दयालुता पर निबंध

Essay on Kindness in Hindi: हम यहां पर दयालुता पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में दयालुता के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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दयालुता पर निबंध | Essay on Kindness in Hindi

दयालुता पर निबंध (250 शब्द).

प्रकृति का एक हिस्सा दयालुता है। यह गुण बेहद कम लोगों के पास होता है। आमतौर पर दयालु लोगों को ऐसे लोगों के रूप में वर्णित किया जाता है, जो अपने बड़ों और छोटे लोगों के प्रति सम्मान दिखाते हैं, जो मृदुभाषी होते हैं और जो बड़ी गलती करने पर भी लोगों को बहुत आसानी से माफ कर देते हैं।

जिन लोगों में दयालुता का गुण होता है, वे इस दुनिया में सबसे अच्छे व्यक्ति होते हैं। दयालु लोग बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना दया दिखाते हैं और विभिन्न तरीकों से आपकी मदद करते हैं। दया आपके लिए अच्छा स्वास्थ्य ला सकती है। क्योंकि डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि सभी के प्रति दया दिखाने से कोई व्यक्ति बिना किसी बीमारी के कई वर्षों तक जीवित रह सकता है। दयालुता किसी व्यक्ति के जीवन में सफलता के स्तर को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

एक दयालु व्यक्ति अपने प्रिय व्यक्ति की हर गलती को क्षमा कर देता है, दयालु लोग आसानी से धोखे में आ सकते हैं। क्योंकि लोग जानते हैं कि वह केवल उनके प्रति दया दिखाएगा और वह किसी भी परिस्थिति में उनकी मदद करेगा। अगर किसी को नेकदिल इंसान मिल जाए तो उसे उसका सम्मान करना चाहिए जैसे वह अपने माता-पिता या अन्य प्रियजनों का सम्मान करता है।

दया महान गुण है और सभी को इसे प्राप्त करना चाहिए। हालाँकि कुछ लोग आपकी दयालुता से लाभान्वित हो सकते हैं और आपको विभिन्न तरीकों से गुमराह कर सकते हैं। इसलिए, भले ही आप बहुत दयालु हों, आपके पास चतुराई का गुण होना चाहिए ताकि कोई भी आपको मूर्ख न बना सके।

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दयालुता पर निबंध (500 शब्द)

दयालुता एक ऐसी आंतरिक विशेषता है, जो हर किसी के पास नहीं होती है। दुनिया की सबसे कीमती चीज़ भी इस गुण के आगे तुच्छ लगती है। सभी जीवित प्राणियों के साथ अच्छा व्यवहार करने के इस गुण को निर्देशित नहीं किया जा सकता। दयालुता हर जीव से प्रेम करना सिखाती है। दयालुता का गुण जीवित प्राणियों के प्रति नफरत को दूर करती है। दयालुता से हमें वो आंतरिक शांति मिलती है, जिसे दुनिया के सबसे महंगी चीज़ें भी प्रदान नहीं कर सकती। यह सच है कि दयालु कार्यों का प्रतिफल एक दिन अवश्य मिलेगा।

दयालुता का गुण भगवान ने हमें खुद सिखाया है। हमने अक्सर भगवान राम, कृष्ण, शिव आदि की पौराणिक कथाओं में सुना है कि दया उनका पहला गुण था। बड़े बड़े ऋषि मुनियों और संतों ने कर्म के नियम की व्याख्या करते हुए हमें हमेशा दयालु होने के लिए कहते हैं। क्योंकि हमारे कार्य हमें अच्छे या बुरे रूप में प्रतिबिंबित करेंगे। दयालुता के कार्य सभी के जीवन में सकारात्मक आशा की एक किरण लाते हैं।

निस्वार्थ भाव से और बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना दयालुता के कार्य करने चाहिए। जाति, धर्म, लिंग, नस्ल, राष्ट्रीयता, जातीयता की परवाह किए बिना सभी जीवित प्राणियों के लिए दया करनी चाहिए। हमें ना केवल मनुष्य लेकिन प्रकृति के हर घटक जैसे कि पेड़, पौधे, जानवर और छोटे से छोटे जीवों पर भी दया दिखानी चाहिए। दया करते हुए कुछ लोग किसी को या किसी संगठन को गुप्त दान देते हैं क्योंकि वे प्रसिद्धि अर्जित नहीं करना चाहते हैं, यह एक उत्तम प्रकार की सोच है।

दयालुता का असर सीधा स्वास्थ्य पर पड़ता है। दयालुता तनाव, अवसाद या किसी भी अन्य चिंता की समस्या को कम कर सकती है। दयालुता का गुण अपनाने के कारण व्यक्ति स्वतः खुश रहता है। इस गुण के कारण जीवन की अन्य कई समस्याएं कम हो जाती है। इस गुण के कारण कोई भी व्यक्ति बिना किसी बीमारी के कई वर्षों तक जीवित रह सकती है।

दयालु लोगों को कोई भी व्यक्ति आसानी से धोका दे सकता है। कुछ कपटी लोग दूसरों के दयालुता के गुण के कारण विभिन्न तरीकों से गुमराह कर सकते हैं, इसलिए दयालुता के साथ चतुराई का गुण भी होना चाहिए ताकि कोई भी मूर्ख ना बना सके।

आजकल लोगों के पास दूसरों पर दया करने का समय नहीं है। क्योंकि वे अपने काम में बहुत व्यस्त हैं। आज की दौड़धाम भरी ज़िंदगी में दयालुता का गुण दुनिया से नाबूद होता नजर आ रहा है। लोग स्वार्थी बन गए है और हमेशा अपने फ़ायदे ही देखते है।

हमें बच्चों के दिल में बचपन से ही इस गुण को विकसित करना चाहिए। देखभाल और चिंता के माहौल में रहने वाले परिवार के सदस्यों के साथ दयालुता घर से शुरू होती है।

जिनके पास दयालुता का गुण है, वे इस दुनिया में सबसे अच्छे इंसान माने जाते हैं। हमारे बुजुर्गों और पूर्वजों ने कहा है कि अगर हमने इंसान के रूप में जन्म लिया है तो हमें कुछ कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और दयालुता एक ऐसा कर्तव्य है, जिसे हमें अपने जीवन में अवश्य करना चाहिए। दयालुता में व्यक्ति के साथ-साथ दुनिया को भी बदलने की शक्ति होती है।

दयालुता पर निबंध (800 शब्द)

भगवान ने मनुष्य को दिए सात गुणों में से एक गुण दयालुता है। दया को अनेक दृष्टियों से देखा जा सकता है। सभी प्रमुख धर्मों में अहिंसा, प्रेम, त्याग, सहानुभूति और दया की शिक्षा दी जाती है। दयालुता जीवन जीने का एक सकारात्मक तरीका है। दयालुता का दृष्टिकोण आसपास के मनुष्यों के अनुकूल और सहायक होना है। इस पृथ्वी पर दयालुता सबसे सुंदर गुण है।

दया एक दुर्लभ फूल की तरह है, जिसकी देखभाल अत्यंत सावधानी के साथ करनी चाहिए। इसके लिए प्रेम और समर्पण की आवश्यकता होती है। दयालुता का अर्थ यह हो सकता है कि बदले में अच्छी चीजों की अपेक्षा किए बिना अच्छी चीजें करना।

दयालुता का अर्थ

दयालुता को उचित शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है लेकिन सरल शब्दों में दयालुता को दूसरों के प्रति देखभाल और करुणा के दृष्टिकोण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। दयालुता परिभाषित करने के लिए जितना जटिल है लेकिन महसूस करने में उतना ही आसान है। संस्कृति और धर्मों के अनुसार दयालुता की परिभाषा अलग हो सकती है। हालाँकि, इन प्रकारों का सार एक ही है। दयालुता को मित्रवत, उदार और विचारशील होने के गुण के रूप में परिभाषित किया गया है।

सकारात्मक परिवेश बनाने में दयालुता मदद करती है। यह एक सार्वभौमिक भाषा है। यह एक ऐसी भाषा है, जिसे अंधा देख सकता है और बहरा सुन सकता है। दयालुता गुण साथ साथ व्यक्ति में मुस्कान, सौम्य स्वभाव, परोपकारी व्यवहार, कोमलता, सुखदता या चिंता और दूसरों के लिए करुणा जैसे भी गुण आते है।

दयालुता का महत्व

प्रत्येक व्यक्ति को उसके धर्म के माध्यम से दया का पाठ पढ़ाया जाता है। चाहे इस्लाम हो, ईसाई धर्म हो, सिख धर्म हो और हिंदू धर्म हो या कोई अन्य धर्म सभी दयालुता सिखाते हैं। सच्ची दयालुता को कभी भी मापा नहीं जा सकता। दयालुता लोगों की धारणा को बदलने की कुंजी है। 

सभी धर्मों और संस्कृति में सबसे अधिक महत्व दयालुता को ही दिया जाता है। पृथ्वी पर हमारे अस्तित्व के लिए हमें प्रकृति के सभी घटकों के साथ दया से पेश आना बेहद जरूरी है। दयालुता एक चेन रिएक्शन है। यह एक लहर है जो लुढ़कती रहती है और इसे शुरू करने के लिए केवल एक व्यक्ति की आवश्यकता होती है। एक छोटा सा कार्य एक लहर प्रभाव पैदा कर सकता है जो पूरे समुदाय को प्रभावित करता है।

बचपन से ही हमें बच्चों को यह गुण सीखना चाहिए, क्योंकि बचपन हमेशा मासूम होता है और बचपन में सिखाई बातें जीवन विकास के काफी काम आती है।

दयालुता के लाभ 

दूसरों के प्रति दया करने से हमारे शरीर और मन को कई अनगिनत लाभ मिलते है। दूसरों के प्रति करुणा दिखाने से उनका मूड अच्छा होता है और उनका दिन रोशन होता है। दयालुता हमारे लिए एक आशीर्वाद समान है। दयालुता एक ऐसा व्यवहार है जो आनंद फैलाता है, आनंद जिसकी कोई सीमा नहीं है, आनंद जो सार्वभौमिक है।

दयालुता तनाव, अवसाद या किसी भी अन्य चिंता की समस्या को कम कर सकती है, जो आपको हो सकती है क्योंकि दयालुता दिखाने से लोग खुश होंगे और उन्हें खुश देखकर आप अपने आप खुश हो जाएंगे। दयालुता  विश्व में शांति को बढ़ावा देता है। दीर्घकालिक संबंधों बनाए रखने के लिए यह गुण जरुरी है। दयालु होने के लिए बहादुरी और ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

व्यवहारिक जिंदगी के साथ साथ व्यावसायिक जिंदगी के लिए भी इस गुण का होना जरुरी है क्योंकि ये गुण आपके व्यवसाय को सफल होने में काफी मदद करेगा।

दयालुता के नुकसान

दयालुता के कुछ नुकसान भी है। एक दयालु व्यक्ति अपने प्रिय व्यक्ति की हर गलती को क्षमा कर देता है और इस तरह व्यक्ति हर बार ऐसी ही गलतियाँ करता रहेगा यदि उसे बहुत आसानी से माफ कर दिया जाए।

दयालु लोग आसानी से धोखे में आ सकते हैं क्योंकि लोग जानते हैं कि वह केवल उनके प्रति दया दिखाएगा और वह किसी भी परिस्थिति में उनकी मदद करेगा। कुछ लोग दयालु लोगों का उपयोग उनसे धन प्राप्त करने के लिए करते हैं, और फिर वे उस धन को कभी वापस नहीं करते हैं।

दयालु व्यक्ति हमेशा ऐसे लोगों से गुमराह होंगे जो आपसे ज्यादा स्मार्ट हैं। आप भले ही होशियार हों, लेकिन आपकी दयालुता आपके लिए अभिशाप का काम करती है और आप लोगों के बहकावे में आ जाते हैं।

प्रकृति और दयालुता

हमें केवल मनुष्य के प्रति दया नहीं दखनी चाहिए बल्कि प्रकृति के घटक के प्रति भी दया दिखानी चाहिए। जानवरों, पक्षियों और पेड़ पौधों भी दया की भाषा आसानी से समझते है। उनके साथ हमेशा अच्छे व्यवहार से पेश आना चाहिए। अपने आवास के आसपास घूमने वाली बिल्लियों, कुत्तों और गायों और पक्षियों के लिए खाने और पानी का प्रबंध करना चाहिए।

वर्तमान दुनिया में दूसरों के प्रति दयालु होना कठिन है। दयालुता एक ऐसी चीज है जो हर किसी को अपने आसपास के लोगों को देनी चाहिए। आप जहां भी जाएं एक सकारात्मक सामाजिक वातावरण बनाने के लिए अपने कार्यालय के सहयोगियों और पड़ोसियों के प्रति दयालु रहें।

कहा जाता है कि दया के बदले में हमें दया मिलती है। एक सुखी और सफल जीवन जीने के लिए हमें जीवन के हर क्षेत्र में दयालुता को समायोजित करना सीखना चाहिए। दया ही पूजा है, दया ही धर्म है।

दयालुता पर निबंध (1000 शब्द)

मदर टेरेसा ने कहा था कि “दया और प्रेम भरे शब्द भले ही सुनने में छोटे लगते हों। लेकिन उनकी गूंज अनंत होती है।” दया एक सार्वभौमिक भाषा है, जिसे दुनिया का कोई भी व्यक्ति बिना कुछ कहे आसानी से समझ लेता है। दयालुता मनुष्य का सबसे अनूठा गुण है, जिसके कारण वो दुसरे प्राणी से अलग पड़ता है।

दयालुता ईश्वर का मनुष्य को दिया हुआ सबसे बड़ा उपहार है। दयालुता व्यक्ति के चरित्र और करुणा को प्रदर्शित करता है। दयालुता की भाषा प्रत्येक जीवित प्राणी द्वारा समझी जाती है। दूसरों के प्रति दया दिखाने से खुशी और प्रसन्नता की अनुभूति होती है। दयालुता एक शुद्ध सफेद फूल है जो सबसे कठिन परिस्थितियों में खिल सकता है।

दयालुता की परिभाषा

दया सात गुणों में से एक है। इसे दूसरे के देखभाल करने वाले रवैये के रूप में दयालुता को परिभाषित किया जा सकता है। दयालुता एक जटिल शब्द है। दयालुता की परिभाषा केवल दो शब्दों तक ही सीमित नहीं है। फिर भी दयालुता को समझना सबसे आसान है। एक व्यक्ति जो लगातार दूसरों के बारे में अच्छा सोचता है, उसे दयालु माना जाता है। क्योंकि वह हमेशा दूसरों के लिए जीने और दूसरों की सहायता करने की इच्छा रखता है।

दयालुता का अर्थ है हमारे आसपास के लोगों के लिए अच्छा होना करना। यह उनके साथ विनम्र रहकर, उन्हें भावनात्मक समर्थन प्रदान करके, उनकी आर्थिक मदद करके, उनका मनोबल बढ़ाकर या केवल उनका समर्थन करके किया जा सकता है।

दयालुता और धर्म

दुनिया के सभी धर्मों में भी दयालुता की ही हिमायत की गई है। विभिन्न धार्मिक पुस्तकों और साहित्य में दयालुता का अलग-अलग वर्णन किया गया है। हालाँकि वे सभी एक ही विचार को प्रतिध्वनित करते हैं। दयालुता हर धर्म द्वारा सिखाया जाता है। ईसाई धर्म हो, हिंदू धर्म हो, सिख धर्म हो या इस्लाम या नाम का कोई भी धर्म, सभी दूसरों के प्रति दया व्यक्त करना सिखाते हैं। सच्ची दया, सबसे बढ़कर, करुणा, समझ और सद्भावना के स्थान से आती है।

दयालुता और प्रकृति का सम्बन्ध

दयालुता प्रकृति की मूल प्रेरक शक्ति है। प्रकृति हम पर इतनी दयालु है कि यह हमें बिना किसी स्वार्थ के फलने-फूलने में मदद करती है। गूंगे जानवर भी अपनी दया दिखाने के लिए अपनी पूंछ लहराते हैं। इसी तरह की प्रतिक्रिया पौधों द्वारा दिखाई जाती है, वे बड़े हो जाते हैं और उनके देखभाल करने वाले के दयालु व्यवहार की प्रतिक्रिया के रूप में फल लगते हैं। कृतज्ञता और दया व्यक्त करने के प्रकृति के अपने तरीके हैं।

हमें वन्य जीवों और जानवरों के प्रति भी दया भाव से उनकी सेवा करनी चाहिए। क्योंकि हमारा जीवन परोपकार पर आधारित है। जैसे पेड़ पौधों और प्रकृति पर निर्भर करते हैं, वैसे ही कई जीव हमारी दयालुता पर निर्भर है। जिसमें दूसरों के प्रति सहानुभूति की भावना नहीं होती है, वह व्यक्ति जानवरों से ज्यादा कुछ नहीं है।

दयालुता और स्वास्थ्य का सीधा संभव

दुनिया भर के डॉक्टर और वैज्ञानिक ने भी यह साबित कर दिया है कि सभी दूसरे जीवों के प्रति दयालुता रखने से हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। दूसरों की गलतियों को माफ़ कर देने से हमारे जीवन में तनाव का प्रमाण कम हो जाता है।

दयालुता का गुण आत्म-सम्मान, सहानुभूति और करुणा को बढ़ाने और मनोदशा में सुधार करने के लिए काफी  फायदेमंद होता है, जो हमें लम्बे समय तक जीवित रहने में मदद करता है। इस गुण के कारण चिंता कम होती है और व्यक्ति के सभी कामों में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

दयालुता का समाज में स्थान

दयालु व्यक्तियों को हमेशा उनके साथियों के बीच सम्मान के साथ पहचाना जाता है और उनके साथ व्यवहार किया जाता है। दयालुता केवल एक धार्मिक गुण नहीं है। लेकिन इसे जीवन के सभी क्षेत्रों में बहुत अच्छी तरह से समायोजित किया जा सकता है। अपने भाई-बहनों या साथियों के प्रति दयालु होने से एक मजबूत पारिवारिक नींव बनाने में मदद मिलती है।

पड़ोसियों और सहकर्मियों के प्रति दया दिखाने से सकारात्मक सामाजिक वातावरण विकसित करने में मदद मिलती है। यहां तक ​​​​कि छोटे विचार और दयालुता के निस्वार्थ कार्य भी व्यापार को छलांग और सीमा में बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। जिस व्यक्ति के चरित्र में दयालुता के गुण होते हैं, उसे एक पूर्ण हृदय वाला इंसान कहा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति में दया के आंशिक भाव होते हैं, अगर वह उन्हें सींचता है तो वह उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है अन्यथा यह गुण गायब होने लगता है।

दयालुता से होने वाले लाभ

दयालुता जीवन के सबसे सुखद अनुभवों में से एक है। आपकी परिस्थितियाँ कैसी भी हों, एक दयालु शब्द और एक उदार भाव किसी व्यक्ति के पूरे दृष्टिकोण को बदल सकता है। यह एक ऐसी चीज है जो उनकी आत्मा में प्रवेश करती है। अच्छे कामों को कभी-कभी कृतज्ञता के साथ पुरस्कृत नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें पहचाना नहीं जाता है।

दयालुता का कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता। यदि आप किसी के प्रति दयालु हैं तो यह आपके और उसके व्यवहार में परिलक्षित होगा। दूसरों के प्रति दयालु होना एक सकारात्मक भावना पैदा करता है और इस दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाता है। दयालुता हमारे जीवन और हमारे आस-पास के लोगों के जीवन में शांति को बढ़ावा देती है। दयालुता से आत्मविश्वास और आशावाद को बढ़ावा मिलता है।

दयालुता से होने वाले  नुकसान

हमें बचपन से ही दयालु, करुणामय होना और दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना सिखाया जाता है जैसा हम चाहते हैं। लेकिन कई कई बार इस गुण के कारण हमें भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। समाज में ऐसे कई लोग है, जो दयालु व्यक्ति को मूर्ख मानते है और उनका फायदा उठाते है। ऐसे लोगों के लिए हमें अपने दयालुता के गुण के साथ साथ चालाकी के गुण को भी विक्सित करना चाहिए।

दया एक दुर्लभ गुण है। दयालुता एक निस्वार्थ कार्य है। दया दिल से आती है। दया एक ऐसी चीज है जिसका कभी अंत नहीं हो सकता। स्वयं के प्रति दयालु होना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि दूसरों के प्रति दयालु होना।

हमें अपने प्रति कभी कठोर नहीं बनना चाहिए और जीवन में छोटी छोटी गलतियों को भूल जाना। जैसे  हम गलतियाँ करके ही सीखते हैं। सभी जीवमात्र पर  दया रखें और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ें।

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Rahul Singh Tanwar

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Comment (1).

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