार्यक्रम पारिवारिक व्यूहरचना को तोड़ने की शिक्षा देते-देते परिवार के नैतिक मूल्यों को बेरहमी से रौंदते हैं। अनुशासन के प्रति विद्रोह के बीज बोते हैं तथा शालीनता, मान-मर्यादा की पावन भावना को कुचलते हैं। परिवार के प्रत्येक घटक में उसके अहं को तीव्र कर पारिवारिक सोच, समझ, समर्पण और समझौते की अन्त्येष्टि करते हैं। वासना और नग्नता का गन्दा नाला बहाकर, जीवन को कलुषित करते हैं।
दूरदर्शन जब अश्लील तथा कामुक दृश्यों, गीतों, संवादों की चासनी खुलेआम परोसता है तो विश्वामित्र की तपस्या भी भंग हो जाती है। नारद का हृदय भी डोल जाता है। नारी काअर्ध-नग्न क्या लगभग नग्न (केवल नितम्ब और स्तनों पर हलका-सा आवरण) शरीर, विविध रूप की उत्तेजनात्मक मुद्रा से वक्षों की मादक थिरकन, मदभरे नयनों का कटाक्ष, कूलहे मटकाने की शैली, शयन-दृश्य पारिवारिक जीवन में बची लाज की चिंदी-चिंदी उघाड़ चुके हैं। चेहरों से शर्म का परदा उतार चुके हैं। बहिन, भाभी, साली-सलहज तथा मित्रों के प्रति वासनात्मक लालसा-पिपासा दूरदर्शन द्वारा प्रदत्त मूल्यों की देन है।
इतना ही नहीं, जब दूरदर्शन सुपरहिट मुकाबला के नाम पर अश्लील गीतों का प्रदर्शन बार-बार करता है तो अबोध बालक भी अनजाने ‘चोली के पीछे क्या है ?’, ‘दरवाजा बंद कर दो’, चुम्मा चुम्मा दे दे’ गाने लगता है। कामसूत्र कंडोम का विज्ञापन देखता है तो संभोग-क्रिया से अनभिज्ञ बालक-बालिका भी माता-पिता से पूछ बैठते हैं, ‘यह निरोध क्या चीज है? किस काम आता है?’
नग्नता चाहे दृश्य की हो या गीत की जब तथाकथित कलात्मक रूप में प्रस्तुत होती है तो वह सृजनात्मकता का रूप लेती है, लेकिन जब वह प्रकृतवादी रूप में (ज्यों की त्यों) अभिव्यक्त होती है तो वह उससे भी अश्लील हो जाती है। घृणित होते हुए भी इसकी उपेक्षा इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि उसका सीधा प्रभाव परिवार जन के चेतन अथवा अचेतन मन पर पड़ता है। इस प्रकार दूरदर्शन अश्लीलता को पारिवारिक मान्यता दिला रहा है।
दूरदर्शन की पारिवारिक जीवन को महत्त्वपूर्ण देन है ‘अहम्।’ अहम् अपने आप में गर्वपूर्ण तत्त्व है पर परिवार-जनों की यह धारणा कि मेरी भी कुछ सत्ता है’, पूरे परिवार को विद्रोह के कगार पर खड़ा कर देती है। अपनी सत्ता का भान कर्तव्य से शून्य अधिकार की माँग करता है। अधिकार–पूर्ति न होने पर परिवार में मन-मुटाव होता है। आज दूरदर्शन की अनुकम्पा से घर-घर महाभारत मचा है। परिवार के शिखर-पुरुष के अनुशासन की अवहेलना हो रही है।
तृष्णाओं की जागृति दूरदर्शन का विनाशकारी प्रसाद है। परिवार-जन जो कुछ दूरदर्शन पर देखते हैं, उसे प्राप्त करने तथा वैसा बनने की चेष्टा करते हैं। आय कम, साधन अपर्याप्त हों तो इच्छा पूर्ति किस प्रकार हो सकती है ? झूठ बोलना, प्रवंचना देना, चोरी करना, गलत काम करना, पापवृत्ति से पैसा कमाना, दुष्प्रवृत्ति में पड़ना दूरदर्शन-शैली में लालसा पूर्ति का परिणाम है। परिवार-जीवन की यह विडम्बना दूरदर्शन की ही देन है।
दूरदर्शन के आकर्षण से विद्यार्थी के अध्ययन में बाधा पड़ती है। घर के काम की उपेक्षा होती है। माता-पिता की आज्ञा की अवहेलना होती है। समयोचित कार्य करने में अनिच्छा होती है। महत्त्वपूर्ण कार्य की प्राथमिकता रुक जाती है। आलस्य और प्रमाद जीवन पर हावी होते हैं।
नैतिकता को तोड़ता दूरदर्शन, अंकुश-विहीन अनुशासन को जन्म देता है। फैशनी सौन्दर्यप्रियता को उच्छृखल काम-विलासिता में डुवोता है। चकाचौंध की दुनिया में घसीट कर विवेक के नेत्रों को फोड़ देता है।
दूरदर्शन ने अपने कार्यक्रमों द्वारा पारिवारिक जीवन में एक हलचल पैदा करके उसे जबरदस्त तरीके से बदला है। इस बदलाव का प्रभाव हमारे पारिवारिक मूल्यों पर निःसन्देह पड़ रहा है। अच्छा कम और बुरा ज्यादा।
दूसरी ओर, दूरदर्शन का उपयोग विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के समकक्ष (advantage of television in education) बहुत ही महत्वपूर्ण कहा जा सकता है क्योंकि दूरदर्शन के माध्यम से हम समाचार सुनकर वर्तमान में अपने देश या फिर विदेश में चल रही घटनाओं के बारे में जान सकते हैं। विश्व में कहां कौन सा खेल खेला जा रहा है। ओलंपिक ने किसने कितना पदक जीता। यह जानकारी प्राप्त करके प्रतियोगी परीक्षा में तैयारी करने वाले विद्यार्थी इसका उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखकर अच्छा अंक प्राप्त कर सकते हैं। जिससे उनके जीवन मैं नौकरी का आगमन हो सके और इसके अलावा वह देश विदेश की खबरें जो कि वर्तमान समय में चल रही है उससे वह अवगत रह सकें।
[Essay 6] दूरदर्शन : एक अभिशाप (Disadvantages of Television)
दूरदर्शन का प्रारम्भ भारत में 15 सितम्बर, 1959 से समझना चाहिए, जब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्रप्रसाद ने आकाशवाणी के दूरदर्शन विभाग का उद्घाटन किया था। चार दशक की यात्रा में दूरदर्शन का विकास इस तेजी से हुआ है कि आज करीब छह करोड़ टी. वी. सेट, साढ़े छह सौ लघु शक्ति ट्रांसमीटर, तीन-सौ सैटलाइट, करीब एक लाख डिश एंटेना और केबल के तंत्र ने मिलकर भारत का चेहरा ही नहीं बदला, बल्कि रोटी, कपड़ा और मकान की तरह, यह भी जीवन की आवश्यकता बन गया है।
चौबीस घंटे मनोरंजन देने की विवशता के कारण टी. वी. के नए खुलते चैनल तथा विदेशी चैनलों ने टी. वी. के विकास की विविधता तथा टेक्नोलॉजी में उत्तरोत्तर प्रगति की है। उपग्रह से सम्बद्धता ने टी. वी. के विकास में अनुपम सहयोग दिया है, प्रसारण की क्षमता ने अद्भुत शक्ति प्रदान की है, पर यह वरदान कम, अभिशाप अधिक बन रहा है। टी.वी. के प्रिय कार्यक्रम का समय है। मेहमान आ गए। बच्चों पर इसका प्रभाव (effect of television on children) और परिवारजनों का मुँह उतर गया। मन ही मन दुआ माँग रहे होते हैं कि यह खिसके तो कार्यक्रम का आनन्द लें। कान में फुसफुसाहट शुरू हुई। ‘टी.वी. लगा लूँ, मैच आ रहा है।’ बेशरम हुए तो बिना पूछे टी. वी. ‘ऑन’ कर देंगे। आज पूरी की पूरी पीढ़ी टी. वी. के मादक नशे से झूम रही है।
परिणामत: विद्यार्थी अध्ययन में कम, टी. वी. में ज्यादा ध्यान केन्द्रित करता है। पुत्रपुत्रियाँ टी. वी. के कारण माता-पिता की आज्ञा की अवहेलना करती हैं। सिनेमा-गृहों को टी. वी. ने खाली करवाया तो नाट्य-शालाओं के दर्शनों को अवरुद्ध किया। साहित्यिक, सांस्कृतिक पत्रिकाओं को तो जीवन-निकाला ही दे दिया। दैनंदिन-जीवन में टी. वी. के संक्रामक विषाणुओं ने जीवन की सोच, समझ, सभ्यता और संस्कारों को ही बदल दिया।
आज टी. वी. का इतना प्रभाव है कि साप्ताहिक, पाक्षिक, व्यावसायिक और साहित्यिक पत्रिकाओं की बात छोड़िए, दैनिक समाचार-पत्रों में एक पूरा रंगीन पृष्ठ छोटे-बड़े पर्दे के कारनामों को उजागर करता है।
माया नगरी के इस जादूगर के पिटारे में जो सम्मोहक रंग हैं, उसके प्रति आकर्षण क्यों न हो? जब छोटे-परदे से झरती हिंसा, मुक्त यौनाचार और विवाहेतर संबंधों की नईनई व्याख्या प्रस्तुत होती हों। उन्मुक्त काम दृश्य, युवतियों के निर्वस्त्र तन और वैसी भाषा खुले आम टी. वी. के जरिए घर में प्रवेश कर रही हो। वासनापूर्ण संवाद तथा कामोत्तेजक संगीत और गाने मन को गुंजारित कर रहे हों।
सूर्यबाला जी का मत है, ‘मनोरंजन के नाम पर यौन और हिंसा का अबोध बालकों के मन पर जिस तरह घोर कामुक मुद्राओं और चेष्टाओं का विषाक्त नशा पिलाया जा रहा है, उससे तो यही लगता है हँसते-खेलते, उम्र की दहलीज चढ़ते मासूम बच्चों को जैसे वेश्याओं के कोठों पर ला बिठाया गया है। सेक्स और हिंसा की ओवर डोज’ पाए हुए किशोर और युवा, आज भयावह और रोंगटे खड़े कर देने वाली अपराधी वृत्तियों की ओर धड़ल्ले से बढ़े रहे हैं।’
सुदर्शना द्विवेदी जी का मानना है, ‘जिस किस्म के बदतमीज, बदजबान, असंस्कारों और चरित्रशून्य किशोरों की उपस्थिति इन तमाम धारावाहिकों में दर्ज हो रही है, उससे दोहरा असर हो रहा है। एक ओर मूल्यहीनता की पढ़ाई ये किशोर बेहद तत्परता से पढ़ रहे हैं और नजीर (प्रमाण) के तौर पर इनके वाक्यों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। दूसरी ओर अभिभावकों को दिखाया जा रहा है कि यही है असली किशोर और अगर आपका किशोर इनसे कुछ बेहतर है यानी गीता और संगीता से इश्क लड़ाने और मुक्का मार कर पड़ोस के राजू की आँख फोड़ने के अलावा कुछ पढ़ भी लेता है तो आप अपने भाग्य सराहें।’
परिणामत: युवक-युवतियाँ कॉलिजों में पढ़ने कम दोस्ती-दुश्मनी, प्यार-मोहब्बत निभाने ज्यादा जाते हैं। सिगरेट और ड्रग्स, बियर और पब, छात्र-जीवन के जीवनदायी टॉनिक हैं। इससे आप खुद पता लगा सकते हैं कि टीवी देखना आपके लिए अच्छा है या बुरा।
स्थिति की भयावहता जिस तेजी से खतरे के बिंदु को पार करती जा रही है, उसमें दूरदर्शन के विज्ञापन भी कम दोषी नहीं हैं। तथाकथित साहसिक कारनामों और भयप्रद दृश्यों तथा सुरा-सुन्दरी के अश्लील चित्रों का जो एलबम विज्ञापन प्रस्तुत कर रहे हैं, उससे प्रेरित होकर किशोर-किशोरियाँ अपने जीवन से खेल रहे हैं। मृत्यु का आह्वान कर रहे हैं।
भाषा के नाम पर हिन्दी को विकृति और खिचड़ी भाषा का प्रश्रय तथा धारावाहिकों के परिचय में मुख्यत: अंग्रेजी भाषा का प्रयोग राष्ट्रभाषा का अपमान है।अकारण ही अंग्रेजी की गुलामी ओढ़ाने की चाल है। जाति-समाज की संस्कृति, आचार-विचार और जीवनमूल्य व्यवस्था नकारने की साजिश है।
अन्त्याक्षरी हमारी काव्य-सम्पदा का अंग है। उसका फूहड़ रूप जो सिनेमा गीतों में उतरा है, वह नई पीढ़ी को साहित्य से दूर करने का भयंकर षड्यंत्र है।
दूरदर्शन और बच्चों (television and children) का संबंध जैसे लगता है अन्योन्याश्रित संबंध बन गया हो। आजकल के बच्चे टीवी के बगैर ना खाना खाना पसंद करते हैं और ना ही टीवी के बिना रह सकते हैं। वह हमेशा अपना कार्टून नेटवर्क जमाए रहते हैं। जिनसे उनके आंखों के साथ-साथ उनकी बुद्धि पर भी असर पड़ता है। आप खुद सोच सकते हैं कि टीवी हमारे लिए जितना लाभदायक है उतना हानिकारक भी हो सकता है।
माता-पिता, प्रौढ़जन तथा शिष्ट व्यक्तियों पर संवादों द्वारा जो अपमानित प्रहार किए जाते हैं, वे मानव-मूल्यों को तिरस्कृत करके विद्रोह पैदा करते हैं। आज की युवा पीढ़ी का वृद्ध माता-पिता से विद्रोह टी.वी. प्रभाव का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
भारत की 80 प्रतिशत जनसंख्या मध्यमवर्ग या निम्न मध्यमवर्ग का जीवन जी रही है। फैशन, प्रेम, सेक्स, शराब, ड्रग्स और हिंसा के दृश्यों को जब वह प्रतिदिन बार-बार देखती है तो ये सभी.तत्त्व उसके रक्त में समा जाते हैं। कारण, सजीव दृश्यों का मानवमन पर अधिक और स्थिर प्रभाव पड़ता है। इन दृश्यों को जीवन में भोगने के लिए चाहिए पैसा। मन की इच्छा पूरी करने के लिए वह टी.वी. शैली में रिश्वत लेता है, चोरी करता है, डाके डालता है, गुंडागिरी, अपहरण, बलात्कार और हत्या करता है। तस्करी और स्मग्लिग के लिए अपराध-जगत् की शरण लेता है। इस प्रकार दूरदर्शन समाज-द्रोह और राष्ट्र-द्रोह की पाठशाला बन गया है।
दूरदर्शन अप-संस्कृति का प्रतीक बन गया है। मुसलमान बादशाह और अंग्रेजीसाम्राज्य अपने सैंकड़ों वर्षों के शासन-काल में जिस भारतीय संस्कृति को नष्ट नहीं कर सके, जिन उदात्त भारतीय परम्पराओं, मान्यताओं और सिद्धान्तों को खंडित नहीं कर सके, वह काम करने में दूरदर्शन सफलता की सीढ़िया चढ़ रहा है। टी. वी. के कुसंस्कारों के सम्मुख भारतीय-संस्कृति असहाय खड़ी है। भारत माता चीत्कार करते कह रही है-
मैं क्या दूँ वरदान तुम्हें?
आत्मा मेरी अभिशाप दे रही।
मैं क्या हूँ?
Frequently Asked Questions
उत्तर: सितंबर, 1928 में
उत्तर: WGY Television
उत्तर: जर्मनी, 1929 में
उत्तर: फिलो टेलर फ़ार्नस्वर्थ (Philo Taylor Farnsworth)
उत्तर: वी शिवकुमारन, 1950 में
उत्तर: 1948 से 1959 के बीच
उत्तर: 30 सितंबर, 1929
उत्तर: BBC ने
उत्तर: हम लोग
उपसंहार (Conclusion of Television)
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख दूरदर्शन पर निबंध हिंदी में (Essay on Television in Hindi) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।
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टेलीविजन पर निबंध (Television Essay In Hindi)
आज हम टेलीविजन पर निबंध (Essay On Television In Hindi) लिखेंगे। टेलीविजन पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
टेलीविजन पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Television In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।
टेलीविजन विज्ञान की सबसे अनोखी और अनुपम देन है। विज्ञान ने मनोरंजन के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। मानव को विज्ञान ने टेलीविजन के माध्यम से एक महत्वपूर्ण तोहफा दिया है।हिंदी में टेलीविजन को दूरदर्शन कहा जाता है। टेली का तात्पर्य है ‘ दूर ‘ और विज़न का अर्थ है दृश्य।
इसका तात्पर्य है दूर के सारे दृश्यों और घटनाओ को पास से सामने देखना। मनुष्य को अपने व्यस्त जीवन के थकान को मिटाने के लिए एक मनोरंजन के स्रोत की ज़रूरत है। वह टेलीविजन से बढ़कर और कुछ नहीं है।
पहले के समय में लोग रेडियो ज़्यादा सुनते थे। महंगाई की वजह से सबके घरो में टीवी नहीं होता था। लेकिन जब धीरे धीरे लोग टीवी का महत्व समझने लगे, तो वह अपने बजट के मुताबिक टीवी खरीदने लगे। आज सभी के घरो में टीवी मौजूद है।
टेलीविजन पर हम कार्यक्रमों को सिर्फ देख नहीं बल्कि सुन भी सकते है। टेलीविजन लोगो की जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। टेलीविजन देखे बिना लोग अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते है।
अगर टेलीविजन को किसी ने लोगो की ज़िन्दगी से हटा दिया, तो उनकी जिन्दगी बिलकुल बेजान हो जायेगी। टेलीविजन का आविष्कार सन 1926 में जेम्स बेयर्ड ने किया था। दूरदर्शन केंद्र की स्थापना देश में 1959 को हुयी थी।
पहले टेलीविजन में श्याम और शवेत यानी ब्लैक एंड वाइट छवि देखी जाती थी। फिर कुछ वर्षो पश्चात कलर यानी रंगीन टीवी का दौर छा गया। आज कलर टीवी का ज़माना है।
मनोरंजन का सबसे बेहतरीन माध्यम
टीवी पर अनगिनत चैनल्स उपलब्ध है। लोग अपने पसंद के अनुसार टीवी चैनल देख सकते है। किसी को खेल देखना है या किसी को संगीत सुनना है, वह अपने अनुसार रिमोट का बटन दबाकर चैनल का चयन कर लेते है।
टेलीविजन सिर्फ मनोरंजन ही नहीं बल्कि रोज़ के समाचार और हर क्षेत्र में लोगो को ज्ञान प्राप्त करवाते है। लोग देश विदेश के विभिन्न तरह के घटनाओ को टेलीविजन पर देख और सुन सकते है। आज लोग खबरें अखबारों में कम बल्कि टीवी पर देखना ज़्यादा पसंद करते है।
महिलाएं रोज़ अपने घर के काम काज के बाद अपने मनपसंद धारावाहिक टीवी पर देखती है। वयस्क लोग जिन्हे समझ नहीं आता था कि वह खाली वक़्त में क्या करे, अब वे टीवी के समक्ष बैठ जाते है।
हमारे ज्ञान को विकसित करता है
यह हमारे ज्ञान को बढ़ाता है। टेलीविजन से हमे प्रत्येक दिन कुछ नया सीखने को मिलता है। यह कहना बिलकुल ठीक होगा की विज्ञान की सबसे अनुपम उपलब्धि है टेलीविजन। मनुष्य के मन को टेलीविजन मनोरंजन से प्रसन्न कर देता है।
भारतीय टेलीविजन में दैनिक धारावाहिक देश की परंपरा और संस्कृति को दर्शाती है। टेलीविजन के समक्ष पूरा परिवार एक साथ बैठकर फिल्म और खेल के कार्यक्रम देख सकते है।टेलीविजन के माध्यम से लोग सामाजिक, राजनीति, धर्म, आध्यात्मिक, शिक्षा इत्यादि विषयो से संबंधित कार्यक्रम देख सकते है।
लोग अपने इच्छानुसार जो भी कार्यक्रम चाहे वह कभी भी देख सकते है। सिर्फ देश की ही नहीं बल्कि विदेशो की सारी खबरें देख सकते है। टेलीविजन का ज़्यादा प्रभाव बच्चो पर पड़ा है। टेलीविजन पर दिखाए गए विभिन्न कार्यक्रम से बच्चो का और हमारा सामान्य ज्ञान बढ़ता है।
टीवी पर धर्म और आस्था से संबंधित चैनल भी लोगो के लिए उपलब्ध है। कृषि, विज्ञान और नए आविष्कारों से संबंधित चैनल टीवी पर उपलब्ध है। टीवी पर व्यवसाय चैनल से लेकर ऑटोमोबाइल चैनल तक उपलब्ध है।
शिक्षा का बेहतरीन माध्यम
आजकल टेलीविजन पर बच्चो को अंग्रेजी भाषा सिखाया जाता है। टीवी पर ऐसे कई ज्ञानवर्धक चैनल है जिसके माध्यम से बच्चे सरलता से अपने पाठ्यक्रमों को समझ सकते है। हर विषय संबंधित शीर्षक ऐसे चैनेलो पर दिए रहते है। बच्चे अपने पसंद अनुसार उन्हें समझ सकते है।
युवाओ और वयस्कों के लिए टेलीविजन पर अनौपचारिक शिक्षा को प्रभावी ढंग से सिखाया जाता है। टेलीविजन पर इतिहास चैनल, डिस्कवरी चैनल, नेशनल जियोग्राफिक चैनल और कई तरह के वैज्ञानिक संबंधित चैनल है, जो जीवन के अनगिनत पहलुओं को लोगो तक पहुंचाते है।
टेलीविजन के माध्यम से छात्रों के लिए गणित, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान इत्यादि विषयो पर कक्षाएं आयोजित किये जाते है। यह कक्षाएं ज्ञान वर्धक और रोचक होते है। अन्य सामाजिक घटनाओ और परीक्षाओ से संबंधित पाठ्यक्रम टेलीविजन पर दिखाए जाते है।
घरेलु नुस्खों, कई प्रकार के हस्तशिल्प टेलीविजन पर सिखाये जाते है। टेलीविजन से केवल लोगो को शिक्षा ही नहीं बल्कि विभिन्न तरह के प्रशिक्षण दिए जाते है। आपको कसरत करनी है, तो आपको टीवी पर योग और कसरत करने के चैनल प्राप्त हो जाएंगे। जिसे लोग प्रत्येक रूप से देखकर सीख सकते है और अपने आपको फिट भी रख सकते है।
देश विदेश के ख़बरों का तुरंत प्रसारण
देश विदेश की गतिविधयों का सीधा प्रसारण टेलीविजन पर किया जाता है। टेलीविजन के कारण लोगो को खेल के मैदानों पर जाकर खेल देखने की ज़रूरत नहीं है। लोग टेलीविजन पर खेल का लाइव और सीधा प्रसारण देख सकते है।
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को देखने के लिए लोगो को लाल किला और इंडिया गेट तक जाने की ज़रूरत नहीं है। घर पर बैठकर उन कार्यक्रमों को आराम से लोग देख सकते है। यदि किसी कारण लोगो के पास समय नहीं है, तो लोग इन प्रोग्रामो को रिकॉर्ड करके अपने सुविधानुसार बाद में देख सकते है।
विभिन्न भाषाओ और सभी क्षेत्रों में मनोरंजन उपलब्ध
टेलीविजन में आप विभिन्न भाषाओ के गानो और ख़बरों का आनंद उठा सकते है। आज के समय में टीवी पर रात दिन फिल्में चलती है। लोग अपनी मनपसंद फिल्म कभी भी देख सकते है। सिनेमा देखने के लिए हमेशा लोगो को सिनेमाघर जाने की आवश्यकता नहीं है। लोग इन सिनेमाओं को टेलीविजन पर सरलता से देख सकते है।
आजकल लोग वीसीआर पर फिल्म लगाकर उसे टेलीविजन स्क्रीन पर देख सकते है। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक कार्यक्रम देश में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी पसंद किया जाता है। टेलीविजन देखने का एक निर्धारित समय तय करके लोगो को देखना चाहिए।
कुछ देर टीवी देखने से लोगो का मष्तिष्क शांत हो जाता है। कुछ लोग इतना अधिक टेलीविजन देखते है कि उन्हें इसकी आदत हो जाती है।
लगातार टीवी देखने से कुछ दुष्परिणाम
बच्चो में टीवी देखने की अत्यधिक लत अच्छी नहीं होती। ज़रूरत से ज़्यादा कार्टून और इत्यादि कार्यक्रम अभिभावकों के साथ सीमित मात्रा से अधिक देखना अच्छा नहीं होता है। इससे उनकी एकाग्रता कम होती है। पढ़ाई में उनका ध्यान कम लगता है। लगातार टीवी स्क्रीन पर टीवी देखने से बच्चे और बड़ो की आँखें खराब होती है।
एक ही जगह पर लगातार टीवी देखने से लोगो को हाइपर टेंशन जैसी परेशानियां हो सकती है। नियमित टीवी देखने से स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हो सकती है। अत्यधिक टीवी देखने की वजह से हम खाने का समय भूल जाते है।
सिर्फ काम करके हम टीवी देखने के लिए बैठ जाते है और बाकी गतिविधियों की तरफ ध्यान नहीं देते है। इससे लोग मोटापे इत्यादि बीमारियों के शिकार हो जाते है।
मनोरंजन का आकर्षक यंत्र
मनोरंजन का सबसे सस्ता और किफायती साधन है टीवी। मनुष्य के ज्ञान को बढ़ाने और विकसित करने का बेहतरीन माध्यम है टेलीविजन। आजकल एलईडी टीवी बाजार में उपलब्ध है। लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार बेहतरीन पिक्चर गुणवत्ता पाने के लिए खरीद सकते है।
प्रत्येक दिन एक बार तो लोगो को टेलीविजन का दैनिक खुराक चाहिए। आम तौर पर टीवी लोगो के लिए प्रत्येक दिन देखना अनिवार्य सा हो गया है। टीवी पर लोग विभिन्न भावनाओ को जीते है। कभी वह ख़ुशी से झूम उठते है तो कभी कुछ दृश्यों को देखकर उदास और कभी ठहाका मारकर हँसते है।
खालीपन मिटाने का अनोखा साधन
मनुष्य के खालीपन को दूर करने में टेलीविजन एक वरदान से कम नहीं है। मनुष्य को अपने जिंदगी में कई तनावों से गुजरना पड़ता है। टेलीविजन इन तनावों को दूर करने में बड़ी सहायक साबित हुयी है। टी वी देखने से लोगो का मन मिजाज काफी अच्छा हो जाता है।
नए प्रतिभाओं को मौका
आजकल टीवी पर कई चैनेलो में रियलिटी शोज आयोजित किये जाते है। जिसमे देश के नयी प्रतिभाओ को मौका मिलता है। कई ऐसे टैलेंट शोज है जो आम लोगो को अपना हुनर दिखाने का मौका देते है। यह एक सकारात्मक कोशिश है।
व्यापार में फायदा
टेलीविजन द्वारा व्यापार को काफी फायदा पहुंचा है। इसमें विज्ञापन देकर कोई भी बिज़नेस मैन रातो रात उन्नति कर सकता है। विभिन्न प्रकार के उत्पादों को विज्ञापन के ज़रिये बढ़ावा मिलता है।
दुनिया के किसी भी कोने में कोई भी चीज़ घटती है, उसी पल हमे टीवी के माध्यम से जानकारी मिल जाती है। व्यापार जगत को टेलीविजन के माध्यम से काफी लाभ हुआ है। लोग उन विज्ञापनों से प्रभावित होकर उत्पादों को खरीदते है, जिससे कंपनियों को मुनाफा होता है।
युवाओ पर दुष्प्रभाव
युवको में अत्यधिक टीवी देखने की आदत ने उन्हें गलत मार्ग भी दिखाया है। कई शोधकर्ताओं से पता चला है की उन्होंने अपराधों के उपायों को टीवी के माध्यम से सीखा है। यह एक सरासर बुरा प्रभाव है। अच्छे बुरे में फर्क करने की ताकत कभी कभी टेलीविजन ख़त्म कर देता है। टेलीविजन अतिरिक्त देखने से ना केवल गलत कार्य हो रहे है, बल्कि वक़्त की बर्बादी भी होती है।
टेलीविजन का आगमन मनोरंजन का स्रोत है। टीवी पर नाटक नौटंकी, बच्चो के कार्यक्रम, जासूसी और रोंगटे खड़े करने वाली कहानियां इत्यादि विविध कार्यक्रम लोग देखते है। एक सिक्के के दो पहलु होते है।
टीवी के अपने फायदे और नुकसान है। यदि हम टीवी के मनोरंजन का सही दिशा में इस्तेमाल करते है तो निश्चित तौर पर एक सुन्दर और सभ्य समाज का निर्माण कर पाएंगे। टीवी सही माईनो में एक प्रभावी और ज़रूरी माध्यम सिद्ध हुआ है। जिसका प्रभाव पूरी दुनिया के लोगो पर पड़ा है।
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तो यह था टेलीविजन पर निबंध , आशा करता हूं कि टेलीविजन पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Television) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।
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10 lines on Television in Hindi - Few lines about Television in Hindi
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10 lines on Television in Hindi
- टेलीविज़न हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक है।
- टेलीविज़न का अविष्कार "जॉन लोगी बेयर्ड" ने किया था।
- आजकल टेलीविज़न हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- टेलीविज़न से हम देश दुनिया के समाचार देख तथा सुन सकते है।
- टेलीविज़न से पहले रेडियो का प्रचलन था, पर टेलीविज़न के आने से रेडियो की लोकप्रियता कम हो गई।
- टेलीविज़न पर हम सिक्षा, मनोरंजन, कृषि, उत्पाद, इत्यादि संबंधित प्रोग्राम देखते है।
- बच्चों के लिए टेलीविज़न मनोरंजन का एक अच्छा साधन है।
- टेलीविज़न का उपयोग स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
- शुरुआती दिनों में टेलीविज़न का विकाश उतना अच्छा नहीं हो पाया था जिसके कारण इसमें चित्र और आवाजें साफ़ सुथरी नहीं होती थी।
- लेकिन आज हमारे बीच स्मार्ट टेलीविज़न उपलब्ध है, जिसमे न केवल साफ सुथरी तस्वीरें बल्के इसमें इन्टरनेट के अनुप्रयोग YouTube भी देख सकते है।
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टेलीविजन (दूरदर्शन) से लाभ और हानि पर निबंध
टेलीविजन आजकल हम सब लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। टेलीविजन से हम लोगों को फायदा भी है और नुकसान भी है।
टेलीविजन से फायदा यह है कि हमें घर बैठे देश दुनिया के बारे में सारी जानकारियां मिल जाती हैं और हम उसे लाइव देख पाते हैं। टेलीविजन की मदद से हम देश दुनिया को अच्छी तरह समझ पाते हैं और अलग-अलग लोगों के विचारों को जान पाते हैं।
टेलीविजन मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसमें आने वाले नित्य नए प्रोग्राम धारावाहिक, म्यूजिक, मूवी वगैरह से लोगों को अत्यंत आनंद आता है और लोग अपना गम भूल पाते हैं। टीवी की वजह से घर के सारे लोग एक साथ बैठते हैं और एक दूसरे से बातें करते हैं। दूरदर्शन से कई लोगों को रोजगार मिला हुआ है और कई नए टैलेंट को टेलीविजन में काम करने का मौका मिलता है। इससे कई गरीब लोगों की गरीबी भी दूर होती है।
टेलीविजन का जितना फायदा है उतना ही ज्यादा नुकसान भी है। टेलीविजन से सबसे ज्यादा नुकसान लोगों के खासकर के विद्यार्थियों के समय की बर्बादी है। कई लोगों को टेलीविजन की बुरी लत लग चुकी है, वह कई घंटे तक टीवी के आगे बैठे रहते हैं और बेकार सब प्रोग्राम भी देखते रहते हैं। इनसे उनका समय तो बर्बाद होता ही है साथ में दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है और उन लोगों का दिमाग धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है।
टेलीविजन में आजकल ऐसे कई प्रोग्राम दिखाए जाते हैं जिन्हें घर के सारे लोग बैठकर एक साथ नहीं देख सकते हैं। इसका असर यह है कि लोगों को अपनी संस्कृति से ज्यादा अच्छी विदेशी संस्कृति लगने लगी है और वह लोग उनके फॉलोवर होते जा रहे हैं।
टेलीविजन की वजह से परिवार में विवाद भी बढ़ता जाता है। टेलीविजन में दिखाए गए दृश्य की वजह से लोगों में पैसों का लालच बढ़ता जा रहा है और वह किसी भी तरह के अपराध को करने के लिए प्रेरित होते हैं। टेलीविजन को आजकल इडियट बॉक्स भी कहा जाता है। इंटरनेट आने के बाद जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है उन लोगों को टेलीविजन छोड़ इंटरनेट का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे उनका समय भी बचेगा और उनकी जरूरतें भी पूरी हो जाएगी।
(word count:350)
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टेलीविजन पर निबंध हिंदी में। Essay on Television in Hindi
Essay on Television in Hindi | टेलीविजन पर निबंध हिंदी में
Hindi Essay: आज हम Essay on Television in Hindi | टेलीविजन निबंध हिंदी में पढ़ेंगे। टेलीविजन पर लिखा यह निबंध (Television Nibandh) बच्चों (kids) जो class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद हो सकता है. इसे speech, Paragraph और Nibandh के रूप में भी प्रस्तुत कर सकते हैं. आओ पढ़ते हैं टेलीविजन पर निबंध Essay of Television in Hindi is Important for all classes 3rd to 12th.
टेलीविजन पर निबंध (Essay on Television in Hindi, Television par Nibandh Hindi mein)
भूमिका- बीसवीं सदी में विज्ञान ने महत्वपूर्ण खोजें की हैं। इन आविष्कारों ने मानव जीवन को बहुत आरामदायक बना दिया है। इन आविष्कारों में टेलीविजन, रेडियो, कंप्यूटर महत्वपूर्ण आविष्कार हैं। ये आविष्कार मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं।
टेलीविजन का महत्व- टेलीविजन विज्ञान का एक अद्भुत आविष्कार है। इसमें रेडियो और सिनेमा दोनों के गुण हैं। टेलीविजन का महत्व इस हद तक बढ़ गया है कि आज यह हर घर की शान बन गया है।आज इंसान बिना रोटी खाए तो रह सकता है लेकिन टेलीविजन देखे बिना नहीं रह सकता। इस वजह से यह मानव जीवन का अहम हिस्सा बन गया है।
टेलीविजन का विस्तार- टेलीविजन के विस्तार को टीवी भी कहते हैं। भारत में टीवी 1959 में आया था। इसका उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति राजिंदर प्रसाद ने किया था। लेकिन आज टीवी यह इतना फैल चुका है कि मनुष्य इसके बिना बिल्कुल भी नहीं रह सकता है। आज, एप्पल और इनसेट उपग्रहों की मदद से इस पर सौ से अधिक केबल चैनल चल रहे हैं।
मनोरंजन का एक माध्यम- टेलीविजन मनोरंजन का एक बड़ा माध्यम है। इस पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम जैसे- फिल्म, गीत, नृत्य, नाटक, कहानियां, गीत-संगीत प्रतियोगिताएं, खेल का सीधा प्रसारण, कॉमेडी शो आदि लोगों का भरपूर मनोरंजन करते हैं। आज जब एक आदमी काम से थक कर टूटा हुआ घर पहुँच जाता है, टीवी के सामने दो घंटे बैठ कर अपनी थकान भूल जाता है।
ताज़ी ख़बरें- टेलीविजन ताज़ी ख़बरों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से देश-विदेश में घटी हुई घटनाएँ कुछ ही मिनटों में हम तक पहुँच जाती हैं सरकार कैसे काम कर रही है, जहां हड़ताल होती है, जहां नेता को आना होता है, वहां सब कुछ खबरों में होता है इस कई संबंधित चैनल दिन-रात चल रहे हैं।
व्यावसायिक लाभ- व्यवसायियों को भी टेलीविजन से बहुत लाभ होता है। वे इसके माध्यम से अपने उत्पादों का विज्ञापन करते हैं। बाजार में उन सामानों की मांग बढ़ जाती है। इस तरह व्यवसायी इससे अच्छा मुनाफा कमाते हैं।
रोजगार का साधन- यह रोजगार का साधन भी है। इससे काम करने वाले सभी कलाकार, लेखक आदि को अपनी कला के लिए काफी पैसा मिलता है। इस तरह उनका रोजगार भी चलता रहता है।
विभिन्न प्रकार के सूचना माध्यम- टेलीविजन भी सामान्य सूचना का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इससे संबंधित जानकारी हमारे किसान भाइयों को मिलती है। उन्हें नए प्रकार की कृषि, नए बीज, नए प्रकार की मशीनरी का ज्ञान है। इसके अलावा मुर्गी पालन, मछली पालन आदि के तरीके भी जाने जाते हैं। इसके माध्यम से विशेषज्ञ डॉक्टरों से चिकित्सा सहायता पर भी चर्चा की जाती है। वे भयानक बीमारियों और उनके उपचार के बारे में बताते हैं। महिलाओं को रसोई में खाना बनाना, पंजाबी व्याकरण की जानकारी भी प्रदान की जाती है। इसके माध्यम से हमें उन जगहों के बारे में जानकारी मिलती है जहां हम नहीं जा सकते हैं देश-विदेश की खूबसूरत इमारतें हमें देखने को मिलती हैं।
टेलीविजन के नुकसान- टेलीविजन के कुछ नुकसान भी हैं बहुत से लोग दिन भर टीवी देखते हैं। इससे ना सिर्फ उनका समय बर्बाद होता है, बल्कि उनकी आंखों पर भी असर पड़ता है। उसी तरह, खराब और मूल फिल्में देखने से युवा पीढ़ी के व्यवहार पर बुरा प्रभाव पड़ता है इसने हमारी संस्कृति पर भी हमला किया है। इसके माध्यम से पश्चिमी सभ्यता के विकास के साथ-साथ रोशनी, खाने-पीने, रहन-सहन, ड्रग्स, लड़ाई-झगड़े के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं।
सारांश- यह सच है कि टेलीविजन के कुछ नुकसान हैं लेकिन इसके फायदे ज्यादा हैं। ये दो नुकसान भी मनुष्य के अपने हाँथ में हैं। संयम से काम करने पर वह इनसे लाभ भी उठा सकता है। टीवी को थोड़ी दूर से देखने पर आँखों के लिए हानिकारक नहीं है। इसके कार्यक्रमों को समय पर देखने से समय की बर्बादी नहीं होती है! बाकी सरकार को इसमें दिए जाने वाले घटिया कार्यक्रमों को बंद करना चाहिए। फिर टीवी मानवता के लिए वरदान साबित होगा ।
हमें उम्मीद है आपको इस पोस्ट में टेलीविजन पर निबंध (Essay on Television in Hindi) हिन्दी में अच्छा लगा होगा। स्कूल के विद्यार्थी जो टेलीविजन पर निबंध की खोज में हैं वे इस टेलीविजन पर सुंदर निबंध की मदद ले सकते हैं। यह टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi Class 3, 4, 5, 6 , 7, 8, 9, 10 मे पूछा जा सकता है।
Essay on Dussehra in Hindi
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टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi
अगर आप टेलीविजन पर निबंध (Essay on Television in Hindi) की तलाश कर रहे हैं, तो आप सही जगह पर हैं। इस लेख में हमने दूरदर्शन के ऊपर आकर्षक निबंध लिखा है।
जिसमें टेलीविजन के अर्थ, इतिहास, महत्व तथा लाभ हानियों को सरल रूप समझाया है। निबंध के अंत में दिया गया टेलीविजन के ऊपर 10 वाक्य इस लेख को और भी बेहतरीन बनाते हैं।
Table of Contents
प्रस्तावना (टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi)
प्राचीन काल के मनुष्य अपने मनोरंजन और ज्ञान वृद्धि के लिए तीर्थाटन और खेलों का सहारा लिया करते थे। लेकिन आधुनिक काल में इंसान ने हर क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति कर ली है।
विज्ञान ने रेडियो का आविष्कार किया जिससे लोगों को समाचार, ज्ञान तथा मनोरंजन का श्राव्य रूप प्राप्त हुआ।
टेलीविजन इंसान के उन्हीं आविष्कारों में से एक है जिस पर वह गर्व कर सके। इस यांत्रिक मशीन की परिकल्पना अगर प्राचीन काल का कोई मनुष्य करता तो उसे पागल करार दे दिया जाता।
ईथर में लगातार तैरते इलेक्ट्रिक तरंगों को एक रिसीवर के माध्यम से पकड़ा जाता है जिसे उपग्रहों द्वारा इंसानों तक पहुंचाया जाता है। जिसे टेलीविजन के पीछे का विज्ञान भी कह सकते हैं।
हिंदी में टेलीविजन को दूरदर्शन कहा जाता है जिसका अर्थ होता है दूर के दृश्यों को अपने समीप घटते हुए देखना। इसकी खोज ने मनोरंजन के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति ला दी है जो इंसानी इतिहास में बड़ी क्रांतियों में से एक मानी जाती है।
टेलीविजन क्या है? What is Television in Hindi?
टेलीविजन एक ऐसी मशीन है जो ध्वनि और चित्र के साथ एक विशेष प्रकार के मशीनी सतह पर प्रसारित होती है। टेलीविजन शब्द लैटिन और यूनानी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है दूर दृष्टि।
जब इसका आविष्कार किया गया था तब यह मुख्य रूप से ब्लैक एंड वाइट होती था फिर कुछ वर्षों के बाद यह रंगीन टीवी में बदल गया जो लोगों के द्वारा बहुत ही ज्यादा पसंद किया जाने लगा।
टीवी एक मनोरंजन का साधन है जिसमें हर कोई अपने पसंद की चीजों को देख वह सुन सकता है। उदाहरण स्वरूप संगीत प्रेमियों के लिए इसमें खासकर संगीत चैनल भी होते हैं तथा समाचार और ज्ञान के लिए विशेष प्रकार के चैनल होते हैं जिन्हें रिमोट द्वारा लगाया और बदला जाता है।
टेलीविजन का इतिहास History of Television in Hindi
टेलीविजन का आविष्कार एक अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड ने सन 1927 में किया था। पहले यह आकार में बहुत ज्यादा बड़ा और डीसी करंट के द्वारा चलता था।
लगभग 7 सालों की मेहनत के बाद टेलीविजन को इलेक्ट्रिक से चलाने के लायक बनाया गया। इस प्रकार सन 1934 में टेलीविजन को पूरी तरह से शुरू कर दिया गया।
टेलीविजन बनाने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी कि उसके लिए स्टेशन को खड़ा करना। यह काम भी दो वर्षों में पूरा हो गया और आधुनिक टेलीविजन स्टेशन की स्थापना हुई।
टेलीविजन के आविष्कार के बाद पूरी दुनिया के अमीर लोग इसे बहुत ही ज्यादा पसंद करने लगे लेकिन मध्यम व गरीब वर्ग के लोगों के लिए यह खरीद पाना मुश्किल था।
जिसके कारण इसे भारत पहुंचते-पहुंचते सोलह वर्ष लग गए। सन 1950 में भारत के एक इंजीनियरिंग छात्र ने विज्ञान मेला में टेलीविजन का एक प्रारूप पेश किया।
लगभग 9 सालों बाद 15 सितंबर सन 1959 को पहला सरकारी प्रसारक दूरदर्शन की स्थापना की गई। शुरुआत में इस पर बहुत ही कम कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता था। 1965 तक इस क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ और इस पर दैनिक कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाने लगा।
टेलीविजन के बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और थियेटर का प्रचलन भी बहुत जोरों शोरों से बढ़ गया। जिसके परिणाम स्वरूप भा रत में हिंदी फिल्में भी अधिक स्तर पर बनाई जाने लगी।
यूनाइटेड नेशंस के द्वारा 21 नवंबर सन 1996 को वर्ल्ड टेलीविजन फोरम की स्थापना की गई थी जिसके कारण 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविजन डे के रूप में भी मनाया जाता है।
विश्व टेलीविजन फॉर्म की स्थापना का उद्देश्य लोगों के लिए एक ऐसा माध्यम उपलब्ध करवाना था जहां टेलीविजन के महत्व पर बातचीत की जा सके और लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
पहले विश्व टेलीविजन दिवस के दिन टेलीविजन का वैश्विक प्रचार करने के लिए वैश्विक स्तर की बैठक हुई थी तथा कुछ खास कार्यक्रमों का प्रसार भी किया गया था।
भारत में 80 के दशक में टेलीविजन का सबसे अधिक विकास हुआ। दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत जैसे कार्यक्रमों ने विश्व के कई रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। 1997 में टेलीविजन चैनलों का सारा कामकाज प्रसार भारती कंपनी को सौंप दिया गया जिसके बाद इस पर रोज न्यूज़ बुलेटिन प्रसारित होने लगा।
आज के समय में टेलीविजन का पूरी तरह से परिवर्तन हो चुका है जहां पहले टेलीविजन का आकार और कीमत बहुत ही ज्यादा हुआ करती थी वहीं अब यह बहुत पतले और हल्के (LED Television) के रूप में लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है।
टेलीविजन का महत्व Importance of Television in Hindi
मानव जीवन में टेलीविजन का महत्व बेहद ही अधिक है। क्योंकि एक तरफ यह लोगों के मनोरंजन का साधन है तो दूसरी तरफ पूरी दुनिया का समाचार भी इससे ही मिल पाता है।
पहले किसी भी स्थान का समाचार एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते-पहुंचते महीनों लग जाते थे वही टेलीविजन से यह प्रक्रिया मिनटों में रूपांतरित हो चुका है।
टेलीविजन के सबसे बड़े महत्व के रूप में यह विद्यार्थियों को विश्व तथा विज्ञान से जोड़े रखने में एक सहायक की भूमिका अदा कर रहा है जिसके माध्यम से बच्चों का बौद्धिक विकास पहले से बेहतर हो रहा है।
इसके माध्यम से लोगों को संसार की भौगोलिक रचना का ज्ञान बड़े आसानी से हो जाता है तथा कई जिज्ञासाओं का समाधान इसके दर्शन से स्वतः ही हो जाता है।
भारत सरकार द्वारा टेलीविजन पर एनसीईआरटी के पाठ्यपुस्तक की सामग्रियों को प्रचारित किया जाता है जिससे गरीब बच्चों को पढ़ने में सहायता होती है।
टेलीविजन पर कृषि से जुड़े हुए बहुत से प्रश्नों के उत्तर साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है जिससे कृषक को सहायता मिलती है।
टेलीविजन के लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Television in Hindi
जहां एक तरफ टेलीविजन से पूरी दुनिया में क्रांति आ चुकी है और लोगों के पास कोई भी जानकारी चुटकियों में पहुंच जाती है। तो वहीं दूसरी तरफ इसके दूरगामी दुष्परिणाम भी सामने आते हैं।
टेलीविजन के सबसे बड़े लाभ के रूप में इसका मनोरंजक होना है। लेकिन जब इसकी अधिकता होती है तो यह बुरी लत में परिवर्तित हो जाती है जिससे शारीरिक और मानसिक क्षमता का नाश भी होता है।
आज छोटे-छोटे बच्चों को चश्मा लग जाता है। जिसका एक कारण इनके द्वारा टीवी तथा अन्य उपकरणों के साथ बिताए जाने वाली समय की अधिकता है।
टेलीविजन के अनेकों लाभ है उदाहरण स्वरूप 80 के दशक में रामायण और महाभारत के द्वारा लोगों में जनजागृति और सकारात्मकता फैलाने का कार्य टेलीविजन के द्वारा ही संभव हो पाया था।
लेकिन आधुनिक समय में टेलीविजन पर ऐसे नकारात्मक तत्व धड़ल्ले से प्रसारित किए जा रहे हैं जिससे मनुष्य का वैचारिक और चारित्रिक हनन बड़े स्तर पर होता है।
टेलीविजन के माध्यम से मार्केटिंग ने जन्म लिया है जिसके कारण बाजार पद्धति में भी स्पर्धा कई गुना बढ़ चुकी है। लेकिन फिर भी आए दिन लोगों को लूटने वाले विज्ञापन टेलीविजन पर बेझिझक दिखाए जाते हैं।
कहते हैं कि किसी भी समाज का दर्शन उनके साहित्य में छुपा होता है। टेलीविजन के माध्यम से संगीत, साहित्य, कला, ज्ञान सभी को प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।
टेलीविजन पर 10 लाइन Few lines on Television in Hindi
नीचे पढ़ें टेलिविज़न पर 10 लाइन-
- टेलीविजन का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन लोगी बेयर्ड ने 1927 में किया था।
- पहली बार इसे 1934 में इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप दिया गया।
- भारत में पहली बार टेलीविजन का प्रचार 1950 में एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने किया था।
- 15 सितंबर 1959 को पहला टेलीविजन प्रयोग दूरदर्शन केंद्र दिल्ली में किया गया।
- भारत में टेलीविजन का पहला रंगीन प्रसारण 15 अगस्त सन 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के भाषण के साथ शुरू हुआ था।
- अस्सी से लेकर नब्बे के दशक में भारतीय सीरियल रामायण और महाभारत ने विश्व के कई रिकॉर्ड ध्वस्त किए थे।
- सन 1997 में टेलीविजन का सारा कामकाज प्रसार भारती को सौंप दिया गया था इसके बाद न्यूज़ बुलेटिन की शुरुआत हुई।
- 21 दिसंबर सन 1996 को संयुक्त राष्ट्र ने विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में घोषित किया।
- 21वीं सदी की शुरुआत में रंगीन टीवी और पतली टीवी का प्रचलन शुरू हुआ जो आज तक चल रहा है।
- भारत सरकार द्वारा एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को टेलीविज़न के माध्यम से दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में अपने टेलीविजन पर निबंध हिंदी में (Essay on Television in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको सरल तथा आकर्षक लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।
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टेलीविजन पर 10 लाइन | 10 Lines on Television in Hindi
10 Lines on Television in Hindi : इस लेख में, हमने टेलीविजन पर 10 लाइन प्रदान की हैं। यह आपके लिए सबसे अच्छा है। टेलीविजन विज्ञान का सबसे अद्भुत उपहार है।
यह एक अद्भुत यंत्र है। यह शिक्षाप्रद और मनोरंजक कार्यक्रमों का प्रसारण करता है। छात्रों को केवल शैक्षिक कार्यक्रम देखना चाहिए। यह अब अंतरराष्ट्रीय चैनलों से जुड़ा हुआ है। ताकि लोग दिन-रात टीवी देख सकें।
यही कारण है कि कुछ इसे पाठ्यक्रम मानते हैं। इसलिए हमें टीवी देखते समय बहुत सावधान रहना चाहिए। हम जानते हैं कि यह हमारे लिए उपयोगी है। इसलिए हमें टीवी का कम से कम और लाभदायक तरीके से उपयोग करना चाहिए।
Table of Contents
10 Lines on Television in Hindi for Kids
Pattern 1 – 10 Lines Essay or Shorts Essay is very helpful for classes 1, 2, 3, 4, and 5 Students.
- टेलीविजन एक अद्भुत साधन है।
- जॉन बेयर्ड ने इसे 1926 में आमंत्रित किया था।
- यह विद्युत धारा पर कार्य करता है।
- यह इन दिनों बहुत लोकप्रिय है।
- यह सूचना का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- टेलीविजन चित्र और ध्वनि दोनों देता है।
- हमारे देश में कई टेलीविजन स्टेशन हैं।
- लोग कहते हैं कि टेलीविजन मनुष्य को विज्ञान की देन है।
- कार्यक्रम उपग्रहों के माध्यम से प्रसारित किए जाते हैं।
- यह अब बहुत उपयोगी है।
10 Lines on Television in Hindi for Students
Pattern 2 – 10 Lines Essay or Shorts Essay is very helpful for classes 6, 7, 8, and 9 Students.
- टेलीविजन अब एक घरेलू शब्द है। हर गरीब के घर में टीवी है।
- यह एक जटिल मशीन है और बिजली से चलती है। हम एक बार में कार्यक्रमों को सुन और देख सकते हैं।
- हम घर बैठे फिल्म, डांस, ड्रामा और न्यूज देख सकते हैं।
- यह मनोरंजन का साधन है। कई बार लोग पूरा दिन टीवी देखने में बिता रहे हैं।
- बच्चों को पाठों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और उन्हें देखना चाहिए। यह इन दिनों बहुत लोकप्रिय है।
- हमें अपने देश में नवीनतम राजनीतिक और सामाजिक विकास के बारे में पता चलता है।
- यह हमें दुनिया के विभिन्न देशों के भूगोल और इतिहास के बारे में जानकारी देता है।
- टीवी का युवा दिमाग पर कुछ बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों को एनिमेटेड फिल्में और कार्टून शो बहुत पसंद होते हैं।
- हम विभिन्न देशों के लोगों की परंपराओं और रीति-रिवाजों के बारे में भी जानते हैं।
- सभी लोग अपनी कड़ी मेहनत के बाद टीवी देखना पसंद करते हैं। पढ़े-लिखे लोग टीवी पर खबरें देखना पसंद करते हैं।
Short Essay on Television in Hindi for Higher Class Students
Pattern 3 – 10 Lines Essay or Shorts Essay is very helpful for class 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.
टेलीविजन अब एक घरेलू शब्द है। हर गरीब के घर में टीवी है। यह एक जटिल मशीन है और बिजली से चलती है। हम एक बार में कार्यक्रमों को सुन और देख सकते हैं। हम घर बैठे फिल्म, डांस, ड्रामा और न्यूज देख सकते हैं। यह मनोरंजन का साधन है। कई बार लोग पूरा दिन टीवी देखने में बिता रहे हैं।
बच्चों को पाठों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और उन्हें देखना चाहिए। यह इन दिनों बहुत लोकप्रिय है। हमें अपने देश में नवीनतम राजनीतिक और सामाजिक विकास के बारे में पता चलता है। यह हमें दुनिया के विभिन्न देशों के भूगोल और इतिहास के बारे में जानकारी देता है।
टीवी का युवा दिमाग पर कुछ बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों को एनिमेटेड फिल्में और कार्टून शो बहुत पसंद होते हैं। हम विभिन्न देशों के लोगों की परंपराओं और रीति-रिवाजों के बारे में भी जानते हैं। सभी लोग अपनी कड़ी मेहनत के बाद टीवी देखना पसंद करते हैं। पढ़े-लिखे लोग टीवी पर खबरें देखना पसंद करते हैं।
10 Lines on Television in English for Class Students
Pattern 4 – 10 Lines Essay or Shorts Essay is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.
- It is a complex machine and runs on electricity. We can listen and watch programs at one go.
- Television is now a household word. There is TV in every poor house.
- I can watch movies, dance, drama and news sitting at home.
- It is a means of entertainment. Many times people are spending whole day watching TV.
- Kids should not ignore the lessons and must watch them. It is very popular these days.
- We get to know about the latest political and social developments in our country.
- It gives us information about the geography and history of different countries of the world.
- TV has some bad effects on the young mind. Kids love animated movies and cartoon shows.
- We also know about the traditions and customs of the people of different countries.
- Everyone likes to watch TV after their hard work. Educated people like to watch news on TV.
10 Lines on Television in Odia for Class Students
Pattern 5 – 10 Lines Essay or Shorts Essay is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.
- ଟେଲିଭିଜନ ବର୍ତ୍ତମାନ ଏକ ଘରୋଇ ଶବ୍ଦ | ପ୍ରତ୍ୟେକ ଗରିବ ଘରେ ଟିଭି ଅଛି |
- ଏହା ଏକ ଜଟିଳ ଯନ୍ତ୍ର ଏବଂ ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଉପରେ ଚାଲିଥାଏ | ଆମେ ଗୋଟିଏ ଥର ପ୍ରୋଗ୍ରାମ ଶୁଣିବା ଏବଂ ଦେଖିପାରିବା |
- ମୁଁ ଘରେ ବସି ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର, ନୃତ୍ୟ, ନାଟକ ଏବଂ ଖବର ଦେଖିପାରେ |
- ଏହା ମନୋରଞ୍ଜନର ଏକ ମାଧ୍ୟମ | ଅନେକ ଥର ଲୋକମାନେ ଦିନସାରା ଟିଭି ଦେଖିବାରେ ବିତାଉଛନ୍ତି |
- ପିଲାମାନେ ପାଠ୍ୟକୁ ଅଣଦେଖା କରିବା ଉଚିତ୍ ନୁହେଁ ଏବଂ ସେମାନଙ୍କୁ ଦେଖିବା ଜରୁରୀ | ଆଜିକାଲି ଏହା ବହୁତ ଲୋକପ୍ରିୟ ଅଟେ |
- ଆମ ଦେଶର ଅତ୍ୟାଧୁନିକ ରାଜନ political ତିକ ଏବଂ ସାମାଜିକ ବିକାଶ ବିଷୟରେ ଆମେ ଜାଣିବା |
- ଏହା ଆମକୁ ବିଶ୍ different ର ବିଭିନ୍ନ ଦେଶର ଭ ography ଗୋଳିକ ଏବଂ ଇତିହାସ ବିଷୟରେ ସୂଚନା ଦେଇଥାଏ |
- ଯୁବ ମନ ଉପରେ ଟିଭିର କିଛି ଖରାପ ପ୍ରଭାବ ପଡିଥାଏ | ପିଲାମାନେ ଆନିମେଟେଡ୍ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଏବଂ କାର୍ଟୁନ୍ ଶୋକୁ ଭଲ ପାଆନ୍ତି |
- ବିଭିନ୍ନ ଦେଶର ଲୋକଙ୍କ ପରମ୍ପରା ଏବଂ ରୀତିନୀତି ବିଷୟରେ ମଧ୍ୟ ଆମେ ଜାଣୁ |
- ସମସ୍ତେ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ ପରେ ଟିଭି ଦେଖିବାକୁ ପସନ୍ଦ କରନ୍ତି | ଶିକ୍ଷିତ ଲୋକମାନେ ଟିଭିରେ ଖବର ଦେଖିବାକୁ ପସନ୍ଦ କରନ୍ତି |
10Lines on Television in Telugu for Higher Class Student
Pattern 6 – 10 Lines Essay or Shorts Essay is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.
- టెలివిజన్ ఇప్పుడు ఇంటి మాట. ప్రతి పేదవారి ఇంట్లో టీవీ ఉంటుంది.
- ఇది సంక్లిష్టమైన యంత్రం మరియు విద్యుత్తుతో నడుస్తుంది. మేము ఒకేసారి ప్రోగ్రామ్లను వినవచ్చు మరియు చూడవచ్చు.
- నేను ఇంట్లో కూర్చొని సినిమాలు, డ్యాన్స్, డ్రామా మరియు వార్తలు చూడగలను.
- ఇది వినోద సాధనం. చాలా సార్లు ప్రజలు రోజంతా టీవీ చూస్తూ గడుపుతున్నారు.
- పిల్లలు పాఠాలను విస్మరించకూడదు మరియు వాటిని తప్పక చూడాలి. ఈ రోజుల్లో ఇది చాలా ప్రజాదరణ పొందింది.
- మన దేశంలోని తాజా రాజకీయ, సామాజిక పరిణామాల గురించి మనం తెలుసుకుంటాం.
- ఇది ప్రపంచంలోని వివిధ దేశాల భౌగోళికం మరియు చరిత్ర గురించి మాకు సమాచారాన్ని అందిస్తుంది.
- టీవీ యువత మనస్సుపై కొన్ని చెడు ప్రభావాలను చూపుతుంది. పిల్లలు యానిమేటెడ్ సినిమాలు మరియు కార్టూన్ షోలను ఇష్టపడతారు.
- వివిధ దేశాల ప్రజల సంప్రదాయాలు మరియు ఆచారాల గురించి కూడా మనకు తెలుసు.
- ప్రతి ఒక్కరూ తమ కష్టార్జితం తర్వాత టీవీ చూడటానికి ఇష్టపడతారు. విద్యావంతులు టీవీలో వార్తలు చూడడానికి ఇష్టపడతారు.
10 Lines on Television in Marathi for Higher Class Students
Pattern 7 – 10 Lines Essay or Shorts Essay is very helpful for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10,11 12, and Competitive Exams preparing Students.
- हे एक जटिल मशीन आहे आणि विजेवर चालते. आपण एकाच वेळी कार्यक्रम ऐकू आणि पाहू शकतो.
- टेलिव्हिजन हा आता घरगुती शब्द झाला आहे. प्रत्येक गरीब घरात टीव्ही आहे.
- मी घरी बसून चित्रपट, नृत्य, नाटक आणि बातम्या पाहू शकतो.
- ते मनोरंजनाचे साधन आहे. अनेक वेळा लोक संपूर्ण दिवस टीव्ही पाहण्यात घालवतात.
- मुलांनी धड्यांकडे दुर्लक्ष करू नये आणि ते पहावे. हे आजकाल खूप लोकप्रिय आहे.
- आपल्या देशातील ताज्या राजकीय आणि सामाजिक घडामोडींची आपल्याला माहिती मिळते.
- त्यातून आपल्याला जगातील विविध देशांचा भूगोल आणि इतिहासाची माहिती मिळते.
- तरुण मनावर टीव्हीचे काही वाईट परिणाम होतात. मुलांना अॅनिमेटेड चित्रपट आणि कार्टून शो आवडतात.
- विविध देशांतील लोकांच्या परंपरा आणि चालीरीतीही आपल्याला माहीत आहेत.
- प्रत्येकाला आपल्या मेहनतीनंतर टीव्ही पाहणे आवडते. सुशिक्षित लोकांना टीव्हीवर बातम्या पाहायला आवडतात.
Last word on Television
हमने टेलीविजन पर 10 लाइन के नीचे उल्लेख किया है। यह निबंध आपके लिए बहुत उपयोगी है। प्रिय बच्चों और छात्रों के लिए यह निबंध बहुत ही सरल और याद रखने में आसान है।
ये टिप्स और ट्रिक्स छात्रों को टेलीविजन पर एक आदर्श निबंध लिखने में मदद करेंगे। यह निबंध छात्रों को अपना होमवर्क प्रभावी तरीके से करने में बहुत मदद करता है।
मुझे विश्वास है कि यह पंक्ति वास्तव में उनकी पढ़ाई में मदद करेगी। मुझे आशा है कि यह निबंध आपके लिए और आप की तरह बहुत उपयोगी है।
अन्य पोस्ट देखें – Short Essay / 10 Lines Essay .
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References Links:
- https://en.wikipedia.org/wiki/Television
- https://www.britannica.com/technology/television-technology
- https://cs.mcgill.ca/~rwest/wikispeedia/wpcd/wp/t/Television.htm
One Comment
I really liked your post.Really thank you! Will read on…
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- Essay On Advantages And Disadvantages Of Television
Essay on Advantages and Disadvantages of Television
500+ words essay on advantages and disadvantages of television.
In today’s world, communication is a crucial aspect of life. Technological advancements made communication more accessible and cheaper. Among all the communication devices such as smartphones, radios, and emails, television is the prominent and common medium for communication. We get to see television in every household. It is an integral part of our society that significantly impacts our social, educational, and cultural life. It reaches a mass audience and provides information about the daily happenings in the world. Furthermore, it is a common source of entertainment among family members.
John Logie Baird invented the television in the 1920s. The word “tele” means distance, and “vision” means to see, which means to watch it from a distance. When television was invented, it showed only pictures of low resolution. But, later on, televisions were modified with the latest technologies. Televisions that we purchase today come with multiple features. We can connect our phone, laptop, tab, and internet access various online apps, HD/UHD quality pictures, 4k-8k resolutions, etc.
We can also watch various educational channels on television. It also keeps us updated by providing news about the world through different news channels. Along with information, it also entertains us with movies, serials, dramas, reality shows, music channels, yoga channels, etc.
So, having a television at home seems to be a great advantage, but the disadvantages are also threatening. The time it consumes from our day-to-day life is more. You can see people going out of routine or postponing schedules if they become addicted to watching television.
Here, in the essay, we will discuss the advantages and disadvantages of watching television.
Advantages of Television
Television comes with enormous advantages. The most important is it gives us information about current affairs and events across the globe. This information is broadcasted through various news channels, which helps us to keep ourselves updated about recent happenings. It also shares information about multiple programmes or facilities launched by the government. The government also take the help of news channels to communicate with the mass.
We can watch daily soaps, reality shows, music channels, movies, etc. We can also watch food channels and try out recipes at home. During the morning time, if you switch on the television, you will get to watch telemarketing ads. Specific channels broadcast only ads for multiple products, and people can also buy them.
Children can watch various cartoons on the television. Some cartoons teach children about moral values and lessons. It also keeps us informed about the economic condition and the stock market. We also get to watch various fashion shows and keep updated about the latest trends on television.
Earlier, television was costly, but now it comes at an affordable price with multiple features. Now, we get the option to subscribe to our favourite channels and only need to pay for those channels. Educational programmes are also available on television. We can also watch live cricket shows and cheer for our country. Television also telecasts interviews of various political leaders, celebrities, influencers, famous personalities, etc. We can also gain knowledge by watching various quiz programmes.
Television provides opportunities to spend time with our family and friends. We can enjoy watching a movie together. Various channels telecast comedy shows that help us keep positivity in our lives. We also watch movies in different regional languages like Tamil, Kannada, Telugu, etc. It helps us connect with people from diverse backgrounds.
Nowadays, we can also play games on the television and watch agricultural programmes specially designed for the farmers. It promotes national integration.
Disadvantages of Television
There are advantages of watching television, but it also comes with disadvantages. Watching too much TV affects our mental and physical health. When we watch television continuously, it affects our eyes and makes us lazy. Even there are some programmes which are not suitable for kids. We even compromise our sleep to watch TV. Children lose their concentration on their studies by watching too much television. Children prefer to watch TV over reading books to spend their leisure time.
Conclusion of Essay on Advantages and Disadvantages of Television
There are advantages and disadvantages of television. If television is helpful, it is harmful too. One should not watch television excessively.
We hope you found this essay on the advantages and disadvantages of television helpful. Check BYJU’S for more such CBSE Essays on different topics. You can also find CBSE study materials and resources for Classes 1 to 12.
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टेलीविजन पर निबंध essay on television in hindi.
टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi television essay in hindi टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi टेलीविजन दर्शन मनोरंजन का एक अद्भुत साधन है। बच्चे, बूढ़े, युवा सभी बैठे एक साथ अपना मनोरंजन टेलीविजन-दर्शन से कर लेते हैं। एक व्यक्ति दिन के काम से जब बेहद थक जाता है तो वह अपने कमरे में जाकर टेलीविजन सैट खोल देता है और संगीत व नृत्य में डूब जाता है या समाचार व टिप्पणियों के माध्यम से अपने सामान्य ज्ञान में वृद्धि करता है। इस प्रकार टेलीविजन-दर्शन से प्रशिक्षण व मनोरंजन दोनों की प्राप्ति होती है।
टेलीविजन पर निबंध Essay on Television in Hindi
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टेलीविजन के लाभ और हानि पर निबंध - Television Ke Labh Aur Hani Essay in Hindi
Television ke labh aur hani essay in hindi.
टेलीविजन हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है आजकल हर रोज स्कूल कॉलेज और दफ्तर से लौटकर शाम को सब टीवी देखने लग जाते हैं, जहां टेलीविजन के लाभ हैं वहीं हानि भी है।
आज टीवी मनोरंजन का सस्ता साधन बन गया है बाजारों में दस हजार से लेकर लाखों रुपए के tv आने लगे हैं। Tv खरीदने के बाद इसमें घंटों तक धारावाहिक, संगीत, समाचार, फिल्में, tv शो आदि देखना लोगों को खूब पसंद है।
टेलीविजन का फायदा यह है की हमें इससे देश - दुनिया की खबरें तुरंत पता चलता है। मनोरंजन टीवी चैनल्स का लाभ और रेसिपी बनाना सीखने वाले चैनल्स का फायदा जिससे घर पर विभिन्न नए व्यंजन बनाना सीखा जाता है। टीवी पर प्रसारित होने वाले पारिवारिक धारावाहिक जिसे घर के सदस्य साथ बैठकर देखते हैं इसकी वजह से फैमिली मेंबर्स साथ बैठकर अच्छा वक्त बिता पाते हैं।
टेलीविजन ने कितनों को कार्य का अवसर दिया है, टीवी पर आने वाले कलाकारों को इससे काम मिलता है उनके अभिनय देखकर दर्शक आनंदित होते हैं। एडवरटाइजिंग एजेंसी टीवी पर विज्ञापन दिखाते हैं इससे उनके ब्रांड का प्रमोशन होता है, मार्केट में आने वाले उत्पादों को जल्दी प्रचलित करने के लिए टीवी पर नए - नए विज्ञापन दिखाए जाते हैं इससे कंपनियों को भी फायदा मिलता है।
हमें टेलीविजन के दोनों पहलू पर नजर डालना होगा इसके बहुत से फायदे हैं तो नुकसान भी है। टीवी पर इंटरटेनमेंट के लिए अनेकों कार्यक्रम आते हैं इसलिए जो लोग दिनभर घर में रहते है वे इसमें घंटों तक शो देखते हैं, ज्यादा देर तक सामने बैठकर टीवी देखने से आँखो को नुकसान पहुंचता है।
टेलीविजन पर बच्चे बहुत देर तक कार्टून शो देखते हैं जिसके कारण उनका होमवर्क पूरा नहीं हो पाता। परीक्षा की तैयार के समय भी टीवी चलाते रहने से बच्चे पढ़ाई में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, इससे अध्ययन करने वाले छात्रों का ध्यान भटकता है।
टेलीविजन पर कॉमेडी शो देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है किंतु नकारात्मक खबरें देख और सुनकर इसका प्रभाव हमारे सोच पर पड़ता है और हम भी नकारात्मक सोचने लगते हैं। Tv पर कुछ लोग कुछ भी देखकर टाइम बिताते रहते हैं इससे वे अपने समय का सदुपयोग नहीं कर पाते।
समय के साथ टीवी पर कई सीरियल आ गए हैं कुछ कार्यक्रम ऐसे आते हैं जिन्हें परिवार के साथ देखने में सहज महसूस नहीं होता, बच्चे भी टीवी देखते हैं ऐसे में अनुपयुक्त दृश्य उन पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
पहले सभ्य कार्यक्रम आते थे जो भारतीय संस्कृतियों को बढ़ावा देते थे अब बहुत कम ऐसे धारावाहिक देखने को मिलते हैं।
टीवी का नियंत्रण व्यक्ति के पास है वह उसका उचित उपयोग कर सकता है। जो लोग देर तक जागकर टीवी देखते हैं उन्हें टीवी बंद करके जल्दी सोना चाहिए। अत्यंत जरूरी काम, खाना पकाने के समय और अध्ययन के समय टीवी बंद कर देना चाहिए। बेकार के कार्यक्रम देखने के बजाय टीवी पर सकारात्मक दृश्य तथा ज्ञानप्रद जानकारी देखनी - सुननी चाहिए।
उम्मीद करता हूं आपको टेलीविजन के लाभ और हानि पर निबंध पसंद आया होगा, मैने इस ब्लॉग पर अन्य विषयों पर भी निबंध लिखा है उन्हें भी अवश्य पढ़ें :-
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Essay On Importance Of Television:टेलीविजन का महत्व
- July 7, 2020
- Hindi Essay
Essay On Importance Of Television in Hindi : टेलीविजन का महत्व निबन्ध
Essay On Importance Of Television
टेलीविजन का महत्व पर हिन्दी निबन्ध.
Content / संकेत बिन्दु / विषय सूची
प्रस्तावना
- टेलीविजन का महत्व (Importance of Television)
- टेलीविजन से लाभ (Advantages from Television)
- टेलीविजन से हानि (Disadvantages from Television)
टेलीविजन के आविष्कार को हम “विज्ञान का चमत्कार” या “विज्ञान की अनोखी देन” कहें तो अतिश्योक्ति नही होगी ।टेलीविजन के माध्यम से हमें देश , दुनिया की हर खबर पलक झपकते ही मिल जाती हैं। विज्ञान के इस आविष्कार ने लोगों का मनोरंजन करने , उन्हें ज्ञान विज्ञान की बातों सिखाने तथा दुनिया भर की खबरें व जानकारी देने की जिम्मेदारी बखूबी उठाई है।
टेलीविजन का आविष्कार स्कॉटिश इंजीनियर और अन्वेषक जाॅन लाॅगी बेयर्ड (John Logie Baird) ने किया था।
टेलीविजन का महत्व (Essay On Importance Of Television)
टेलीविजन का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि आज हर घर में कुछ हो ना हो लेकिन टेलीविजन अवश्य होता है। इसका स्थान हर घर में एक सदस्य के जैसे ही है।जो बिना रुके बिना थके लोगों का मनोरंजन करता हैं। मजे की बात यह है कि इस टेलीविजन में हर वर्ग की रूचि के अनुसार कुछ ना कुछ कार्यक्रम अवश्य मिल जाएगा।
जहाँ एक ओर बुजुर्ग लोगों के लिए धार्मिक प्रोग्राम या भजनों के कार्यक्रम आते हैं। वही दूसरी ओर युवा वर्ग के लिए उनके मनपसंद के कार्यक्रम मिल जाएंगे। महिलाओं के लिए उनकी रूचि के अनुसार कई सारे सीरियल दिनभर चलते रहते हैं। इसी तरह बच्चों के लिए कार्टून चैनलों की भरमार है।
यानी एक टीवी घर के हर सदस्य की “अलादीन के चिराग” की तरह इच्छाएं पूरी करता है और उनका भरपूर मनोरंजन करता हैं। किसी को भी निराश नहीं करता है।
शुरू शुरू में टेलीविजन सिर्फ श्वेत श्याम (Black And White ) होते थे। लेकिन अब तो टेलीविजन की दुनिया पूरी तरह से रंगीन है।और रंगीन टेलीविजन को देखने का मजा ही कुछ और हैं।
पहले सिर्फ रेडियो ही हुआ करते थे। लेकिन टेलीविजन के आने के बाद बहुत बदलाव आया। क्योंकि रेडियो व टेलीविजन में बहुत बड़ा अंतर है। रेडियो पर केवल आवाज ही सुनाई देती है। जबकि टेलीविजन में हम आवाज के साथ-साथ दृश्य भी देख सकते हैं।
टेलीविजन के पर्दे में हम कलाकारों को एक साथ नाचते-गाते , बोलते , संवाद व अभिनय करते देख सकते हैं।
पहले टेलीविजन में सिर्फ एक चैनल दूरदर्शन हुआ करता था। दूरदर्शन यानी दूर की चीजों को सामने दिखाना। दरअसल पहले सिर्फ दूरदर्शन समाचारों के साथ साथ उनसे संबंधित दूर-दूर की घटनाओं को हमारे सामने पेश करता है। इसीलिए इसका नाम दूरदर्शन पड़ा।
लेकिन अब तो टेलीविजन में चैनलों की बाढ़ सी आ गयी हैं। और हर चैनल अलग तरह के कार्यक्रमों को पेश करता है। जैसे कोई चैनल भक्ति से संबंधित कार्यक्रमों को पेश करता है तो कोई चैनल फिल्मों को दिखाता है।इसीलिए हर चैनल के अपने अलग दर्शक वर्ग हैं।
आजकल तो समाचार चैनल भी चौबीसों घंटे दुनिया भर के समाचारों या खबरों को पल भर में आपके सामने पेश कर देते हैं। और यह समाचार चैनल 24/7 चलते रहते हैं। आज हम समाचारों के साथ-साथ उनसे संबंधित हर घटना के दृश्य को आराम से टेलीविजन के पर्दे पर देख सकते हैं।
टेलीविजन से लाभ (Advantages Of Television)
टेलीविजन मनोरंजन का एक अनोखा खजाना है। इसमें तरह-तरह के कार्यक्रम दिखाई जाते हैं। चाहे क्रिकेट हो या फुटबॉल या और तरह के खेल , वो चाहे दुनिया के किसी भी कोने में खेले जा रहे हो। हम उन्हें घर बैठ कर आराम से देख सकते हैं।
टेलीविजन में तरह-तरह के कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। जैसे नृत्य , नाटक , सीरियल ,फिल्में , कवि सम्मेलन , मुशायरे आदि अनेक कार्यक्रम टेलीविजन पर दिखाए जाते हैं।
आजकल तो टेलीविजन पर विभिन्न प्रकार के भोजन बनाने की विधियां , हस्तकला से जुड़े सामानों को आसानी से बनाना भी सिखाया जाता है। इसके अलावा टेलीविजन पर विविध विषयों पर चर्चा की जाती है जिनके माध्यम से हमें अनेक जानकारियां मिलती हैं।
टेलीविजन समाज और राष्ट्र को जागृत करने का एक सशक्त माध्यम है।अच्छे कार्यक्रम दर्शकों के मन में बहुत अच्छा प्रभाव डालते हैं।
चुनाव के वक्त भी टेलीविजन अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दहेज प्रथा , ऊंच-नीच , भेदभाव तथा सामाजिक व धार्मिक संकीर्णता को दूर करने के लिए टेलीविजन सबसे सशक्त माध्यम है।
टेलीविजन में प्रसारित होने वाले रामायण और महाभारत जैसे सीरियलों ने हमारी संस्कृति का परिचय हमारे नव युवकों व बच्चों से कराया। इसके माध्यम से हमारे बच्चों ने हमारे पूर्वजों की संस्कृति को जाना व पहचाना।
टेलीविजन का एक और रूप हाल ही में हमारे सामने आया है। वह हैं इसके माध्यम से ऑनलाइन पढाई। टेलीविजन ना सिर्फ मनोरंजन प्रदान करता है बल्कि हाल ही में जब कोरोनावायरस की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन हुआ। और सारे स्कूल कॉलेज बंद हो गए।
तब सरकार ने टेलीविजन के दूरदर्शन चैनल के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की अनोखी पहल की। इसके माध्यम से उन्होंने गणित , विज्ञान , अंग्रेजी , हिंदी विषयों का बेहतरीन शिक्षकों के द्वारा पठन-पाठन जारी रखा। ताकि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना होने पाए। और सरकार का यह प्रयास सफल व सराहनीय भी रहा।घर बैठे बैठे दूरदर्शन के माध्यम से हजारों बच्चों ने अपनी पढ़ाई को बिना किसी रूकावट के जारी रखा।
टेलीविजन से हानि (Disadvantages Of Television)
जहां टेलीविजन के हजार सकारात्मक पहलू है। वही टेलीविजन के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। जहां बड़े बुजुर्गों के लिए टेलीविजन समय काटने का एक अच्छा सा साधन है।
वही बच्चों के लिए टेलीविजन से बहुत समय तक चिपके रहना अच्छा नहीं है। इससे उनकी पढ़ाई का भी नुकसान होता है। और लगातार टेलीविजन देखने से आंखों की रोशनी भी कम होने की संभावना रहती है। समय भी बर्बाद होता है।सीमित समय के लिए टेलीविजन देखना ही बच्चों के हित में है। हाँ अगर कोई ज्ञानवर्धक कार्यक्रम बच्चों को अवश्य देखना चाहिए।
कई बार टेलीविजन के सीरियलों में फूहड़ता अधिक दिखाई जाती है। राजनैतिक या धार्मिक भावनाओं को उत्तेजित करने वाले कार्यक्रमों को भी दिखाया जाता है जिसका समाज के लोगों पर गलत असर पड़ता है।
अधिकतर टीवी सीरियल में सास बहू से संबंधित कार्यक्रमों को दिखाया जाता है जिनमें कई बार घर में लड़ाई-झगड़े व फूट डालने वाले कार्यक्रम को दिखाया जाता है जो लोगों के मन में गलत असर डाल देते है।
समाचार चैनल एक दूसरे से आगे रहने की होड़ में कई बार गलत ख़बरों या सनसनी ख़बरों को प्रसारित कर देते हैं जिसे कई बार अनावश्यक रूप से माहौल खराब हो जाता है।
उपसंहार (Essay On Importance Of Television)
टेलीविजन आज घर-घर की आवश्यकता बन गया है। इसने हर घर में एक सदस्य के जैसी भूमिका निभानी शुरू कर दी है जो लोगों के खराब मूड को भी सही कर उनका मनोरंजन करता है।
एक ओर जहां ये बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धक चीजें भी उपलब्ध कराता है। वहीं दूसरी ओर परिवार के प्रत्येक सदस्य का कुछ न कुछ मनपसंद कार्यक्रम अवश्य प्रस्तुत करता है। टेलीविजन में घर के प्रत्येक सदस्य के लिए कुछ ना कुछ मनोरंजक कार्यक्रम अवश्य होता है। इसीलिए टेलीविजन आज घर-घर की आवश्यकता है। इसके बिना अब घर सूना सा लगने लगता है।
Essay On Importance Of Television : टेलीविजन का महत्व निबन्ध
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टेलीविजन पर निबंध – Television Essay in Hindi
Television Essay in Hindi
टेलीविजन, विज्ञान की सबसे अच्छी खोजों में से एक है, टेलीविजन न सिर्फ मनुष्य के मनोरंजन करने का एक सशक्त साधन है, बल्कि यह मनुष्य के ज्ञान को बढ़ावा देने और देश-दुनिया में घटित हो रही घटनाओं से अपडेट रखने में भी अपनी अहम भूमिका निभाता है, टेलीविजन, को विज्ञान के सबसे शानदार उपलब्धि मानते हुए कई बार स्कूल- कॉलेजों में बच्चों को इस पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।
इसलिए आज हम अपने इस पोस्ट में टेलीविजन जैसे अतिसृजनात्मक विषय पर अलग-अलग शब्द सीमा में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं, साथ ही इसके उपयोगिता, महत्व, लाभ और इससे पड़ने वाले दुष्परिणामों को अपने बच्चों को समझा सकते हैं –
मनोरंजन और ज्ञान-विज्ञान के प्रचार का सबसे सशक्त माध्यम टेलीविजन, विज्ञान की एक अनूठी, अतिमहत्वपूर्ण और शानदार खोजों में से एक है। टेलीविजन मनुष्य की इस भागदौड़ भरी जिंदगी की थकान को मिटाकर उसे मानसिक रुप से शांति प्रदान करता है, और व्यक्ति को फिर से तारो-ताजा कर फिर से काम करने की ऊर्जा भरता है।
इसके माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने का हाल व्यक्ति पल भर में जान लेता है, साथ ही टेलीविजन पर प्रसारित कई धारावाहिकों के माध्यम से अपनी संस्कृति और सभ्यता के महत्व को जानने में सहायता मिलती है और समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का मौका मिलता है।
इसके साथ ही टेलीविजन में खेल जगत, सिनेमा जगत, राजनीति, सामाजिक, अध्यात्मिक, धर्म, ज्योतिष,शिक्षा, ज्ञान आदि सभी विषयों का समावेश है, जिसे लोग अपनी रुचि और जरूरत के मुताबिक देख सकते हैं और इसका आनंद उठा सकते हैं।
टेलीविजन का अर्थ, उत्पत्ति और विस्तार – Television Meaning
टेलीवजिन दो शब्दों से मिलकर बना है -टेली और विजन। जिसका अर्थ होता है दूर के द्श्यों अथवा तमाम सुंदर और विचित्र चित्रों का आंखों के सामने उपस्थित होना।
इसीलिए इसे हिन्दी में दूरदर्शन कहते हैं। वहीं टेलीविजन को रेडियो की तकनीक का विकसित रुप मानते हैं, जिस तरह रेडियो में व्यक्ति देश-दुनिया की सभी खबरों से खुद को अप टू डेट रख सकता है और रेडियो में प्रसारित होने वाले कई तरह के जोक्स और गानों को सुनकर अपना मनोरंजन कर सकता है, उसी तरह टेलीविजन के माध्यम भी व्यक्ति मनोरंजन के साथ-साथ अपने ज्ञान टीवी में देखकर और सुनकर बढ़ा सकता है।
आपको बता दें साल 1925 में ब्रिटेन के जॉन एल. बेयर्ड ने इस शानदार खोज टेलीविजन का पहली बार प्रयोग किया था।
इसके बाद साल 1926 में उन्होंने टीवी की खोज की, वहीं भारत में पहली बार साल 1959 को दूरदर्शन का प्रसारण किया गया था, शुरुआत में यह काफी मंहगा था, लेकिन अब इसकी पहुंच हर घर तक हो गई है, और अब किफायती दरों में भी टेलीविजन को अपनी जरूरत के मुताबिक खरीदा जा सकता है। यही वजह है कि अब टेलीविजन की जड़े पूरी दुनिया में फैली हुईं और अब ये हर घर की एक जरूरत बन चुकी है।
जो लोग टेलीविजन एक तय समय के लिए ही देखते हैं तो ऐसे लोगों के लिए टेलीविजन मन की शांति और आराम प्रदान करता है, वहीं जो लोग टेलीविजन देखने के आदि हो चुके हैं और टेलीविजन देखने के कारण अपने अमूल्य समय को नष्ट करते हैं, ऐसे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी तमाम नुकसान भी भुगतने पड़ते हैं। इसलिए टेलीविजन देखने के लिए एक निश्चत समय का निर्धारित करना चाहिए, तभी वास्तविक रुप से हम सब इसका आनंद ले सकेंगे।
टेलीविजन पर निबंध नंबर – Essay on TV in Hindi
प्रस्तावना-
ब्रिटेन के जॉन एल. बेयर्ड द्धारा किया गए टेलीविजन के अविष्कार से मनोरंजन जगत में एक नई क्रांति आई है। टेलीविजन से न सिर्फ फिल्म जगत तरक्की कर रहा है, बल्कि टेलीविजिन आज मनोरंजन का और मनुष्य के ज्ञान के प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम बन चुका है।
टेलीविजन की बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों के लिए अलग-अलग उपयोगिता हैं, वहीं अब टेलीविजन हर घर में अपना स्थान बना चुका है, वहीं दूसरे शब्दों में कहें तो, टेलीविजन आज मनुष्य की जरूरत बन चुका है।
टेलीविजन के लाभ – Advantages of Television
टेलीविजन के लाभ इस प्रकार हैं-
देश-दुनिया की खबरों से अपडेट रखने का एक बेहतर जरिया:
टेलीविजन, में कई ऐसे न्यूज चैनलों का प्रसारण होता है, जो कि हमें देश -दुनिया में घटित हो रहे सभी समाचारों से अपडेट रखते हैं। जिसमें किसी विशेष व्यक्ति, छोटी-बडी़ संस्थान से जुड़ी खबरें, खेल जगत, मौसम जगत, अपराधिक घटनाएं, देश-विदेश के विकास,आर्थिकी समेत अन्य तमाम खबरें शामिल हैं।
मनोरंजन का सबसे सशक्त माध्यम:
टेलीविजन, मनोरंजन का सबसे बेहतर, सस्ता और अच्छा साधन है, टेलीविजन के माध्यम से सभी उम्र वर्गों के लोग, अपनी-अपनी रुचि और जरूरत के मुताबिक प्रोग्राम देखकर अपना मनोरंजन कर सकते हैं।
मनुष्य के ज्ञान को बढ़ाने का बेहतर माध्यम:
आजकल टीवी चैनलों में कई ज्ञानवर्धक प्रोग्राम का प्रसारण किया जाता है, इसके साथ ही बच्चों को इंग्लिश स्पीकिंग क्लासेस भी दी जाती है, कॉ्म्पटीटिव एग्जाम आदि के पाठ्यक्रमों के टॉपिक वाइज दिखाया जाता है, जिससे बच्चों को कई टॉपिक को समझने में सहायता मिलती और वे अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं।
मानसिक तनाव को दूर करने में करता है सहायता:
दिन-भर की भागदौड़ करने के बाद जब इंसान घर आता है तो टेलीविजन देखकर कुछ पल अपनी सभी परेशानियों और तकलीफों को भूल जाता है और जिससे वह फ्रेश फील करता है, और उसे अपने मानसिक तनाव को दूर करने में सहायता मिलती है, इसके साथ ही टेलीविजन मनुष्य के खाली वक्त का भी एक अच्छा मित्र है।
घर बैठे देख सकते हैं स्टेडियम की तरह लाइव मैच:
टेलीविजन में कई स्पोर्ट्स चैनलों का टेलीकास्ट किया जाता है, जिससे घर बैठे-बैठे देश-दुनिया में हो रहे क्रिक्रेट मैच, फुटबॉल मैच, बैडमिंटन आदि खेलों का लाइव प्रसारण देख कर लुफ्त उठा सकते हैं।
इसके अलावा बच्चों के लिए कई कार्टून टीवी चैनलों का भी प्रसारण किया जाता है, इसके साथ ही बुजुर्गों को अध्यात्मिक दुनिया में पहुंचाने का भी यह एक अच्छे माध्यम के तौर पर उभरा है।
दरअसल कई धर्म और आस्था से जुड़े टीवी चैनलों का प्रसारण किया जाता है, जिसमें कई धार्मिक प्रोग्राम्स का टेलीकास्ट किया जाता है। इसके अलावा कृषि से जुड़े भी कई कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है, जिससे किसानों को मौसम जगत और अच्छी फसल उगाने की जानकारी प्राप्त होती है।
टेलीविजन के कई और लाभ भी है, जिसका फायदा इंसान अपनी-अपनी जरुरत के मुताबिक उठा सकता है।
टेलीविजन के दुष्परिणाम – Disadvantages of Television
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी तरह टेलीविजिन के भी है, इसके दुष्परिणामों के बारे में नीचे लिखा है –
आंखों की रोशनी कम होने का खतरा:
जरुरत से ज्यादा टीवी देखने पर इसका आंखों पर बुरा असर पड़ता है, जिससे मनुष्य की आंखों की रोश्नी कम होने का खतरा भी बढ़ जाता है, इसलिए बहुत पास से टीवी नहीं देखना चाहिए।
ज्यादा टीवी देखना देता है बीमारियों को दावत:
जो लोग हरदम टेलीविजन से चिपके रहते हैं और एक ही मुद्रा पर बैठकर टीवी देखते रहते हैं, तो ऐसे लोगों को हार्ट संबंधी रोग और हायपरटेंशन होने का खतरा बढ़ जाता है।
वहीं टीवी देखने के वक्त कई लोग अपने भोजन के समय को याद नहीं रखते, जिससे उनका खान-पान अनियमित हो जाता है, और वे कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इसके साथ ही टीवी देखते-देखते खाना खाने की आदत व्यक्ति के मोटापे का कारण बनती है, क्योंकि टीवी देखते समय लोग ज्यादा खा लेते हैं।
समय की बर्बादी:
खाली वक्त में टीवी देखना तो सही है, लेकिन कुछ लोग अपने पसंदीदा टीवी प्रोग्राम या फिर फिल्म देखने के कारण अपने महत्वपूर्ण काम भी नहीं कर पाते हैं। तो वहीं कई छात्र एग्जाम के वक्त भी टीवी से चिपके रहते हैं, जिससे काफी समय की बर्बादी होती है।
कुछ टीवी प्रोग्राम बच्चों पर डालते हैं बुरा प्रभाव:
टेलीविजन पर कई ऐसी फिल्में और टीवी प्रोग्राम प्रसारित किए जाते हैं, जिनसे बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है और अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही कुछ ऐसे विज्ञापन दिखाए जाते हैं जो बच्चों के लिए बिल्कुल भी सही नहीं होते।
टेलीविजन, वास्तव में विज्ञान का एक बेहद अच्छा अविष्कार है, लेकिन जब तक लोगों को इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि अति हर चीज की बेकार होती है, वैसे ही टेलीविजन की भी है, टेलीविजन ज्यादा देखने पर आंखों पर तो बुरा प्रभाव पड़ता है, साथ ही कीमती समय की भी काफी बर्बादी होती है, जिसके चलते मनुष्य को इसका नुकसान उठाना पड़ता है।
इसलिए हम सभी तो टेलीविजन देखने के लिए एक निर्धारित समय तय करना चाहिए, और ऐसे प्रोग्राम चुनने चाहिए जो हमारे मन को अच्छे लगें और मस्तिष्क को शांति प्रदान करें।
टेलीविजन पर निबंध – Television par Nibandh
टीवी के इस महान अविष्कार से न सिर्फ व्यक्ति को मनोरंजन का एक सशक्त माध्यम मिला है, बल्कि यह एक बड़ा उद्योग के रुप में भी उभरा है। पिछले कुछ सालों में इससे प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों मे तो बढ़ोतरी हुई ही है, साथ ही कई चैनलों, प्रोडक्शन हाउस, स्टूडियो, एक्टिंग एकेडमी आदि की संख्या भी बढ़ गई है।
वहीं टेलीविजन के माध्यम से अब व्यक्ति को घर बैठे-बैठे देश-दुनिया के बारे में जानने में आसानी हुई है और खुद को अपडेट रखने में सहायता मिली है।
टेलीविजन का महत्व – Importance of Television
टेलीविजन का हर किसी के लिए अलग-अलग महत्व है। बच्चों के द्धारा कार्टून चैनल पर प्रसारित किए जाने वाले प्रोगाम्स काफी पसंद किए जाते हैं, अब इन प्रोग्राम के कैरेक्टर्स ने कॉमिक्स बुक के कार्टून कैरेक्टर की जगह ले ली है तो वहीं छात्रों के लिए यह शिक्षा ग्रहण करने का बेहतर माध्यम से हैं, क्योंकि अब टेलीविजन पर कई ऐसे शैक्षणिक प्रोग्राम प्रसारित किए जाते हैं, जिससे छात्र शिक्षा ग्रहण कर अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं, इसके साथ ही उन्हें टेलीविजन के माध्यम से कई कठिन से कठिन टॉपिक को आसानी से समझने में भी सहायता मिलती है।
युवाओं के लिए टेलीविजन का अपना एक अलग महत्व है, ज्यादातर युवा टीवी पर प्रसारित होने वाली फिल्में, टीवी शो आदि का आनंद लेते हैं, इसके साथ ही इसे देखकर अपने मानसिक तनाव को दूर करते हैं।
वहीं टेलीविजन का बड़े-बुजुर्गों के लिए एक अलग महत्व है, वे अपने खाली वक्त में टेलीविजन देखकर अपने मन को बहलाते हैं, साथ ही इस पर प्रसारित होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से अध्यात्मिकता की ओर बढ़ते हैं।
टेलीविजन के माध्यम से हर क्षेत्र की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है, साथ ही किसी भी देश की संस्कृति और परंपरा से जुडे़ कार्यक्रमों को दिखाकर लोगों को जागरूक किया जा सकता है,और लोगों का इसके माध्यम से सही मार्गदर्शन करने में भी सहायता मिलती है।
वहीं टेलीविजन के एक बड़े उद्योग के रुप में विकसित होने से देश की आर्थिकी को भी बढ़ावा मिला है और रोजगार के नए विकल्पों का निर्माण हुआ है, इसके कई सारे फायदे हैं, लेकिन इसे अपनी जरूरत के मुताबिक ही देखना चाहिए, अन्यथा इसका स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।
- Who Invented Television
- Who Invented the Telephone
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1 thought on “टेलीविजन पर निबंध – Television Essay in Hindi”
Thak you so so much!:)
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Essay on Television for Students and Children
500+ words essay on television.
Television is one of the most popular devices that are used for entertainment all over the world. It has become quite common nowadays and almost every household has one television set at their place. In the beginning, we see how it was referred to as the ‘idiot box.’ This was mostly so because back in those days, it was all about entertainment. It did not have that many informative channels as it does now.
Moreover, with this invention, the craze attracted many people to spend all their time watching TV. People started considering it harmful as it attracted the kids the most. In other words, kids spent most of their time watching television and not studying. However, as times passed, the channels of television changed. More and more channels were broadcasted with different specialties. Thus, it gave us knowledge too along with entertainment.
Benefits of Watching Television
The invention of television gave us various benefits. It was helpful in providing the common man with a cheap mode of entertainment. As they are very affordable, everyone can now own television and get access to entertainment.
In addition, it keeps us updated on the latest happenings of the world. It is now possible to get news from the other corner of the world. Similarly, television also offers educational programs that enhance our knowledge about science and wildlife and more.
Moreover, television also motivates individuals to develop skills. They also have various programs showing speeches of motivational speakers. This pushes people to do better. You can also say that television widens the exposure we get. It increases our knowledge about several sports, national events and more.
While television comes with a lot of benefits, it also has a negative side. Television is corrupting the mind of the youth and we will further discuss how.
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How Television is Harming the Youth
Additionally, it also makes people addict. People get addicted to their TV’s and avoid social interaction. This impacts their social life as they spend their time in their rooms all alone. This addiction also makes them vulnerable and they take their programs too seriously.
The most dangerous of all is the fake information that circulates on news channels and more. Many media channels are now only promoting the propaganda of the governments and misinforming citizens. This makes causes a lot of division within the otherwise peaceful community of our country.
Thus, it is extremely important to keep the TV watching in check. Parents must limit the time of their children watching TV and encouraging them to indulge in outdoor games. As for the parents, we should not believe everything on the TV to be true. We must be the better judge of the situation and act wisely without any influence.
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Hindi Essay | हिंदी में निबंध for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12
Hindi essay for classes 3 to 12 students.
Benefits of essay writing:
To be efficient in any language it is crucial to enhance the writing power in that significant language. Essay writhing is the most positive way of developing students’ skills and knowledge upon writing. Students get to know about different topics when they research to write about any important fact. Besides that, essay writing is beneficial to increase the vocabulary power of students as they use various words to express their views and thoughts. From essay writing students will be encouraged to upgrade their other skills. They will be interested to participate in many events of writing which is effective to improve their talents in extra-curricular activities. When students get the correct guidance and suggestions from their school environment they will eventually start to focus on a specific aspect of learning more. So, it is teachers’ responsibility to encourage children for writing essays on their own language for expressing their thoughts. Essay writing in Hindi is equally important for students who have Hindi as a subject in school. If they focus on Hindi learning from the beginning level then they do not have to worry about learning critical chapters in higher studies. Besides that they should focus on enhancing their essay writing skills which will enable them to give better performance in final exam. As a result, they will score well in exam and feel satisfied with their learning outcomes. The most important fact is that, essay writing skill will reduce the fear of writing among students. They will feel more interested to write essay on any given topic at any time after gathering the knowledge about the perfect ways of writing essays.
Essay wiring in Hindi:
It is quite natural that students having Hindi as important subject in school must learn Hindi from the basic concepts. We find Hindi as important basically in CBSE and ICSE schools where students have options to choose Hindi or any other regional language. But for schools governed by state boards the entire education mode comes in Hindi medium. So, in both cases students have to focus on learning their Hindi language from the starting level. Essay writing is the significant part of their Hindi curriculum like all other languages. It will be beneficial for themselves if they focus on writing Hindi essays from the beginning level. They should understand each part of Hindi essays including pattern, style, word count to present a compete essay. By understanding each part students will be efficient in writing Hindi essays which will affect their overall score in exam. Some students may find it difficult to write Hindi essays on any topic smoothly. For that we are advising to grasp the basic knowledge of writing pattern and expressing their thoughts in a definite way. It is not possible for students to write Hindi essays from the beginning of their academics. They first need proper guidance and suggestions which they can find in examples of Hindi essays on different topics. Students of state level boards have to write Hindi essays from the primary section whereas CBSE and ICSE students write Hindi essays after primary education. We have provided Hindi essays on significant topics for all classes based on different boards. Students will be definitely benefitted if they follow the writing pattern and style of using language in those essays completely. They can rely on the essays fully as all are prepared according to the board guidelines by expert teachers. We are hopeful that students will take the help of these Hindi essays for enhancing their writing quality and using of language. We have provided the direct links to download all essays in this article. So, students do not need to search here and there for getting list of Hindi essays. They can easily download all the essays from the links in pdf format and read according to their convenience.
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- संत कबीर दास
- प्रिय कवि रामधारी सिंह दिनकर
- कवि शिरोमणी तुलसीदास
- इंदिरा गांधी
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- मेरा सच्चा मित्र
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- Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi
- Meri zindagi ka maqsad
Conclusion:
It is mandatory for all students learning Hindi to follow essay writing pattern and styles closely. Students of all classes require study materials of Hindi essays for overviewing the knowledge on different topics and practice regularly before exam. With the aim of helping students to go through effectively in essay writing in Hindi we have attached many Hindi essays on significant and important topics. We are hopeful that students will find all the topics important from exam perspective and satisfied after reading the essays with its quality writing. Students will get chances of self-analysis from their essay writing which is essential for improving their writing skills. They should practice more by following the writing pattern in the given Hindi essays for enhancing their skills. They will feel more encouraged to writing Hindi essays after getting proper guidance. They will be efficient to solve all their queries regarding Hindi essay writing after practicing regularly. Students are advised to focus on Hindi essay writing from the basic level to grasp complete knowledge over writing.
FAQs:
- Who need to write Hindi essays?
Answer. Students studying in CBSE, ICSE and different state boards who have Hindi as a significant language in syllabus have to learn essay writing in Hindi language.
- What is beneficial for Hindi essay writing?
Answer. Students should focus on learning Hindi language from the basic level with which they can understand the pattern and style of essay writing completely.
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- India Today
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- India Today Hindi
Gujarat Police is hiring for 12,472 posts: Eligibility, exam details
Gujarat police has invited applications for 12,472 class 3 cadre posts. interested candidates can apply online before april 30, 2024, for the recruitment drive..
Listen to Story
The Gujarat Police Recruitment Board has opened applications for Class 3 Cadre posts, aiming to fill a total of 12,472 positions.
ELIGIBILITY CRITERIA
- Candidates applying for PSI or Lokrakshak cadre must select the appropriate option.
- Ex-servicemen will be eligible for appointment as per state rules.
HOW TO APPLY
- Visit the official website of the Gujarat Police Recruitment Board at ojas.gujarat.gov.in.
- Navigate to the online application link on the homepage.
- Select the desired cadre from the dropdown menu.
- Fill in the registration details and submit the form.
- Log in to your account, complete the application form, and pay the required fee.
- Download and print a copy of the application for future reference.
EXAM STRUCTURE
- Physical Test (Qualifying in nature)
- Paper 1: General Studies (MCQ) - 200 marks
- Paper 2: Gujarati and English Language Skill (Descriptive) - 100 marks
- Paper 1 consists of two parts: Part A and Part B, each carrying 100 marks
- Paper 1 Syllabus includes Reasoning and Data Interpretation (50 marks) and Quantitative Aptitude (50 marks)
- Paper 2 assesses language skills in Gujarati and English, with various tasks such as essay writing and comprehension
- Paper 1 of the Main Examination consists of objective-type questions, whereas Paper 2 is descriptive in nature
- Candidates must score a minimum of 40% marks separately in both Part-A and Part-B of Paper-1 General Studies (MCQ) to qualify
- Similarly, a minimum of 40% marks is required in Paper-2 Gujarati and English Language Skill (Descriptive)
- Evaluation of Paper-2 is conducted only for candidates who score at least 40% in both parts of Paper-1 separately.
- Part-A has 100 MCQs of 100 marks
- Syllabus includes Reasoning and Data Interpretation (50 marks) and Quantitative Aptitude (50 marks)
- Minimum 40% score to qualify
- Negative marking of 0.25 applies, even for selecting no option
- Part-B has 100 MCQs of 100 marks
- Syllabus includes The Constitution of India and Public Administration (25 marks), History, Geography, Cultural Heritage (25 marks), Current Affairs and General Knowledge (25 marks), Environment, Science, and Technology, and Economics (25 marks)
- Essay (350 Words) - 30 marks
- Precis Writing - 10 marks
- Comprehension - 10 marks
- Report Writing - 10 marks
- Letter Writing - 10 marks
- Translation (From Gujarati to English) - 10 marks
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it was very nice and best so iwon second prize i am in class six in st. karens high school thankyou writer of this debate 😇🙆👑 Manya नवम्बर 26, 2017 Wow this is very nice I really like it and I write this essay in my note book 👍👍👍☺️
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New Delhi, UPDATED: Apr 8, 2024 17:13 IST. The Gujarat Police Recruitment Board has opened applications for Class 3 Cadre posts, aiming to fill a total of 12,472 positions. Interested candidates can apply via the official website at ojas.gujarat.gov.in. The registration process started on April 4 and will conclude on April 30, 2024.