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प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi : दोस्तों आज हमने प्रदूषण पर निबंध लिखा है. वर्तमान में प्रदूषण के कारण मानव जीवन और अन्य प्राणियों के जीवन पर बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ा है. प्रदूषण के कारण असमय मृत्यु होना तो जैसे आम बात ही हो गई है.

इसलिए प्रदूषण को रोकना बहुत आवश्यक है सभी विद्यार्थियों को प्रदूषण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है.

इसलिए Essay on Pollution कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

Essay on Pollution in Hindi

Get Some Essay on Pollution in Hindi under 100, 250, 500 and 2000 words

Short Essay on Pollution in Hindi 100 Words

प्रदूषण यह एक धीमा जहर है जो कि दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को नष्ट करता जा रहा है. प्रदूषण को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण..

वायु प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले धुए, कल कारखानों, उड़ती हुई धूल इत्यादि कारणों से होता है. ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने से और अन्य शोर उत्पन्न करने वाली वस्तुओं से होता है.

जल प्रदूषण नदियों और तालाबों में फैक्ट्रियों का अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक कचरा व अन्य वस्तुएं डालने से होता है.

अगर हमें पर दूसरों को कम करना है तो अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे और लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करना होगा तभी जाकर हम अच्छे भविष्य की कामना कर सकते है.

Paragraph on Pollution in Hindi 250 Words

प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है यह सिर्फ हमारे देश की नहीं यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है जिसकी चपेट में पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है. इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहा है.

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति का संतुलन खराब होना जीवन के लिए जरूरी चीजों का दूषित हो जाना जैसे स्वच्छ जल नहीं मिलना, स्वच्छ वायु नहीं मिलना और प्रदूषित माहौल का पैदा होना.

पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वातावरण में भी परिवर्तन आ रहा है कभी अत्यधिक वर्षा हो रही है तो कभी सूखा पड़ रहा है ऋतु परिवर्तन असमय हो रहा है जो की यह दर्शा रहा है कि भविष्य में कितनी बड़ी समस्या दस्तक दे रही है.

प्रदूषण के कारण तरह-तरह की विकराल बीमारियां जन्म ले रही है जिसे कैंसर, डायबिटीज, अस्थमा, हृदय की बीमारी इत्यादि के कारण मानव की आयु कम हो गई है.

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वर्तमान में हर घर में कोई ना कोई बीमार है और दवाईयां लेकर अपना जीवन यापन कर रहा है. प्रदूषण के कारण जीव जंतु में इसकी चपेट में आ गए हैं जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां तो विलुप्त हो चुकी है और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है.

हमारे जीवन प्रणाली कुछ इस प्रकार की हो गई है कि हमें पैसों और तरक्की के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दे रहा है.

हमें प्रदूषण को बढ़ने से रोकना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान नहीं होगा हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा.

किसी भी प्रकार के प्रदूषण को अगर कम करना है तो हमारा पहला कदम पेड़ों की कटाई रोकना होना चाहिए और जितना हो सके पेड़ लगाने होंगे.

Paryavaran Pradushanpar Nibandh 500 Words

प्रस्तावना –

वर्तमान में प्रदूषण ने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है. इसके कारण बड़े महानगरों में जीवन बहुत कठिन हो गया है यहां पर हर दिन कोई ना कोई नई बीमारी जन्म ले रही है.

प्रदूषण इतनी तेजी से फैल रहा है कि आजकल तो ऐसा लग रहा है कि यह हमारे जीवन का हिस्सा सा बन गया है. प्रदूषण के कारण केवल मनुष्य का ही जीवन प्रभावित नहीं हुआ है इसके कारण वन्य जीव जंतुओं और पृथ्वी के वातावरण में भी बदलाव आया है.

प्रदूषण के प्रकार –

प्रदूषण को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मुख्यतः तीन भागों में बाटा गया है इसके अलावा भी बहुत प्रकार के प्रदूषण होते है –

वायु प्रदूषण – हवा में प्रदूषित कारको के मिश्रण के कारण वायु प्रदूषण होता है वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं, कल कारखानों और चिमनीओं से निकलने वाला धुआं, धूल उड़ने से, वस्तुओं के सड़ने से उत्पन्न हुई दुर्गंध, पटाखों इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण फैलता है.

जल प्रदूषण – जल में कई प्रकार के हानिकारक केमिकल्स, जीवाणु इत्यादि मिलने के कारण जल प्रदूषण होता है जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत फैक्ट्री और कारखानों से निकलने वाला प्रदूषित जल का नदियों और तालाबों में मिलना, गटर लाइन को नदियों में छोड़ना, जल में प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थ डालने के कारण जल प्रदूषण फैलता है.

ध्वनि प्रदूषण – सुनने की एक सीमा से अधिक तीखी और असहनीय आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है. ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत – लाउडस्पीकर, वाहनों का हॉर्न, मशीनों की आवाज, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि है जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण फैलता है.

प्रदूषण की रोकथाम के उपाय –

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नहीं अधिक मात्रा में पेड़ लगाने चाहिए साथ ही जहां पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है वहां पर रोक लगानी चाहिए. वायु प्रदूषण को फैलाने वाले उद्योग धंधों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे कम प्रदूषण हो.

जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें साफ सफाई की ओर अधिक ध्यान देना होगा हम नदियों तालाबों में ऐसे ही कचरा डाल देते है. जल प्रदूषण के लिए जो भी फैक्ट्रियां और कारखाने जिम्मेदार है उनको बंद कर देना चाहिए.

ध्वनि प्रदूषण अधिकतर मानव द्वारा ही किया जाता है इसलिए अगर हम स्वयं हॉर्न बजाना बंद कर दें और मशीनों की नियमित रूप से अगर देखभाल करें तो उन से आवाज नहीं आएगी और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी.

उपसंहार –

हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण जिस तरह से बढ़ रहा है आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी पृथ्वी का पूरा वातावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है.

अगर हमें प्रदूषण को कम करना है तो सर्वप्रथम हमें स्वयं को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण के कारण हो रही हानियों के बारे में अवगत कराना होगा.

जब तक हमारे पूरे देश के लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक किसी भी प्रकार के प्रदूषण को कम करना मुमकिन नहीं है.

Essay on Pollution in Hindi 2000 Words

रूपरेखा –

प्रदूषण आज भारत की ही नहीं संपूर्ण विश्व की समस्या है बढ़ते हुए प्रदूषण को देखकर सभी देश इससे चिंतित है. आज संसार की लगभग सभी वस्तुएं चाहे वह सजीव है या निर्जीव किसी न किसी रूप में प्रदूषित होती जा रही है.

जल, वायु, मृदा तथा संपूर्ण भूमंडल प्रदूषण की चपेट में आ गया है. आए दिन प्रदूषण के कारण कोई ना कोई समस्या या फिर नई बीमारियां उत्पन्न होती रहती है.

कारखानों से गैस रिसने, परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मिता के बढ़ने, नदियों, तालाबों, समुद्रों में कारखानों और फैक्ट्रियों से निकले विषाक्त केमिकल्स और गंदे पानी के मिलने से पूरा वातावरण प्रदूषित हो रहा है.

आज हम सिर्फ अपनी प्रगति की ओर ध्यान दे रहे है लेकिन प्रकृति की जरा भी चिंता नहीं कर रहे है. विज्ञान ने आज बहुत तरक्की कर ली है लेकिन प्रदूषण को रोकने में आज भी सफल नहीं हो पाई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व के सभी देशों को बार-बार चेतावनी दी जा रही है लेकिन फिर भी प्रदूषण के बढ़ने पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही है.

हमारे भारत देश को तो जात-पात और आरक्षण से ही फुर्सत नहीं मिल रही है तो वह पर्यावरण के बारे में क्या सोचेगा.

प्रदूषण क्या है –

हमारे स्वच्छ वातावरण में किसी भी प्रकार की गंदगी का घूमना प्रदूषण की श्रेणी में आता है प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे जल, हवा, ध्वनि, मृदा प्रमुख है.

इनमें से अगर कोई भी घटक प्रदूषित होता है तो उसका सीधा असर पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं, मनुष्यों और निर्जीव वस्तुओं पर बुरा असर पड़ता है.

प्रदूषण के प्रकार और दुष्प्रभाव –

जल प्रदूषण –

वर्तमान में जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है वर्तमान में हमारे सभी प्रमुख नदियां जैसे गंगा यमुना चंबल इत्यादि सभी गंदगी से अटी पड़ी है इनमें तरह-तरह का प्लास्टिक और अन्य कचरा पड़ा हुआ है.

कुछ स्थानों पर तो ऐसा लगता है कि नदी में जल की जगह कचरा बह रहा है, कुछ लोग अपनी नित्य क्रिया, कपड़े धोने, जानवरों को नहलाना भी नदियों के पास करते है जिसके कारण उनका जल दूषित हो जाता है.

इससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि कल कारखानों और फैक्ट्रियों से निकला जहरीला और केमिकल युक्त पानी भी नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है.

एक ताजा आंकड़े के अनुसार हमारे देश में प्रदूषित जल पीने की वजह से प्रति घंटे लगभग 73 लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

जल प्रदूषण को बढ़ाने में हमारी सरकारें भी कम नहीं है क्योंकि गटर से निकलने वाला पानी अक्सर नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण पूरा जल प्रदूषित हो जाता है.

जो जल को जहरीला बना देता है जिसके कारण नदी में रहने वाले जीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है और यही जहरीला जल हमें पीने को मिलता है जिसके कारण तरह-तरह की बीमारियां फैलती है.

वायु प्रदूषण –

वायु प्रदूषण चिंता का विषय है क्योंकि विश्व में सबसे विश्व में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष दश में हमारे देश के ही शहर आते है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में वायु प्रदूषण किस तेजी से बढ़ रहा है. हमारे देश में हर साल वायु प्रदूषण की वजह से 12.4 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

वायु प्रदूषण सामान्यतः वाहनों से निकलने वाले धुएं, कल कारखानों और चिमनियो का धुँआ, कोयले का धुँआ, घरों से निकलने वाला धुआं, फसलों की पराली जलाने से निकला धुँआ इत्यादि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है.

वायु प्रदूषण का एक अन्य प्रमुख कारण यह भी है कि दिन प्रतिदिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है और शहरीकरण बढ़ रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा कैंसर चर्म रोग आंखों में जलन हृदय संबंधी बीमारियां हो जाती है जिसके कारण मानव और अन्य जीव जंतुओं की असमय मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण से हमारा वातावरण भी प्रभावित होता है पेड़ पौधे मुरझा जाते है जिसके कारण और अत्यधिक वायु प्रदूषण होने लग जाता है

ध्वनि प्रदूषण –

ध्वनि प्रदूषण लाउडस्पीकर, हॉर्न, वाहनों की खड़ खड़ाहट, मशीनों की आवाज, हवाई जहाज की आवाज, कंस्ट्रक्शन का कार्य, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि कारणों से ध्वनि प्रदूषण होता है,

लेकिन ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत मानव जनित कार्यों से ही होता है. मानव अगर सीमित ध्वनि से ज्यादा की आवाज में अधिक समय तक रहता है तो वह बहरा भी हो सकता है साथ ही वह अपना मानसिक संतुलन भी हो सकता है.

वर्तमान में लोग हर जगह शादियों, पार्टियों, किसी भी प्रकार के प्रचार में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं जो कि ध्वनि प्रदूषण को बहुत अधिक बढ़ा देता है.

ध्वनि प्रदूषण के कारण बच्चे और बूढों को अधिक परेशानी होती है. ध्वनि प्रदूषण जीव-जंतुओं की दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या को भी प्रभावित करता है.

मृदा प्रदूषण –

मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण मानव के द्वारा किए गए कार्य ही हैं क्योंकि मानव अपनी थोड़े से लोभ के लिए प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देता है.

मानव फैक्ट्रियों और कल कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ या तो मृदा में गाड़ देते है या फिर ऐसे ही फेंक देते है जिसके कारण वहां की भूमि धीरे धीरे बंजर होने लग जाती है.

वर्तमान में प्लास्टिक के कारण बहुत अधिक मृदा प्रदूषण हो रहा है क्योंकि प्लास्टिक से हर वक्त जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो की पूरी भूमि को जहरीला बना देते है.

खेतों में इस्तेमाल होने वाली यूरिया खादो का उपयोग भी बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके कारण भूमि प्रदूषित हो जाती है.

इन सब का असर मानव स्वास्थ्य पर ही होता है क्योंकि भूमि से उत्पन्न होने वाला अनाज और सब्जियों में जहरीले केमिकल्स मिल जाते है जिससे मानव स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसीलिए आज तरह-तरह की बीमारियां फैल रही है.

प्रकाश प्रदूषण –

दिन और रात प्राकृतिक क्रिया है अगर इनमें कोई बदलाव आता है तो वह पूरी प्रकृति को प्रभावित करता है. वर्तमान में विज्ञान की प्रगति के कारण बिजली का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है.

और आजकल अधिक रोशनी वाली लाइटो का उपयोग किया जाता है जिसके कारण रात में भी दिन जैसा लगता है. बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण रात में भी बहुत अधिक उजाला रहता है. जिसके कारण वन्य जीव जंतुओं को बहुत अधिक परेशानी होती है उनकी पूरी दिनचर्या इसके कारण बिगड़ जाती है. प्रकाश प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है इसके कारणों से पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है.

रेडियोधर्मिता प्रदूषण –

रेडियोएक्टिव विकिरणों से फैलने वाला प्रदूषण रेडियोधर्मिता प्रदूषण कहलाता है. यह प्रदूषण आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है.

इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति या अन्य कोई जीव जंतु कि कुछ ही समय में मृत्यु हो जाती है.

यह प्रदूषण सामान्यत है परमाणु बम, परमाणु बिजली घर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ से होता है. यह प्रदूषण जहां भी फैलता है वहां पर जीवन का नामोनिशान मिट जाता है.

थर्मल प्रदूषण –

वर्तमान में थर्मल प्रदूषण बहुत अधिक तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि जैसे जैसे लोगों की जरूरत है बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे तरह-तरह की फैक्ट्रियां लग रही है जिनमें जल का उपयोग कई प्रकार के पदार्थों और अन्य वस्तुओं को ठंडा रखने में किया जाता है.

जिसके कारण वह जल बहुत अधिक गर्म हो जाता है और वह सीधा नदियों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण अचानक जल के तापमान में बदलाव हो जाता है. इससे नदियों में रहने वाले जीवो की मृत्यु हो जाती है.

प्रदूषण संतुलन के उपाय –

पेड़ लगाना –

हमारी पृथ्वी को अगर प्रदूषण से बचाना है तो हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और जो भी लोग पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रही है उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें रोकना होगा.

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हमें ऑक्सीजन देते हैं अगर पेड़ ही नहीं होंगे तो हमें ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा.

आज ही प्रण ले अपने हर जन्मदिन पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं.

प्लास्टिक का उपयोग बंद करना –

वर्तमान में हमारे जीवन के साथ प्लास्टिक कैसे जुड़ गया है जैसे जल और हवा हो, हर वस्तु में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. प्लास्टिक से हजारों वर्षों तक जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो कि जल, वायु एवं पूरे वातावरण को प्रदूषित करता है.

हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा, सरकार भी प्लास्टिक पर पाबंदी लगा रही है लेकिन जब तक हम जागरूक नहीं होंगे तब तक प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता रहेगा.

कार पुलिंग को बढ़ावा दे –

वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण ईंधन की खबर भी बहुत अधिक हो गई है और इसके कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण हो रहा है. आजकल हर व्यक्ति अपना वाहन लेकर चलता है जो कि वायु प्रदूषण की समस्या को और बढ़ा देता है.

अगर हम पब्लिक वाहनों का उपयोग करें और अगर एक ही ऑफिस में जाते हैं तो एक कार में ही बैठकर जाएंगे से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा.

ऊर्जा का सही इस्तेमाल करें –

हमें ऊर्जा का सही इस्तेमाल करना होगा बिना वजह ऊर्जा का उपयोग करने से हर प्रकार का प्रदूषण घटता है क्योंकि जितने भी प्रकार के हम इंजन देखते है उन्हें बनाने में बहुत प्रदूषण फैलता हैऔर अपशिष्ट पदार्थ भी निकलता है जो कि जहरीला होता है.

नदियों को साफ करें –

हम सबको मिलजुल कर नदियों तालाबों और समुद्रों को साफ करना होगा, क्योंकि वही से हमें पीने के लिए जल मिलता है और अन्य प्राणियों को भी जल मिलता है.

अगर यही जल जहरीला होने लगा तो तरह-तरह की बीमारियां फैल जाएंगी जो की महामारी का रूप भी ले सकती है इसलिए हमें कूड़ा करकट नदियों और तालाबों में नहीं डालना चाहिए.

वाहनों/मशीनों का रखरखाव पर ध्यान दें –

वाहनों और मशीनों का रखरखाव करना बहुत जरूरी है अगर इनका रखरखाव नहीं किया जाए तो इनसे बहुत अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है.

हम कुछ रुपए बचाने के लिए अपने पर्यावरण को प्रदूषित कर देते है यह बहुत ही चिंता का विषय है इसलिए हमेशा समय समय पर वाहनों और मशीनों का रखरखाव जरूरी है.

यूरिया खाद का उपयोग कम करे –

किसानों द्वारा खेतों में अधिक पैदावार के लिए यूरिया खाद का उपयोग किया जा रहा है जो की फसल की पैदावार तो अच्छी कर देती है लेकिन भूमि को बंजर कर देती है और साथ ही उस फसल में भी कई प्रकार के जहरीले पदार्थ आ जाते है.

जो सीधे हमारे शरीर में जाते हैं और हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसलिए किसानों को यूरिया खाद का उपयोग कम करना चाहिए और प्राकृतिक खाद का उपयोग करना चाहिए.

कड़े नियम कानून बनाएं –

भारतीय सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उन कानूनों कि सही से पालना नहीं होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों की पालना सही से हो रही है या नहीं.

भारतीय सरकार को प्रदूषण के खिलाफ और कड़े कानून बनाने चाहिए क्योंकि अगर प्रकृति ही नहीं रहेगी तो हम भी नहीं रहेंगे इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है.

प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाएं –

हम सबको मिलजुल कर प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैलाने होगी क्योंकि ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग यह जानते हैं कि क्या करने से प्रदूषण फैलता है फिर भी वे इस और ध्यान नहीं देते और प्रदूषण फैलाते है.

हमें लोगों को समझाना होगा कि अगर हम यूं ही प्रदूषण फैलाते रहे तो आगे आने वाली पीढ़ी का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा. साथ ही प्रदूषण के कारण हमारा पूरा पर्यावरण भी नष्ट हो रहा है.

इसलिए हमें शहर शहर गांव गांव जाकर लघु नाटको और अन्य तरीकों से लोगों को प्रदूषण के बारे में बताना होगा तभी जाकर प्रदूषण को रोका जा सकता है.

हमारे देश में पर्यावरण प्रदूषण के निराकरण के लिए सरकार ने कई कदम उठाए है, हमारी सरकार ने मध्य प्रदेश में प्रदूषण संस्थान की स्थापना की है जोकि प्रत्येक वर्ष सरकार को प्रदूषण संबंधी जानकारियां देंगी.

जो भी व्यक्ति या संस्थान प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है उन पर सख्त कार्यवाही की जा रही है. वर्तमान में छोटे छोटे शहरों में भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे है. साथ ही प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाए जा रहे.

अगर हम सब भी पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सहयोग करें तो वह दिन दूर नहीं जब पर्यावरण में संतुलन आ जाएगा और मानव जीवन के साथ साथ अन्य प्राणियों का जीवन भी खतरे से बाहर हो जाएगा.

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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प्रदूषण पर निबंध – Essay On Pollution in Hindi

आजकल की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और विकास की दिशा में हो रहे प्रयासों के साथ-साथ, प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। हमारे पर्यावरण, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर इसका दुष्प्रभाव हो रहा है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम प्रदूषण पर 10 महत्वपूर्ण पंक्तियाँ देखेंगे और 100, 250 और 500 शब्दों के 3 प्रदूषण पर निबंध / पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध पढ़ेंगे।

प्रदूषण पर 10 लाइन – 10 Lines on Pollution in Hindi

  • प्रदूषण मानव गतिविधियों के कारण बढ़ रहा है।
  • वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण के प्रमुख प्रकार हैं।
  • वायु प्रदूषण श्वासन रोगों का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण समुद्री जीवन को प्रभावित करता है।
  • मिट्टी प्रदूषण फसलों की नरकटी उर्वरता को कम करता है।
  • ध्वनि प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
  • प्रकाश प्रदूषण नैसर्गिक संतुलन को बिगाड़ता है।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन बढ़ रहा है।
  • औद्योगिकीकरण प्रदूषण का मुख्य कारण है।
  • हम सभी को प्रदूषण को कम करने के लिए सहयोग करना चाहिए।

प्रदूषण पर निबंध - 10 Lines on Pollution Essay

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में – Easy Essay on Pollution in 100 Words

Pollution / प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। यह विभिन्न प्रकारों में होता है जैसे कि वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि, और प्रकाश प्रदूषण। यह मानव गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न होता है, जैसे कि उद्योग, वाहन, और बढ़ती जनसंख्या। इसके कारण हमारा पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ रहा है और जीवों के लिए खतरा बढ़ रहा है। हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सामाजिक जागरूकता बढ़ानी चाहिए और स्वच्छता के प्रति जागरूक होना चाहिए।

250 शब्दों में प्रदूषण निबंध – 250 Words Pollution Essay

प्रदूषण आजकल की एक गंभीर समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। यह वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि, और प्रकाश के रूप में प्रकट होता है। वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले नाकारात्मक गैसों का प्रसार है, जो वायुमंडल में प्रदूषण का कारण बनती हैं। यह गैसें हमारे वायुमंडलीय संरक्षण को नुकसान पहुंचाती हैं और उष्मागति में वृद्धि करके जलवायु परिवर्तन को तेज करती हैं।

जल प्रदूषण समुद्री जीवन को प्रभावित करता है और उचित जलवायु सिस्टम को प्रभावित करके सामाजिक और आर्थिक असंतुलन उत्पन्न करता है। मिट्टी प्रदूषण के कारण खेती में कमी आती है और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित होती है। ध्वनि प्रदूषण जीवन की गुणवत्ता को कम करता है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है।

प्रकाश प्रदूषण का कारण है अत्यधिक विद्युतीकरण और असुरक्षित प्रकाश स्रोतों का उपयोग। यह नैसर्गिक संतुलन को प्रभावित करता है और वायुमंडलीय परिवर्तन को तेज करता है।

समाधान: प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ऊर्जा संरक्षण के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण को अपनाना चाहिए, स्वच्छता के अभ्यास का समर्थन करना चाहिए और स्व च्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए।

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500 शब्दों में प्रदूषण पर निबंध – 500 Words Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक विकट चुनौती बनकर उभरा है जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण के संतुलन को खतरे में डालता है। यह निबंध प्रदूषण के बहुमुखी पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जिसमें इसके प्रकार, कारण, प्रभाव, संभावित समाधान, व्यक्तिगत जिम्मेदारी और जागरूकता बढ़ाने का महत्व शामिल है।

प्रदूषण विभिन्न रूपों में मौजूद है, जिनमें वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण सबसे प्रमुख हैं। प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण की अपनी अनूठी विशेषताएं और प्रभाव होते हैं, जो औद्योगिक उत्सर्जन के कारण वायु की गुणवत्ता में गिरावट से लेकर अनुपचारित अपशिष्ट निर्वहन के माध्यम से जल निकायों को दूषित करने तक फैले हुए हैं। ध्वनि प्रदूषण शहरी जीवन की शांति को बाधित करता है, जबकि अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है, जो पर्यावरण और मानव सर्कैडियन लय दोनों को प्रभावित करता है।

प्रदूषण के कारण आधुनिकीकरण और तीव्र औद्योगिक विकास के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक जलना, वाहन उत्सर्जन, अनुचित अपशिष्ट निपटान और कृषि में रसायनों का अंधाधुंध उपयोग कुछ मुख्य दोषी हैं। ये मानवीय गतिविधियाँ हवा, पानी और मिट्टी में हानिकारक प्रदूषक छोड़ती हैं, जिससे कई प्रकार के हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं।

Representative Image for Pollution

प्रदूषण के प्रभाव दूरगामी और महत्वपूर्ण हैं। वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संबंधी जोखिम पैदा करता है, श्वसन संबंधी बीमारियों और हृदय संबंधी समस्याओं में योगदान देता है। जल प्रदूषण जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डालता है और पीने के पानी के स्रोतों को प्रदूषित करता है, जिससे जलजनित बीमारियाँ होती हैं। मृदा प्रदूषण कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है। ध्वनि प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है और प्राकृतिक श्रवण वातावरण को बाधित करता है। प्रकाश प्रदूषण वन्यजीवों और मानव दोनों की नींद के पैटर्न में खलल डालता है, जिससे रात के आकाश की सुंदरता कम हो जाती है।

प्रदूषण से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन से वायु प्रदूषण में काफी कमी आ सकती है। उद्योगों के लिए कड़े उत्सर्जन मानक और टिकाऊ परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देने से वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकता है। उचित अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज उपचार सुविधाओं के कार्यान्वयन से जल और मिट्टी प्रदूषण से निपटने में मदद मिल सकती है। शहरी नियोजन और शोर कम करने के उपाय ध्वनि प्रदूषण को कम कर सकते हैं। प्रकाश का जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग प्रकाश प्रदूषण को कम कर सकता है।

व्यक्तिगत जिम्मेदारी

प्रदूषण को रोकने में व्यक्तिगत जिम्मेदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाना, ऊर्जा की खपत को कम करना, प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना सामूहिक रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। दैनिक जीवन में सचेत विकल्प चुनकर, व्यक्ति प्रदूषण के स्तर को कम करने और भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को संरक्षित करने में योगदान दे सकते हैं।

प्रदूषण के परिणामों और निवारक उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। शैक्षिक पहल, सार्वजनिक अभियान और सामुदायिक भागीदारी लोगों को प्रदूषण की गंभीरता को समझने और कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करने में सशक्त बना सकती है। सरकारों, उद्योगों और व्यक्तियों को टिकाऊ प्रथाओं को लागू करने, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने वाली नीतियों का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

प्रदूषण के दूरगामी प्रभाव हमें इस्पे तत्काल ध्यान देने और ठोस कार्रवाई करने की मांग करते हैं।  इसके विभिन्न रूपों को जानकर, कारणों की पहचान करके, प्रभावों को समझकर और प्रभावी समाधान अपनाकर हम एक स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। हमारे पर्यावरण के जिम्मेदार प्रबंधकों के रूप में, यह हमारा कर्तव्य है कि हम प्रदूषण के प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाएँ। सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, हम एक स्थायी भविष्य की दिशा में काम करें जहाँ प्रदूषण कम से कम हो और हमारे ग्रह की सुंदरता आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहे।

  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • ध्वनि प्रदूषण पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध

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Essay on pollution in hindi प्रदूषण पर निबंध.

Students today we are going to discuss very important topic i.e essay on pollution in Hindi. What is pollution? How can we control pollution? Write an essay on pollution in Hindi as Pollution essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on Pollution in Hindi is defined in more than 200, 300, 500, 700, 800, 1000 words. Learn essay on pollution in Hindi for class 10 and think how you can control pollution. Essay on pollution in Hindi is asked in 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. प्रदूषण एक समस्या और प्रदूषण पर हिन्दी में निबंध (Pradushan Par Nibandh).

hindiinhindi Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi 200 Words

विचार-बिंदु – • भूमिका • विकट समस्या • कारण • निवारण।

प्रदूषण का अर्थ है – दूषित होना। पर्यावरण-प्रदूषण का अर्थ है-वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। शुद्ध जलवायु में दूषित तत्वों का मिल जाना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है – वायु-प्रदूषण, जल – प्रदूषण तथा धवनि प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदूषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है – बढ़ती जनसँख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ में साँस लेना दूभर हो जाता है। जल-प्रदूषण से सभी नदियाँ, नहरें, भूमि दूषित हो रही हैं। परिणामस्वरूप हमे प्रदूषित फसलें मिलती हैं और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपुओं, फैक्टरियों और मशीनों के सामूहिक शोर से रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ़ रही हैं। प्रदूषण से मुक्ति के उपाय हैं – आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को कम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनयापन करना। घातक बीमारियाँ पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना। परमाणु विस्फोटों पर रोक लगाना आदि।

Essay on Pollution in Hindi 300 Words

पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब मानव द्वारा पर्यावरण में अवांछित तत्वों की उपस्तिति अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे- वायुप्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण इत्यादि। प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। पिछले कुछ दशकों में प्रदूषण तेजी से बढ़ता जा रहा है,जो कि ना केवल भारत अपितु पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है। इस भयंकर सामाजिक समस्या का मुख्य कारण औद्योगीकरण, वनों की कटाई, शहरीकरण, और प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उत्पादों का सामान्य जीवन में इस्तेमाल का बढ़ना है।

पुरातन कल में, प्रकृति से संसाधनों को प्राप्त करना मनुष्य के लिए सामान्य बात थी। उस समय बहुत कम लोग ही यह सोच सके थे कि संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग मानव जाती के लिए इतनी बड़ी समयस्या खड़ी कर सकता है। हम जितना भी प्रकृति से लेते थे, प्रकृति उतने संसाधन दोबारा पैदा कर देती थी। ऐसा लगता था कि प्रकृति का भंडार असीमित है जो कभी ख़त्म ही नहीं होगा लेकिन जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ने लगी, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बढ़ता ही चला गया। वनों को अंधाधुन्द काटा जाने गया, अपनी जरुरतो के लिए प्रकति को नुकसान पहचाया गया। मानव दवारा मशीनों के निर्माण ने इस काम में और तेजी ला दी।

औद्योगिक क्रांति का प्रभाव लोगों को पर्यावरण पर दिखने लगा। जंगल खत्म होने लगे। उसके बदले बड़ी-बड़ी इमारतें, कल-कारखाने खुलने लगे और प्रदूषण की समस्या हमारे सर पर आकर खड़ी हो गई, जिसे कम करना हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है, हलाकि सरकार निरंतर इस प्रयास में जुड़ी है।

वायु प्रदुषण – जिसका मुख्य कारण है बढ़ रही ऑटोमोबाइल की संख्या, ज़हरीली गैसों की उपस्तिति, औद्योगिक कंपनियों का धुआं इत्यादि का वातावरण में होना। जिस हवा में हरपल हम साँस लेते है वो हमारे फेफड़ों संबंधी विकार का कारण बनती जा रही है।

जल प्रदूषण भी विभिन्न कारणों से होता है। जैसे की पीने के पानी में जीवाणु, वायरस व हानिकारक रसायन ग्रसित तत्वों का होना, कुछ खतरनाक कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ईथर बेंजीन जैसे कार्बनिक मिश्रण, रेडियम और थोरियम सहित औद्योगिक राख, कचरा, मलबा इत्यादि जो कि पीने के पानी को भी जहर बनाती जा रही है।

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है – बढ़ती आबादी के कारण निरंतर होने वाला शोरगुल, कल-कारखानों से निकली आवाज़, वाहनों का शोर, उपकरणों की आवाज़ और चारों दिशाओं से आनेवाली विभिन्न प्रकार की आवाजें महानगरों में तो ध्वनि-प्रदूषण अपनी चरम सीमा को पार कर रहा है।

प्रदुषण से अलग-अलग तरह की खतरनाक बीमारियाँ जैसे कि कैंसर, पार्किंसंस रोग, दिल का दौरा, सांस की तकलीफ, खांसी, आंखों में जलन, और एलर्जी आदि बढ़ती ही जा रही है। जबतक हम स्वयं प्रदुषण की रोकथाम के लिये कोई कदम नहीं उठाते तबतक हम इस समस्या को दूर नहीं कर सकते। अतः सिर्फ सरकार पर निर्भर ना रहते हुए हम सभी को मिलकर इसे कम करने का प्रयास करना चाहिए, अन्यथा मानव जाती का बच पाना बहुत ही मुश्किल होगा।

Essay on Pollution in Hindi 500 Words

प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है। प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण को दूषित करता है जो की हमारे सामान्य जीवन के लिए महत्वूर्ण है। प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और मृदा प्रदूषण। हाल के वर्षों में ध्वनि प्रदूषण भी एक प्रमुख प्रदूषक के रूप में भी देखा जा रहा है।

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण किसी भी प्रकार के हानिकारक पदार्थों जैसे कल कारखानों और परिवहन से निकलने वाली धुंआ, कचरे को जलाने से निकलने वाली धुंआ और प्रदूषित गैस को वातावरण में मिलाना है जिससे ताजी हवा प्रदूषित होती है। वायु प्रदूषण से मनुष्य का स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता आदि बड़े स्तर पर प्रभावित होती है। वायु प्रदूषण से कई सारी बीमारियाँ उत्पन्न होती है।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण से अभिप्राय यह है कि जल निकायों जैसे कि नदियों, झीलों, समुद्रों, और भूजल के पानी के दूषित होने से है। जल प्रदूषण कई कारणों से होता है जैसे की कारखानों का कचरा समुद्र और झीलों में जाकर मिल जाना, लोगो द्वारा कचरा समुद्रों में फेका जाना इत्यादि। धरती पर जल प्रदूषण लगातार एक बढ़ती समस्या बनती जा रही है जो सभी पहलुओं से मानव और जीव-जन्तुओं को प्रभावित कर रही है।

मृदा प्रदूषण : मिट्टी इस धरती पर मौजूद सभी जीव-जन्तुओं और मानव जीवन के लिये बेहद आवश्यक है। उचित ज्ञान के बिना रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। जैसे कि रसायनिक खाद, कीटनाशक दवाइयाँ, औद्योगिक कचरों आदि के इस्तेमाल के द्वारा छोड़े गये जहरीले तत्वों के माध्यम से मिट्टी प्रदूषित होती जा रही है जिससे भूमि की उर्वरता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।

ध्वनि प्रदूषण : पश्चिमीकरण ने जोर से संगीत की सनक को जन्म दिया है जो की ध्वनि प्रदूषण का एक घटक है। अत्यधिक शोर मानव स्वास्थ्य और जीव जंतुओं के लिये हानिकारक होता है। ध्वनि प्रदूषण इन कारणों से होता है:- घरेलू मशीनों से निकलने वाली शोर, निर्माण गतिविधियों, परिवहन, तेज आवाज में संगीत सुनना आदि के द्वारा ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण से सबसे ज्यादा नुकसान कान को होता है जिससे कभी-कभी कान के परदे खराब हो जाने के कारण हमेशा के लिये सुनने की क्षमता चली जाती है।

यह सभी तरह के प्रदूषण मानव और जीव जंतुओं के लिए एक अभिशाप की तरह काम कर रहा है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के बीमारी जैसे की कैंसर, उच्च रक्तचाप, सांस की बीमारी, गुर्दा रोग महामारी त्वचा रोग आदि होने का कारण है।

हमें प्रदूषण को गंभीरता से निपटने की जरूरत है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी को बहूत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। यह बड़े सामाजिक मुद्दे को जड़ से खत्म करने और इससे निजात पाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम करने की आवश्यकता है ताकि लोग प्रदूषण से होने वाले नुकसान को जान सकें और अपना व पर्यावरण की रक्षा कर सकें।

हमें प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए सभी नियंत्रण के उपायों का पालन करना चाहिए ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ सुरक्षित रह सकें।

Long Essay on Pollution in Hindi 700 Words

“देकर शुद्ध हवा फल-फूल, हम सबको सुख बाँटते हैं। मत काटो इन पेड़-पौधों को, ये हम सबके दुःख काटते हैं।”

सृष्टि की रचना के उपरान्त मनुष्य ने कुदरत की गोद में आँखें खोली तो चारों तरफ स्वच्छ वायु, निर्मल जल और उज्वल प्रकाश का वरदान पाया। मनुष्य ने हिंसक पशुओं की मार से बचने के लिए, उनसे शीतल छाया लेने के लिए वृक्षों का सहारा लिया। झोंपड़ी बनाकर मनुष्य ने स्वयं को गर्मी, आँधी, वर्षा, सर्दी के संकट से तो बचाया ही साथ ही फ़ल-सब्जियां खाकर पत्तों का आवरण बनाकर जीवन बसर किया।

प्रदूषण के कारण

आज विज्ञान के युग में मनुष्य ने पृथ्वी, आकाश तथा जल पर अपना आधिपत्य जमा लिया है तथा मनुष्य की सुख-सुविधा के लिए अनेक मशीनों एवं आविष्कारों को जन्म दिय जो कि प्रदूषण के प्रमुख कारण बन गए। लेकिन मनुष्य ने भौतिक सुखों की होड़ में इसे दूषित कर दिया है। आज विकास तो हो रहा है परन्तु मनुष्य के स्वास्थ्य के बदले, प्रदूषण के बदले, गैस काण्डों तथा एटम शक्ति के खतरे के बदले।

प्रदूषण के प्रकार : प्रदूषण मुख्य चार प्रकार के हैं –

1. वायु प्रदूषण 2. जल प्रदूषण 3. ध्वनि प्रदूषण 4. भूमि प्रदूषण

वायु प्रदूषण

मनुष्य ने कपड़ा, लोहा, सीमेंट, कागज़, कल – पुर्जे, बिजली आदि निर्माण के लिए बड़े-बड़े कारख़ाने तैयार किए। इन कारखानों एवं महानगरों में ट्रैफ़िक द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में धुआँ निकलता है, जो वायुमंडल को दूषित करता है। विषैली गैसें वातावरण में तापमान को बढ़ाती हैं। वायु हमारे प्राणों का आधार है। वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा का घटना और कार्बनडाईऑक्साइड की मात्रा का बढ़ना अनेक रोगों को जैसे रक्तचाप, कैंसर, टी. वी., श्वास रोग को आमंत्रण देता है। सुविधाभोगी जिन्दगी जीने की चाह ने वातावरण की ओजोन परत में छेद कर दिया जो कि वायु प्रदूषण का ही प्रभाव है।

“जीवन देने वालों को, न तुम बलि चढ़ाओ। संरक्षण देकर इन्हें, स्वजीवन सुखी बनाओ।”

कारख़ानों के उत्पादन के बाद बचे हुए रासायनिक पदार्थों और कचरे को नदियों में बहाने से तालाब आदि जलाशय दूषित होते हैं। प्रतिदिन करीब बीस हजार (20,000) लोग गंदा पानी पीने से मर रहे हैं। 80 फ़ीसदी बीमारियाँ डाइरिया, मलेरिया, पीलिया आदि जल प्रदूषण की ही देन है।

ध्वनि-प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है। यातायात के साधन, कल-कारख़ानों में चलने वाली बड़ी-बड़ी मशीनें, लाउड-स्पीकर, रेडियो, वायुयानों का शोर आदि। आज का मनुष्य हवाई जहाज़, रेलगाड़ी, मोटर, कारों, टी. वी. और रेडियो के असहनीय शोर में रहने को मजबूर | है। जिससे सिरदर्द, बहरापन आदि रोग हो जाते हैं।

भूमि (मिट्टी) प्रदूषण

भूमि-प्रदूषण ने पर्यावरण को अत्यधिक क्षति पहुँचाई है। रासायनिक तत्वों के मिट्टी में मिलने से भू-प्रदूषण होता है। कागज़, लकड़ी आदि सड़-गलकर मिट्टी में मिल जाते हैं, प्लास्टिक मिट्टी में नहीं मिलती। प्लास्टिक की वस्तुएँ मिट्टी को साँस नहीं लेने देती जिससे मिट्टी की उर्वरता ख़त्म हो जाती है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने भी प्रदूषण, भू-स्खलन एवं प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा दिया है।

रोकथाम / उपाय

अगर चिमनियों से निकलने वाली विषैली गैसों, वाहनों से निकलने वाले धुएँ की रोकथाम न की गई तो वह दिन दूर नहीं जब हमें भी टॉकियो की तरह भारत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ऑक्सीजन के सिलेंडर लगाने पड़ेंगे और मुँह पर पट्टी बाँध कर चलना होगा। वैसे तो भारत सरकार द्वारा कठोर नियम लागू किए गए हैं। वृक्ष लगाने और प्रदूषण हटाने, उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के बाद ही विसर्जित किया जाये आदि। फिर भी हमारा निजी सहयोग आवश्यक है। जल प्रदूषण के संकट से बचने के लिए हमें जल संरक्षण की तरफ ध्यान देना होगा। उसे गन्दा न करने का और प्रयुक्त पानी को साफ़-स्वच्छ जल में न मिलाने का प्रण लेना होगा। ध्वनि-प्रदूषण से तभी मुक्ति मिलेगी जब वाहनों के प्रयोग में कमी लाकर साइकिल का प्रयोग किया जाएगा तथा रेडियो और लाउड-स्पीकरों को धीमी आवाज़ में सुना जाएगा। जब तक पर्यावरण सुरक्षा हेतु आम जनता जागरूक नहीं होती, तब तक यह संकट नहीं टलेगा। कवियत्री ने क्या खूब कहा है :

“सुखी रहना हो गर तो पर्यावरण का रखो ध्यान, निर्मल-स्वच्छ जल, चारों ओर उगाओ बागान। जीवन देने वालों को बलि मत चढ़ाओ-पूजन रचाओ, संरक्षण नत मस्तक हो-मिलकर वन महोत्सव मनाओ।”

भविष्य में वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई को रोकने, प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ का निषेध करने, नये वृक्ष लगाने और उनका संरक्षण करने आदि का प्रण करके हम समाज और राष्ट्र को सुरक्षित कर सकते हैं।

Essay on Pollution in Hindi 800 Words

रूपरेखा : पर्यावरण का अर्थ, हमारे जीवन में स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकता, मनुष्य द्वारा प्रकृति का दोहन, प्रदूषण के प्रकार – वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण। शहरों का निरंतर विस्तार, शहरों में बढ़ते विविध प्रकार के प्रदूषण, प्रदूषण की रोकथाम के उपाय, प्रदूषण से हानियाँ, प्रदूषण नियंत्रण के उपाय, उपसंहार।

‘पर्यावरण’ का शाब्दिक अर्थ है – हमारे चारों ओर का प्राकृतिक आवरण। जो कुछ भी हमारे चारों ओर विद्यमान है, हमें ढके-लपेटे हुए है उसे पर्यावरण कह सकते हैं। प्रकृति ने मानव के लिए एक सुखद आवरण बनाया था। साँस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए साफ़ पानी, कोलाहल रहित शांत प्रकृति, हरे-भरे वन, उनमें बसने वाले पशु पक्षी। इन सबके रूप में प्रकृति ने मानव को कितना कुछ दिया, किंतु मानव ने अपने स्वार्थ में एक ओर तो प्रकृति की सुविधाओं का अंधाधुंध लाभ उठाकर उसका शोषण किया और दूसरी ओर प्रगति के नाम पर शोरगुल, धुआँ, ज़हरीली गैसें वायुमंडल में भर दीं, यही नहीं समुद्र आदि के जल को भी विषाक्त कर दिया।

वायु हमारे प्राणों का आधार है। इसीलिए वायु का एक नाम प्राण भी है, किंतु आजकल, विशेषकर शहरों में हम जिस वायु में साँस ले रहे हैं वह प्राणों के लिए हानिकर है। उसमें धूल, धुआँ, राख, कालिख जैसे पदार्थ हैं जिनमें कार्बन मोनो-ऑक्साइड जैसे हानिकारक रसायन होते हैं। यही वायु प्रदूषण है। इसी प्रदूषण के कारण आँख, गले, फेफड़े के रोगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

बढ़ता हुआ शोर भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। वाहनों कारखानों का शोर कान फाड़ने वाला होता है। घरों में ऊँचे स्वर से रेडियो-टी.वी सुनना, लाउडस्पीकरों का मनमाना प्रयोग, जोरों से चीखना-चिल्लाना सब शोर के ही उदाहरण हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ध्वनि प्रदूषण से न केवल सुनने की शक्ति पर कुप्रभाव पड़ता है, इससे सिर दर्द, रक्तचाप, अनिद्रा जैसे रोग भी हो जाते हैं।

जल का दूसरा नाम जीवन है। प्राणी जल के बिना जीवित नहीं रह सकता। आज स्वच्छ जल मिलना दूभर हो गया है, क्योंकि जल-स्रोतों को ही प्रदूषित कर दिया गया है। नगरों और शहरों की गंदगी तथा कारखानों के ज़हरीले रसायन नदियों और तालाबों में छोड़े जाते हैं। गंगा जैसी पवित्र नदी का जल प्रदूषित हो गया है।

अज्ञान और सुविधाओं के अभाव के कारण मलमूत्र त्याग, पशुओं को नहलाने, वस्त्र धोने, कूड़ा-कचरा पानी में गिराने से भी जल प्रदूषित हो जाता है। ऐसा प्रदूषित जल पीने से हैज़ा, अतिसार, पीलिया, टाइफ़ाइड जैसे रोग फैलते हैं।

वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण के बढ़ने के साथ-साथ मृदा प्रदूषण का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। रासायनिक खादों के अतिशय प्रयोग से मिट्टी का स्वाभाविक रूप विकृत होता जा रहा है। परिणामस्वरूप, उत्पादित वस्तुओं का पौष्टिक तत्त्व नष्ट होता जा रहा है। साग-सब्ज़ी और फल स्वादहीन होते जा रहे हैं।

आज की सभ्यता को शहरी सभ्यता कह सकते हैं। भारत के कुछ बड़े महानगरों की जनसंख्या एक करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। इस कारण शहरों की दुर्गति हो गई है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे महानगरों में हर प्रकार का प्रदूषण पाँव पसार रहा है। लाखों लोग झुग्गी-झोंपड़ियों में निवास करते हैं, जहाँ खुली धूप, वायु और जल तक का प्रबंध नहीं है। यहाँ की सड़कों के वाहन रोज लाखों गैलन गंदा धुआँ उगलते हैं। वृक्षों के अभाव में यह धुआँ नागरिकों के फेफड़ों में जाता है और उनका स्वास्थ्य खराब कर देता है। नगरों में जल के स्रोत भी दूषित हो चुके हैं। दिल्ली में बहने वाली यमुना पवित्र नदी नहीं, विशाल नाला बन चुकी है। शोर का कहना ही क्या ! इसके कारण शहरी जीवन तनावग्रस्त हो गया है। प्रदूषण को रोकने का सर्वोत्तम उपाय है – जनसंख्या पर नियंत्रण। सरकार को चाहिए कि वह नगरों की सुविधाएँ गाँवों तक पहुँचाए ताकि शहरीकरण की अंधी दौड़ बंद हो। हरियाली को यथासंभव बढ़ावा देना चाहिए। प्रदूषण बढ़ाने वाली फैक्टरियों के प्रदूषित जल और कचरे को संसाधित करने का उचित प्रबंध करना चाहिए। शोर को रोकने के कठोर नियम बनाए जाने चाहिए तथा उन पर अमल किया जाना चाहिए।

खेद की बात है कि सभ्यता और विकास के नाम पर हम प्रकृति की धरोहर को नष्ट कर रहे हैं और अपने पैरों में स्वयं कुल्हाड़ी मार रहे हैं। यदि पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया गया तो मानवजाति का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा। वायु प्रदूषण रोकने के लिए अधिक वृक्ष लगाने होंगे और कल-कारखानों को वायुमंडल में विषैले तत्त्व छोड़ने से रोकना होगा। वाहनों की भी जाँच करनी होगी और ऐसे ईंधनों का प्रयोग करना होगा जो प्रदूषण न फैलाएँ। कारखानों को नदीतालाबों में हानिकारक रसायन छोड़ने से रोकना होगा। जल स्रोतों की सफ़ाई करते रहनी होगी। ध्वनि प्रदूषण रोकने के भी उपाय करने होंगे। वाहनों की बनावट ऐसी हो कि वे शोर न करें। व्यर्थ हॉर्न बजाने से लोगों को रोकना होगा। मृदा प्रदूषण को रोकने के लिए प्राकृतिक उर्वरकों के प्रयोग पर बल देना होगा। सभी प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए आवश्यक है कि लोगों के सोचने के ढंग में बदलाव लाया जाए।

जैसे हमारी एक निश्चित आयु है, उसी प्रकार प्राकृतिक संसाधनों की भी। यदि हम उनको बिगाड़ेंगे या उनसे छेड़छाड़ करेंगे तो हमारा अपना अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। इसलिए भलाई इसी में है कि हम पर्यावरण का संरक्षण करें, ताकि हमारा अस्तित्व बना रहे।

Essay on Pollution in Hindi for Class 10 in 1000 Words

प्रकृति ने हमारे लिए एक स्वस्थ एवं सुखद पर्यावरण का निर्माण किया था, परंतु मनुष्य ने भौतिक सुखों की होड़ में उसे दूषित कर दिया है। वाहनों तथा कारखानों की चिमनियों से निकलते धुएँ, रासायनिक गैस एवं कोलाहल पर्यावरण को बुरी तरह प्रदूषित कर रहे हैं। मनुष्य के स्वार्थ के कारण और प्राकृतिक संपदा के शोषण और दोहन के कारण इस प्रदूषण के परिणाम और भी भयावह होते जा रहे हैं।

प्रदूषण मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं – जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनिप्रदूषण तथा अणु-प्रदूषण। हर प्रकार का प्रदूषण हमारे लिए हानिकारक है तथा किसी न किसी रूप में रोगों की वृद्धि करता है, जीवन में तनाव तथा मानसिक और शरीरिक व्यग्रता को बढ़ावा देता है। प्रदूषण के अनेक कारण हैं। वायु हमारे प्राणों का आधार है। वायु में ऑक्सीजन की मात्रा का घटना और कार्बन-डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ रही है। नगरों, महानगरों में वाहनों द्वारा छोड़े गए धुएँ तथा कल कारखानों की चिमनियों से निकले धुएँ से वायु-प्रदूषण हो रहा है। सभी व्यवसाय जिनमें प्रचुर मात्र में धूल उड़ती है : जैसे-सीमेंट, चूना, खनिज आदि तथा वे व्यवसाय जो दुर्गंधयुक्त भाप उत्पन्न करते है : जैसे पशुवध, चमड़ा तैयार करना, साबुन या चर्बी के उद्योग आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। इस प्रदूषित वायु के कारण अनेक रोग जैसे – रक्तचाप, हृदय रोग, श्वास रोग तथा नेत्र रोग आदि बढ़ रहे हैं। बालू के महीन कणों से ही तपेदिक आदि रोगों के होने की संभावना रहती है।

जल मनुष्य की बुनियादी आवश्यकता है। स्वच्छ एवं निरापद पीने का पानी न मिलने के कारण, गाँवों तथा शहरों की घनी आबादी में रहने वाले लोग अनेक गंभीर रोगों के शिकार हो रहे हैं। प्रतिवर्ष अनेक व्यक्ति जल-प्रदूषण से उत्पन्न रोगों के कारण मर रहे हैं। गाँवों तथा शहरों की गंदी नालियों का पानी जलाशय, नदी आदि में गिरकर पानी को प्रदूषित करता है। मनुष्य द्वारा जल स्त्रोतों के पास मल-मूत्र त्याग करने, तालाबों आदि में पालतू जानवर नहलाने, तालाब या नदियों के किनारे कपड़े धोने से जल प्रदूषित होता है। इसी तरह आसपास के वृक्षों के पत्तों तथा अन्य कूड़े-करकटों के जल में गिरकर सड़ने, कारखाने से निकलने वाले अवशिष्ट विषैले पदार्थों एवं गंदे जल के नदियों में गिराने आदि से जल प्रदूषण होता है। जल-प्रदूषण के कारण होने वाले अनेक भयंकर रोगों जैसे – हैजा, टाइफ़ॉइड, पीलिया आदि से लोग ग्रसित हो जाते हैं।

जल-प्रदूषण के समान ही ध्वनि प्रदूषण भी आधुनिक जीवन की समस्या है। वह आवाज़ जो असुविधाजनक हो, अनुपयोगी हो तथा अनावश्यक महसूस होती हो – शोर है। यह शोर ही ध्वनि-प्रदूषण का कारण है। शोर कई तरह से उत्पन्न होता है। एक व्यक्ति के लिए संगीत आनन्ददायक है, किंतु वही संगीत दूसरे व्यक्ति के लिए शोर हो सकता है। रेलगाड़ी की आवाज, सड़कों पर मोटरों की पोंपों, ट्रकों की धड़-धड़ कारखानों में मशीनों के चलने की तेज़ आवाज़, हवाई जहाजों का भीषण गर्जन, सड़कों पर विज्ञापन का प्रचार करने वाले लाउड स्पीकरों का शोर, और टी-वी एवं रेडियो का शोर भी ध्वनि-प्रदूषण के कारण है। ध्वनि-प्रदूषण मानव के स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यहाँ तक कि अधिक समय तक ज्यादा शोर में रहने के कारण कई बार लोगों की श्रवण शक्ति खराब हो जाती है। ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य केवल श्रवण दोष से ग्रसित ही नहीं होता, उसे रक्तचाप, अलसर, अनिद्रा के रोगों का शिकार भी होना पड़ता है।

आज संसार के सभी देशों में आणविक क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा मची हुई है ताकि दूसरा देश उन्हें कमजोर न समझे। अणु शक्ति के निश्चित अवधि से पूर्व निष्क्रिय करने तथा शत्रु देश पर उसका प्रयोग करने के कारण आणविक प्रदूषण होता है। इससे लाखों लोग अपने प्राणों से हाथ धो बैठते हैं, अनेक अपंग हो जाते हैं, वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती हैं। ऊपर लिखे विवरण से स्पष्ट होता है कि प्रदूषण चाहे वायु का हो, जल का हो या ध्वनि और अणु का हो, हमारे लिए अत्यधिक हानिकारक है।

इस समस्या का निवारण हर देश की सरकार और जनता दोनों ही कर रही हैं। फिर भी हमारी दृष्टि में प्रदूषण के निवारण के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं – वायु-प्रदूषण को अधिकाधिक वनों का संरक्षण करके रोका जा सकता है क्योंकि वन कार्बन-डाइऑक्साइड ग्रहण कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। भू-स्खलन, भू-क्षरण, रेगिस्तान के विस्तार को रोकने के लिए, जल स्त्रोतों को सूखने से बचाने के लिए उपाय करने चाहिएं। इसके लिए वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों से भावी पीढ़ियों के भविष्य को बचाने के लिए हमें अधिक वृक्ष लगाने होंगे। वृक्षों को काटने पर प्रतिबंध लगाने होंगे। बदबू फैलाने वाले उद्योगों पर नियंत्रण करना होगा। कारखानों में ऊँची-ऊँची चिमनियाँ तथा राख एकत्रित करने की मशीनों का उपयोग करना अनिवार्य होगा।

जल-प्रदूषण को रोकने के लिए तालाबों, नदियों, कुओं आदि के जल की समय-समय पर सफ़ाई की जाए, रासायनिक क्रियाओं द्वारा परिशोधन किया जाए। इसका प्रावधान जल-प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1974 में किया गया है।

ध्वनि-प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक-प्रसारक यंत्रों (लाउड स्पीकरों) के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिए जाएँ। यही नहीं, जिन कारणों से शोर बढ़ता है, उन पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार सख्त कदम उठाए।

उपर्युक्त उपायों को कार्यान्वित करने से प्रदूषण का निराकरण और निवारण किया जा सकता है। इसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर आवश्यक उपाय करने चाहिएं।

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essay on pollution in hindi for class 10

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) - 200, 300, 500 शब्दों में

जीवन की तीन अनिवार्य आवश्यकताओं वायु, जल और भोजन के बिना जीवन संभव नहीं हैं। इनमें भी वायु यानी हवा सबसे अनिवार्य है क्योंकि भोजन और पानी के बिना तो जीव कुछ समय तक जिंंदा रह सकता है, लेकिन हवा के बिना दो मिनट भी जीवित रहना मुश्किल है। वायु गैसों का मिश्रण है, स्वच्छ वायु में लगभग 78% प्रतिशत भाग नाइट्रोजन और 21% भाग ऑक्सीजन और बाकी कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, आर्गन, जल वाष्प की मात्रा रहती है। अगर इनमें खासकर कार्बन, मिथेन, नाइट्रोजन की मात्रा में बदलाव हुआ तो ये वायु प्रदूषित हो जाती है। वर्तमान समय में वायु में इसी तरह की गैस और धूलकणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है जिससे वैश्विक स्तर पर इसको लेकर चिंता बढ़ी है। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) - वायु प्रदूषण क्या है? (What is Air Pollution?)

वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - वायु प्रदूषण कितने प्रकार का होता है, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - वायु प्रदूषण के कारण, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - वायु प्रदूषण कैसे कम किया जा सकता है, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - कुछ विचार और नारे, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - उपसंहार.

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) - 200, 300, 500 शब्दों में

औद्योगीकरण की तेज रफ़्तार ने वायु प्रदूषण (Air Pollution) को जन्म दिया है। वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) के माध्यम से हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution in hindi) से इस विकट समस्या को जहां समझने में आसानी होगी, वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अन्य कारणों से भी परिचित हो सकेंगे। इससे स्कूली छात्रों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Hindi Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution hindi) से छात्रों को परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी। साथ ही पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on World Environment Day in hindi) लिखने में भी यह लेख उनकी सहायता करेगा।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on air pollution in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से हमें सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि वायु प्रदूषण क्या है? मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्व प्रदूषक कहलाते हैं, जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते हैं और वायु में ऐसे प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता है। जब वायु में प्रदूषक तत्व उपस्थित होते हैं, तो कहा जाता है कि वायु प्रदूषित है।

अन्य लेख पढ़ें-

  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • दशहरा पर निबंध
  • दिवाली पर निबंध
  • महात्मा गांधी पर निबंध

वायु प्रदूषण के प्रकार को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है -

प्राथमिक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - प्राथमिक प्रदूषक वाले प्रदूषण में ज्वालामुखी विस्फोट से राख, लावा धुँआ; वाहनों आदि से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस आदि से होने वाला प्रदूषण आता है।

द्वितीयक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं, बल्कि जब प्राथमिक प्रदूषक आपस में क्रिया या प्रतिक्रिया करते हैं। तब वे वायु में निर्मित होते हैं। जमीनी स्तर की ओज़ोन द्वितीयक प्रदूषक का प्रमुख उदाहरण है, जो धूम-कोहरा (स्मॉग) बनाती है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) के इस भाग में अब हम वायु प्रदूषण के स्रोतों के बारे में जानेंगे। वायु प्रदूषण के स्रोतों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

विभिन्न प्रकार के ईंधनों के दहन से संबंधित मानवजनित स्रोत (मानव गतिविधि) और प्राकृतिक स्रोत।

वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक मानवीय गतिविधियाँ हैं। विद्युत संयंत्र, कल-कारखाने, लकड़ी, कोयले और उपले या अन्य सामग्रियों के दहन से निकले वाली गैस और वाहनों से निकलने वाला धुँआ आदि इसका एक प्रमुख कारण है।

कभी-कभी वायु प्रदूषण प्राकृतिक कारणों से जैसे कि ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाला धुँआ या धूल की वजह से भी होता है, तो कई बार वनों में लगने वाली आग से निकलने वाला धुँआ भी इसके लिए जिम्मेदार होता है।

इसे भी देखें- होली पर निबंध

वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन व हृदय संबंधी बीमारियों का होना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है। वायु प्रदूषण के सबसे आम स्रोतों में निलंबित कण, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड आदि आते हैं। घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण की स्थिति के कारण होने वाली कुल मौतों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि विकासशील देशों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साल 2014 में लगाए गए अनुमान के अनुसार हर साल वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में लगभग 70 लाख लोगों की असमय मौत होती है। मार्च 2019 में प्रकाशित अध्ययनों से पता चलता है कि यह संख्या लगभग 88 लाख तक हो सकती है। पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरों के कारण होने वाली मौतों के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा कारण है। वायु प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अस्थमा से अधिक मौतें होती हैं। दिसंबर 2013 में चीन में प्रत्येक साल वायु प्रदूषण से लगभग 500,000 लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था। इस तरह हम देख सकते हैं कि वायु प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारियों को न केवल समझना होगा, बल्कि निभाने की भी जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) के इस अहम भाग में हम वायु प्रदूषण की समस्या को खत्म या कम करने के कुछ उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे-

पेड़-पौधे वातावरण की कार्बन डाईऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए और कड़ाई से इसका पालन किया जाना चाहिए। जंगलों में लगने वाली आग के त्वरित नियंत्रण के उपाय किए जाएँ।

जीवाश्म ईंधन के बजाए वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।

कल-कारखानों में प्रदूषण मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए।

वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार गतिविधियों को सीमित या बंद किया जाए।

नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों तथा इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।

प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को शहर और रिहायशी इलाकों से दूर रखना।

ऐसी तकनीकों का उपयोग करना, जिससे कम से कम धुँआ उत्सर्जित हो।

उम्मीद है कि वायु प्रदूषण पर निबंध (वायु प्रदूषण पर लेख) विशेष इस लेख के माध्यम से वायु प्रदूषण को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली होगी और हम सब वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) में बताई गई जानकारियों का उपयोग कर वायु प्रदूषण को कम कर बेहतर पर्यावरण के निर्माण की दिशा में अपना छोटा लेकिन बेशकीमती योगदान देंगे।

वायु प्रदूषण की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरल शब्दों में नारे (स्लोगन) तैयार किए जाते हैं जो आसानी से समझ में आ जाते हैं और लंबे समय तक याद भी रहते हैं। प्रदूषण, विशेषकर वायु प्रदूषण के बारे में नीचे हमने कुछ नारे संकलित किए हैं, जिनका उपयोग लोगों को जागरूक करने और वायु प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जा सकता है।

नीचे कुछ वायु प्रदूषण पर नारे हिंदी में दिए गए हैं -

1. स्वच्छ वायु के लिए कुछ कर दिखाना होगा; पेड़ों, बाग-बगीचों को कटने से बचाना होगा।

2. तरक्की की क्या खूब हमने गढ़ी कहानी है, वायु प्रदूषण इसकी सबसे बड़ी निशानी है।

3. जागरूक नागरिक बनिए, वायु प्रदूषण फैलाने से बचिए।

4. आओ वायु प्रदूषण को मिलकर हटाएँं, हम सब मिलकर पड़े लगाएँ।

5. कुछ पाने की हमने बड़ी कीमत चुकाई, अपनी साँसों को खुद हमने जहरीली हवा पिलाई।

6. जागो तुम, जागेगा भारत, शुद्ध हवा पाएगा भारत।

7. स्वच्छ हवा को अगर पाना है, सबको पेड़ लगाना है।

8. अपना नहीं भविष्य का सोचो, वायु प्रदूषण को आज ही रोको।

9. सबका एक ही नारा, प्रदूषण मुक्त हो देश हमारा।

11. स्वस्थ और बलशाली लोग भी वायु प्रदूषण से प्रभावित हो सकते हैं।– जेन लैपिंग

12. धरती माता अपने सभी बच्चों के साथ गैस चैंबर की ओर जा रही हैं- स्टीवन मैगी

स्वार्थपरता से ऊपर उठकर दुनिया के सभी देशों को इसमें अपनी भूमिका का सक्रियता से निर्वहन करने की जरूरत है। दुनिया के बड़े और शक्तिशाली देशों ने ही सबसे अधिक वायु प्रदूषण किया है इसलिए इसकी रोकथाम करने की दिशा में भी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इनकी ही बनती है, क्योंकि न केवल जरूरी संसाधन और विशेषज्ञता के कारण ये ऐसा करने में सक्षम हैं, बल्कि इनके ही कर्मों की सजा पूरी दुनिया को भुगतनी पड़ रही है। वायु प्रदूषण दुनिया में तेजी से बढ़ रही एक गंभीर समस्या है, जिसकी रोकथाम करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास भी इसमें अहम भूमिका निभाएँगे। हम सभी को पर्यावरण प्रदूषण रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका को समझना होगा और उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करना होगा, केवल तभी वायु प्रदूषण की समस्या पर लगाम कसी जा सकेगी।

हम उम्मीद करते हैं कि वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) विशेष इस लेख से आपको न सिर्फ वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध (Air Pollution Essay in hindi) लिखने में ही सहायता मिलेगी, बल्कि आप वायु प्रदूषण को लेकर काफी जागरूक भी हुए होंगे। धन्यवाद।

Frequently Asked Question (FAQs)

मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्व प्रदूषक कहलाते हैं जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते। वायु में इन प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता है। वायु में प्रदूषक तत्वों के उपस्थित होने की स्थिति में वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण मोटे तौर पर दो प्रकार का होता है-

प्राथमिक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - प्राथमिक प्रदूषक वाले प्रदूषण में ज्वालामुखी विस्फोट से राख, लावा धुँआ; वाहनों आदि से निकलने वलीकार्बन मोनो ऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस आदि से होने वाला प्रदूषण आता है।

द्वितीयक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं। बल्कि जब प्राथमिक प्रदूषक आपस में क्रिया या प्रतिक्रिया करते हैं तब वे वायु में निर्मित होते हैं। जमीनी स्तर की ओज़ोन द्वितीयक प्रदूषक का प्रमुख उदाहरण है जो धूम-कोहरा (स्मॉग) बनाती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मार्च 2019 में प्रकाशित अध्ययनों से पता चलता है कि हर साल वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में  लगभग 88 लाख लोगों की असमय मौत होती है। वायु प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अस्थमा से अधिक मौतें होती हैं। वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का बिगड़ना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर अधिक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है।   

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय कई तरह के हो सकते हैं। वायु प्रदूषण रोकने कुछ उपाय नीचे दिए गए हैं-

पेड़-पौधे वातावरण की कार्बन डाई ऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ रही है। इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए और कड़ाई से इसका पालन किया जाना चाहिए। जंगलों में लगने वाली आग के त्वरित नियंत्रण के उपाय किए जाएँ।

जीवाश्म ईंधन के वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।

  • नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों और इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।

ऐसी तकनीकों का उपयोग करना जिससे कम से कम धुँआ उत्सर्जित हो।

छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास भी वायु प्रदूषण नियंत्रण में अहम भूमिका निभाएँगे। सभी को पर्यावरण प्रदूषण रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका को समझना होगा और उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करना होगा। वायु प्रदूषण नियंत्रण के कुछ व्यक्तिगत उपाय नीचे दिए गए हैं- 

  • अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना।
  • पेड़ों, बाग-बगीचों को नुकसान न पहुँचाएँ और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें।
  • छोटे-मोटे आयोजन कर आस-पास वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करने वालों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करना।
  • वैकल्पिक ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए आदि।
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Bio Medical Engineer

The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Data Administrator

Database professionals use software to store and organise data such as financial information, and customer shipping records. Individuals who opt for a career as data administrators ensure that data is available for users and secured from unauthorised sales. DB administrators may work in various types of industries. It may involve computer systems design, service firms, insurance companies, banks and hospitals.

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Geotechnical engineer

The role of geotechnical engineer starts with reviewing the projects needed to define the required material properties. The work responsibilities are followed by a site investigation of rock, soil, fault distribution and bedrock properties on and below an area of interest. The investigation is aimed to improve the ground engineering design and determine their engineering properties that include how they will interact with, on or in a proposed construction. 

The role of geotechnical engineer in mining includes designing and determining the type of foundations, earthworks, and or pavement subgrades required for the intended man-made structures to be made. Geotechnical engineering jobs are involved in earthen and concrete dam construction projects, working under a range of normal and extreme loading conditions. 

Cartographer

How fascinating it is to represent the whole world on just a piece of paper or a sphere. With the help of maps, we are able to represent the real world on a much smaller scale. Individuals who opt for a career as a cartographer are those who make maps. But, cartography is not just limited to maps, it is about a mixture of art , science , and technology. As a cartographer, not only you will create maps but use various geodetic surveys and remote sensing systems to measure, analyse, and create different maps for political, cultural or educational purposes.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Product Manager

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Operations manager.

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Bank Probationary Officer (PO)

Investment director.

An investment director is a person who helps corporations and individuals manage their finances. They can help them develop a strategy to achieve their goals, including paying off debts and investing in the future. In addition, he or she can help individuals make informed decisions.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

An expert in plumbing is aware of building regulations and safety standards and works to make sure these standards are upheld. Testing pipes for leakage using air pressure and other gauges, and also the ability to construct new pipe systems by cutting, fitting, measuring and threading pipes are some of the other more involved aspects of plumbing. Individuals in the plumber career path are self-employed or work for a small business employing less than ten people, though some might find working for larger entities or the government more desirable.

Construction Manager

Individuals who opt for a career as construction managers have a senior-level management role offered in construction firms. Responsibilities in the construction management career path are assigning tasks to workers, inspecting their work, and coordinating with other professionals including architects, subcontractors, and building services engineers.

Urban Planner

Urban Planning careers revolve around the idea of developing a plan to use the land optimally, without affecting the environment. Urban planning jobs are offered to those candidates who are skilled in making the right use of land to distribute the growing population, to create various communities. 

Urban planning careers come with the opportunity to make changes to the existing cities and towns. They identify various community needs and make short and long-term plans accordingly.

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Naval Architect

A Naval Architect is a professional who designs, produces and repairs safe and sea-worthy surfaces or underwater structures. A Naval Architect stays involved in creating and designing ships, ferries, submarines and yachts with implementation of various principles such as gravity, ideal hull form, buoyancy and stability. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Veterinary Doctor

Pathologist.

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Speech Therapist

Gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

Hospital Administrator

The hospital Administrator is in charge of organising and supervising the daily operations of medical services and facilities. This organising includes managing of organisation’s staff and its members in service, budgets, service reports, departmental reporting and taking reminders of patient care and services.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Videographer

Multimedia specialist.

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Linguistic meaning is related to language or Linguistics which is the study of languages. A career as a linguistic meaning, a profession that is based on the scientific study of language, and it's a very broad field with many specialities. Famous linguists work in academia, researching and teaching different areas of language, such as phonetics (sounds), syntax (word order) and semantics (meaning). 

Other researchers focus on specialities like computational linguistics, which seeks to better match human and computer language capacities, or applied linguistics, which is concerned with improving language education. Still, others work as language experts for the government, advertising companies, dictionary publishers and various other private enterprises. Some might work from home as freelance linguists. Philologist, phonologist, and dialectician are some of Linguist synonym. Linguists can study French , German , Italian . 

Public Relation Executive

Travel journalist.

The career of a travel journalist is full of passion, excitement and responsibility. Journalism as a career could be challenging at times, but if you're someone who has been genuinely enthusiastic about all this, then it is the best decision for you. Travel journalism jobs are all about insightful, artfully written, informative narratives designed to cover the travel industry. Travel Journalist is someone who explores, gathers and presents information as a news article.

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

Merchandiser.

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Metallurgical Engineer

A metallurgical engineer is a professional who studies and produces materials that bring power to our world. He or she extracts metals from ores and rocks and transforms them into alloys, high-purity metals and other materials used in developing infrastructure, transportation and healthcare equipment. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

ITSM Manager

Information security manager.

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

Business Intelligence Developer

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: Pollution Essay (Long & Short) in Hindi

Pollution Long & Short Essay in Hindi : प्रकृति और मनुष्य का संबंध प्राचीन काल से चला आ रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से मनुष्य ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ने मे कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। कल कारखानों और उद्योगों का विकास, जनसंख्या वृद्धि और पेड़ों का निरंतर कटाव प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे है। कारखानो से निकलने वाले धुएं से नदियों के जल दूषित हो रहे है। और जंगलो की अंधा धुंध कटाई के कारण जीव जंतु समाप्त होते जा रहे है। मानवता को प्रदूषण पर रोक लगानी चाहिए। आज हमने नीचे प्रदूषण की समस्या पर बड़ा (1300 Word) और छोटा (10 Line) निबंध लिखा है जिसे छात्र किसी भी Class के लिए Essay या Speech के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है।

Table of Contents

प्रदूषण का अर्थ और प्रकार

वायु प्रदूषण (air pollution), जल प्रदूषण (water pollution), धवनि प्रदूषण (noise pollution), भूमि प्रदूषण (land pollution), पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का समाधान, प्रदूषण पर दस लाइन : 10 line short essay on pollution, प्रदूषण पर निबंध: essay on pollution in hindi.

प्रदूषण पर निबंध Pollution Essay in Hindi

मानव जाति ने अपनी सुख सुविधाओ और प्रकृति पर विजय पाने के लिए प्रकृति का संतुलन बिगाड़ना आरंभ किया। प्रकृति पर अत्याचार करने का दंड मानव जाति को विभिन्न प्रकार के रोगों के रूप मे मिला। जब सृष्टि का निर्माण हुआ तब मनुष्य और प्रकृति एक साथ थी। उस काल में कोई रोग मानव को परेशान नही करता था। परंतु आज के इस दौर में धीरे धीरे प्रकृति का संतुलन मानव जाति के हाथो से बिगड़ता गया और अनेक रोगों का जन्म होने लग गया। आज विज्ञान ने कई ऐसे उद्योगों , कारखानो और साधनों का निर्माण किया है जिससे प्रकृति के तत्वों मे विकार पैदा हो गए है। प्रकृति के हर तत्वों मे विकार पैदा करके मानव जाति ने अपने आप के लिए ही मुसीबत पैदा कर ली है।

पृथ्वी के वायु, जल और आवरण आदि में गतिशील बदलाव को पर्यावरण कहा गया है। प्रकृतिक संतुलन इसी से बना हुआ है। मानव शरीर को समय समय पर शुद्ध पेय जल और शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है। मानव के कान सीमित धवनि सुन सकते है। इसके अलावा अन्य सभी इंद्रियाँ सीमित अनुभूति का अहसास करती है। परंतु अगर उनमे विकार पैदा हो जाता है तो वह हमारे लिए प्रदूषण साबित होता है।

प्रकृतिक से मिले अनमोल उपहारों मे वैज्ञानिक अविष्कारों ने भी कई विकार पैदा कर दिए है। जिससे हमारे जीवन मे हर रोज काम आने वाली हवा, पानी आदि सब प्रदूषित होने लग गए है। अधिक तेज रोशनी आँखों को और अधिक तेज आवाज़ हमारे कानों को हानि पहुँचती है। धीरे- धीरे वायु, ध्वनी , जल आदि सब दूषित होता जा रहा है।

आज प्रदूषण इतना बड़ा रूप लेकर मानव जाति के सामने आ गया है कि वह एक विषम और भयंकर समस्या बन गया है। वायु, जल, भूमि आदि को तेज़ी से दूषित करने की क्रिया को प्रदूषण कहते है। प्रदूषण हमारे सामने कई तरह से आ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार है जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, धवनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।

प्रकृति ने वायु को बिल्कुल साफ बनाया था। परंतु आजकल यातायात के साधनों मे इतनी वृद्धि हुई है कि वे हर समय जहरीला धुआ छोड़ते है। जो वायुमंडल को दूषित बना देते है। कारखानों और उद्योग धंधों के विकास ने तो प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सासँ लेने मे भी कठिनाई आने लग गई है। हमारे शरीर में आक्सीजाँन की मात्रा कम होती जा रही है शाम के समय बड़े बड़े महानगरो मे इतना प्रदूषण फैल जाता है कि चारो ओर धुआँ धुआँ नज़र आता है। जिससे हमारी आँखों मे जलन होती हैं और आँखे कई प्रकार के रोगों से प्रभावित हो जाती है।

वायु प्रदूषित होने से सांस के रोगियों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है फेफड़ों के रोग और आँखों के खराब होने की समस्या भी पनपती जा रही है। प्रकृति द्वारा दिये गए इतने महत्वपूर्ण उपहार को मानव ने इतना बिगाड़ दिया है कि आज ये एक समस्या बनकर सामने आ गयी है। इस बढ़ते हुए वायु प्रदूषण के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक भी चिंतित है।

जल के रूप में प्रकृति ने हम एक अनमोल उपहार दिया है, जल को जीवन की संज्ञा दी गई है किंतु आज जल मलिन एवम विशुद्ध हो गया है। जो हमारे शरीर में अनेको बीमारियों को फैला रहा है। जल एक ऐसा महत्वपूर्ण हिस्सा है ।जिसके बिना मानव जाति का जीवन मुमकिन नहीं। बिना पानी पिए इंसान ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकता।

नदी, नहर और तालाब आदि जल के प्रमुख स्त्रोत है जो हमारे दैनिक कार्यो को पूरा करने मे हमारी सहायता करते है। किंतु आज के समय मे हमारी नदियों में विशुध् जल बह रहा है, धरती के नीचे प्रदूषित जल इकट्ठा किया हुआ है। प्रकृति के सभी जल स्त्रोत मनुष्य के लिए नितांत दूषित बने हुए हैं। परंतु वाह रे स्वर्थी इंसान तूने जल को भी शुद्ध नही रहने दिया।

नदियों मे शहरो और नगरों का गंदा पानी नालो द्वारा प्रवाहित किया जाता है। कारखानों का जल नदियों में डाला जाता है। इस कारण से नदियों का पानी इतना दूषित हो गया है कि बिना साफ किये पिया नही जा सकता।

विज्ञान के ध्वनी प्रसारण आविष्कार लाउडस्पीकर ने धवनि को प्रदूषित करने मे सहायता दी। रेलगाड़ियों, बसो, कारों व अन्य साधनों हॉर्न से निकलने वाली तेज़ धवनियो ने बहुत अधिक धवनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरो मे अनेकों ऐसे यत्र है जिनमे से बहुत ही तेज आवाज़ निकलती है। सुबह शाम मंदिरों, मस्जिदो , गुरुद्वारो मे से बड़ी जोर से आवाज़ आती है जिससे भी धवनि प्रदूषण होता है। इसका प्रभाव हमारे कानों पर पड़ता है।

धवनि प्रदूषण से हमारे शरीर के कोमल तंतु प्रभावित होते है। इस कारण हम मे सुनने की शक्ति कम होती जा रही है। और सिर्फ कान ही नही बल्कि और भी कई प्रकार की बीमारियों ने शरीर को घेर लिया है जैसे सिर दर्द व भारीपन बना रहता है। नींद कम आने लग गयी है अनिंद्रा की बीमारी हो गयी है उच्च रक्तचाप आदि रोग होने लग गए है। इस प्रकार धवनि प्रदूषण से कई प्रत्यक्ष और प्रोक्ष रोग पैदा हो रहे है।

जल, वायु, और धवनि प्रदूषण के साथ साथ भूमि प्रदूषण भी अब एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। वैज्ञानिक उन्नति और उद्योग धंधो के कारण भूमि प्रदूषण की समस्या भी निरंतर बढती जा रही है जो आगे चलकर एक विकराल रूप ले सकती है। कारखानो के कचरे और गंदे पानी और रासायनिक कूड़े से तेज़ी से भूमि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक की थैलियों का जोर शोर से हो रहे प्रयोग से भी भूमि प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा है।

आज के समय में सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण की हो रही है। जिसके कारण हर वस्तु दूषित होती जा रही है। वायु प्रदूषण को रोकना अति आवश्यक है। यदि हम वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नही करेंगे तो ये सम्पूर्ण मानव जाती के लिए विनाशकारी साबित होगा। वायु प्रदूषण को रोकने हेतु सबसे पहले कदम प्रकृति के श्रृंगार सवरूप पेड़ों की कटाई पर रोक होना चाहिए।

वृक्ष मानव जाति के सबसे बड़े मित्र होते है, पेड़ पौधे निरंतर वायुमंडल को साफ करते रहते है। इसलिए हमें अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर चलने वाले वाहनों के वजह इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देना चाहिए। उद्योग धंधो और कारखानों को शहर और बस्तियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण कम करने के लिए गंदे पानी वाले नालो को नदियों के बजाय खेतो या दूसरे क्षेत्रो में मिलाना चाहिए। धवनि प्रसारण यत्रो की धवनि को कम करना या उन पर रोक लगाने से ध्वनी प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

आज के युग मे हर मनुष्य को अपने अपने स्थान पर प्रदूषण को रोकना चाहिए। मानव के लिए शुद्ध जल, शुद्ध वायु , शुद्ध भोजन, और शुद्ध मौसम अनिवार्य तत्व है। हम भी हर रोज अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रदूषण बढ़ाने में सहायक होते है। आज के इस दौर मे बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए हम सब को अपनी सामर्थ्य के अनुसार पैड लगाने चाहिए। बिना किसी जरूरत के वृक्ष नहीं काटने चाहिए। गंदगी को साफ रखने का प्रयास करना चाहिए।

  • पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में परिवर्तन पर्यावरण कह लाता है।
  • प्रकृति ने हमे बहुत से अनमोल उपहार दिये है जिसमे जल, वायु आदि शामिल है।
  • आज पर्यावरण को मानव द्वारा दूषित किया जा रहा है। हमे इस पर रोक लगानी चाहिए।
  • पर्यावरण को साफ रखने के लिए वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए।
  • जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाकर भी हम पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं।
  • मनुष्य को पर्यावरण की खातिर प्लास्टिक के थैलो का उप्योग कम करके काग़ज़ से बने लिफ़ाफ़ों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • अपने आस पास के स्थानों में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चहिये।
  • पर्यावरण के हित के लिए वृक्षों की हो रही अनआवश्यक कटाई को रोकना चाहिए।
  • धवनि प्रसारण के यत्रो की धवनि कम करनी चाहिए और अगर कोई इस बात का पालन ना करे तो उस पर जुर्माना लगाया जाना चाहिये।
  • कारखानों को आबादी से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। इससे भी प्रदूषण की समस्या को कम करने में काफी हद्द तक मदद मिलती है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

35 thoughts on “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi”

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क्या मैं अपने नुक्कड़ नाटक में आपके इस निबंध रख सकता हूँ?

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दा इंडियन वायर

प्रदूषण पर निबंध

essay on pollution in hindi for class 10

By विकास सिंह

essay on pollution in hindi

प्रदूषण शब्द का तात्पर्य पर्यावरण में प्रदूषकों (प्रदूषकों) की शुरूआत से है, जिनसे इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण मुख्य रूप से मानव प्रेरित कारकों जैसे – औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई , अकुशल अपशिष्ट निपटान आदि के कारण होता है। प्रदूषण को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण , प्लास्टिक प्रदूषण , भूमि प्रदूषण , प्रकाश प्रदूषण, रेडियो प्रदूषण इसलिए प्रदूषण हमारे प्राकृतिक संसाधनों – जल, वायु आदि या समग्र पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली घटना है।

प्रदूषण पर निबंध, short essay on pollution in hindi (100 शब्द)

प्रदूषण हमारे प्राकृतिक संसाधनों में अवांछित पदार्थों की उपस्थिति को संदर्भित करता है; उन्हें प्रदूषित करना और समग्र पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग और अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन होते हैं, इसके अलावा प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करना पर्यावरण और पृथ्वी पर जीवन को नुकसान पहुंचाता है।

पर्यावरणीय प्रदूषण पैदा करने वाले प्रमुख कारक मानव जनित हैं – जीवाश्म ईंधन का उत्पादन और दहन वायु को प्रदूषित करता है, कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी प्रदूषित होती है, प्लास्टिक के प्रदूषण से महासागरों और जल निकायों का अपव्यय होता है, वनों की कटाई से वायु प्रदूषण होता है आदि ग्रह पर प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं लेकिन उन्हें प्रदूषित करने वाले कारक कई हैं। प्राकृतिक संसाधनों की बहाली और संरक्षण की दिशा में तत्काल पर्याप्त उपाय करने की वैश्विक आवश्यकता है, इससे पहले कि वे वापसी के बिंदु तक क्षतिग्रस्त हो जाएं।

प्रदूषण पर निबंध, essay on pollution in hindi (150 शब्द)

प्रस्तावना:.

प्रदूषण पृथ्वी पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों में कुछ हानिकारक या जहरीली सामग्रियों का मिश्रण है। यह प्राकृतिक जीवन चक्र को परेशान करके इस ग्रह पर प्रजातियों के सामान्य जीवन को प्रभावित करता है।

प्रदूषण के प्रकार:

प्रदूषण कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण आदि। दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है क्योंकि ऑटोमोबाइल की बढ़ती संख्या, जहरीली गैसों की रिहाई, औद्योगिक कंपनियों से धुआं, सूक्ष्म रूप से घुलित ठोस, तरल वायुमंडल में वायुमंडल आदि। हर पल सांस लेने वाली हवा फेफड़ों के कई विकारों का कारण बनती है।

इस तरह से पीने के पानी में सीवेज के पानी (रोगाणु, वायरस, हानिकारक रसायन आदि) के मिश्रण से मिट्टी और जल प्रदूषण भी होता है और कुछ खतरनाक एग्रोकेमिकल्स जैसे कीटनाशक, कवकनाशी, शाकनाशी, ईथर जैसे कार्बनिक यौगिक भी होते हैं। बेंजीन और मिट्टी में रेडियम और थोरियम, ठोस अपशिष्ट (औद्योगिक राख, कचरा, कचरा) सहित कुछ रेडियोधर्मी सामग्री आदि।

निष्कर्ष:

हमें प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों की जांच के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए सभी उपायों का पालन करने की आवश्यकता है। हमें प्रदूषण रोकने के लिए वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए, पानी बचाना चाहिए, जैविक कृषि प्रणाली का पालन करना चाहिए आदि।

प्रदूषण पर निबंध, 150 शब्द:

पर्यावरण प्रदूषण वह स्थिति है जब हमारे पर्यावरण का प्राकृतिक चक्र गड़बड़ा जाता है और हमें परेशान करता है। धुएं, ठोस या तरल कचरे के रूप में हमारे द्वारा बनाए गए कुछ हानिकारक पर्यावरणीय दूषित तत्व पर्यावरण में मिल जाते हैं और इसे प्रदूषित कर देते हैं। कुछ खराब रासायनिक रचनाएँ, जिनका हम दैनिक आधार पर उपयोग करते हैं, पर्यावरण में उलझ जाती हैं और इसकी प्राकृतिक कार्यप्रणाली और प्राकृतिक प्रक्रियाओं को विचलित कर देती हैं जो सीधे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

पर्यावरण प्रदूषण को कैसे रोकें:

यह केवल मानव है जो अपनी खराब गतिविधियों को सीमित करके पर्यावरण प्रदूषण की जांच कर सकता है। हम अधिक पेड़ लगाकर और मौजूदा लोगों की देखभाल करके पर्यावरण प्रदूषण को रोक सकते हैं। वाहनों का उपयोग कम करें, वस्तुओं का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण करें, कचरे का उचित निपटान करें, पॉलिथीन को ना कहें और हमारे आस-पास की स्वच्छता और स्वच्छता बनाए रखें, इससे प्रदूषण भी कम हो सकता है।

हमारा पर्यावरण और हम, दोनों एक-दूसरे की मदद के बिना अधूरे हैं। अनजाने में हम सभी पर्यावरण के लिए समस्याएं और चुनौतियां पैदा कर रहे हैं और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्राकृतिक प्रक्रियाओं को आसानी से जारी रखने के लिए स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए अपनी पूरी कोशिश करें।

प्रदूषण पर निबंध, 200 शब्द:

प्रस्तावना :.

प्रदूषण एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है क्योंकि इसने हर आयु वर्ग के लोगों और जानवरों के लिए बहुत सारे स्वास्थ्य खतरे पैदा कर दिए हैं। हाल के वर्षों में औद्योगिक रूप से अपशिष्ट पदार्थों को मिट्टी, वायु और पानी में सीधे मिलाने के कारण प्रदूषण की दर बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसके बावजूद, लोग अभी भी प्रदूषण और इसके प्रभावों के बारे में कम से कम चिंतित हैं। समय आ गया है जब इसे बहुत गंभीरता से निपटने की आवश्यकता है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ियों को बहुत नुकसान होगा।

वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण इत्यादि जैसे प्राकृतिक संसाधनों से प्रभावित होने के अनुसार प्रदूषण को कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण भी हैं जो हमारे लिए हानिकारक हैं और साथ ही साथ हमारी प्राकृतिक जैव विविधता भी इसका शिकार हो रही है।

प्रदूषण के कारण:

वनों के निरंतर कटाव, उच्च वाहन उपयोग, तेजी से शहरीकरण और औद्योगीकरण के माध्यम से बड़े उत्पादन ने प्राकृतिक पर्यावरण को अत्यधिक प्रभावित किया है। ऐसी गतिविधियों से उत्पन्न हानिकारक और जहरीले कचरे से मिट्टी, हवा और पानी में अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं जो अंततः जीवन को दर्द की ओर धकेल देते हैं। अधिक पैसा कमाने और कुछ अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने के लिए मनुष्य के स्वार्थ के कारण प्रदूषण की दर भी बढ़ रही है।

पर्यावरण प्रदूषण किसी एक देश की समस्या नहीं है; यह पूरी दुनिया का मुद्दा है, इसलिए इसे रोकने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। यदि इसे नियंत्रण में नहीं लिया जाता है, तो यह भविष्य में पूरे ग्रह को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है और मानव अस्तित्व का सवाल भी पैदा करेगा।

प्रदूषण पर निबंध, 250 शब्द:

पर्यावरण प्राकृतिक आवास की तुलना में प्रदूषण किसी भी विदेशी या जहरीले पदार्थों का पर्यावरण में बहुत तेज गति से होना है। प्राकृतिक संसाधनों का प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन का कारण बनता है। प्रदूषण सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है जो दुनिया के लगभग हर देश द्वारा सामना किया जा रहा है।

कारण:

इस मुद्दे के प्रमुख कारण औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, शहरीकरण आदि हैं। कई गतिविधियों के उप-उत्पाद जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा हैं, इस मुद्दे को भी जोड़ते हैं। विभिन्न प्रकार के प्रदूषक जो हमारे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को परेशान कर रहे हैं, वे हैं जहरीली गैसें (NO, SO2, CO2, CO, NO2), हैलोजेन (आयोडीन, क्लोरीन, ब्रोमीन), जमा पदार्थ (धूल, धुंध, ग्रिट), एग्रोकेमिकल्स (कीटनाशक, जड़ी बूटी) आदि।

फोटोकैमिकल ऑक्सीडेंट (फोटोकैमिकल स्मॉग, पेरोक्सीसेटाइल नाइट्रेट, ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड), उद्योगों से कार्बनिक यौगिक (एसिटिक एसिड, बेंजीन, ईथर), रेडियोधर्मी सामग्री (रेडियम, थियम), कुछ ठोस अपशिष्ट (राख, कचरा) आदि भी जिम्मेदार हैं। प्रदूषण पैदा करने के लिए।

प्रभाव:

वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण प्रदूषण के सबसे खतरनाक रूप हैं जो मानव को सीधे स्वास्थ्य विकार पैदा करते हैं। हमारे पास न तो सुरक्षित पीने का पानी है, न ही शुद्ध हवा में साँस लेना और न ही फ़सल को प्रदूषण मुक्त भूमि। औद्योगिक विकास और ग्रीन हाउस प्रभाव ने जलवायु परिवर्तन के कारण हमारे पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। मानवीय लालच और स्वतंत्रता का दुरुपयोग उन्हें प्राकृतिक संसाधनों के गंभीर क्षरण और कुप्रबंधन की ओर ले जाता है।

निष्कर्ष

भविष्य में ग्रह पर जीवन के स्वस्थ अस्तित्व के लिए इस व्यापक रूप से फैलने वाले प्रदूषण को नियंत्रण में लेने की आवश्यकता है। अगर हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर वातावरण और एक बेहतर दुनिया देना चाहते हैं तो हमें प्रदूषण को रोकने के लिए और पृथ्वी को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।

प्रदूषण पर निबंध, essay on pollution in hindi (250 शब्द)

पृथ्वी को पूरे ब्रह्मांड में जीवन अस्तित्व के लिए उपयुक्त एकमात्र ग्रह माना जाता है, लेकिन हानिकारक पदार्थों के साथ प्राकृतिक संसाधनों के दूषित होने से प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा मंडराता है और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन प्रभावित होता है। सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या और तेजी से औद्योगिकीकरण से वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि वे पर्यावरण में जहरीली गैसों की भारी मात्रा को जोड़ते हैं।

प्रदूषण हमें और हमारे पर्यावरण को कैसे प्रभावित करता है

प्रदूषण निम्नलिखित तरीकों से हमें और हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है:

अम्ल वर्षा:  हानिकारक रसायनों, जहरीली गैसों और हवा में धूल की रिहाई एसिड बारिश के माध्यम से पृथ्वी पर वापस आती है और फसलों और जीवन के विकास को नुकसान पहुंचाती है। एसिड बारिश किसानों के साथ-साथ विभिन्न प्रजातियों और जानवरों के लिए कई हानिकारक प्रभावों का कारण बनती है।

कृषि प्रदूषण:  समुद्र, झीलों, नदियों, तालाबों और अन्य जल निकायों में औद्योगिक तरल कचरे के सीधे जल निकासी के कारण जल प्रदूषण बढ़ रहा है। इस पानी का उपयोग किसानों द्वारा बढ़ती फसलों में प्रकृति में विषाक्त हो सकता है और हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन:  प्रदूषण की बढ़ती मात्रा ने ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दिया है जो कई समस्याओं का मूल है। इससे जलवायु परिवर्तन भी हुआ है जो पृथ्वी के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है और विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने का कारण बना है।

प्रदूषण ने पृथ्वी के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र और एक जगह की जैव विविधता को अत्यधिक प्रभावित किया है। यदि प्रदूषण की बढ़ती दर को अभी रोका नहीं गया तो यह भविष्य में बड़ी समस्याओं को जन्म दे सकता है और गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरण की गिरावट को जन्म दे सकता है।

प्रदूषण पर निबंध, 300 शब्द:

प्रदूषण सबसे गंभीर मुद्दा बन गया है क्योंकि हर कोई अपने दैनिक जीवन में बहुत सारे स्वास्थ्य खतरों का सामना कर रहा है। औद्योगिक कचरा और अन्य गतिविधियों से विभिन्न प्रकार के प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनों जैसे हवा, पानी, मिट्टी आदि को दूषित कर रहे हैं। मिट्टी, हवा और पानी में मिलाने के बाद, वे सीधे मनुष्य और जानवरों को प्रभावित कर रहे हैं और विभिन्न प्रकार की घातक बीमारियों का कारण बन रहे हैं उनकी सेहत।

शहरों में प्रदूषण:

वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।

गांवों में प्रदूषण:

हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।

प्रदूषण की रोकथाम:

शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।

मानव निर्मित तकनीकी प्रगति सभी प्रकार के प्रदूषण का प्रमुख कारण है। इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि प्रदूषण के मुद्दे पर खतरे की रेखा को पार करने से पहले हमें प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए सख्त और त्वरित कदम उठाने चाहिए और अपनी मातृ प्रकृति और पर्यावरण को और अधिक खराब होने से बचाना चाहिए। हमारा एकजुट दृष्टिकोण ही हमें प्रदूषण से लड़ने और पर्यावरण को इसके खतरों से बचाने में मदद कर सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण आज इस ग्रह पर पूरी मानव बिरादरी के लिए एक प्रमुख मुद्दा है। हम अपनी लापरवाह गतिविधियों के माध्यम से अनजाने में पर्यावरण में लगातार अशुद्धियाँ जोड़ रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण मानव की प्राकृतिक प्रक्रियाओं और रहन-सहन को प्रभावित करता है। जब हम पर्यावरण के प्राकृतिक चक्रों से खेलते हैं, जिसमें वायु, पृथ्वी, जल, भूमि, पौधे और जानवर शामिल हैं, तो यह निश्चित रूप से हमारे लिए बड़ी चुनौती है और स्वस्थ जीवन को लगभग असंभव बना देता है। यह मानव और प्रकृति दोनों के अस्तित्व को एक साथ रखता है क्योंकि दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं।

प्रदूषण के प्रमुख कारण:

प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

पेड़ों की कटाई:  पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा मुद्दा शहरी विकास के लिए जंगलों को हटाना है। दिन-प्रतिदिन पेड़ों की घटती संख्या पर्यावरण में जहरीली गैसों के स्तर को बढ़ाती है क्योंकि पेड़ पर्यावरण में मौजूद अधिकांश कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं।

औद्योगिकीकरण और परिवहन:  तेजी से औद्योगिकीकरण और परिवहन भी वायु प्रदूषण के कारण पर्यावरण में उत्सर्जित जहरीली गैसों का बहुत अधिक कारण बनता है। झीलों और नदियों में इन उद्योगों का अनुचित अपशिष्ट निपटान जल गुणवत्ता को प्रभावित करता है और जलीय जानवरों को मारता है।

उर्वरक और कीटनाशक:  किसान उच्च पैदावार के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों का बहुत अधिक उपयोग करते हैं जिससे भूजल सहित जल निकायों का प्रदूषण होता है। जब इस पानी का उपयोग उपभोग के लिए किया जाता है तो यह विभिन्न घातक बीमारियों की ओर ले जाता है।

हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें सांस लेने के लिए ताजी और शुद्ध हवा की जरूरत होती है, खाने के लिए अनियंत्रित भोजन और पीने के लिए साफ पानी लेकिन बढ़ते प्रदूषण ने हमारे लिए सब कुछ काफी मुश्किल बना दिया है। हमें प्रभावित करने के अलावा, प्रदूषण ने कई पारिस्थितिक समस्याओं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और कई प्रजातियों के विलुप्त भी कर दिया है।

हमें प्रदूषण के मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेना होगा और यह बहुत जल्द हमें नष्ट कर देगा। सभी को आगे आना चाहिए और प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान देना चाहिए और हमारे पर्यावरण को स्वच्छ और शुद्ध बनाना चाहिए।

प्रदूषण पर निबंध, 400 शब्द:

तकनीकी प्रगति की आधुनिक दुनिया में, प्रदूषण पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित करने वाला एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। प्रदूषण निस्संदेह पूरे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है और इस प्रकार जीवन की सामान्य गुणवत्ता। पृथ्वी पर हमारा स्वाभाविक रूप से सुंदर वातावरण दिन-प्रतिदिन मनुष्यों के मूर्खतापूर्ण कार्यों से बिगड़ रहा है और विडंबना यह है कि वे स्वयं अपने कर्मों से प्रभावित हो रहे हैं।

प्रदूषण के कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण हैं। प्रमुख प्रकार के प्रदूषण नीचे दिए गए हैं:

वायु प्रदुषण:  वायु प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों, कारखानों और खुले जल की बढ़ती संख्या से आने वाली हानिकारक और जहरीली गैसों का भारी उत्सर्जन है। अधिकांश वायु प्रदूषण दैनिक आधार पर परिवहन प्रणाली द्वारा किया जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड हवा को प्रदूषित करने वाली जहरीली गैसें हैं और पर्यावरण में ऑक्सीजन के स्तर को कम करती हैं।

कुछ अन्य आदतें जैसे घर का कचरा जलाना और फसलों का बचा होना आदि भी वायु की गुणवत्ता को खराब कर रहे हैं। वायु प्रदूषण से मनुष्यों में फेफड़ों के कैंसर सहित श्वसन संबंधी विकार होते हैं।

जल प्रदूषण:  जल प्रदूषण भी सीधे समुद्री जीवन को प्रभावित करने वाला एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि वे केवल अपने जीवित रहने के लिए पानी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों पर निर्भर करते हैं। समुद्री जीवन का धीरे-धीरे गायब होना वास्तव में इंसानों और जानवरों की आजीविका को प्रभावित करेगा। कारखानों, उद्योगों, सीवेज सिस्टम, खेतों आदि से निकलने वाले हानिकारक कचरे को सीधे पानी के मुख्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और महासागरों में डाला जाता है जिससे पानी दूषित हो जाता है। दूषित पानी पीने से विभिन्न जल जनित रोग हो सकते हैं।

मिट्टी प्रदूषण:  मृदा प्रदूषण उर्वरकों, फफूंदनाशकों, शाकनाशियों, कीटनाशकों और अन्य रासायनिक यौगिकों के अत्यधिक उपयोग के कारण होता है। यह मिट्टी पर पैदा होने वाली फसल को दूषित करता है और जब इसका सेवन किया जाता है तो इससे गंभीर स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं।

ध्वनि प्रदूषण:  ध्वनि प्रदूषण का स्रोत भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि से उत्पन्न शोर है जो सुनने में समस्या और कभी-कभी बहरापन का कारण बनता है। शोर प्रदूषण बुजुर्ग लोगों को अत्यधिक प्रभावित करता है और इससे दिल का दौरा और अवसाद भी हो सकता है।

हर प्रकार का प्रदूषण खतरनाक है और इसके परिणामस्वरूप बहुत गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हमें प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए अपने पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। सभी को प्रदूषण के मुद्दे पर नियंत्रण पाने के लिए एक संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है ताकि हम एक स्वस्थ और अनियोजित वातावरण प्राप्त कर सकें। पृथ्वी पर अन्य निर्दोष प्रजातियों को बचाने और उनके लिए पर्यावरण को उपयुक्त बनाने के लिए प्रदूषण को रोकना भी बहुत महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण प्रदूषण पर्यावरण में हानिकारक प्रदूषकों का मिश्रण है जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं और चक्रों में गड़बड़ी पैदा करता है। विभिन्न प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण को जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पिछले दशक से, प्रदूषण के स्तर में काफी वृद्धि हुई है और परिदृश्य पहले की तुलना में बदतर हो गया है। यह प्रदूषण से लड़ने और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को इसके प्रभावों से बचाने का समय है।

प्रदूषण के प्रभाव:

पर्यावरण में सभी प्राकृतिक गैसें एक दूसरे पर प्रतिक्रिया करके अपना संतुलन बनाती हैं। उनमें से कुछ पौधों और पेड़ों द्वारा भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड। लेकिन, जरा सोचिए कि जब पौधे और वनस्पति नहीं होंगे तो क्या होगा। पौधों और पेड़ों की घटती संख्या कार्बन डाइऑक्साइड के कम उपयोग का कारण बनती है जो पर्यावरण में केंद्रित हो जाती है और बदले में पर्यावरण के तापमान के स्तर को ग्लोबल वार्मिंग की ओर ले जाती है जो समस्याओं का केंद्र है।

प्रदूषण कैसे रोकें:

वर्तमान समय में प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बन गया है और इसे एक राक्षस का चेहरा लेने से पहले अब जांचने की आवश्यकता है। नीचे दिए गए उपायों से हम निश्चित रूप से प्रदूषण को रोक सकते हैं:

अधिक पेड़ लगाना:  प्रदूषण से लड़ने के लिए सबसे अच्छे तरीकों में से एक है वृक्षारोपण या वृक्षारोपण। जितना अधिक हम पेड़ लगाते हैं उतना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें वायु को स्वच्छ बनाने वाले वातावरण से अवशोषित हो जाती हैं।

वाहनों का उपयोग कम करें:  हम जितना कम वाहनों का उपयोग करते हैं उतना ही कम हानिकारक धुआं पर्यावरण में जाता है जिससे प्रदूषण का स्तर कम होता है। कम दूरी के लिए साइकिल का उपयोग एक बेहतर विकल्प है।

उचित अपशिष्ट निपटान प्रणाली:  उचित अपशिष्ट निपटान प्रणाली उद्योगों के विषैले तत्वों को पर्यावरण में जाने से रोकने में मदद करेगी और हवा और पानी को स्वच्छ बनाने में मदद करेगी। यह नदी और महासागरों में जलीय जानवरों को भी बचाएगा और उन्हें बिना किसी खतरे के फलने-फूलने में मदद करेगा।

उर्वरकों और कीटनाशकों का सीमित उपयोग:  किसानों को कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को प्रतिबंधित करना चाहिए और फसलों की उपज में सुधार करने के लिए जैव उर्वरकों और प्राकृतिक खाद का चयन करना चाहिए। यह मिट्टी की उर्वरता को बचाने में मदद करेगा और भूजल को दूषित होने से भी बचाएगा।

रीसायकल और पुन: उपयोग:  प्रदूषण से लड़ने के लिए रीसाइक्लिंग सबसे अच्छा तरीका है। यह अपशिष्टों के कूड़े को कम करने में मदद करता है जिससे हमारे पर्यावरण को हानिकारक उत्पादों से साफ और सुरक्षित रखा जाता है।

हमारे पास अभी भी अपना पारिस्थितिक तंत्र बचाने के लिए समय है और हमें जो भी चाहिए वह प्रत्येक और हर व्यक्ति से एकतरफा प्रयास है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए वैश्विक स्तर पर जागरूकता की आवश्यकता है और हम में से हर एक को अपनी गलतियों को समझना चाहिए और उन चीजों को रोकना चाहिए जो हम आमतौर पर जानबूझकर या अनजाने में करते हैं जिससे प्रदूषण होता है। हमें अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए और अपने ग्रह के साथ-साथ अन्य प्रजातियों के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए काम करना चाहिए।

प्रदूषण पर निबंध, long essay on pollution in hindi (1600 शब्द)

आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक चिंता बन गया है। इसने हमारी खूबसूरत पृथ्वी का चेहरा बदल दिया है। यह धीरे-धीरे हमारे पर्यावरण को नष्ट कर रहा है और यहां जीवित रहना मुश्किल है। प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव के कारण वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं और कई अन्य विलुप्त होने के कगार पर हैं।

इसकी प्रकृति के आधार पर प्रदूषण को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है। विभिन्न प्रकार के प्रदूषण हमारे ग्रह को विभिन्न तरीकों से नुकसान पहुंचा रहे हैं। यहां प्रदूषण के प्रकार, उनके कारण, प्रभाव और उन्हें कम करने के लिए किए जा सकने वाले उपायों पर एक नज़र है।

यहां विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, उनके कारणों और पृथ्वी पर पर्यावरण और जीवन पर प्रभाव पर एक नज़र है।

वायु प्रदुषण:  वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण कहा जाता है। इस प्रदूषण का प्राथमिक कारण औद्योगिक और वाहनों का धुआं है। इन स्रोतों द्वारा उत्सर्जित हानिकारक गैसें वायु को प्रदूषित करती हैं और सांस लेना मुश्किल कर देती हैं। कारखानों और वाहनों की संख्या में वृद्धि के कारण वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है। इसने कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है। ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के रोग वायु प्रदूषण के कारण होने वाली दो सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं।

वायु प्रदूषण न केवल मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देकर पर्यावरण को भी खराब कर रहा है।

जल प्रदूषण:  औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट अक्सर नदियों और अन्य जल निकायों में अपना रास्ता तलाशते हैं, जिससे उन्हें प्रदूषण होता है। हमारे एक बार शुद्ध और पवित्र जल निकाय अब कई रोगों के लिए एक प्रजनन भूमि बन गए हैं क्योंकि इनमें बड़ी संख्या में अपशिष्ट प्लास्टिक उत्पाद, रासायनिक अपशिष्ट और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे से भरे हुए हैं। पानी में मिश्रित ये प्रदूषक हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। जल प्रदूषण विशेष रूप से समुद्री जीवों के लिए खतरा बन गया है। इस प्रदूषण के परिणामस्वरूप उनमें से कई प्रतिदिन मर जाते हैं।

भूमि प्रदुषण: जिस औद्योगिक और घरेलू कचरे को पानी में नहीं डाला जाता है वह जमीन पर पड़ा रहता है। हालांकि इसे नष्ट या पुन: चक्रित करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन इसकी एक बड़ी राशि का निपटान नहीं किया जाता है। यह भूमि प्रदूषण का कारण बनता है जो मच्छरों, मक्खियों और अन्य कीड़ों के लिए एक प्रजनन भूमि बन जाता है जो विभिन्न घातक बीमारियों का कारण बनता है।

यह अपशिष्ट उत्पादों के कारण मिट्टी के संदूषण को भी संदर्भित करता है जो अंततः विषाक्त हो जाता है। कीटनाशकों, कीटनाशकों और अन्य मजबूत रसायनों के नियमित उपयोग के कारण मिट्टी प्रदूषण भी होता है। इस प्रकार के प्रदूषण को अक्सर मृदा प्रदूषण कहा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण:  कारखानों में स्थापित मशीनों द्वारा उच्च तीव्रता की ध्वनि के कारण शोर प्रदूषण होता है। यह सड़क पर वाहनों के कारण, पटाखे फोड़ने और लाउड स्पीकरों पर बजने वाले संगीत के कारण भी होता है। शोर प्रदूषण तनाव पैदा कर सकता है और मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इससे श्रवण दोष भी हो सकता है।

प्रकाश प्रदूषण:  प्रकाश प्रदूषण एक विशेष क्षेत्र पर एक अतिरिक्त, अवांछित या अनुचित प्रकाश है। प्रकाश प्रदूषण शहरी चमक के रूप में हो सकता है- शहरी क्षेत्र पर अत्यधिक अवांछित चकाचौंध, अतिचार, बिना इच्छा के प्रकाश का गिरना, इरादे या आवश्यकता, चकाचौंध – अत्यधिक प्रकाश या उज्ज्वल प्रकाश और अव्यवस्था- रोशनी का एक अवांछित समूह जैसे एक अधिक रोशनी में शहरी क्षेत्र।

रेडियोधर्मी प्रदूषण: रेडियोधर्मी प्रदूषण से तात्पर्य वायुमंडल में अवांछित रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति से है। रेडियोधर्मी प्रदूषण रेडियोधर्मी हथियार विस्फोट या परीक्षण, खनन और रेडियोधर्मी पदार्थों को संभालने या रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में दुर्घटनाओं का परिणाम हो सकता है। वायुमंडल में मौजूद रेडियोधर्मी पदार्थ प्राकृतिक जल संसाधनों को भी प्रदूषित करते हैं, जो उन्हें उपभोग या घरेलू उपयोग के लिए हानिकारक बनाते हैं।

ऊष्मीय प्रदूषण:  थर्मल प्रदूषण जल निकायों के तापमान में अचानक परिवर्तन को संदर्भित करता है; एक ऐसा परिवर्तन जो इसके पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ने के लिए काफी बड़ा है। विभिन्न उद्योगों में कूलेंट के रूप में पानी का उपयोग थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। जब शीतलक के रूप में उपयोग किए जाने वाले पानी को अचानक जलस्रोतों में वापस छोड़ दिया जाता है, तो इसकी समग्र ऑक्सीजन सामग्री कम हो जाती है, क्योंकि गर्म तरल पदार्थों में गैसें कम घुलनशील होती हैं; परिणामस्वरूप जलीय जीवन तापमान और ऑक्सीजन की कमी के कारण अचानक बदल जाता है।

दृश्य प्रदूषण:  मानव द्वारा निर्मित कुछ भी, जो आपके दृष्टिकोण को बाधित करता है, दृश्य प्रदूषण का गठन करता है। इसमें बिल बोर्ड, साइन बोर्ड, एंटेना, कचरा डिब्बे, बिजली के खंभे, टॉवर, तार, वाहन, भवन आदि शामिल हैं। दृश्य प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने से आंखों की थकान, तनाव और अवसाद हो सकता है। निवास का अनियोजित और गैर विनियमित निर्माण दृश्य प्रदूषण का प्रमुख कारण है।

दुनिया भर के अधिकांश प्रदूषित शहर

जबकि दुनिया भर के कुछ शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम रखने में कामयाबी हासिल की है, जबकि अन्य प्रदूषण के खतरनाक स्तर के लिए जाने जाते हैं। दुनिया भर के अधिकांश प्रदूषित स्थानों में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, शीज़ीयाज़ूआंग, हेज़, चेरनोबिल, बामेंडा, बीजिंग और मॉस्को शामिल हैं।

ये शहर खराब वायु गुणवत्ता और भारी भूमि और जल प्रदूषण के लिए जाने जाते हैं। इन शहरों में जीवन दयनीय हो गया है और इसका मुख्य कारण इन स्थानों के लोगों और सरकार की लापरवाही है। यह समय है कि वे प्रदूषण के निम्न स्तर वाले शहरों से क्यू लें और उनके प्रदूषण स्तर को नीचे लाने के लिए इसी तरह की रणनीतियों को शामिल करें।

प्रदूषण कम करने के तरीके

अब जब हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के कारणों और प्रभावों को जानते हैं, तो आइए समझते हैं कि इसे कम करने की दिशा में हम कैसे योगदान कर सकते हैं। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे हम प्रदूषण स्तर को नीचे ला सकते हैं:

कार पूल:  वाहनों का धुआं वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। सड़क पर वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ, प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। कार पूलिंग से वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है। कार पूलिंग का अर्थ है अपनी कार या अपने सहयोगी के काम के लिए यात्रा करते समय स्थान साझा करना। यदि हम हर बार अपनी कारों के माध्यम से यात्रा करने के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं तो इसे नीचे लाया जा सकता है।

पटाखों को नो कहें:  दीवाली, दशहरा और नए साल जैसे त्योहारों के दौरान जलाए जाने वाले पटाखों से बहुत अधिक वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है। ये विशेष रूप से छोटे शिशुओं, बुजुर्गों और जानवरों के लिए परेशान कर रहे हैं। हमें जिम्मेदार इंसानों की तरह काम करना चाहिए और अनावश्यक प्रदूषण से बचने के लिए पटाखे फोड़ना बंद करना चाहिए।

रीसायकल / पुन: उपयोग:  अपशिष्ट प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामान भूमि और पानी पर प्रदूषण को जोड़ता है। इसके उपयोग से बचकर इसे लाना होगा। यदि हम उनका उपयोग करते हैं, तो हमें उन्हें बंद नहीं करना चाहिए और नए लोगों को तुरंत खरीदना चाहिए, हमें उन्हें बंद करने से पहले एक-दो बार फिर से उपयोग करना चाहिए। हमें रीसाइक्लिंग के लिए ऐसी उपयोग की गई चीजों को भेजने का भी प्रयास करना चाहिए।

परिवेश को साफ रखें:  हमें कचरे के उत्पादों को कूड़ेदान में फेंकने की बजाए भूमि पर या जल निकायों में फेंककर अपने आस-पास को साफ रखना चाहिए। हम एक बड़ा प्रभाव पैदा कर सकते हैं यदि हम में से प्रत्येक पर्यावरण को साफ रखने के बारे में विशेष रूप से बना रहे।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF

Essay on pollution in hindi.

Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi

मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।

धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।

प्रदूषण का मतलब

पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।

आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।

ये भी देखें – Essay on school annual function in Hindi

वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।

प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।

मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।

वायु प्रदुषण

प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।

इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।

ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi

इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।

उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।

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Q&A. on Pollution in Hindi

प्रदूषण का कारण क्या है.

उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।

हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
  • पटाखों के प्रयोग से बचें।
  • उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
  • एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक बैग को नहीं।
  • रीसायकल और पुन: उपयोग।
  • चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
  • जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।

प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?

उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।

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Essay On Pollution in Hindi | प्रदूषण पर निबंध

हेलो स्टूडेंट, आज के इस निबंध के लेख में बहुत ही संवेदनशील सामाजिक विषय के बारे में लिख रहे है | यह निबंध Pollution nibandh in Hindi पर है | इस लेख में हमने बहुत ही विस्तार से प्रदूषण पर निबंध को बताया है | इस लेख की मदद से आप अपने एग्जाम में निबंध में बहुत अच्छे marks ला सकते है | यह निबंध Class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के सभी कक्षाओं के लिए है |

Table of Contents

Essay On Pollution in Hindi – प्रदूषण पर निबंध

  • प्रदूषण का अर्थ
  • प्रदूषण के प्रकार
  • प्रदूषण संतुलन के उपाय

प्रस्तावना:

विज्ञान के इस युग में जहाँ हमे कुछ वरदान मिले है, वही अभिशाप भी मिले है और इसके अलावा ऐतिहासिक कहे या समाजिक बदलाव। इसका हमारे युवा पीढ़ी पर बहुत बुरे असर परतें है। जिस प्रकार ए प्रदूषण विज्ञान की कोख में जन्मा वेसे ही कुछ ऐसे प्रदूषण है जो इंसान की सोच से पनपा है।

बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण मनुष्य जिस वातावरण या पर्यावरण में रहा है, वह दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है।

कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठंड। इतना ही नहीं, समस्त जीवधारियों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। प्रकृति और उसका पर्यावरण अपने स्वभाव से शुद्ध, निर्मल और समस्त जीवधारियों के लिए स्वास्थ्य-वर्द्धक होता है, परंतु किसी कारणवश यदि वह प्रदूषित हो जाता है तो पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों के लिए वह विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है।

ज्यों-ज्यों मानव सभ्यता का विकास हो रहा है, त्यों-त्यों पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। इसे बढ़ाने में मनुष्य के क्रियाकलाप और उनकी जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेवार है।

प्रदूषण का अर्थ:

प्रदूषण, पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। … प्रदूषण का अर्थ है – ‘हवा, पानी, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना’, जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं।

प्रदूषण के प्रकार:

प्रदूषण कई प्रकार के है, जैसे  वायु प्रदूषण  ,  जल प्रदूषण  ,  भूमि प्रदुषण  और  धवनि प्रदूषण  ये तो हुए प्रकर्तिक जो प्रकर्ति पर असंतुलन पैदा करने से उत्पन्न होता है। दूसरा हमारा सांस्कृतिक और दैनिक क्रियाओं  वाले प्रदुषण।

जल प्रदूषण:

वर्तमान में जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है वर्तमान में हमारे सभी प्रमुख नदियां जैसे गंगा यमुना चंबल इत्यादि सभी गंदगी से अटी पड़ी है इनमें तरह-तरह का प्लास्टिक और अन्य कचरा पड़ा हुआ है.

कुछ स्थानों पर तो ऐसा लगता है कि नदी में जल की जगह कचरा बह रहा है, कुछ लोग अपनी नित्य क्रिया, कपड़े धोने, जानवरों को नहलाना भी नदियों के पास करते है जिसके कारण उनका जल दूषित हो जाता है.

इससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि कल कारखानों और फैक्ट्रियों से निकला जहरीला और केमिकल युक्त पानी भी नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है.

एक ताजा आंकड़े के अनुसार हमारे देश में प्रदूषित जल पीने की वजह से प्रति घंटे लगभग 73 लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

जल प्रदूषण को बढ़ाने में हमारी सरकारें भी कम नहीं है क्योंकि गटर से निकलने वाला पानी अक्सर नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण पूरा जल प्रदूषित हो जाता है.

जो जल को जहरीला बना देता है जिसके कारण नदी में रहने वाले जीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है और यही जहरीला जल हमें पीने को मिलता है जिसके कारण तरह-तरह की बीमारियां फैलती है.

वायु प्रदूषण:

वायु प्रदूषण चिंता का विषय है क्योंकि विश्व में सबसे विश्व में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष दश में हमारे देश के ही शहर आते है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में वायु प्रदूषण किस तेजी से बढ़ रहा है. हमारे देश में हर साल वायु प्रदूषण की वजह से 12.4 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

वायु प्रदूषण सामान्यतः वाहनों से निकलने वाले धुएं, कल कारखानों और चिमनियो का धुँआ, कोयले का धुँआ, घरों से निकलने वाला धुआं, फसलों की पराली जलाने से निकला धुँआ इत्यादि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है.

वायु प्रदूषण का एक अन्य प्रमुख कारण यह भी है कि दिन प्रतिदिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है और शहरीकरण बढ़ रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा कैंसर चर्म रोग आंखों में जलन हृदय संबंधी बीमारियां हो जाती है जिसके कारण मानव और अन्य जीव जंतुओं की असमय मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण से हमारा वातावरण भी प्रभावित होता है पेड़ पौधे मुरझा जाते है जिसके कारण और अत्यधिक वायु प्रदूषण होने लग जाता है

ध्वनि प्रदूषण:

ध्वनि प्रदूषण लाउडस्पीकर, हॉर्न, वाहनों की खड़ खड़ाहट, मशीनों की आवाज, हवाई जहाज की आवाज, कंस्ट्रक्शन का कार्य, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि कारणों से ध्वनि प्रदूषण होता है,

लेकिन ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत मानव जनित कार्यों से ही होता है. मानव अगर सीमित ध्वनि से ज्यादा की आवाज में अधिक समय तक रहता है तो वह बहरा भी हो सकता है साथ ही वह अपना मानसिक संतुलन भी हो सकता है.

वर्तमान में लोग हर जगह शादियों, पार्टियों, किसी भी प्रकार के प्रचार में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं जो कि ध्वनि प्रदूषण को बहुत अधिक बढ़ा देता है.

ध्वनि प्रदूषण के कारण बच्चे और बूढों को अधिक परेशानी होती है. ध्वनि प्रदूषण जीव-जंतुओं की दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या को भी प्रभावित करता है.

मृदा प्रदूषण:

मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण मानव के द्वारा किए गए कार्य ही हैं क्योंकि मानव अपनी थोड़े से लोभ के लिए प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देता है.

मानव फैक्ट्रियों और कल कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ या तो मृदा में गाड़ देते है या फिर ऐसे ही फेंक देते है जिसके कारण वहां की भूमि धीरे धीरे बंजर होने लग जाती है.

वर्तमान में प्लास्टिक के कारण बहुत अधिक मृदा प्रदूषण हो रहा है क्योंकि प्लास्टिक से हर वक्त जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो की पूरी भूमि को जहरीला बना देते है.

खेतों में इस्तेमाल होने वाली यूरिया खादो का उपयोग भी बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके कारण भूमि प्रदूषित हो जाती है.

इन सब का असर मानव स्वास्थ्य पर ही होता है क्योंकि भूमि से उत्पन्न होने वाला अनाज और सब्जियों में जहरीले केमिकल्स मिल जाते है जिससे मानव स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसीलिए आज तरह-तरह की बीमारियां फैल रही है.

प्रकाश प्रदूषण:

दिन और रात प्राकृतिक क्रिया है अगर इनमें कोई बदलाव आता है तो वह पूरी प्रकृति को प्रभावित करता है. वर्तमान में विज्ञान की प्रगति के कारण बिजली का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है.

और आजकल अधिक रोशनी वाली लाइटो का उपयोग किया जाता है जिसके कारण रात में भी दिन जैसा लगता है. बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण रात में भी बहुत अधिक उजाला रहता है.

जिसके कारण वन्य जीव जंतुओं को बहुत अधिक परेशानी होती है उनकी पूरी दिनचर्या इसके कारण बिगड़ जाती है. प्रकाश प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है इसके कारणों से पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है.

रेडियोधर्मिता प्रदूषण:

रेडियोएक्टिव विकिरणों से फैलने वाला प्रदूषण रेडियोधर्मिता प्रदूषण कहलाता है. यह प्रदूषण आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है.

इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति या अन्य कोई जीव जंतु कि कुछ ही समय में मृत्यु हो जाती है.

यह प्रदूषण सामान्यत है परमाणु बम, परमाणु बिजली घर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ से होता है. यह प्रदूषण जहां भी फैलता है वहां पर जीवन का नामोनिशान मिट जाता है.

थर्मल प्रदूषण:

वर्तमान में थर्मल प्रदूषण बहुत अधिक तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि जैसे जैसे लोगों की जरूरत है बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे तरह-तरह की फैक्ट्रियां लग रही है जिनमें जल का उपयोग कई प्रकार के पदार्थों और अन्य वस्तुओं को ठंडा रखने में किया जाता है.

जिसके कारण वह जल बहुत अधिक गर्म हो जाता है और वह सीधा नदियों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण अचानक जल के तापमान में बदलाव हो जाता है. इससे नदियों में रहने वाले जीवो की मृत्यु हो जाती है.

प्रदूषण संतुलन के उपाय:

पेड़ लगाना:.

हमारी पृथ्वी को अगर प्रदूषण से बचाना है तो हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और जो भी लोग पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रही है उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें रोकना होगा.

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हमें ऑक्सीजन देते हैं अगर पेड़ ही नहीं होंगे तो हमें ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा.

आज ही प्रण ले अपने हर जन्मदिन पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं.

प्लास्टिक का उपयोग बंद करना:

वर्तमान में हमारे जीवन के साथ प्लास्टिक कैसे जुड़ गया है जैसे जल और हवा हो, हर वस्तु में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. प्लास्टिक से हजारों वर्षों तक जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो कि जल, वायु एवं पूरे वातावरण को प्रदूषित करता है.

हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा, सरकार भी प्लास्टिक पर पाबंदी लगा रही है लेकिन जब तक हम जागरूक नहीं होंगे तब तक प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता रहेगा.

कार पुलिंग को बढ़ावा दे:

वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण ईंधन की खबर भी बहुत अधिक हो गई है और इसके कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण हो रहा है. आजकल हर व्यक्ति अपना वाहन लेकर चलता है जो कि वायु प्रदूषण की समस्या को और बढ़ा देता है.

अगर हम पब्लिक वाहनों का उपयोग करें और अगर एक ही ऑफिस में जाते हैं तो एक कार में ही बैठकर जाएंगे से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा.

ऊर्जा का सही इस्तेमाल करें:

हमें ऊर्जा का सही इस्तेमाल करना होगा बिना वजह ऊर्जा का उपयोग करने से हर प्रकार का प्रदूषण घटता है क्योंकि जितने भी प्रकार के हम इंजन देखते है उन्हें बनाने में बहुत प्रदूषण फैलता हैऔर अपशिष्ट पदार्थ भी निकलता है जो कि जहरीला होता है.

नदियों को साफ करें:

हम सबको मिलजुल कर नदियों तालाबों और समुद्रों को साफ करना होगा, क्योंकि वही से हमें पीने के लिए जल मिलता है और अन्य प्राणियों को भी जल मिलता है.

अगर यही जल जहरीला होने लगा तो तरह-तरह की बीमारियां फैल जाएंगी जो की महामारी का रूप भी ले सकती है इसलिए हमें कूड़ा करकट नदियों और तालाबों में नहीं डालना चाहिए.

वाहनों/मशीनों का रखरखाव पर ध्यान दें:

वाहनों और मशीनों का रखरखाव करना बहुत जरूरी है अगर इनका रखरखाव नहीं किया जाए तो इनसे बहुत अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है.

इसे भी पढ़े: महात्मा गांधी पर निबंध

हम कुछ रुपए बचाने के लिए अपने पर्यावरण को प्रदूषित कर देते है यह बहुत ही चिंता का विषय है इसलिए हमेशा समय समय पर वाहनों और मशीनों का रखरखाव जरूरी है.

यूरिया खाद का उपयोग कम करे:

किसानों द्वारा खेतों में अधिक पैदावार के लिए यूरिया खाद का उपयोग किया जा रहा है जो की फसल की पैदावार तो अच्छी कर देती है लेकिन भूमि को बंजर कर देती है और साथ ही उस फसल में भी कई प्रकार के जहरीले पदार्थ आ जाते है.

जो सीधे हमारे शरीर में जाते हैं और हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसलिए किसानों को यूरिया खाद का उपयोग कम करना चाहिए और प्राकृतिक खाद का उपयोग करना चाहिए.

कड़े नियम कानून बनाएं:

भारतीय सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उन कानूनों कि सही से पालना नहीं होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों की पालना सही से हो रही है या नहीं.

भारतीय सरकार को प्रदूषण के खिलाफ और कड़े कानून बनाने चाहिए क्योंकि अगर प्रकृति ही नहीं रहेगी तो हम भी नहीं रहेंगे इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है.

प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाएं:

हम सबको मिलजुल कर प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैलाने होगी क्योंकि ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग यह जानते हैं कि क्या करने से प्रदूषण फैलता है फिर भी वे इस और ध्यान नहीं देते और प्रदूषण फैलाते है.

हमें लोगों को समझाना होगा कि अगर हम यूं ही प्रदूषण फैलाते रहे तो आगे आने वाली पीढ़ी का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा. साथ ही प्रदूषण के कारण हमारा पूरा पर्यावरण भी नष्ट हो रहा है.

इसलिए हमें शहर शहर गांव गांव जाकर लघु नाटको और अन्य तरीकों से लोगों को प्रदूषण के बारे में बताना होगा तभी जाकर प्रदूषण को रोका जा सकता है.

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों।

कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए। प्रदूषण से बचने के लिए प्रदूषित ईधनों को बंद करे! सब से पहले फॉर व्हीलर का उपयोग बंद करे !

इस प्रकार देखा जाए तो हर तरह का प्रदूषण युवा वर्ग के लिए एक समस्या है। चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक पर्दूषण, प्रदूषण होता है। हर तरह के प्रदूषण में जल ,वायु ,ध्वनि ,इत्यादि आते है ,इन सब से बचने का एक ही उपाए है |

दूसरे विषयों पर हिंदी निबंध लेखन:  Click Here

जगह – जगह हम पेड़ पौधे लगाए और कड़े कानून बनाये जिसके डर से इन प्रदूषण पर अंकुश लग सके इस्से हमारा शारीरिक स्वस्थ अच्छा रहेगा और मानसिक स्वास्थ के लिए हमे हमारे विचारो में परिवर्तन लाना होग़ा सही विचार और सही सोच इन्शान को हमेशा स्वस्थ रखती है। इसलिए शारीरक और मानसिक दोनों रूप से युवा वर्ग को स्वस्थ रहकर इस समस्या से छुटकारा पाना होंगा।

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प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English : Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.

but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

pradushan par nibandh in this 150, 200, 250, 300, 500, 800 and 1000 words Essay On Pollution for students and kids.

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 talking about Essay On Pollution In Hindi And English language for free and you can download this Pollution in India essay pdf file.

let us begin Pollution In Hindi in our second part of the paragraph before this read  Pollution essay English.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

Introduction- by the term pollution, we mean the rotten stage or the destruction of the purity of some things.

these days, it is mainly used for the pollution of natural environment i.e Earth, water, noise and Air.

Main Cause Of pollution In our Life

water pollution-  wastage of oil refineries and atomic plants is dumped into the rivers and the seas. nearly the wastage and leftover of all of our mills and factories is drained into the river.

dirty water containing fifth form our houses add to the pollution. this water lacks oxygen. thus the river water is polluted and the fish and allied creatures living in the water die away.

air pollution-

we Along with other living beings pollute the air when we outhale our breathing.

the smoke coming out of the Chemical of factories, mills, workshops, hearths and airways system modern navigate the system, generator sets, railway engines ass to it. like other persons you also must be owning a vehicle.

the smoke coming out of their silencers make matter from bad to worse. dr. vibes have written that every year nearly sixty-ton carbon goes up and gathers in the atmosphere.

the air pollution may cause lungs cancer, asthma and other slow dangerous directly concerned out system.

nitrogen oxide cause diseases of lungs, hearts, skin, and eyes. ozone cause pain chest, cough, and eye disease. even sometimes non-curable skin diseases are caused by it.

noise pollution-  the roaring vehicles, thundering machines and allied loud sound cause noise pollution.

dr. vibasi has observed that the noise of 95 decibels may increase systolic blood pressure and diastolic blood pressure up to 7 ml. and 3 ml. respectively.

Earth pollution – discharge of urine and excreta as well as spitting here and there, throwing the garbage on streets instead of putting in the dustbin,

the blowing of wind full of garbage, dirt and sand, the falling of garbage in bites here and there from the overloaded municipal carts and trucks add to earth pollution.

Pollution Solution-  it is our duty to use water carefully according to our needs so that the least possible water be polluted.

instead of falling the polluted water into rivers and seas, it should be stored in the barren piece of land away from the populated area.

the use of fuel given out smoke should be minimized. the engine’s such a way as the pollution exhaust be negligible.

machinery bearing the I.S.I. mark of trusted firms should be brought into use to reduce noise pollution.

in the context of earth pollution, human waste should be kept in the dustbin. for spitting, bathing and discharging etc. only proper places should be used.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi

सामान्य अर्थ में प्रदूषण का अर्थ बर्बाद तथा किसी भी वस्तु के बिगड़े हुए स्वरूप को कहा जाता है. जिसके कारण उस वस्तु के मौलिक तत्वों का विनाश हो जाता है. विभिन्न प्रकार के ये प्रदूषण आज मुख्य रूप से विद्यमान है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि.

प्रदूषण का के मुख्य कारण

जल प्रदूषण-

तेल रिफाइनरियों और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले जल व अपशिष्टों को नदियों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है। लगभग सभी मिलों और कारखानों का अपशिष्ट और बचे हुए नदी को नदी में निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त घरों से निकलने वाले नाले भी इन जल स्रोतों में मिला दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है तथा उसमें रहने वाले जलीय जीव मर जाते है.

वायु प्रदुषण-

कल कारखानों, मीलों, वाहनों तथा हवाई जहाजो से निकलने वाला धुआं हमारे वायु मंडल को दूषित करता है. किसी बाहरी कारक के कारण वायु के भौतिक तत्वों में बदलाव आना ही वायु प्रदूषण कहलाता है. मुख्य रूप से धुआ सबसे अधिक वायु प्रदूषण को फैलाता है.

पुराने तथा डीजल से चलने वाले वाहन सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि हर साल लगभग साठ टन कार्बन ऊपर जाता है और वातावरण में इकट्ठा होता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसे रोग वायु प्रदूषण के फलस्वरूप फैलते है.

नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों, दिल, त्वचा, और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है। ओजोन छाती में दर्द , खांसी, और आंख की बीमारी का कारण बनती है।

ध्वनि प्रदूषण-

तेज गर्जन करने वाले वाहन, वातानुकूलित मशीनों और जनरेटर से निकलने वाली कर्णकटू ध्वनि ही ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि 95 डेसिबल का शोर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को क्रमशः 7 मिलीलीटर, 3 मिलीलीटर तक बढ़ा सकता है।

भूमि प्रदूषण –

मूत्र और उत्सर्जन के निर्वहन के साथ-साथ यहां-वहां थूकने, कूड़े करकट को कचरापात्र  में डालने की बजाए सड़कों पर कचरा फेंकना, गंदगी और रेत से भरी हवा चलने, इधर उधर कचरा डालना ओवरलोडेड नगरपालिका गाड़ियां और ट्रक भूमि प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

हमारी जरूरतों के हिसाब से पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा कर्तव्य है ताकि कम से कम जल प्रदूषित हो। प्रदूषित पानी को नदियों और समुद्रों में गिरने के बजाय, इसे आबादी वाले इलाके से दूर भूमि के बंजर भाग में प्रवाहित करना चाहिए।

अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग को कम किया जाना चाहिए। समय समय पर अपनी गाडी के इंजन की मरम्मत करवानी चाहिए.

नई बिल्डिंग अथवा फैक्ट्री को आबादी से दूर तथा शौर को कम करने वाले संयंत्रो का उपयोग करना चाहिए. कचरा हमेशा कचरा पात्र में ही डाले. गंदे पानी को जल स्रोतों में कभी न डाले, यदि ऐसा कोई करता है तो इसकी शिकायत करे.

  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English का यह निबंध आपको पसंद आया होगा. यदि आपको प्रदूषण पर हिंदी और इंग्लिश में दिया गया निबंध पसंद आया हो तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करें.

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Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12

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Essay on Pollution in Hindi

यहां हम आपको “Essay on Pollution in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Paryavaran Pradushan Nibandh तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए.

Essay on Pollution in Hindi 100 Words

जैसे-जैसे देश दुनिया में आबादी बढ़ती जा रही है, वैसे वैसे पर्यावरण मैं काफी सारे बदलाव आते जा रहे हैं। हम जिस भूमि पर रहते हैं। वहां मानव प्रजाति के कारण कई सारी परेशानियां उत्पन्न हो चुकी है,जैसे कि भूकंप, प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग ,जलवायु परिवर्तन इत्यादि। वैसे देखा जाए तो इन सभी चीजों का मुख्य कारण प्रदूषण है। आज प्रदूषण इतना बढ़ चुका है, कि इसका सीधा नुकसान हमारी पृथ्वी को हो रहा है। तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण पृथ्वी दूषित हो रही है। इसके अलावा पर्यावरण में मौजूद अन्य चीजें जैसे की हवा ,पानी, मिट्टी भी प्रदूषण का शिकार हो रहे हैं। प्रदूषण का हम सभी लोगों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।

Essay on Dr Babasaheb Ambedkar in Hindi वृक्षारोपण पर निबंध 
स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध
समाचार पत्र पर निबंध सड़क सुरक्षा पर निबंध

Paryavaran Pradushan Nibandh 150 Words

प्रदूषण पर्यावरण की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। जैसे-जैसे मानव जाति का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता ही जा रहा है। जब पर्यावरण मैं प्रदूषण फैलता है ,तो वह दूषित होता है। पर्यावरण में मुख्य रूप से 3 तरह के प्रदूषण पाए जाते हैं, पहला वायु प्रदूषण ,दूसरा जल प्रदूषण और तीसरा मृदा प्रदूषण, प्रदूषण के यह तीनों प्रकार आने वाले समय में मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकते हैं।

प्रदूषण फैलने के कुछ मुख्य कारण वाहनों का ईंधन, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग ,औद्योगिकरण से निकलने वाला धुआं कुछ अपशिष्ट पदार्थ इत्यादि हैं। प्रदूषण हमारे शरीर पर काफी बुरा प्रभाव डालता है। यह हमारी शारीरिक क्षमता को कम कर शरीर में कैंसर जैसी बीमारियां उत्पन्न करता है। प्रदूषण के अलग-अलग प्रकार हमें अलग-अलग तरह से नुकसान पहुंचाते हैं, जैसे वायु प्रदूषण से हमें स्वास संबंधित बीमारी होती है,और ध्वनि प्रदूषण से कान संबंधित बीमारियां। हमें खुद को सुरक्षित रखने के लिए प्रदूषण पर लगाम लगानी होगी।

Pradushan par Nibandh 200 Words

प्रदूषण का सीधा संबंध मानव से होता है।इसका सीधा अर्थ यह है,कि मानव ही प्रदूषण फैलाता है। मानव ही प्रदूषण फैलाने वाली चीजें का आविष्कार करता है। हम इंसान बिना सोचे समझे अपने फायदे के लिए नई नई चीजों का विस्तार करते जा रहे हैं। हमने अपने वातावरण में ऐसी कई जहरीली चीजें बना रखी है, जो कहीं ना कहीं पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचा रही है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण जिस तरह व्यक्ति अपने आराम के लिए लगातार वनों की कटाई करता जा रहा है, और बड़ी बड़ी बिल्डिंग के कारखाने बनाते जा रहा है।

ऐसा करना इंसानों के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन प्रकृति के लिए कभी नहीं। अगर हम प्रकृति को नुकसान पहुंचाएंगे तो प्रकृति भी एक ना एक दिन हमें नुकसान जरूर पहुंचाएगी। अपने वह कहावत सुनी होगी, जैसा व्यवहार हम पृथ्वी के साथ व्यवहार करेंगे पृथ्वी भी हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करेगी। यदि प्रकृति को हमने दूषित किया तो 1 दिन प्रकृति हमारे शरीर को भी दूषित करेगी। हमें प्रकृति से प्रदूषण दूर करने के लिए औद्योगिकरण एवं अन्य प्रदूषण उत्पन्न करने वाली चीजों पर लगाम लगानी होगी।

Pollution Essay in Hindi 250 Words

प्रकृति में बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण प्राकृतिक खनिजों को एवं अन्य प्राकृतिक स्रोतों को नुकसान हो रहा है। जिस तरह हम इंसान अपने फायदे के लिए प्रकृति को नष्ट करते जा रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एक ना एक दिन हमें शुद्ध जल और वायु के लिए भी तड़पना होगा। हमारा पर्यावरण और पर्यावरण में मौजूद सभी प्राकृतिक स्तोत्र प्रकृति द्वारा हमें दिए गए सबसे बड़े उपहारों में से एक है। हमें प्रकृति को बचाए रखना होगा। ताकि आने वाला समय हमारे लिए एवं हमारी अगली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रहे। जैसा कि हम सभी जानते हैं, प्रकृति में प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण बढ़ती हुई जनसंख्या है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण व्यक्ति प्रकृति में मौजूद प्राकृतिक स्त्रोतों को नष्ट कर अपने फायदे की चीजें बनाता जा रहा है। जगह-जगह वनों की कटाई की जा रही है। वहां बड़ी बड़ी बिल्डिंग और कारखाने बनाए जा रहे हैं।

प्राकृतिक जल स्त्रोतों मैं कारखानों एवं गंदे नालों से निकलने वाले पानी से मिलाकर दूषित किया जा रहा है। ईंधन पर चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल एवं उद्योग से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण हो रहा है। देखा जाए तो हम लोगों ने पूरी तरह से प्रकृति को खराब कर दिया है। अब प्रकृति हमें नुकसान पहुंचाती है,तो इसके जिम्मेदार हम खुद होंगे। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक घटनाएं, आपदाएं ,कोरोना जैसी महामारी फैल रही है। मनुष्य को ईश्वर ने प्रकृति में मौजूद सभी चीजें जैसे कि पेड़ पौधे, पशु-पक्षी, नदियां, वन, पहाड़ आदि चीजें वरदान में दिए हैं। हमें इन सभी चीजों को संभाल कर रखना होगा एवं इनकी रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य बनता है।

Pradushan Kitna Ghatak Nibandh 300 Words

पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है, प्रदूषण इंसानों पर और प्रकृति पर अपना दुष्प्रभाव दिखाता जा रहा। आज हमें जितनी भी प्राकृतिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनमें से अधिकतर समस्याएं प्रदूषण के कारण ही हो रही है। जैसे कि ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण इत्यादि। जिस तरह से देश दुनिया में लोगों द्वारा लगातार वाहनों का अंधाधुन इस्तेमाल किया जा रहा है।बड़े पैमाने पर वनों को काटकर कारखाने स्थापित किए जा रहे हैं, जगह-जगह तेज लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जा रहा है।

यह सब प्रदूषण का कारण बन रहा है। वाहनों का अंधाधुन उपयोग करने से वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और ध्वनि से सुनने की समस्या उत्पन्न होने लगती है। प्रकृति में बढ़ता हुआ प्रदूषण हमारे लिए तनाव का कारण बन सकता है। हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए। जलवायु परिवर्तन की समस्या भी प्रदूषण के कारण हो रही है। इसके अलावा प्रदूषण का सबसे बुरा प्रभाव मृदा पर पड़ रहा है, मृदा प्रदूषण होने के कारण फसलों के उत्पाद में काफी कमी आती है। अगर ऐसा रहा तो एक समय बाद खाने युक्त अनाज मिलना भी मुश्किल होगा।

हमें इसे रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने पड़ेंगे सबसे पहले हमें औद्योगिक कचरे को एवं घरेलू कचरे को अलग-अलग रखना होगा। प्लास्टिक से बने उत्पाद को का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। ईंधन पर चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल ना करके इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करना चाहिए। अगर प्रकृति से प्रदूषण कम होगा। तो प्रकृति की सुंदरता काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। शुद्ध प्रकृति किस तरह लगती है इसका एक उदाहरण आप करोना से ले लीजिए कोरोना के कारण जब सारे कारखाने ,उद्योग ,छोटे बड़े व्यापार, वाहनों का चलना बंद हो गया था तब प्रकृति से प्रदूषण बिल्कुल खत्म हो गया था। जिसके चलते देश के ऐसे कई शहर जहां सबसे अधिक प्रदूषण होता था,वह भी साफ-सुथरे नजर आने लगे थे।

Essay on Pollution in Hindi With Headings 400 Words

अब ऐसा समय आ चुका है, कि एक व्यक्ति को खुली हवा में सांस लेने के लिए एवं प्रकृति का आनंद लेने के लिए अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर पहाड़ों में जाना हो पड़ता है। क्योंकि पहाड़ों के अलावा अन्य शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण इतना बढ़ चुका है, कि वहां खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल होता है। अब इंसानों की जिंदगी भी काफी कम हो चुकी है। इसका कारण ही प्रदूषण ही है। क्योंकि आज हमें दूषित खाना ,दूषित हवा, दूषित जल इन सभी चीजों का सेवन करना पड़ रहा है। वैसे देखा जाए तो प्रदूषण का कारण वे खुद मनुष्य ही है ,और वह खुद उसका दुष्प्रभाव भोग रहे हैं।

प्रदूषण का इंसानों पर प्रभाव

मनुष्यों पर प्रदूषण का क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसका अंदाजा हम बढ़ती हुई बीमारियों से लगा सकते हैं। जिस तरह से आजकल मनुष्यों में हृदय रोग ,हैजा ,रक्त संबंधित समस्याएं ध्वनि संबंधित समस्याएं एवं अन्य संक्रमण फेलते जा रहे हैं। यह सब प्रदूषण का ही दुष्प्रभाव है। प्रदूषण के कारण प्रकृति को नुकसान हो रहा है, और प्रकृति से हम इंसानों को। वर्तमान में इंसानों की स्थिति ऐसी हो गई है, कि उन्हें पीने के लिए साफ जल और सांस लेने के लिए साफ जलवायु मिलना मुश्किल हो रही है। धीरे-धीरे मनुष्य की आयु भी कम होती जा रही है, और नवजात शिशुओं में सामान्य से कम शारीरिक विकास हो रहा है।

प्रकृति को प्रदूषण से कैसे बचाएं?

प्रकृति को प्रदूषण से बचाने के लिए हमें अपने आसपास पेड़ पौधे लगाने चाहिए। हमें वायु प्रदूषण करने वाले यंत्रों का उपयोग कम से कम करना चाहिए। इसके अलावा प्लास्टिक जैसे अपशिष्ट पदार्थों को यहां बहा न फेंक कर एक जगह एकत्रित करके रखना चाहिए। वर्षा के जल का संरक्षण करना चाहिए ताकि प्रकृति में शुद्ध जल की मात्रा बनी रहे। प्रकृति की सुंदरता नदी, पहाड़, झरना जंगल ,वन पशु पक्षियों से है हमें इन्हें भी बचाए रखने की कोशिश करनी चाहिए। जिस तरह यह प्रकृति इंसानों का घर है, उसी तरह जानवरों का भी घर है।

हमें इस पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए जल वायु और प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। लेकिन प्रदूषण के कारण धीरे-धीरे यह सभी चीजें नष्ट होती जा रही हैं। इसलिए हमें अपना जीवन जीने के लिए और अपनी आने वाली पीढ़ी को एक अच्छा जीवन देने के लिए पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना ही होगा। जिस तरह हम तकनीकी प्रगति से दुनिया को आधुनिक बना रहे हैं। हमें उसी तरह तकनीकी प्रगति से पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त करना होगा। पृथ्वी का सुंदर वातावरण हमारी मूर्खता के कारण बिगड़ रहा है। हमें इस से बचाना होगा वरना अपने कर्मों की सजा हमें स्वयं मिलेगी.

Pollution in Hindi Essay 500 Word

प्रदूषण एक ऐसी जटिल समस्या है, जिसका समाधान निकाल पाना बेहद मुश्किल होता है। हम अनजाने में इतना प्रदूषण फैला रहे हैं,जिसका कोई हिसाब नहीं। प्रदूषण के कारण ना सिर्फ हमारी पृथ्वी का वातावरण बल्कि वातावरण में मौजूद जीव-जंतु पेड़-पौधे पशु-पक्षी सभी इससे प्रभावित हो रहे हैं। विश्व के कई बड़े वैज्ञानिकों ने रिसर्च पर यह बताया है,कि प्रदूषण के कारण बहुत से दुर्लभ प्रजाति के जानवर लुप्त होते जा रहे हैं। इसके अलावा कई तरह के पेड पौधे भी प्रदूषण के कारण सूख रहे हैं। वर्तमान में पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा काफी तेजी से बढ़ रही है। जिसके कारण यहां सब समस्याएं हो रही है।

प्रदूषण क्या है? (What is Pollution?)

प्रदूषण का अर्थ है दूषित करना। हम प्रतिदिन इन्हीं चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि वाहन लाउडस्पीकर कारखानों में चलने वाली मशीन इन सभी चीजों से या तो धुआं, तेज ध्वनि या फिर गंदा पानी निकलता है। जो कि वातावरण में मिलकर अन्य शुद्ध चीजों को दूषित करता है। इसी चीज को प्रदूषण कहा जाता है। वर्तमान में कई शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स के माध्यम से जब वायु का परीक्षण किया गया,तो वहां की वायु बेहद दूषित पाई गई। वायु का दूषित होना जल का दूषित होना भोजन का दूषित होना यह सब प्रदूषण के उदाहरण है।

प्रदूषण के प्रकार ( Paryavaran Pradushan ke Prakar)

प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण प्रकार इस तरह है, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण आदि

वायु प्रदुषण: वायु प्रदूषण का मुख्य कारण कारखानों से एवं वाहनों से निकलने वाला धुआं है। मुख्य रूप से वायु प्रतिदिन वाहनों के इस्तेमाल से निकाल के वाहनों से निकलने वाला धुआं वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ाता है। जिसके कारण हवा में विषैले पदार्थ फैल जाते हैं। इसके अलावा खुले मैदान में अपशिष्ट पदार्थों को जलाना भी वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण माना जाता है।

जल प्रदूषण: जल प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों,से  कारखानों से, सीवेज सिस्टम से एवं नदी नालियों से निकलने वाला गंदा पानी है। इंसानों द्वारा यह गंदा पानी सीधे साफ नदियों में भेजा जाता है। नदियों से यह गंदा पानी समुद्र में जाता है। जिससे ना केवल इंसानी जीवन बल्कि समुंद्र में रहने वाले जीवो का जीवन भी प्रभावित होता है। हम इंसानों ने अपने साथ-साथ समुद्री जीवो का जीवन भी खतरे में डाल दिया है, क्योंकि पानी में रहने वाले जीव जंतु पानी में मौजूद पोषक तत्व पर निर्भर होते हैं। लेकिन प्रदूषण के कारण पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

मृदा प्रदूषण: मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण कीटनाशक, रासायनिक तत्व एवं कुछ अपशिष्ट पदार्थ है। मृदा प्रदूषण में प्लास्टिक एक अहम भूमिका निभाता है। वर्तमान में सभी खाने-पीने की चीजें एवं अन्य उपयोगी चीजें भी प्लास्टिक की पॉलीथिन में पैक होकर आती है। हम सामान का इस्तेमाल कर प्लास्टिक को खुले में यहां वहां पर एक देते हैं, जिससे कि वह जमीन में दफन होकर जमीन को बंजर बनाता है। प्लास्टिक एक ऐसा किरदार थे जिसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता वह जमीन में दफन होकर मिट्टी की गुणवत्ता खराब करता है।

ध्वनि प्रदूषण : ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण लाउडस्पीकर, रेडियो टीवी स्पीकर ,भारी मशीनरी एवं वाहनों से निकलने वाली तेज ध्वनि है। ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों को बहरेपन की समस्या होने लगती है। ध्वनि प्रदूषण का सबसे ज्यादा शिकार नवजात बच्चे होते हैं। ध्वनि प्रदूषण बीपी और हृदय रोग संबंधित बीमारियों का कारण बनता है। प्रदूषण का प्रकार चाहे कोई भी हो लेकिन उसका दुष्प्रभाव एक ही होता है। प्रदूषण प्रकृति पर मौजूद सभी जीवों का जीवन धीरे-धीरे नष्ट करता जा रहा है।

प्रदूषण का हर एक प्रकार काफी खतरनाक है। प्रदूषण का परिणाम हमारे लिए काफी गंभीर साबित हो सकता है। हमें अपनी आदतों में बदलाव लाकर प्रदूषण को रोकने की कोशिश करना चाहिए। हमें अपनी प्रकृति का पारिस्थितिक तंत्र साधारण रूप से बनाए रखने के लिए पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने का प्रयास करना चाहिए। सभी लोगों ने एक साथ मिलकर प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए। प्रकृति की सुंदरता को बढ़ावा देने के लिए वृक्षारोपण भी करना चाहिए एवं इसके साथ-साथ वन्य जीवन को भी बढ़ावा देना चाहिए।

Essay on Pollution in Hindi 1000 Words

प्रदूषण जैसी जटिल समस्या से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न प्रकार के देशों द्वारा तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। विश्व के कई देशों में प्रदूषण को दूर करने के लिए आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा आम नागरिकों द्वारा भी पर्यावरण को साफ करने की कोशिश की जा रही है। प्रदूषण से होने वाले नुकसानओं के बारे में सभी लोग अब जान चुके हैं। जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है,पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है ,ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। उसे देखकर ऐसा लगता है,यदि समय रहते प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो जल्द ही यह पृथ्वी को नष्ट कर देगा। प्रदूषण के कारण हमें प्रकृति से प्राप्त होने वाली सभी चीजें दूषित प्राप्त होती है। शुद्ध वायु और शुद्ध जल के लिए भी हमें अब आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। इसीलिए प्रदूषण जैसे खतरनाक दुश्मन को खत्म करना ही होगा।

प्रदूषण के स्रोत (Source of Pollution)

प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत कारखानों को, वाहनों को, उद्योगों को कह सकते हैं। क्योंकि कारखानों से, उद्योग से, वाहनों से निकलने वाला धुआं अधिक मात्रा में वायु को प्रदूषित करता है। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण एक जटिल समस्या बनती जा रही है। प्रकृति में मौजूद सभी चीजें जल, वायु, मिटी किसी ना किसी तरह से प्रदूषण का शिकार हो रही हैं। मुख्य रूप से देखा जाए तो मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण प्लास्टिक है। जो जमीन में दफन होकर कर उसे बंजर बनाता है ,और यदि उसे जलाया जाए तो वायु प्रदूषण पता है। अब वैज्ञानिकों द्वारा वातावरण को शुद्ध करने के लिए नई नई चीजों का आविष्कार किया जा रहा है। इसके अलावा बिजली पर चलने वाली मशीनो एवं वाहनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

प्रदूषण पर रोकथाम के उपाय ( Paryavaran Pradushan ko Rokne ke Upay)

प्रदूषण पर रोकथाम के लिए सभी देशों की सरकारों द्वारा तरह-तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। भारत सरकार द्वारा भी प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए निम्न तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल: अन्य देशों की तरह भारत सरकार ने भी पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर रोक लगाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ग्रुप की स्थापना की है। एनजीटी द्वारा बनाए गए निर्देशों का पालन अगर किसी के द्वारा नहीं किया जाता तो उस पर काफी भारी जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा किसी भी तरह से पर्यावरण को दूषित करने पर भी बड़ी कार्रवाई की जाती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देश के सभी शहरों में कोयले पर निर्भर होने वाली कंपनियों पर रोक लगाई है। इसके अलावा कोयले के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगाया है।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत

सभी देशों द्वारा ऊर्जा के वैकल्पिक  स्रोतो का इस्तेमाल काफी जोर शोर से किया जा रहा है। अब वाहनों को चलाने के लिए ईंधन का उपयोग नहीं बल्कि इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा भी सभी लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों को इस्तेमाल करने का आदेश दिया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों में सोलर पैनल लगवाए जा रहे हैं। जिससे कि सौर ऊर्जा से व्यक्ति ऊर्जा का उत्पादन कर सके। जल भी ऊर्जा का एक स्रोत होता है, इसलिए बरसात के जल का संरक्षण करना भी जल संचयन प्रणाली का एक  महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भारत सरकार द्वारा अब BS-VI ईंधन का प्रयोग किया जा रहा है। वाहनों में इस ईंधन के इस्तेमाल होने के बाद से प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई है। इस ईंधन के बाद से वाहनों से निकलने वाले हानिकारक धुए में 50% से अधिक सल्फर की कमी आई है। यहां bs–vi ईंधन कार से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कार से 25% तक कम करता है। इस तरह के ईंधन का इस्तेमाल करने से गाड़ियों के धुएं के माध्यम से निकलने वाली हानिकारक गैस कम हो जाती है।

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक सबसे अच्छा उपाय वायु शोधक यंत्र हो सकता है। हम इसे इनडोर में इस्तेमाल कर सकते हैं। सभी घरों में अगर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल किया जाए। तो एयर प्यूरीफायर में मौजूद पार्टिकल वायु को साफ करने में मदद करते हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को हटाने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा एयर प्यूरीफायर हवा की गुणवत्ता में भी सुधार लाते हैं।

पर्यावरण में प्रदूषण को कैसे रोक सकते हैं अपने विचार?

हालांकि विभिन्न देशों द्वारा प्रदूषण को खत्म करने के लिए विभिन्न विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाए जा रहे हैं। ऐसे में देश के सभी नागरिकों का यह कर्तव्य बनता है, कि वह प्रदूषण को खत्म करने में राज्य सरकारों की मदद करें। प्रदूषण पर रोकथाम लगाने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

पटाखों का इस्तेमाल न करें: त्योहारों पर फोड़े जाने वाले पटाखे भी प्रदूषण का कारण होते हैं। ऐसे में जब हम दशहरे पर दिवाली पर या किसी अन्य त्योहार पर पटाखों का इस्तेमाल ना करके वायु प्रदूषण को रोक सकते हैं। ऐसा करने से ना केवल हम वायु प्रदूषण बल्कि ध्वनि, मृदा प्रदूषण पर भी रोक लगा सकते हैं।

वाहनों का सीमित प्रयोग: प्रदूषण का एक मुख्य कारण वाहन भी है। यदि हम वाहनों का उपयोग अंधाधुन ना करके सीमित मात्रा में इनका उपयोग करें तो प्रदूषण काफी हद तक कम हो सकता है। जीवाश्म ईंधन पर चलने वाले वाहनों का उपयोग ना करके हम इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करें इससे किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता।

अपने आस-पास साफ-सफाई बनाए रखें: एक अच्छे और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यहां लोगों कर्तव्य बनता है ,कि वे अपने आसपास की जगह को साफ सुथरा रखे। हमें यहां वहां का कचरा ना फेंक कर उसे कूड़ेदान में फेंकना चाहिए। इसके अलावा सूखा और गीला कचरा भी अलग अलग रखना चाहिए।

रिसाइकल और पुन उपयोग: हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए ,जिनका उपयोग हम दोबारा कर सके या फिर रिसाइकल करके उन्हें किसी और काम में इस्तेमाल कर सकें। वर्तमान में हम अधिकतर ऐसी वस्तुओं का उपयोग करते हैं, जो कि प्लास्टिक से बनी हुई थी है। प्लास्टिक पर्यावरण को सबसे ज्यादा दूषित करता है। प्लास्टिक को हम डीकंपोज नहीं कर सकते इसलिए हमें उसे कि साइकिलिंग के लिए भेजना चाहिए। ताकि उसका दोबारा से किसी अन्य काम में इस्तेमाल किया जा सके।

पेड़-पौधों लगाएं: प्रकृति का संतुलन बिगड़ने का मुख्य कारण वनों की कटाई है। औद्योगिकरण के कारण लोगों द्वारा अंधाधुन पेड़ों की कटाई की जा रही है,जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है,और पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। इसलिए हमें अपने आसपास पेड़ पौधे लगाना चाहिए ताकि वह वातावरण का तापमान कम कर सके और हमें शुद्ध वायु प्रदान कर सकें।

अगर हम एक अच्छे नागरिक होने के नाते सरकार द्वारा प्रदूषण के रोकधाम हेतु जारी किए गए सारे निर्देशों का पालन करें तो हम काफी हद तक प्रदूषण को बढ़ने से रोक सकते हैं। प्रदूषण के कारण हमें कई सारी गंभीर बीमारियां होती है। प्रदूषण ना केवल भीतरी रूप से हमारे शरीर को कमजोर करता है, बल्कि बाहरी रूप शरीर पर भी एलर्जी जैसी बीमारियां फैलाता है। यह हमारे पर्यावरण के लिए भी घातक है। हमें अपने पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयास करने होंगे। यह हमें अपने लिए ही नहीं बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए भी करना चाहिए। हमें अपनी दिनचर्या में ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए, जो प्रदूषण को कम करने में सहायक हो।

FAQs Related to Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण क्या है?

प्रदूषण मानव द्वारा फैलाया गया एक जहर है जो धीरे-धीरे प्रकृति में मौजूद सभी चीजों को नष्ट करते जा रहा है।

पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?

प्रकृति को प्रदूषण से बचाने के लिए 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

प्रदूषण को रोकने के उपाय?

वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए। वृक्षारोपण करना चाहिए। ऊर्जा के अन्य स्त्रोतों का उपयोग करना चाहिए।

प्रदूषण के कितने प्रकार होते हैं?

प्रदूषण के 4 मुख्य प्रकार होते हैं। जल प्रदूषण ,वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण।

Paryavaran Pradushan Par Nibandh

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Essay on Pollution in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Paryavaran Pradushan Nibandh अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Essay on Pollution in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

संयुक्त परिवार निबंध वृक्षारोपण पर निबंध 

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  • Essays in Hindi /

Essay on Plastic Pollution in Hindi: प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

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  • Updated on  
  • जून 30, 2023

essay on plastic pollution in hindi

प्रदूषण (संस्कृत शब्द: प्रदूषणम्) पर्यावरण में दूषक पदार्थों (कंटामिनेंट्स) के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में उत्पन्न होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाता है। प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को प्लास्टिक प्रदूषण कहते हैं। आईये देखें प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (essay on plastic pollution in hindi)। 

This Blog Includes:

प्लास्टिक प्रदूषण क्या होता है, सिंगल यूज़ प्लास्टिक क्या होता है, प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाली बीमारियाँ , विषय विस्तार, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर स्लोगन, प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े कुछ फैक्ट्स.

प्लास्टिक प्रदूषण एक पर्यावरणीय समस्या है जो प्लास्टिक के उपयोग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। प्लास्टिक एक अविश्वसनीय औद्योगिक उत्पाद है जो बहुत सारे उपयोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जैसे कि खाद्य संचार, वस्त्रों, इलेक्ट्रॉनिक्स, औषधि पैकेजिंग, आदि। प्लास्टिक की बढ़ती मांग के कारण, इसका उत्पादन और उपयोग भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग करने के बाद उसे कचरे के रूप में भूमि पर या जल स्रोतों में फेंकना और इस प्लास्टिक कचरे का इकठ्ठा होना ही प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक वह है जो हम रोज़मर्रा के कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं। जैसे कि प्लास्टिक की थैलि से राशन लाना हो फल सब्जी लाना हो आदि। आजकल ज्यादातर फूड आइटम प्लास्टिक में पैक होते हैं जैसे की चिप्स, कुरकुरे, चाकलेट आदि। पैकेजिंग पानी का बोतल, कोल्ड ड्रिंक की बोतल आदि सिंगल यूज प्लास्टिक कहलाता है। इन प्लास्टिक को ज्यादातर इस्तेमाल करने के बाद यहां वहां फेंक देते हैं। लेकिन हमारी यह गलती पर्यावरण के लिए बहुत ही हानिकारक है। प्लास्टिक का उत्पादन दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है और उसका इस्तेमाल भी भारी मात्रा में हो रहा है।

  • पलमोनेरी कैंसर (फेफड़ों के द्वारा जहरीली गैसों में साँस लेने के कारण होता है) 
  • लिवर को नुकसान
  • तंत्रिका और मस्तिष्क को नुकसान
  • गुर्दे की बीमारी
  • बर्थ डिसॉर्डर का रिस्क
  • गर्भावस्था संबंधित विकार
  • हार्मोनल विकार 

प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 300 शब्दों में: Essay on Plastic Pollution in Hindi

प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 300 शब्दों में –  essay on plastic pollution in hindi कुछ इस प्रकार है –

प्लास्टिक प्रदूषण प्लास्टिक के कचरे से उत्पन्न होता है। प्लास्टिक एक नॉन- बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है जो सैंकड़ो वर्षों तक पृथ्वी पर रहकर वातावरण को नुक्सान पहुंचाता है। आज के समय में यह विकराल रुप धारण कर चुका है और दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

अब सवाल आता है कि प्लास्टिक प्रदूषण को कैसे रोकें? इसके लिए हम व्यग्तिगत स्तर पर प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर सकते हैं। इसकी जगह हम विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही हम रीयूज़ की आदत अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं। प्लास्टिक बैग फेंकने से पहले जितनी बार भी हो सके उनका पुनरुपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार हम प्लास्टिक कचरे को कम करने में और प्लास्टिक प्रदूषण के रोकथाम में अपनी महात्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

प्लास्टिक एक लीच की तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। मनुष्य प्लास्टिक पर इस तरीके से निर्भर हो गए है कि वह चाहकर भी प्लास्टिक को छोड़ नहीं पा रहे है। सूरज की रोशनी, हवा और समुद्री लहर की बजह से प्लास्टिक कचरा छोटे छोटे कणों का आकर ले लेता है। फिर यह हमारे पर्यावरण के वायु मंडल, जल स्रोत आदि में रह जाता है। इन मइक्रोप्लास्टिक का आकर बहुत ही छोटा होता है, जिसके कारण यह हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है, चाहे वो साँस लेते समय हो या फिर पानी के माध्यम से हो।

माइक्रोप्लास्टिक जल स्त्रोतों से हमारे घर तक पहुंचाए जाने वाले पेयजल प्रणालियों में और हवा में प्रवेश करते\। जाने अनजाने में इन मइक्रोप्लास्टिक का सेवन हम इंसान भी कर रहें हैं, जिसके कारण हम बीमार भी पड़ सकते हैं और हमे गंभीर बिमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

दुनिया भर में प्रदूषण की समस्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी होती जा रही है। इसमें भी प्लास्टिक एक समस्या है जो सबसे अधिक चिंताजनक है क्योंकि यह एक ऐसा पदार्थ होता है जिसे नष्ट होने में काफी समय लगता है। केवल इतना ही नहीं इसके कारण पानी से लेकर हवा और भूमि सभी प्रदूषित होते हैं। हमें प्लास्टिक रिसाइकिलंग के बारे में गंभीरता से सोचना होगा और व्यक्तिगत रूप से भी अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करना पड़ेगा, तभी हमारी पृथ्वी सुरक्षित रहेगी। स्पष्ट रूप से हमें इस दिशा में और अधिक गंभीरता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।

यह भी देखें – प्रदूषण पर निबंध

प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का जमीन या जल में इकट्ठा होना प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है। प्लास्टिक प्रदूषण कई तरीकों से हो सकता है। एक तरफ, प्लास्टिक के उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली कचरे के धातुओं के उपयोग में परिवर्तन के कारण और दूसरी ओर, उपयोगिताओं के बाद नष्ट होने पर प्लास्टिक अप्रचलित हो जाता है। इन अप्रचलित प्लास्टिक आवागमनों के कारण यह प्रदूषण पानीमार्ग के माध्यम से नदियों, समुद्रों, झीलों और अन्य जल निकायों में पहुंचता है। यह प्रदूषण मानव स्वास्थ्य, जीवन पशुओं, मार्गनिर्देशक प्रणी, और जलीय प्रदेशों आदि के लिए हानिकारक होता है। 

प्लास्टिक प्रदूषण कई कारणों से होता है। प्लास्टिक सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ है। यह किफायती होने के साथ इन्हे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। प्लास्टिक के वस्तुओं के बढ़ते उपयोग के कारण ही प्लास्टिक प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है। प्लास्टिक एक नान- बायोडिग्रेडबल पदार्थ है। इससे उत्पन्न कचरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह जल और भूमि में विघटित नहीं होता है। यह वातावरण में सैकेड़ो वर्षो तक बना रहता है, जिससे यह भूमि, जल और वायु प्रदूषण का कारण बनता है। प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक से बने अन्य उत्पाद छोटे-छोटे टुकड़ो में टूट जाते हैं। यह मिट्टी और पानी के स्त्रोतो में मिल जाते है। परिणामस्वरूप, प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।

प्लास्टिक अन्य जीवन रूपों को प्रभावित कर सकता है। जल में प्लास्टिक के पड़ जाने से जलजीवन, मत्स्य, और अन्य जलीय प्राणियों को नुकसान पहुंच सकता है। जब प्लास्टिक कचरा जल निकायों में पहुंचता है, तो यह जलमार्गों को प्रदूषित करता है। प्लास्टिक कचरे की वजह से नदियों, समुद्रों और झीलों का पानी गंदा हो जाता है, जिससे जलजीवन और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण वनस्पतियों और महत्वपूर्ण प्राणियों को नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक के टुकड़े, छोटे उपकरण और प्लास्टिक वगैरह के साथ जंगली जानवरों के गले बंध सकते हैं या उनके पांव में फंस सकते हैं, जिससे उन्हें खाने-पीने और आकारीय गतिविधियों में समस्याएं हो सकती हैं। प्लास्टिक के उपयोग से उत्पन्न होने वाले केमिकल्स और विषाणुओं के कारण, मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पडता है। सांस लेने या प्लास्टिक उत्पादों के संपर्क में आने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं जैसे एलर्जी, श्वसन संबंधी समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन, कैंसर आदि हो सकता हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए हमें व्यक्तिगत स्तर पर पहल करने की ज़रूरत है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करना, प्लास्टिक से बेहतर निपटारा, विकल्प उत्पादों का उपयोग, जनसंचार के माध्यम से जागरूकता फैलाना , वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी उन्नति से प्लास्टिक के विकास को कम करना, प्रदूषण नियंत्रण नीतियों को सख्ती से लागू करना , सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन आदि से हम प्लास्टिक प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

यह भी देखें – सिंगल यूज प्लास्टिक पर पोस्टर

प्लास्टिक प्रदूषण पर कुछ बेस्ट स्लोगन्स कुछ इस प्रकार हैं –

  • प्लास्टिक न सड़ती है, न गलती है सिर्फ़ सदियों तक प्रदूषण करती है 
  • प्लास्टिक देती है सुख प्रदूषण करती है खूब 
  • पॉलिथीन का करें न उपयोग फैलाती है यह जानलेवा रोग 
  • नई पीढ़ी न करेगी माफ़ जब पर्यावरण का होगा नाश  
  • पेपर बैग का करें इस्तेमाल प्रदूषण में करें न योगदान 
  • घर से थैला खुद ले जाएं पॉलिथीन को न अपनाएं 
  • सिंगल यूज़ प्लास्टिक न कहें पर्यावरण संरक्षण को हाँ कहें 
  • बीमारी और मौत से बचें प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीरता को समझें 
  • पॉलिथीन का व्यापार न करें लालच में पृथ्वी बीमार न करें 
  • पॉलिथीन से सबको बचाना है जूट और कपड़ा विकल्प बनाना है 

प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े कुछ फैक्ट्स हैं –

  • विश्व में प्रति वर्ष 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता
  • अमेरिका हर साल 42 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन करता है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है
  • हर साल 8 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक महासागरों में प्रवेश करता है। 
  • महासागरीय प्लास्टिक प्रदूषण 2040 तक 29 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ने की राह पर है 
  • हर साल प्लास्टिक में फंसने से 100,000 जानवर मर जाते हैं। 
  • मनुष्य हर सप्ताह 5 ग्राम प्लास्टिक निगलता है। 
  • प्लास्टिक 2030 तक अमेरिका में कोयले की तुलना में अधिक GHG उत्सर्जन रिलीज़ करेगा
  • COVID-19 ने महासागर में 25,900 टन प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ा दिया है। 
  • औसतन, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग सिर्फ 25 मिनट के लिए किया जाता है। 
  • एक प्लास्टिक को गलने में कम से कम 100 से 500 साल लगते हैं। 
  • आए दिन समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण के कारण समुद्री जीवों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है और वो लुप्त होने की कगार पर हैं। 

प्लास्टिक प्रदूषण से कैंसर, दमा, दिमाग सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती हैं। 

माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं जिनकी लंबाई 5 मिलीमीटर से कम होती है। समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन चुका है।

हर साल अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग फ्री दिवस 3 जुलाई को मनाया जाता है।

यह था प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध, essay on plastic pollution in hindi पर हमारा ब्लॉग। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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प्रदूषण पर 10 वाक्य (10 Lines on Pollution in Hindi)

मानव जितनी तेजी से इस धरती पर अपना वर्चस्व जमाते हुए विकास की ऊंचाइयों को छू रहा है उतनी ही तेजी से इस धरती को प्रदूषण के बोझ तले दबा रहा है। प्रदूषण से प्रकृति के साथ साथ सभी जीव जन्तु भी प्रभावित हो रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण आज विश्व भर के सभी देशों के लिए एक चुनौती के रूप मे उभर रहा है। हमारी दिन प्रति दिन बढ़ती आवश्यकताएं ही प्रदूषण के बढ़ने का कारण हैं। जिस प्रकार से आए दिन नए नए कारखानों, मिलों की स्थापना हो रही है उसी प्रकार से प्रदूषण भी अपने आप को कई तरह के बीमारियों के रूप में स्थापित कर रहा है।

प्रदूषण पर 10 वाक्य (Ten Lines on Pollution in Hindi)

चलिए आज इन 10 लाइन्स के माध्यम से हम प्रदूषण को समझतेहैं।

Pradushan par 10 Vakya – Set 1

1) 2 दिसंबर को प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में उद्घोषित किया गया है।

2) प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक साबित होता है।

3) ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण आदि प्रदूषण के प्रकार हैं।

4) कारखानों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों को नदियों तालाबों में छोड़ने से जल प्रदूषण होता है।

5) मंदिरों, मस्जिदों के लाउडस्पीकर ध्वनि प्रदूषण का कारण बनते हैं।

6) हमारे द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक की थैली भी प्रदूषण का कारण बनती है।

7) वाहनों और कारखानों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण होता है।

8) वायु प्रदूषण से अनेक प्रकार के सांस की बीमारियां होती हैं।

9) ध्वनि प्रदूषण कानों के अनेक रोगों का कारण बनती है।

10) प्रदूषण की समस्या विश्व भर के सभी देशों में विद्यमान है।

Pradushan par 10 Vakya – Set 2

1) विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों की तुलना में भारत का प्रदूषण स्तर 5.5 गुना अधिक है।

2) भारत में प्रतिवर्ष 62 मिलियन टन कूड़ा उत्पन्न होता है।

3) महासागरों में 5.25 ट्रिलियन प्लास्टिक कचरे होने का अनुमान है।

4) लैंडफिल के कारण भारत में लगभग 20% मीथेन गैस उत्सर्जन होता है।

5) भारत में हर दिन 1.50 लाख मीट्रिक टन से अधिक ठोस कचरा पैदा होता है।

6) दीपावली जैसे त्योहारों पर पटाखों के धुएं भी वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण साबित होते हैं।

7) वर्तमान समय से बहुत सी बीमारियां विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से ही होती हैं।

8) मृदा प्रदूषण से किसानों के लिए उपजाऊ मिट्टी की कमी हो रही है।

9) एयर कंडीशनर से निकलने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे गैसों से ओजोन परत की क्षति होती है।

10) जल प्रदूषण के कारण आज कल किसी भी नदी तलब का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है।

बढ़ती जनसंख्या की बढ़ती निरर्थक आवश्यकताओं और लापरवाहियों के कारण प्रदूषण का स्तर अपने चरण सीमा पर पहुंच चुका है। आज हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली किसी भी वस्तु में से कुछ न कुछ अपशिष्ट पदार्थ अवश्य निकलता है और अंततः यही अपशिष्ट पदार्थ किसी न किसी रूप में प्रदूषण का कारण बनाता है। आज सभी मानव जाति को प्रदूषण से इस प्रकृति को बचाने के लिए अपनी उचित मात्रा में ही किसी भी चीज का इस्तेमाल करना चाहिए। सभी को इस प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा तब जाकर प्रदूषण की इस विशाल संकट से खुद को बचा पाएंगे।

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  1. प्रदूषण पर निबंध

    In the post will discuss the major causes of Pollution, Pollution Meaning, effects, and measures to prevent pollution. Essay on Pollution in Hindi is an important topic for Class 7th,8th, 9th, 10th, 11th, and 12th. Here we have compiled important points on pollution Essay in Hindi which is a useful resource for school and college students.

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    पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environmental Pollution in Hindi, Paryavaran Pradushan par Nibandh Hindi mein) आइए, हम छोटे और बड़े निबंधों के माध्यम से पर्यावरण ...

  7. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

    Pollution Essay in Hindi में एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी ...

  8. प्रदूषण पर निबंध

    प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में - Easy Essay on Pollution in 100 Words. Pollution / प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है ...

  9. Essay on Pollution in Hindi for class 10, 11, 12 Class प्रदूषण पर निबंध

    Write an essay on pollution in Hindi as Pollution essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on Pollution in Hindi is defined in more than 200, 300, 500, 700, 800, 1000 words. Learn essay on pollution in Hindi for class 10 and think how you can control pollution.

  10. वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi)

    वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) - यदि वायु प्रदूषण पर निबंध के लिए उपयोगी जानकारी की तलाश है तो इस लेख को पूरा पढ़ें। वायु प्रदूषण पर निबंध से स्कूली ...

  11. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: Pollution Essay (Long & Short) in Hindi

    Pollution Long & Short Essay in Hindi. प्रदूषण की समस्या पर बड़ा (1300 Word) और छोटा (10 Line) निबंध लिखा है जिसे छात्र किसी भी Class के लिए

  12. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

    इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा ...

  13. वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

    स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi) गणतंत्र दिवस पर 10 वाक्य (10 Lines on Republic Day 2024 in Hindi) गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध (Republic Day Parade Essay in Hindi)

  14. Essay on pollution in hindi, article, paragraph: प्रदूषण पर निबंध, लेख

    प्रदूषण पर निबंध, short essay on pollution in hindi (100 शब्द) प्रदूषण हमारे प्राकृतिक संसाधनों में अवांछित पदार्थों की उपस्थिति को संदर्भित करता है ...

  15. प्रदूषण पर निबंध

    Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए ...

  16. Pollution Essay In Hindi

    प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution In Hindi. प्रदूषण की समस्या आज सारे विश्व के सामने विकराल रूप धारण करती जा रही है। जिस प्रकृति ने हमें शुद्ध जल ...

  17. Essay On Pollution in Hindi

    यह निबंध Essay On Pollution in Hindi पर है | इस लेख में हमने बहुत ही विस्तार से प्रदूषण पर निबंध को बताया है | इस लेख की मदद से आप अपने एग्जाम में निबंध में बहुत अच्छे marks ला ...

  18. प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

    प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English: Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.. but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

  19. Essay on Pollution in Hindi for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12

    हम आपको "Essay on Pollution in Hindi" उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं.

  20. Essay on Water Pollution in Hindi

    जल प्रदूषण पर 10 लाइन्स . Essay on Water Pollution in Hindi पर 10 लाइन्स यहां दी गई है-मुख्यतः वाटर रिसोर्सेज के दूषित होने से जल प्रदूषण होता है।

  21. Essay on Plastic Pollution in Hindi: प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

    प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 300 शब्दों में: Essay on Plastic Pollution in Hindi. प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 300 शब्दों में - essay on plastic pollution in hindi कुछ इस प्रकार है -

  22. प्रदूषण पर 10 वाक्य (10 Lines on Pollution in Hindi)

    Pradushan par 10 Vakya - Set 1. 1) 2 दिसंबर को प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में उद्घोषित किया गया है।. 2) प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक ...