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जवाहर लाल नेहरू पर निबंध (Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi)

जवाहर लाल नेहरु

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ। इनके पिता मोतीलाल नेहरू शहर के जाने माने वकील थे तथा माता स्वरूपरानी नेहरू का संबंध लाहौर के एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से था। बच्चों से अत्यधिक प्रेम होने के वजह से इनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi, Jawaharlal Nehru par Nibandh Hindi mein)

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध – 1 (300 शब्द).

स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तथा उसके बाद भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 में हुआ। लोगों के अनुसार पढ़ाई में इनका विशेष रुझान था। नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन तथा इसी प्रकार के अनेक महत्वपूर्ण आन्दोलन में महात्मा गाँधी के कंधे से कंधा मिला कर जवाहर लाल नेहरू ने भाग लिया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जवाहर लाल नेहरू ने 13 वर्ष की उम्र तक अपने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। अक्टूबर 1907 में नेहरू ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए और वहां से 1910 में प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। इस अवधि के दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा साहित्य का भी अध्ययन किया।

बर्नार्ड शॉ, वेल्स, जे. एम. केन्स, मेरेडिथ टाउनसेंड के लेखन ने उनके राजनैतिक सोच पर गहरा असर डाला। 1910 में अपनी डिग्री पूर्ण करने के पश्चात नेहरू कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और ‘इनर टेम्पल इन’ से वकालत किया।

स्वतंत्र भारत के लिए संघर्ष और सफलता

7 अगस्त 1942 मुम्बई में हुई कांग्रेस कमेटी की बैठक में नेहरू के ऐतिहासिक संकल्प “भारत छोड़ो” के वजह से नेहरू को एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। यह अंतिम मौका था जब वह जेल जा रहें थे। इस बार नेहरू की गिरफ्तारी लंबे समय के लिए हुई। अपने पूरे जीवन काल में वह देश की सेवा करने के वजह से नौ बार जेल जा चुके हैं।

1929 लाहौर अधिवेशन के पश्चात, नेहरू देश के बुद्धिजीवी तथा युवा नेता के रूप में उभरे। भारतीय नेता के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका अनेक यातनाएं सह कर निभाई है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Pandit Jawaharlal Nehru par Nibandh

Pandit Jawaharlal Nehru par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

नेहरू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण के एक ऐसे परिवार में हुआ था जो उनकी प्रशासनिक योग्यता और विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। इनके पिता मोती लाल नेहरू पेशे से वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे। आगे चल कर नेहरू महात्मा गाँधी के प्रमुख सहयोगी में से एक बने। उनकी आत्मकथा में भारतीय राजनीति के प्रति उनकी जिवांत रुचि का पता चलता है।

जवाहर लाल नेहरू राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में

जवाहर लाल नेहरू ने 1912 में बांकीपुर पटना में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। स्थिति सुस्त और निराशाजनक होने के वजह से उन्होंने तिलक और एनी बेसेंट द्वारा होम रूल लीग के साथ अपना राजनैतिक जुड़ाव शुरू किया। 1916 में राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू की गांधी जी से मुलाकात हुई और वह उनके शालीन व्यक्तित्व से अत्यधिक प्रभावित हुए।

जवाहर लाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद, नगर निगम विभाग के अध्यक्ष बने। दो साल के कार्यकाल के उपरांत 1926 में इस पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। तत्पश्चात 1926 से 1928 तक कांग्रेस समीति के महासचिव के रूप में नेहरू ने कार्यभार संभाला। दिसम्बर 1929 लाहौर, कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में नेहरू पार्टी के अध्यक्ष नियुक्त हुए। इसी वर्ष में इन्होनें पूर्ण स्वराज की मांग किया।

नेहरू तथा भारत के लिए महत्वपूर्ण सत्र

1935 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। नेहरू इस चुनाव का हिस्सा नहीं थे पर ज़ोरो-शोरों से पार्टी का प्रचार-प्रसार करने लगे इसके परिणाम में कांग्रेस को लगभग हर प्रांत से जीत हासिल हुई। नेहरू 1935-1936 के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई तथा 1945 में उन्हें रिहा कर दिया गया। 1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन के समय उन्होंने ब्रिटिश सरकार से वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में

जब से महात्मा गांधी ने नेहरू को लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप में चुना तब से जवाहर लाल नेहरू का प्रधानमंत्री बनना यह तय था। वोटो की संख्या कम होने के बाद भी नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। इसके बाद उनके आलोचकों ने जमकर उनकी निंदा की पर उन्होंने अपने पद पर रहते हुए अपने शक्तियों का उचित प्रयोग कर देश के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री पद पर नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका

1947 में ब्रिटिश सरकार ने लगभग 500 छोटे-बड़े रियासतों को आज़ाद किया। इन सभी रियासतों को पहली बार एक झण्डे के नीचे लाना चुनौतीपूर्ण कार्य था पर नेहरू ने अन्य महापुरुषों के मदद से इस कार्य में सफलता प्राप्त किया। आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू का विशेष योगदान है। उनके नीतियों के परिणाम स्वरूप आज पंचवर्षिय योजना के माध्यम से कृषि तथा उद्योग में विकास देखा जा सकता है।

नेहरू के राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव तथा देश के हित में लिए गए निर्णय के फलस्वरूप गर्व से कहा जा सकता है स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री का पद उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर मिला है।

Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

जवाहर लाल नेहरू के पंडित होने के वजह से लोग उन्हें पंडित नेहरू भी पुकारते थे तथा भारत में उनकी लोकप्रियता होने के वजह से भारतीय उन्हें चाचा नेहरू कहकर भी बुलाते थे। तीन भाई बहनों में जवाहर लाल नेहरू अकेले भाई थे, इनके अलावां इनकी दो बहने थीं। एक विजय लक्ष्मी पंडित तथा दूसरी कृष्णा हुतेसिंग।

नेहरू एक निपुण लेखक के रूप में

समस्त राजनीतिक विवादों से दूर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की नेहरू एक उत्तम लेखक थे। उनकी ज्यादातर रचना जेल में ही लिखी गई हैं, पिता के पत्र : पुत्री के नाम (1929), विश्व इतिहास की झलक (1933), मेरी कहानी (नेहरू की ऑटो बायोग्राफी – 1936), इतिहास के महापुरुष, राष्ट्रपिता, भारत की खोज (Discovery of India – 1945) यह कुछ महान रचनाएं नेहरू के कलम से लिखी गई। यह आज भी लोगों के मध्य उतनी ही लोक प्रिय है जितना की उस वक्त थीं।

नेहरू का देश हित में निर्णायक निर्णय

कांग्रेस समीति का वार्षिक सत्र 1928-29, मोतीलाल नेहरू के अध्यक्षता में आयोजित किया गया। उस समय पर मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के अंदर ही प्रभुत्व संपंन राष्ट्र का दर्जा पाने की मांग की। जबकि जवाहर लाल नेहरू तथा सुबास चंद्र बोस ने पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग की। यहां पहली बार जवाहर लाल नेहरू अपने पिता के निर्णय का विरोध कर रहें थे। यह स्वतंत्र भारत के लिए उचित निर्णय था।

नेहरू की आलोचना

कुछ लोगों के अनुसार, गाँधी जी के वजह से नेहरू को प्रधानमंत्री का पद मिला। माना जाता है की कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालेगा यह तय था। इसके बाद भी गाँधी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत अन्य योग्य नेताओं के स्थान पर नेहरू को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना। जो भी हो नेहरू ने अपने पद के महत्व को समझते हुए अनेक बेहतर प्रयास कर आधुनिक भारत का निर्माण किया है।

चाचा नेहरू का जन्म दिवस, बाल दिवस के रूप में

चाचा नेहरू का बच्चों के प्रति असीम प्रेम के वजह से 14 नवम्बर, नेहरू का जन्म दिवस, को बाल दिवस के रूप में देश के सभी विद्यालयों में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों को ख़ास महसूस कराने के लिए विद्यालय में विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिता तथा खेल का आयोजन किया जाता है।

जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु

नेहरू ने 50 की दशक में कई राजनैतिक, आर्थिक तथा समाजिक निर्णय देश के आने वाले आधुनिक कल को सोच कर लिए। 27 मई 1964 की सुबह उनकी तबीयत खराब हुई तथा दोपहर 2 बजे तक उनका निधन हो गया।

पंडित नेहरू ने अपनी वसीयत में लिखा था- “मैं चाहता हूँ कि मेरी मुट्ठीभर राख को प्रयाग संगम में बहा दिया जाए जो हिंदुस्तान के दामन को चुमते हुए समंदर में जा मिले, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखेर दिया जाए, वो खेत जहां हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिल जाए..”

जाने माने तथा समृद्ध परिवार से संबंध होने के फलस्वरूप नेहरू का पालन पोषण बहुत ही नाजो से किया गया था। इसके बाद भी वह अपने देश की मिट्टी से जुड़े हुए थे। बच्चों में लोक प्रियता के वजह से लोग उन्हें चाचा नेहरू कह कर संबोधित करते हैं।

Jawaharlal Nehru Essay

FAQs: जवाहरलाल नेहरू पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू की जयंती भारत में बाल दिवस के रूप में मनाई जाती है।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू पेशे से वकील थे। तथा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ था।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू 1947 से 1964 तक 18 वर्षों तक भारत के प्रधान मंत्री रहे।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू के स्मारक को ‘शांतिवन’ कहा जाता है।

उत्तर. ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया प्रसिद्ध भाषण था।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध 10 lines (Jawaharlal Nehru Essay in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, words

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Jawaharlal Nehru Essay in Hindi – पंडित जवाहरलाल नेहरू सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। चूंकि वह देश के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक शख्सियत थे, इसलिए बच्चों को उनके व्यक्तित्व और योगदान के बारे में पढ़ाया जाता है। उन्हें अक्सर एक संक्षिप्त नोट या जवाहरलाल नेहरू निबंध के रूप में जवाहरलाल नेहरू के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखने के लिए कहा जाता है। यहां जवाहरलाल नेहरू पर लंबी और छोटी पं के रूप में कुछ पंक्तियां दी गई हैं। जवाहरलाल नेहरू निबंध दिया जाता है। 

जवाहरलाल नेहरू पर अनुच्छेद छात्रों के लिए न केवल हिन्दी में पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध लिखने में बल्कि हिंदी में पंडित जवाहरलाल पर निबंध लिखने में भी सहायक होगा।

जवाहर लाल नेहरू पर 10 लाइन निबंध (10 Lines Essay on Jawahar Lal Nehru in Hindi)

  • 1) पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
  • 2) पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडितों के समुदाय से संबंधित थे।
  • 3) पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 1889 में इलाहाबाद में हुआ था।
  • 4) नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व थे।
  • 5)पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था।
  • 6) पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • 7) बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे।
  • 8) पंडित नेहरू महात्मा गांधी के अनुयायी थे।
  • 9)पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” पुस्तक लिखी।
  • 10) 1955 में, जवाहरलाल नेहरू को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

जवाहरलाल नेहरू पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

15 अगस्त, 1947 को देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज के रूप में जाना जाता है) में हुआ था। उनका जन्मदिन भारत में “बाल दिवस” ​​​​के रूप में मनाया जाता है क्योंकि उनका बच्चों के साथ मधुर संबंध था। उनके पिता एक वकील के रूप में काम करते थे। नेहरू उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ी थी। महात्मा गांधी की मान्यताओं पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने गांधी के साथ मुक्ति संग्राम में भाग लेते हुए कानूनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी स्वतंत्रता सक्रियता के लिए कई बार जेल में बिताया। बाद में, 1929 में, उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया।

जवाहरलाल नेहरू पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनके पास उत्कृष्ट दृष्टि थी, और वे एक राजनीतिज्ञ, एक लेखक और एक नेता भी थे। उन्होंने हमेशा देश को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात काम किया क्योंकि वह चाहते थे कि भारत समृद्ध हो। जवाहरलाल नेहरू एक दूरदर्शी नेता थे। उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह थी “आराम हराम है”।

उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के लिए लंदन की यात्रा की। उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की और लंदन के इनर टेंपल में अभ्यास करना शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए, उन्होंने भारत वापस यात्रा की। उन्होंने 1942 और 1946 के बीच कैद के दौरान डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखी।

शांतिप्रिय होने के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू ने देखा कि कैसे अंग्रेजों ने भारतीयों को गाली दी। परिणामस्वरूप उन्होंने मुक्ति आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने अपने राष्ट्र के प्रति जुनून के कारण महात्मा गांधी से हाथ मिलाया। वह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।

आजादी की लड़ाई में उन्हें कई बाधाओं को पार करना पड़ा। यहां तक ​​कि उन्होंने काफी समय जेल में भी बिताया। हालांकि, उन्होंने राष्ट्र के प्रति अपना स्नेह नहीं खोया। उन्होंने एक बहादुर लड़ाई लड़ी, जिससे आजादी मिली। जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधान मंत्री का पद जीतने के लिए कड़ी मेहनत की।

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जवाहरलाल नेहरू पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल नेहरू नाम के एक प्रमुख वकील के पुत्र थे। जवाहरलाल नेहरू का जन्म 1889 में 14 नवंबर को इलाहाबाद, भारत में हुआ था। उन्हें बाद में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनका परिवार बहुत प्रभावशाली राजनीतिक परिवार था जहाँ उन्होंने अपना प्रारंभिक अध्ययन प्राप्त किया और उच्च अध्ययन के लिए हैरो स्कूल और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में इंग्लैंड गए और एक प्रसिद्ध वकील के रूप में भारत लौट आए। 

उनके पिता एक वकील थे लेकिन एक प्रमुख नेता के रूप में राष्ट्रवादी आंदोलन में भी रुचि रखते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी महात्मा गांधी के साथ देश के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और कई बार जेल गए। उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें पहला भारतीय प्रधान मंत्री बनने और देश के प्रति सभी जिम्मेदारियों को समझने में सक्षम बनाया। उन्होंने 1916 में कमला कौल से शादी की और 1917 में इंदिरा नाम की एक प्यारी सी बच्ची के पिता बने।

1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना के बाद उन्होंने अंग्रेजों से भारत के लिए लड़ने की कसम खाई। अपने कार्यों के लिए आलोचना झेलने के बाद भी वे स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बने। वह 1947 से 1964 तक भारत के सबसे लंबे समय तक और पहले प्रधान मंत्री बने। अपने महान कार्यों से देश की सेवा करने के बाद, स्ट्रोक की समस्या के कारण वर्ष 1964 में 27 मई को उनका निधन हो गया। वह एक लेखक भी थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा टूवार्ड फ्रीडम (1941) सहित कई प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं।

जवाहरलाल नेहरू पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi – पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति, नेता, राजनीतिज्ञ, लेखक और वक्ता थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे और गरीब लोगों के बहुत अच्छे दोस्त थे। उन्होंने हमेशा खुद को भारत के लोगों का सच्चा सेवक समझा। उन्होंने इस देश को एक सफल देश बनाने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की। वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और इस प्रकार उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा गया। भारत में कई लोग महान पैदा हुए और चाचा नेहरू उनमें से एक थे। वह महान दृष्टि, ईमानदारी, कठिन परिश्रम, ईमानदारी, देशभक्ति और बौद्धिक शक्तियों वाले व्यक्ति थे।

वह “अराम हराम है” के रूप में एक प्रसिद्ध नारा के दाता थे। वह राष्ट्रीय योजना आयोग के पहले अध्यक्ष बने और दो साल बाद उन्होंने भारतीय लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद की शुरुआत की। उनके मार्गदर्शन में 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की गई और लागू की गई। उन्हें बच्चों से बहुत लगाव था इसलिए उन्होंने उनकी वृद्धि और विकास के लिए कई रास्ते बनाए। बाद में भारत सरकार द्वारा बाल दिवस को उनके जन्मदिन की सालगिरह पर बच्चों की भलाई के लिए हर साल मनाया जाने की घोषणा की गई। वर्तमान में, उनकी जयंती पर मनाए जाने के लिए भारत सरकार द्वारा बाल स्वच्छता अभियान नाम से एक और कार्यक्रम शुरू किया गया है।

उन्होंने हमेशा अछूतों, समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के सुधार, महिलाओं और बच्चों के कल्याण के अधिकार को प्राथमिकता दी। भारतीय लोगों के कल्याण के लिए सही दिशा में महान कदम उठाने के लिए “पंचायती राज” प्रणाली पूरे देश में शुरू की गई थी। उन्होंने भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए “पंच शील” प्रणाली का प्रचार किया और भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बना दिया।

जवाहरलाल नेहरू पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

जवाहरलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी के लिए देश के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह एक राजनेता, राजनीतिक नेता और लेखक भी थे जिन्हें आधुनिक भारत के विकास में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, ब्रिटिश भारत में हुआ था। वह एक प्रमुख वकील और राजनीतिज्ञ, मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे। नेहरू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा निजी शिक्षकों के मार्गदर्शन में घर पर प्राप्त की। बाद में उन्होंने लंदन के हैरो स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने इतिहास, राजनीति और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। इसके बाद वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए गए, जहाँ उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, नेहरू भारत लौट आए और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और तेजी से इसके प्रमुख नेताओं में से एक बन गए। वह असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में अग्रणी व्यक्ति थे। स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और नौ साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा।

प्रधान मंत्री के रूप में नेतृत्व

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने। उन्होंने 1964 में अपनी मृत्यु तक, 17 वर्षों तक प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने नए राष्ट्र को आकार देने और इसे एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय लोगों के जीवन में सुधार लाने और देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेषकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन में।

परंपरा (legacy)

जवाहरलाल नेहरू की विरासत आज भी भारत में महसूस की जाती है। उन्हें देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और प्रधान मंत्री के रूप में उनके नेतृत्व के लिए याद किया जाता है। उन्हें आधुनिक भारत के विकास में विशेष रूप से शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भी याद किया जाता है। उनका जन्मदिन, 14 नवंबर, बच्चों के प्रति उनके प्यार और स्नेह को पहचानते हुए, उनके सम्मान में भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

लेसन्स हिज लाइफ

शिक्षा का महत्व | जवाहरलाल नेहरू एक उच्च शिक्षित व्यक्ति थे, जो जीवन और समाज को बदलने के लिए शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने और सभी के लिए शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया। हम उनके उदाहरण से शिक्षा के महत्व और व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में इसकी भूमिका के बारे में सीख सकते हैं।

दृढ़ता की शक्ति | नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भागीदारी के लिए कई साल जेल में बिताए। चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपनी लड़ाई को कभी नहीं छोड़ा और इस उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से कभी नहीं डगमगाए। हम उनके उदाहरण से दृढ़ता की शक्ति और अपने विश्वासों के प्रति सच्चे रहने के महत्व से सीख सकते हैं।

लोक सेवा | नेहरू का जीवन भारत के लोगों की सेवा के लिए समर्पित था। उन्होंने उनके जीवन को बेहतर बनाने और एक बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए अथक प्रयास किया। हम उनके उदाहरण से सीख सकते हैं कि सार्वजनिक सेवा का महत्व और समाज में बदलाव लाने में इसकी क्या भूमिका है।

नेतृत्व | नेहरू एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने भारत के नए राष्ट्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके पास देश के भविष्य के लिए एक स्पष्ट दृष्टि थी और इसे वास्तविकता बनाने के लिए अथक प्रयास किया। हम उनके उदाहरण से मजबूत नेतृत्व के महत्व और देश के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका से सीख सकते हैं।

जवाहरलाल नेहरू पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई.

उत्तर जवाहरलाल नेहरू का निधन वर्ष 1964 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था।

प्रश्न 2. पंडित नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष कब बने थे?

उत्तर: पंडित जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1929 – 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस या कांग्रेस के अध्यक्ष बने और लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की।

प्रश्न 3. कांग्रेस में जवाहरलाल नेहरू के गुरु कौन थे?

उत्तर: जब पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए, तो उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रशंसा की, जो बाद में उनके गुरु बने।

प्रश्न 4. जवाहरलाल नेहरू को दी जाने वाली लोकप्रिय उपाधियाँ क्या हैं?

उत्तर: पंडित और चाचा नेहरू जैसी उपाधियों के अलावा, जवाहरलाल नेहरू को भारत के वास्तुकार के रूप में भी जाना जाता था क्योंकि उन्होंने धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, संप्रभु और समाजवादी भारत के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी।

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  • General Knowledge /

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi : स्टूडेंट्स के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 4, 2023

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू वह नाम है जिससे हर भारतीय परिचित है। जवाहरलाल बच्चों के बीच काफी मशहूर थे. जिसके कारण बच्चे उन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहकर बुलाते थे। चूँकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे इसलिए सरकार ने उनके जन्मदिन को ‘ बाल दिवस ‘ के रूप में मनाया। जवाहरलाल नेहरू एक महान नेता थे। वह देश के प्रति अगाध प्रेम रखने वाले व्यक्ति थे। अक्सर स्कूल की परीक्षाओं और असाइनमेंट्स में Jawaharlal Nehru Essay in Hindi पूछ लिया जाता है। इस ब्लॉग में 200 शब्दों से लेकर 500 शब्दों में Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi (पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध) विस्तार से।

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जवाहर लाल नेहरू एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। आजादी से पहले और आजादी के बाद भी उन्हें भारतीय राजनीति में एक केंद्रीय योद्धा माना जाता था। उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था और उन्होंने 1947 से 1964 में अपनी मृत्यु तक देश की सेवा की। जवाहर लाल नेहरू का जन्मस्थान प्रयागराज है जो इलाहाबाद में है। कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़ाव के कारण उन्हें पंडित नेहरू के नाम से भी जाना जाता था, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के नाम से बुलाते थे। जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन को व्यापक रूप से बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू है जिन्होंने 1919 और 1928 में भारतीय प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। उनकी माँ का नाम स्वरूप रानी थुस्सू है और वह मोतीलाल की दूसरी पत्नी थीं। जवाहर लाल नेहरू की 2 बहनें थीं और वह सभी में सबसे बड़े थे। विजय लक्ष्मी सबसे बड़ी बहन थीं जो बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनीं। और सबसे छोटी बहन कृष्णा हथीसिंग एक प्रसिद्ध लेखिका थीं और उन्होंने अपने भाई पर कई किताबें लिखीं। जवाहर लाल नेहरू का विवाह कमला नेहरू से हुआ था जिनका जन्म 1899 में हुआ था।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi, 100 शब्दों में कुछ इस प्रकार है – 

जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे एक अद्भुत राजनेता, प्रखर वक्ता और राष्ट्रवादी थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारत को 1947 में आजादी दिलाई। वे एक दृढ़ नेता थे जो समाजवादी और गांधीवादी विचारधारा पर अडिग थे। नेहरू ने शिक्षा, विज्ञान, और तकनीकी विकास के क्षेत्र में भी बहुत प्रोत्साहन किया। उनके प्रेरणादायी भाषण और लेखन का महत्व आज भी देश के लोगों के दिलों में बसा है। उनके नेतृत्व में भारत को एक आधुनिक और विश्वस्तरीय राष्ट्र के रूप में पहचान मिली।

200 शब्दों में पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध कुछ इस प्रकार है – 

जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। नेहरू ने अपने जीवनभर समाजसेवा करने के लिए समर्पित किया। उन्होंने महात्मा गांधी के संगठन में भी एक प्रमुख योगदान दिया और स्वदेशी आंदोलन में भी अग्रणी भूमिका निभाई।

नेहरू के नेतृत्व में ही भारत ने 1947 में आजादी प्राप्त की। उन्होंने देश के संविधान के निर्माण में भी अहम योगदान दिया। उन्हें बच्चों के प्रिय चाचा नेहरू के रूप में भी जाना जाता है। वे शिक्षा, विज्ञान और तकनीकी विकास के पक्षधर थे और भारत को इन क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया। उनके प्रेरणादायी भाषण और लेखन आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उनके नेतृत्व में भारत को आधुनिक और विश्वस्तरीय राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली। उनकी मृत्यु 27 मई, 1964 को हुई, लेकिन उनकी स्मृति हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi (500 शब्दों में) 

पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध 500 शब्दों में नीचे प्रस्तुत है :

जवाहरलाल नेहरू भारतीय इतिहास के महान नेता थे, जिनका योगदान देश की स्वतंत्रता संग्राम में अविस्मरणीय रहा। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे पंडित मोतीलाल नेहरू के बेटे थे। नेहरू का पूरा नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू था, लेकिन उन्हें बच्चों के प्रिय चाचा नेहरू के रूप में भी जाना जाता है।

नेहरू ने अपने जीवन में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और देश के विकास और प्रगति के लिए प्रयास किए। उनका बचपन इलाहाबाद में बहुत खुशनुमा रहा, जहां उन्हें शिक्षा और संस्कृति के प्रति गहरा रुचि हुई। उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू एक विद्वान् थे और उनके प्रभाव में नेहरू ने भी विशेषज्ञता प्राप्त की। उन्होंने इंग्लैंड में पढ़ाई की और वहां से वापस आकर वकालत का प्रशिक्षण लिया।

नेहरू को गांधीजी से मिलने का मौका 1916 में मिला, और उन्होंने गांधीजी के विचारों में रुचि देखकर उनके संग जुड़ गए। गांधीजी के अनुयायी बनने के बाद, नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना संपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ नागरिक अविष्कार की योजना बनाई।

1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद, नेहरू को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया। उनके प्रधानमंत्री पद कार्यकाल में भारत को एक आधुनिक और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। उन्होंने देश को सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए योजनाएं बनाई और शिक्षा, विज्ञान, और तकनीकी विकास को प्रोत्साहित किया। उन्हें शांति के पक्षधर के रूप में भी जाना जाता है और उन्होंने बहुसंख्यक देशों के साथ दोस्ताना संबंध स्थापित किए।

नेहरू के नेतृत्व में भारत ने विश्व में अपनी पहचान बनाई और उच्च स्थान पर खड़ा हुआ। उनकी शिक्षा और विचारधारा के प्रति उनके प्यार और समर्पण से नेहरू की लोकप्रियता और चारित्रिकता ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया। उनके नेतृत्व में भारत ने नॉन-आलाइड आंदोलन का आधार स्थापित किया और उच्चस्तरीय शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक विकास में प्रगति की।

नेहरू के शासनकाल में, भारतीय विज्ञानिकों और शिक्षकों ने विज्ञान, और तकनीकी क्षेत्र में अनेक उपलब्धियों को हासिल किया। भारत ने पहली बार अटॉमिक ऊर्जा परीक्षण की योजना बनाई और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ओपन यूनिवर्सिटी की स्थापना नेहरू के प्रधानमंत्री कार्यकाल में हुई।

नेहरू का देशवासियों के साथ संबंध बहुत गहरा था और वे बच्चों के प्यारे चाचा बने रहे। उनकी मृत्यु विश्वास्य और अपूर्व दुःख का कारण बनी। उनका निधन 27 मई, 1964 को हुआ, लेकिन उनकी स्मृति हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।

जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्तित्व थे जिनका योगदान भारतीय इतिहास में गौरवपूर्ण है। उनकी नेतृत्व और सेवा-भावना का उदाहरण आज भी लोगों को प्रेरित करता है। वे एक सच्चे राष्ट्रनिर्माता थे जिन्होंने देश के समृद्धि और समृद्धि के लिए प्रयास किए। उनके साथी रहने का अनुभव भारत के लोगों के लिए अद्भुत और यादगार रहा है। नेहरू एक ऐसे लीडर थे जिनका संघर्ष, समर्पण, और समर्थन भारत को स्वतंत्रता की ऊँचाइयों तक ले गया। उनकी स्मृति को सदैव नमन करते हुए हम उन्हें एक महान योद्धा और देशभक्त के रूप में याद करते हैं।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में 10 लाइन

  • जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
  • उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को हुआ था।
  • नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • उन्होंने गांधीजी के संगठन में भी एक प्रमुख योगदान दिया।
  • नेहरू ने भारत के संविधान के निर्माण में भी अहम योगदान दिया।
  • वे शिक्षा, विज्ञान और तकनीकी विकास के पक्षधर थे।
  • नेहरू को बच्चों के प्यारे चाचा के रूप में जाना जाता था।
  • उनकी मृत्यु 27 मई, 1964 को हुई।
  • नेहरू के नेतृत्व में भारत ने आधुनिक राष्ट्र की पहचान बनाई।
  • उनके प्रेरणादायी भाषण और लेखन आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।

जवाहरलाल नेहरू द्वारा कहे गए कुछ अनमोल वचन Jawaharlal Nehru Quotes in Hindi यहाँ प्रस्तुत हैं। 

जीवन ताश के पत्तों के खेल की तरह है। आपके हाथ में जो है वह नियति है, जिस तरह से आप खेलते हैं वह स्वतंत्र इच्छा है।
हम वास्तविकता में क्या हैं यह अधिक मायने रखता है इस बात से कि लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं।
आप तस्वीर के चेहरे दीवार की तरफ मोड़ के इतिहास का रुख नहीं बदल सकते।
बिना शांति के, सभी सपने टूट जाते हैं और राख में मिल जाते हैं।
जो व्यक्ति अधिकतर अपने ही गुणों का बखान करता रहता है वो अक्सर सबसे कम गुणी होता है।
सत्य हमेशा सत्य ही रहता हैं चाहे आप पसंद करें या ना करें।
जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अच्छी सहायक हैं।
शायद जीवन में डर से बुरा और खतरनाक कुछ भी नहीं है।
 जब तक आपके पास संयम और धैर्य नहीं है, तब तक आपके सपने राख में मिलते रहेंगे।

जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य नीचे बताए जा रहे हैं। 

  • उनके दादा का नाम गंगाधर पंडित था। वह दिल्ली के अंतिम कोतवाल थे। उन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से कुछ दिन पहले नियुक्त किया गया था। जब ब्रिटिश सेना ने दिल्ली पर कब्ज़ा करना शुरू किया, तो वह अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ आगरा चले गए, जहाँ चार साल बाद 1861 में उनकी मृत्यु हो गई।
  • जवाहरलाल नेहरू ने कैम्ब्रिज के हैरो और ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ाई की। उन्होंने इनर टेम्पल से कानून में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वहां उन्हें प्यार से जो नेहरू कहा जाता था।
  • जब वे जनवरी 1934 से फरवरी 1935 तक जेल में थे, तब उन्होंने ‘टुवर्ड फ्रीडम’ शीर्षक से अपनी आत्मकथा लिखी। यह 1936 में अमेरिका में प्रकाशित हुआ था।
  • उन्होंने पश्चिम के विरोध में पश्चिमी कपड़े पहनना बंद कर दिया। इसके बजाय उन्होंने जो जैकेट पहनी थी, उसे नेहरू जैकेट के नाम से जाना जाने लगा। वह बच्चों के साथ गुलाब की कली से प्रतिस्पर्धा करते थे और अपनी जैकेट में गुलाब रखते थे।
  • उन्हें 1950 से 1955 तक कई बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था। उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा कुल 11 बार नामांकित किया गया था।
  • वे असाधारण विद्वान थे। लेकिन, उनके नाम के साथ पंडित इसलिए नहीं जुड़ा क्योंकि वो असल में कोई विद्वान थे, बल्कि उनका संबंध कश्मीरी पंडित से था।
  • उन्होंने भारत और विश्व पर दो पुस्तकें डिस्कवरी ऑफ इंडिया और ग्लिम्पसेस ऑफ द वर्ल्ड लिखीं। दोनों पुस्तकें भारत के साथ-साथ दुनिया के बारे में उनके विशाल ज्ञान को उजागर करती हैं। विश्व इतिहास की झलक वास्तव में 146 पत्रों का संग्रह है जो उन्होंने अपनी इकलौती बेटी इंदिरा गांधी को लिखे थे।
  • 26 साल की उम्र में नेहरू की शादी कमला कौल नाम की 16 साल की कश्मीर ब्राह्मण लड़की से हुई थी। उनके पिता पुरानी दिल्ली के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे। उनकी शादी 7 फरवरी, 1916 को हुई थी। तपेदिक के कारण 28 फरवरी, 1936 को स्विट्जरलैंड में उनकी मृत्यु हो गई।
  • पंडित नेहरू की चार बार हत्या की कोशिश की गई. पहली बार 1947 में विभाजन के दौरान, दूसरी बार 1955 में एक रिक्शा चालक द्वारा, तीसरी बार 1956 में और चौथी बार 1961 में मुंबई में। 27 मई, 1964 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
  • उन्हें अपने साथ सुरक्षा गार्ड ले जाना पसंद नहीं था क्योंकि इससे यातायात में बाधा उत्पन्न होती थी।

उनकी पत्नी का नाम कमला नेहरू था। 

1967 नेहरू भारत के प्रधानमंत्री बने थे।

27 मई 1964 के दिन नेहरू जी की मृत्यु हुई। 

जवाहर लाल नेहरू जब भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने तब वे लगभग 58 वर्ष के थे और 17 साल तक उस पद पर रहे। इनका जन्म इलाहाबाद में 14 नवंबर 1889 को हुआ।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, लेख

Essay on jawaharlal nehru in hindi-जवाहरलाल नेहरू पर निबंध.

देश की स्वाधीनता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के निर्माताओं में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रत्येक देशवासी सादर पूर्वक प्यार याद करते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम शांति के अग्रदूत और अहिंसा के संवाहक के रूप में भी विश्व के महान व्यक्तियों के साथ लिया जाता है इनका जन्म 14 नवंबर 1889 ई. में इलाहाबाद में हुआ था।इनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू पूरे भारत के सर्वश्रेष्ठ और विश्व के इने-गिने प्रतिभाशाली और सम्मानित बैरिस्टरों में से एक थे।

एक अत्यधिक संपन्न परिवार के होने के कारण पंडित जवाहरलाल नेहरु को किसी वस्तु का कोई अभाव नहीं हुआ उनकी माता श्रीमती स्वरूपा रानी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी इनके पिताजी की असाधारण बुद्धि प्रतिभा और तेज का एवं माता की धार्मिक प्रवृत्ति का पंडित जवाहरलाल नेहरू पर गहरा असर पड़ा

पंडित जवाहर लाल नेहरू की आरंभिक शिक्षा अत्यधिक संपन्न व्यवस्था में घर पर ही हुई पढ़ाने के लिए एक अंग्रेज शिक्षक की व्यवस्था की गई थी उन्होंने बालक के मन में विज्ञान के प्रति अभिरुचि उत्पन्न कर दी आरंभिक शिक्षा समाप्त करके यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सन 1905 में इंग्लैंड गए।उस समय इनकी आयु लगभग 15 वर्ष की थी।इंग्लैंड में रहकर इन्होंने विज्ञान और कानून की उच्च शिक्षा प्राप्त की ।वहां रहते हुए और दूसरे विषयों से संबंधित गर्न्थो का विस्तार पूर्वक अध्ययन किया। इसके साथ ही साथ ये दूसरे देशों में चल रहे स्वाधीनता आंदोलन से भी परिचित होते रहे।इससे ये अ अपने देश की परतंत्रता और अंग्रेजी सत्ता की राजनीति भी बड़ी बारीकी से समझ गए।

इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने बी .ए की परीक्षा उत्तीर्ण की ।इसके बाद उन्होंने बैरिस्टर की भी परीक्षा उत्तीण कर ली।तत्पश्चात सन 1912 ईस्वी .में स्वदेश लौट आए। स्वदेश आकर जवाहरलाल नेहरू ने सन 1912 ईस्वी में ही इलाहाबाद में वकालत करने लगे। उसी वर्ष यह कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में सम्मिलित हुए। सन् 1916 में जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटे, तब उनसे इन्होंने भेंट की। महात्मा गांधी के राजनीतिक प्रभाव को सुन चुके थे। लेकिन उन्हें निकट से नहीं पहचान सके। गांधीजी को देखते ही उन्होंने उनकी शांत प्रकृति और अहिंसक व्यवहार के पीछे जो महान शक्ति छिपी हुई थी, उसे पहचानने में तनिक भी देर नहीं की। इस प्रकार उनके प्रभाव में आकर इन्होने उनके अनन्य अनुयाई और सहयोगी बन गए। सन 1916 ई.में ही इनका विवाह पंडित कमला नेहरू से हो गया।

सन 1914 ई. से सन 1918 ई. तक प्रथम विश्व युद्ध विश्व काल रहा। युद्ध की समाप्ति पर बिट्रिश सत्ता ने अपनी दमन नीति के अंतर्गत “रॉलेट एक्ट”पास करके भारतीयों की स्वतंत्रता प्राप्त करने की भावना को कुचल दिया। इसके विरोध में गांधी जी ने आंदोलन चलाया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस आंदोलन में अपनी अच्छी भूमिका निभाई।

सन 1919 ई. में अंग्रेजी सत्ता में भारतीयों की स्वतंत्रता प्राप्त करने की भावनाओं को कुचलने के लिए अपनी दमनकारी कदमों को तेजी से बढ़ाया। इसके लिए उन्होंने पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थो पर जनरल डायर से गोली चलवा दी।अनेक निर्दोष मौत के घाट उतार दिए गए।इस हत्याकांड से क्षुब्ध होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन छेड़ दिया। तब पंडित जवाहर लाल नेहरु ने अपनी वकालत को तुरंत ही तिलांजली दे दी।फिर अपने तन- मन बुद्धि – प्रतिभा और धन से स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में लग गए।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश को स्वतंत्र करने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने का दृढ़ संकल्प कर लिया ।इन्होंने अपनी आलीशान जिंदगी को स्वतंत्रता – संग्राम में संघर्षरत होकर झोंकने में किसी प्रकार की आनाकानी नहीं कि। सन 1921 ई. में “प्रिंस ऑफ वेल्स” के भारत आने पर उन्होंने उनका बहिष्कार किया। इसके लिए इनको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया ।फिर भी जवाहरलाल नेहरू ने अपना दृढ़-व्रत को नहीं तोड़ा। स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष का प्रबल नायक होने के कारण इन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जवाहरलाल नेहरू ने राजनीतिक गुरु महात्मा गांधी की तरह खादी के कुर्ते और धोती पहनकर शहरों में ही नहीं अपितु गांव में भी स्वतंत्रता का बिगुल फूंकते रहे।

पंडित मोतीलाल भी महात्मा गांधी की असाधारण देशभक्ति से प्रभावित हुए बिना ना रह सके वह अपने सुपुत्र पंडित जवाहरलाल नेहरु की तरह स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में कूद पड़े। उन्होंने भी बेरिस्टरी करनी छोड़ दी ।फिर महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में देश के आजादी के लिए अपनी विदेशी वस्तुओं का परित्याग कर दिया।

देश की आजादी के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने महात्मा गांधी के द्वारा दिए गए दिशा बोध के अनुसार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई 31 दिसंबर सन 1930 ईस्वी में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने कांग्रेस अध्यक्ष के भाषण में पंजाब की रावी नदी के तट पर स्पष्ट रूप से घोषणा कि “हम पूर्ण रूप से स्वाधीन होकर ही रहेंगे “उनकी इस घोषणा से पूरे देश में स्वाधीनता का प्रबल स्वर गूंज उठा। उससे स्वाधिनता-संग्राम का संघर्ष और तेज होकर प्रभवशाली बन गया ।इसके बाद नमक सत्याग्रह में भी इन्होंने अपना पूरा योगदान दिया।

सन 1942 ईस्वी में महात्मा गांधी ने “भारत छोड़ो का आव्हान किया ।पूरा देश इससे प्रभावित हो गया ।इस आंदोलन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई बार-बार अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के कारण वे अंग्रेजों की आंख की किरकिरी बन गए। इसलिए वह मौका पाते ही उन्हें जेल में बंद कर दिया करते थे। यही नहीं उन्हें कड़ी से कड़ी यातनाएं भी दी जाती थी इससे भी वे आजादी के संघर्ष से तनिक भी विचलित नहीं हुए। अपितु दिनों दिन और दिलेरी और लौह पुरुष बनते गए। फूल की तरह रहने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू काँटो रूपी यातनाओं में किस तरह मुस्कुराते रहें।यह आज भी लोग समझ नहीं पाते हैं।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारा देश पूर्ण रूप से आजाद हो गया ।पंडित जवाहरलाल नेहरु के असीम त्याग तप को देखकर उन्हें देश का पहले प्रधानमंत्री के रूप में मनोनीत किया गया। इनके नेतृत्व में पूरे देश ने अभूतपूर्व उन्नति की। 23 मई सन 1964 ईस्वी को वे हमें इस संसार से छोड़कर चले गए ।लेकिन उनका शांति संदेश इस धरती से भी कभी नहीं जा सकेगा।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

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By विकास सिंह

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जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति थे जो जीवन भर बच्चों से बहुत प्यार करते थे। अक्सर उन्हें चाचा नेहरु के नाम से याद किया जाता है क्योंकि बच्चों के चहेते होने के कारण उन्हें बच्चे चाचा नेहरु के नाम से बुलाया करते थे।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, short essay on jawaharlal nehru in hindi (100 शब्द)

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म वर्ष 1889 में इलाहाबाद में 14 नवंबर को हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक प्रमुख वकील थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर प्राप्त की लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए और 1912 में फिर से देश लौट आए।

वे अपने पिता की तरह ही एक वकील बन गए। बाद में वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 1947 से पहले उन्हें भारत की स्वतंत्रता के लिए कई बार जेल भेजा गया और वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध, 150 शब्द:

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जवाहरलाल नेहरू पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म इलाहाबाद में 1889 में 14 नवंबर को हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख वकील थे। वे अपने पिता की तरह उच्च अध्ययन के बाद भविष्य में वकील भी बने। वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलनों में शामिल हुए और बाद में वे सफलतापूर्वक भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।

वह बच्चों के बहुत शौकीन थे और उन्हें इतना प्यार करते थे कि उनकी जयंती का मतलब 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस के रूप में घोषित किया गया है। बाल सुरक्षा अभियान भारत के बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए उनकी जयंती के दिन ही भारत सरकार द्वारा चलाया गया है और साथ ही भारत के बच्चों के प्रति उनके प्यार और स्नेह को दर्शाता है। उनका जन्म दिवस भारत में विशेष रूप से बच्चों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। उन्हें बच्चों द्वारा चाचा नेहरू के नाम से बुलाया जाता था।

जवाहरलाल नेहरु पर निबंध, essay on jawaharlal nehru in hindi (200 शब्द)

भारत में कई महान लोग पैदा हुए हैं और जवाहरलाल नेहरू उनमें से एक थे। वह बहुत महान व्यक्ति थे जो बच्चों को बहुत पसंद करते थे। वह बहुत मेहनती और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक प्रमुख वकील थे। पं. नेहरू का जन्म इलाहाबाद में 1889 में 14 नवंबर को हुआ था। वह अपनी महानता और भरोसेमंद होने की वजह से बहुत प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने घर पर ही प्राप्त की लेकिन वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए और वहां से क़ानून की पढ़ाई की।

वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और उनकी मेहनत ने उन्हें भारत की स्वतंत्रता के बाद पहला भारतीय प्रधानमंत्री बनने में सक्षम बनाया। उन्हें भारत के एक प्रसिद्ध आइकन के रूप में याद किया जाता है। उन्हें बच्चों द्वारा चाचा नेहरू कहा जाता था क्योंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे।

बच्चों के प्रति उनके प्यार और लगाव के कारण, भारत सरकार ने बच्चों के कल्याण, सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए हर साल मनाए जाने वाले जन्मदिन (14 नवंबर) को भारत में बाल दिवस और बाल स्वच्छता अभियान नाम से दो कार्यक्रम लागू किए हैं।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, 250 शब्द:

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जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल नेहरू नामक एक प्रमुख वकील के पुत्र थे। जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1889 में भारत के इलाहाबाद में 14 नवंबर को जन्म लिया था। उन्हें बाद में स्वतंत्र भारत का पहला प्रधान मंत्री बनने का सौभाग्य मिला। उनका परिवार बहुत प्रभावशाली राजनीतिक परिवार था जहाँ उन्होंने अपना पहला अध्ययन किया और उच्च अध्ययन के लिए कैम्ब्रिज के हैरो स्कूल और ट्रिनिटी कॉलेज इंग्लैंड गए और एक प्रसिद्ध वकील के रूप में भारत लौट आए।

उनके पिता एक वकील थे लेकिन राष्ट्रवादी आंदोलन में एक प्रमुख नेता के रूप में भी रुचि रखते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी महात्मा गांधी के साथ देश की आजादी के आंदोलन में शामिल हुए और कई बार जेल गए। उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें पहले भारतीय प्रधानमंत्री बनने और देश के प्रति सभी जिम्मेदारियों को समझने में सक्षम बनाया। उन्होंने 1916 में कमला कौल से शादी की और 1917 में इंदिरा नाम की एक प्यारी सी लड़की के पिता बने।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में वह 1916 में महात्मा गांधी से मिले। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना के बाद उन्होंने अंग्रेजों के साथ भारत के लिए लड़ने की कसम खाई। अपने कार्यों के लिए आलोचना करने के बाद भी, वह स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गए।

वह 1947 से 1964 तक भारत के सबसे लंबे और पहले सेवारत प्रधान मंत्री बने। अपने महान कार्यों से देश की सेवा करने के बाद, स्ट्रोक की समस्या के कारण वर्ष 1964 में 27 मई को उनकी मृत्यु हो गई। वह एक लेखक भी थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा टूवार्ड फ्रीडम (1941) सहित प्रसिद्ध पुस्तकें भी लिखी थीं।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, essay on jawaharlal nehru in hindi (300 शब्द)

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति, नेता, राजनीतिज्ञ, लेखक और वक्ता थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे और गरीब लोगों के बहुत अच्छे दोस्त थे। उन्होंने हमेशा खुद को भारत के लोगों का सच्चा सेवक समझा। उन्होंने इस देश को एक सफल देश बनाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की।

वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और इस प्रकार उन्हें आधुनिक भारत का वास्तुकार कहा गया। भारत में, कई महान लोग पैदा हुए और चाचा नेहरू उनमें से एक थे। वह महान दृष्टि, ईमानदारी, कड़ी मेहनत, ईमानदारी, देशभक्ति और बौद्धिक शक्तियों वाले व्यक्ति थे।

वह “अराम हराम है” के रूप में एक प्रसिद्ध नारे के दाता थे। वह राष्ट्रीय योजना आयोग के पहले अध्यक्ष बने और दो साल बाद उन्होंने बेहतर गुणवत्ता बनाने के लिए भारतीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए एक राष्ट्रीय विकास परिषद की शुरुआत की। उनके मार्गदर्शन में पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में शुरू और कार्यान्वित की गई थी।

वह बच्चों के बहुत शौकीन थे इसलिए उनके विकास और उन्नति के लिए कई रास्ते बनाए। बाद में भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष बच्चों के जन्मदिन पर उनकी जयंती के दिन बाल दिवस मनाया जाता है। वर्तमान में, बाल स्वच्छ भारत नाम का एक और कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा उनकी जयंती पर मनाया जाने लगा है।

उन्होंने हमेशा अछूतों के सुधार, समाज के कमजोर वर्गों के लोगों, महिलाओं और बाल कल्याण के अधिकार को प्राथमिकता दी। भारतीय लोगों के कल्याण के लिए सही दिशा में महान कदम उठाने के लिए पूरे देश में “पंचायती राज” प्रणाली शुरू की गई थी। उन्होंने भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए “पंच शील” प्रणाली का प्रचार किया और भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनाया।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, 400 शब्द:

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पंडित जवाहरलाल नेहरू को भारत की बहुत प्रसिद्ध हस्तियों में गिना जाता है और लगभग हर भारतीय उनके बारे में अच्छी तरह से जानता है। वह बच्चों के बहुत शौकीन थे और उन्हें बहुत प्यार करते थे। उनके समय के बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे।

वह सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति थे। उन्हें भारत के अपने पहले प्रधानमंत्री काल में कठिनाई के कारण आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। वह वर्ष 1947 से 1964 तक देश के पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधान मंत्री बने। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के बाद इसे आगे बढ़ाने के लिए भारत की जिम्मेदारी ली।

उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, भारत में मोतीलाल नेहरू के घर हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू उस समय के एक प्रमुख और सफल वकील और बहुत अमीर व्यक्ति थे। उन्होंने अपने बेटे को राजकुमार के रूप में पर्यावरण प्रदान किया।

पं. नेहरू ने घर पर अपना पहला अध्ययन सबसे कुशल शिक्षक के अवलोकन में किया। 15 साल की उम्र में, वह हैरो और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पब्लिक स्कूल में उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड गए। उन्होंने वर्ष 1910 में अपनी डिग्री पूरी की और अपने पिता की तरह ही कानून में शामिल हुए और सही मायने में वे बाद में वकील बने।

उन्होंने देश लौटने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपने कानून का अभ्यास शुरू किया। उन्होंने 27 साल की उम्र में वर्ष 1916 में कमला कौल से शादी कर ली और इंदिरा के पिता बन गए। उन्होंने देखा कि भारत के लोगों के साथ अंग्रेजों द्वारा बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था, तब उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने और अंग्रेजों के खिलाफ भारत की लड़ाई लड़ने का वादा किया।

उनके देशभक्त दिल ने उन्हें आराम से बैठने की अनुमति नहीं दी और उन्हें बापू के साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए मजबूर किया और आखिरकार वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा, लेकिन तंग नहीं आया और सभी सजा भुगत कर अपनी लड़ाई जारी रखी।

आखिरकार 1947 में 15 अगस्त को भारतीय को आज़ादी मिली और भारत के नागरिकों ने उन्हें सही दिशा में देश का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में चुना। भारत के प्रधान मंत्री के रूप में उनके चयन के बाद, उन्होंने अपने मार्गदर्शन में देश की प्रगति के कई तरीके बनाए थे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद (दिवंगत राष्ट्रपति) ने उनके बारे में कहा कि “देश पंडितजी के नेतृत्व में प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहा है।” अपनी कठिनाई से देश की सेवा करते हुए, 27 मई को 1964 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Very good 😊

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Jawaharlal Nehru in Hindi Essay | जवाहरलाल नेहरू पर निबंध 2023

आज का लेख जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (Jawaharlal Nehru in Hindi Essay) के ऊपर है। ये लेख स्कूल के बच्चो के लिए लिखा गया है जिसे वो अपने स्कूल होमवर्क और प्रोजेक्ट में इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे और निबंध हमारी वेबसाइट पे हैं जिन्हे आप पढ़ सकते हैं। तो आइये शुरू करते हैं जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (Jawaharlal Nehru in Hindi Essay)।

Jawaharlal Nehru in Hindi Essay

Table of Contents

Jawaharlal Nehru in Hindi Essay | जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म उत्तर प्रदेश के शहर इलाहाबाद(जो अब प्रयागराज के नाम से जाना जाता है) में 14 नवम्बर 1889 को हुआ था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे और भारत को स्वतंत्रता दिलाने में एहम भूमिका निभाई और भारत के पहले प्रधानमंत्री भी बने। हम उन्हें चाचा नेहरू के नाम से भी जानते हैं।

चाहा नेहरू का बचपन

नेहरू जी का बचपन बहुत ही खुशी भरा था। वे अपने पिता के साथ बहुत प्यार से रहते थे। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, और वे बहुत ही शिक्षित और समझदार व्यक्ति थे, उनकी माता का नाम स्वरुप रानी था। नेहरू जी को अपने पिता से बहुत सी चीजें सीखने को मिली।

नेहरू जी को शिक्षा और साहित्य में बहुत रुचि थी। उन्होंने अपनी पढ़ाई को बहुत ही महत्व दिया और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का सपना देखा। वे बचपन में बहुत सारी किताबें पढ़ते थे और विशेष रूप से विज्ञान और साहित्य में रुचि रखते थे।

स्वतंत्रता संग्राम

नेहरू जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भी हिस्सा बने और एक अहम् भूमिका निभाई आज़ादी के लिए। वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने और महात्मा गांधी के साथ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।

नेहरू जी के नेतृत्व में, बच्चों और युवाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वे युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते थे और उन्हें जागरूक करते थे ताकि वे अपने देश के लिए कुछ कर सके।

बच्चों के प्रति प्यार

नेहरू जी बच्चे बहुत ही पसंद थे और वो बच्चों से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने बच्चों के लिए Children’s Film Society India की स्थापना की। इस अकादमी का उद्देश्य था बच्चों के विकास और शिक्षा को बढ़ावा देना। चाचा नेहरू बच्चों के साथ समय बिताने के लिए हमेशा बहुत उत्सुक और उत्साहित रहते थे।

पहले प्रधानमंत्री

नेहरू जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने भारतीय समाज के लिए बहुत सारे महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने भारतीय समाज में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किया और कई सारे शिक्षा के संस्थान की शुरुआत की। उन्होंने बच्चों के लिए बालकला, युवाओं के लिए IITs, AIIMS, IIMs जैसे संस्थान स्थापित किए जिनसे भारतीय युवा विशेषज्ञता और शिक्षा में महान कदम बढ़ा सके।

आज़ाद भारत का नेतृत्व

नेहरू जी का सपना था कि भारत एक विकसित और सशक्त देश बने। वे भारतीय समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए समर्थन प्रदान करते थे और उन्होंने देश के विकास के लिए बहुत सारे महत्वपूर्ण कदम लिए।

नेहरू जी की यादें

नेहरू जी का निधन 27 मई 1964 को हुआ, लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी। वे हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री थे और उनके प्रति हमें गर्व होना चाहिए।

इस प्रकार, पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और शिक्षक थे, वे हमारे देश के इतिहास में महत्वपूर्ण व्यक्ति रहे हैं और उनकी यादें हमें हमेशा प्रेरित करेंगी। नेहरू जी ने बच्चों के विकास और शिक्षा के प्रति अपना सच्चा समर्पण दिखाया और हमें यह सिखाया कि हम सभी कुछ पा सकते हैं अगर हम पढ़ाई करें और अपने सपनों की पूर्ति के लिए मेहनत करें। उनके योगदान को याद रखकर हमें अपने लक्ष्यों की दिशा में अग्रसर बढ़ना चाहिए।

यह था लेख जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (Jawaharlal Nehru in Hindi Essay) के ऊपर। उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा, इसे और लोगो तक पहुँचाने में हमारी मदद करे और अपने दोस्तों और परिवार के साथ इस लेख को शेयर करें।

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Nibandh

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

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रूपरेखा : परिचय - पं. जवाहरलाल नेहरू जी की प्रारंभिक जीवन - पं. जवाहरलाल नेहरू जी की शिक्षा - उनकी राजनीतिक जीवनवृत्ति - एक सफल प्रधानमंत्री के रूप में - निष्कर्ष ।

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के एक बड़े नायक थे। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तथा उसके बाद भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पं. जवाहर लाल नेहरू थे। बच्चों से अत्यधिक प्रेम होने के वजह से इनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था। इनके पिता मोतीलाल नेहरू शहर के जाने माने वकील थे तथा माता स्वरूप रानी नेहरू का संबंध लाहौर के एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से था।

वे बचपन में घर पर ही निजी शिक्षकों द्वारा पढ़ाए गए। उन्होंने इंग्लैंड में हैरॉ से विद्यालयीय शिक्षा पूरी की। जवाहर लाल नेहरू ने 13 वर्ष की उम्र तक अपने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने ट्रिनीटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से स्नातक किया। उन्होंने लंदन के 'इन्स ऑफ कोर्ट स्कूल ऑफ लॉ' में कानून की पढ़ाई की। उनके पिता, पं. मोतीलाल नेहरू एक बहुत प्रसिद्ध और सफल बैरिस्टर थे।

इस अवधि के दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा साहित्य का भी अध्ययन किया। बर्नार्ड शॉ, वेल्स, जे. एम. केन्स, मेरेडिथ टाउनसेंड के लेखन ने उनके राजनैतिक सोच पर गहरा असर डाला। 1910 में अपनी डिग्री पूर्ण करने के पश्चात नेहरू कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और ‘इनर टेम्पल इन’ से वकालत किया। 1912 में नेहरू शिक्षा प्राप्त कर भारत वापस आ गए।अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे भारत लौटे और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकील बने।

वे भारतीय राजनीति में दिलचस्पी रखते थे। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से स्वयं को दूर न रख सके। उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया। वे कई बार जेल भी गए। वे गाँधीजी के बहुत घनिष्ठ थे। नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन तथा इसी प्रकार के अनेक महत्वपूर्ण आन्दोलन में महात्मा गाँधी के कंधे से कंधा मिला कर जवाहर लाल नेहरू ने भाग लिया। 1928 में साइमन कमीशन के विरूद्ध आन्दोलन का नेतृत्वकर्ता होने के फलस्वरूप नेहरू समेत अन्य लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया।

7 अगस्त 1942 बॉम्बे (मुंबई) में हुई कांग्रेस कमेटी की बैठक में नेहरू के ऐतिहासिक संकल्प “भारत छोड़ो” के वजह से नेहरू को एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। यह अंतिम मौका था जब वह जेल जा रहें थे। इस बार नेहरू की गिरफ्तारी लंबे समय के लिए हुई। अपने पूरे जीवन काल में वह देश की सेवा करने के वजह से नौ बार जेल जा चुँके हैं।

पं. नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। वे अत्यंत योग्य नेता साबित हुए। नवजात भारत में बहुत-सी समस्याएँ थीं। पं. नेहरू ने उन सब को बहुत प्रभावी तरीके से निपटाया। उन्होंने भारत के विभाजन के समय समझदारी से काम लिया।

उनके शासन में धर्म की स्वतंत्रता, वयस्क मताधिकार, कानून के समक्ष सबकी समानता आदि-जैसे विभिन्न मुद्दे प्रस्तुत किए गए। सभी बड़े उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया गया। पं. नेहरू ने कृषि के विकास के लिए काम किया। उन्होंने अनेक बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने आई. आई. टी, आई. आई. एम. एवं ए. आई. आई. एम. एस. को विकास की ओर प्रवृत्त किया। उस समय संसार दो खेमों में बँटा हुआ था। लेकिन, उन्होंने गुट-निरपेक्ष नीति का सूत्रपात किया। उन्होंने पंचशील के सिद्धांतों को प्रस्तुत किया।

पंडित नेहरू ने भारत की जिम्मेदारी तब ली, जब यह नवजात थे। उन्होंने सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव डाली। उनकी मृत्यु 27 मई 1964 को हुई। उनकी मृत्यु देश के लिए बहुत बड़ी क्षति थी। भारतीय नेता के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका अनेक यातनाएं सह कर भी निभाई है। हमलोग देश के विकास के प्रति उनके योगदान को कभी नहीं भूल सकते।

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जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को उनकी दूरदर्शी सोच और प्रभावशाली व्यक्तित्व की वजह से आधुनिक भारत का शिल्पकार माना जाता है। उन्होंने न सिर्फ भारत की मजबूत नींव का निर्माण किया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के एक यशस्वी योद्धा के रुप में भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलवाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिय।

नेहरू जी ने अपने कुशल और प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर छोड़ा है। वहीं नेहरू जी बच्चों से अत्याधिक प्यार करते थे, जिसकी वजह से उनके जन्मदिन को बालदिवस के रुप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रभावशाली जीवन को समझने, उनके द्धारा किए गए संघर्षों से प्रेरणा लेने और उनके विचारों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से आजकल स्कूल / कॉलेजों में आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिताओं अथवा परीक्षाओं में पंडित नेहरू जी के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

इसलिए आज हम आपको अपने इस पोस्ट में अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते है –

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

भूमिका

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू एक दूरगामी सोच वाले बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्तित्व थे, जिन्होंने देश के बुनियादी ढांचे को बनाने में अपना महत्पूर्ण योगदान दिया और कई सालों तक अंग्रजों की गुलामी और अत्याचार सह रहे भारत देश को आजाद करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यही नहीं राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन वे कभी अपने इरादे से पीछे नहीं हटे और सच्चे दृढ़संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहे और अपने आजाद भारत का सपना पूरा किया।

पंडित नेहरू, भारत के एक सच्चे और महान देशभक्त होने के साथ-साथ एक प्रख्यात दार्शनिक, मशहूर इतिहासकार, सुविख्यात कानूनविद और राजनायिक भी थे। इसके अलावा उन्होंने अपनी पहचान एक महान लेखक के रुप में भी बनाई थी।

इसके साथ ही उन्होंने अपने दूरगामी और महान विचारों से आधुनिक और विकसित भारत के बीज बोए थे। इसलिए उन्हें एक समाजवादी, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार भी माना जाता है।

नेहरू जी का प्रारंभिक जीवन – Jawaharlal Nehru Information

आदर्शवादी छवि के महानायक और राष्ट्रनेता जवाहर लाल नेहरू ने 14 नवंबर, साल 1889 में इलाहाबाद के एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया था। वहीं चाचा नेहरू का बच्चों से अत्याधिक स्नेह और प्यार होने की वजह से उनके जन्मदिवस को बालदिवस के रुप में भी मनाया जाता हैं।

पंडित नेहरू जी, महान स्वतंत्रता सेनानी , समाजसेवी और मशहूर वकील मोतीलाल नेहरू और स्वरुप रानी की सबसे बड़ी संतान के रुप में पैदा हुए थे। पंडित नेहरू जी बचपन से ही बाकी बच्चों से अलग थे और आसाधारण प्रतिभा वाले ओजस्वी महापुरुष थे, जो कि बाद में आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री के साथ एक सर्वश्रेष्ठ राजनेता, दूरगामी सोच वाले लेखक और आधुनिक भारत के निर्माता बने। जिनके कहना था कि –

“नागरिकता देश की सेवा में निहित होती हैं।”

वकील के रुप में नेहरू जी –

अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज में लॉ में एडमिशन लिया। इसके बाद उन्होनें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। वहीं 1912 में वे भारत लौटे और वकालत शुरु की, लेकिन वे ज्यादा दिन तक वकालत नहीं कर सके।

क्योकिं उनके अंदर देश प्रेम की भावना निहित थी और वे अंग्रेजों के अत्याचार और दमनकारी नीतियों और गुलामी की बेड़ियों से भारत देश को आजाद करवाना चाहते थे। वहीं जलियांवाला हत्याकांड ने उन पर गहरा प्रभावा डाला था।

जिसके बाद वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और महात्मा गांधी जी के नेतृत्व वाले अहिंसात्मक आंदोलन में सक्रिय रुप से शामिल हो गए। और इसके बाद उन्होंने पूरी तरह से खुद को देश की सेवा में समर्पित कर दिया।

नेहरू जी का प्रेरणादायक व्यक्तित्व –

जवाहर लाल नेहरू जी आदर्शों पर चलने वाले एक सैद्धान्तिक और नैतिकवादी छवि वाले महानायक थे, जिन्हें खुद पर पूर्ण भरोसा था, वहीं वे जिस काम को करने के बारे में सोचते थे, उसको पूरा करके ही छोड़ते थे।

उनके ह्रद्य में राष्ट्र प्रेम और देश की सेवा करने की भावना समाहित थी। नेहरू जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य भारत को उन्नति की पथ पर ले जाना और भारत को लोकतांत्रिक, आर्थिक और प्रौद्योगिकी रुप से संपन्न राष्ट्र बनाना था।

अपनी दूरगामी सोच और महान विचारों के चलते ही नेहरू जी ने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में एक मजबूत भारत की नींव रखी, आज उसी का नतीजा है कि भारत की गिनती आर्थिक रुप से मजबूत, विकसित और शक्तिशाली राष्ट्रों में होने लगी है।

नेहरू जी ने अपने यशस्वी, ओजस्वी और प्रभावशाली और प्रेरणादायक व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर छोड़ा है, इसलिए आज भी लोग उनको अपना आदर्श मानकर उनके महान विचारों का अनुसरण करते हैं और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हैं।

उपसंहार

भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के महानायक पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने जिस तरह अपने दूरदर्शी सोच, कठोर प्रयास और संघर्षों के बाद भारत को शक्तिशाली और मजबूत राष्ट्र बनानें में अपने अपूर्व योगदान दिया, उससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं हम सभी को उनके आदर्शों पर चलकर भारत के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए।

जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

प्रस्तावना-

14 नवंबर 1889 इलाहाबाद में जन्में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, भारतीय राजनीति का एक चमकता सितारा थे, जिन्होंने अपनी कुशल राजनीति से भारत की नींव मजबूत करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसके साथ ही अपने कठोर प्रयास और तमाम संघर्षों के बाद गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राजनैतिक करियर और राष्ट्रीय आंदोलन में नेहरू जी की भागीदारी:

जवाहर लाल नेहरु साल 1912 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए। इसके बाद वे गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन से काफी प्रभावित हुए और फिर बाद में साल 1920-1922 के दौरान वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का हिस्सा बन गए। हालांकि इस आंदोलने के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

आपको बता दें कि नेहरू जी कांग्रेस के 6 बार अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। वहीं साल 1942 में वे भारत की आजादी के लिए महात्मा गांधी द्धारा चलाए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का हिस्सा बने।

और इस दौरान उन्हें ब्रिटिश पुलिस द्धारा गिरफ्तार कर लिया गया, करीब 3 साल के लंबे समय तक वे अहमदनगर के जेल में रहे। इस दौरान अपनी सबसे प्रसिद्ध किताब “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” लिखी। इस किताब में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान अपनी भारत यात्रा के अनुभवों के साथ-साथ भारत की संस्कृति, धर्म और भारत की आजादी के लिए संघर्ष के बारे में बखान किया है।

आपको बता दें कि नेहरू जी का राजनैतिक करियर और स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना काफी संघर्षपूर्ण रहा, नेहरू जी को अपने जीवन में करीब 9 बार जेल जाना पड़ा।

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रुप में नेहरू जी:

साल 1947 में जब भारत गुलामी की बेडि़यों से आजाद हुआ, तब लोकतंत्रात्मक भारत के निर्माण के लिए देश में पहली बार प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ, जिसमें कांग्रेस के सरदार वल्लभई पटेल और आचार्य कृपलानी को सबसे ज्यादा वोट मिले लेकिन, महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और फिर पंडित जवाहर लाल नेहरू को देश को पहला प्रधानमंत्री चुना गया।

इसके बाद लगातार 3 बार वे प्रधानमंत्री बने, इस पद पर रहते रहते हुए उन्होंने आधुनिक भारत की भावी सोच के साथ एक मजबूत भारत की नींव रखी, भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की और विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास को भी प्रोत्साहित किया।

इसके अलावा पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कांगो समझौते, कोरियाई युद्ध और स्वेज नहर विवाद सुलझाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और 27 मई साल 1964 को प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए ही उनकी मौत हो गई।

उपसंहार-

पंडित नेहरू जी के प्रेरणादायक और प्रभावशाली व्यक्ति से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। इसके साथ ही हम सभी को उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए, तभी हम भारत को आर्थिक रुप से मजबूत और सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में अपना सहयोग कर सकेंगे।

जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Jawaharlal Nehru par Nibandh

पंडित जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे। भारत देश को आजाद करने के लिए गांधी जी के शांतिप्रिय आंदोलनो ने उन पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा था, जिसके चलते नेहरू जी ने खुद को पूरी तरह से राष्ट्र के प्रति समर्पित कर दिया था और बाद में उन्हें देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनने का भी गौरव हासिल हुआ था।

नेहरू जी और महात्मा गांधी जी की मित्रता:

भारत रत्न से सम्मानित पंडित नेहरू साल 1916 में कांग्रेस की एक मीटिंग के दौरान महात्मा गांधी से मिले, जिसके बाद वे उनके महान विचारों औऱ उनके द्धारा चलाए गए शांतिप्रय आंदोलन से काफी प्रभावित हुए और फिर वे महात्मा गांधी जी के करीब आते चले गए औऱ बाद में दोनों के बीच काफी अच्छे परिवारिक संबंध बन गए थे।

दोनों के बीच गहरी मित्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महात्मा गांधी के कहने पंडित नेहरू को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया था, जबकि सरदार वल्लभ भाई पटेल और आचार्य कृपलानी में से किसी एक को प्रधानमंत्री बनाया जाना तय किया गया था।

हालांकि नेहरू जी और गांधी जी की विचारधारा पूरी तरह मेल नहीं खाती थी, दरअसल नेहरू जी आधुनिक विचारधारा वाले महापुरुष थे और महात्मा गांधी प्राचीन भारत के धार्मिक और पारंपरिक सोच वाले महानायक थे।

पंडित नेहरु जी ने विदेश नीति के माध्यम से किया भारत का उत्थान:

भारत को एक विकसित, समृद्ध और अर्थव्यवस्था से मजबूत राष्ट्र बनाने में नेहरू जी का सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने भारत के कल्याण के लिए विदेश नीति के माध्यम से दुनिया के छोटे-बड़े सभी राष्ट्रों से अच्छे संबंध स्थापित किए और दुनिया के सभी गुटों से सहयोग लेकर गुट निरपेक्ष आंदोलन की नींव डाली थी, और भारत को विदेश नीति में पूरी दुनिया के सामने एक नायक के रुप में दिखाया।

एक प्रभावशाली लेखक के तौर पर पंडित नेहरू:

पंडित जवाहर लाल नेहरू राष्ट्र के महानायक, एक प्रभावशाली वक्ता और आधुनिक भारत के निर्माता होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी थे। जिन्होंने अपनी दूरगामी सोच और महान विचारों के माध्यम से कई ऐसी रचनाएं लिखी, जिनका लोगों पर गहरा असर पड़ा था।

आपको बता दें कि उन्होंने अपनी कई महत्वपूर्ण किताबों की रचना जेल में ही थी। साल 1944 में उन्होंने अपनी सबसे मशहूर और लोकप्रिय किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया की रचना की। जिसमें उन्होंने आजादी के लिए भारत के संघर्ष, भारत की संस्कृति परंपरा आदि का बेहद सजीव तरीके से वर्णन किया किया है।

साल 1936 में उनकी आत्मकथा प्रकाशित की गई। ‘भारत और विश्व’, ‘भारत की एकता और स्वतंत्रता’, ‘विश्व इतिहास एक झलक’ आदि नेहरू जी की प्रमुख रचनाएं थी।

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु जी ने अपने ओजस्वी विचारों और दूरदर्शी सोच से आधुनिक भारत के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया, उनकी आधुनिक विचारधारा की बदौलत ही हम सभी आज आधुनिक तकनीकों से लैस और आर्थिक रुप से मजबूत भारत में रह रहे हैं।

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Jawaharlal Nehru Essay in Hindi- पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

In this article, we are providing information about Jawaharlal Nehru in Hindi or Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi- पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800 words For 4,5,6,7,8,9,10,11,12 class Students, जवाहरलाल नेहरू के बारे में हिंदी में

Pandit Jawaharlal Nehru Par Nibandh Hindi Mein

भूमिका- काल-चक्र के परिभ्रमण के साथ विश्व-इतिहास और मानवीय सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए हैं। इस परिवर्तन की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप समाज, देश, सभ्यता तथा मूल्यों में परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को रूप देने वाले और नवीन-सिद्धान्तों की स्थापना करने वाले व्यक्ति भी इतिहास के ही अंग बन जाते हैं। इस प्रकार के व्यक्तित्व कभी धर्म और दर्शन के क्षेत्र में कभी ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में तो कभी राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में प्रकट होते हैं तथा अपनी मान्यताओं और कार्यों से विश्व इतिहास को नई दिशा देते हैं। भारतीय राजनीति के इतिहास में जवाहर लाल नेहरू ऐसे ही  गौरवशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रकट हुए हैं। शान्ति के उपासक, पंचशील के अधिष्ठाता, बच्चों के ‘चाचा नेहरू विश्व इतिहास में अमर हो गए हैं।

जीवन परिचय – जवाहर लाल नेहरू का जन्म पावन तीर्थ प्रयाग में माता स्वरूप रानी की गोद हरी करने के लिए नेहरू वंश की वृद्धि के लिए, पीड़ित भारत के कल्याण के लिए 14 नवम्बर, सन् 1889 को श्री मोती लाल के घर हुआ। श्री मोती लाल विख्यात वकील थे और पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित थे। आरम्भ में नेहरू जी को शिक्षा भी कुछ ऐसी ही मिली। अध्यापक कुछ आध्यात्मिक अधिक थे, इसलिए नेहरू भी आध्यात्मिक बनने लगे। पिता को यह अच्छा न लगा और उन्होंने सन 1905 में नेहरू को इंग्लैंड भेज दिया। वहां नेहरू जी ने निरन्तर सात वर्ष तक अध्ययन किया। 1912 में वकालत पास करके आए। पिता की इच्छा थी कि बेटा इनकी तरह ही विख्यात वकील बने, फलत: पुत्र ने पिता के साथ वकालत में सहयोग देना शुरु किया। इधर वकालत चलती उधर विख्यात राजनीतिज्ञ मोती लाल नेहरू के घर आते और राजनीतिक चर्चा करते। फलतः नेहरू पर भी कुछ-कुछ राजनीतिक प्रभाव पड़ने लगा।

1916 में श्री कौल की पुत्री कमला से जवाहर लाल नेहरू का पाणिग्रहण हुआ और 1917 में एक लड़की हुई जिसका नाम इन्दिरा प्रियदर्शिनी रखा गया। कुछ समय बाद एक लड़का पैदा हुआ पर वह जीवित न रह सका। 1919 में जलियांवाला बांग के गोलीकांड को देखकर नेहरू की आत्मा कांप उठी और तब वह राजनीतिक नेताओं के सम्पर्क में आने लगे। 1921 से छ: मास की और 1922 में अठारह महीने की कैद का दण्ड उनको मिला। इधर कमला का स्वास्थ्य बहुत गिर रहा था। 1927 में नेहरू स्विट्ज़रलैण्ड गए। वहां उन्होंने कई नेताओं से भेंट की। अब तो नहेरू का ध्येय ही बदल गया।

26 जनवरी, 1930 को रावी के किनारे साँझ के समय तिरंगा फहराते हुए पण्डित जवाहरलाल ने कहा, “स्वतन्त्रता प्राप्त करके ही रहेंगे।” कांग्रेस के इस प्रस्ताव से अंग्रेज़ बौखला उठे। उन्होंने दमनचक्र शुरू किया, कमला फिर बीमार हुई। आखिर 1936 में कमला का देहान्त हो गया। इधर मोती लाल की भी मृत्यु हो गई। नेहरू अब राजनीतिक कार्यों में अधिक भाग लेने लगे। आन्दोलन करते और जेल जाते। गांधी जी के पथप्रदर्शन से नेहरू का व्यक्तित्व विकसित होने लगा। 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन शुरू हुआ। बड़े-बड़े नेता जेल में डाल दिए गए। देश में बहुत हलचल हुई। युद्ध समाप्त हो गया। अंग्रेजों की विजय तो हुई पर वे बहुत जर्जर हो गए। 1945 में शिमला कॉन्फ्रेंस हुई, पर वह असफल रही। 1946 में अन्तरिम सरकार बनी, पर श्री जिन्ना के कारण वह भी असफल ही रही। आखिर भारत का विभाजन करके 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ चल दिए।

प्रधानमंत्री के रूप में – नेहरू स्वतन्त्र देश के पहले प्रधानमन्त्री बने। भारत के सामने एक नहीं, अनेक समस्याएं मुंह खोले खड़ी थीं। नेहरू ने कुशल वीर पुरुष की तरह हट का उनका मुकाबला किया। तकनीकी उन्नति, वैज्ञानिक उन्नति, शिक्षा-सम्बन्धी उन्नति, आर्थिक उन्नति, तात्पर्य यह कि भारत को हर तरह से उन्नत करने का प्रयास किया। उनके जीवनकाल में तीन बार आम चुनाव हुए 1952, 1957 और 1962 में, तीनों ही बार नेहरू भारत के प्रधानमन्त्री बने तथा तीनों बार कांग्रेस को बहुमत मिला। नेहरू की पंचशील की योजना का सम्मान विश्व भर में हुआ। देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर नेहरू देश के नव-निर्माण में जुट गए। इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ हुआ। सन् 1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना आरम्भ हुई। देश के औद्योगीकरण की ओर कदम बढ़ाए गए। वैज्ञानिक प्रगति के इस युग में इस ओर आए बिना उन्नति संभव न थी। अतः बड़े-बड़े कल कारखाने आरम्भ हुए बड़े-बड़े बाँध बनाए गए। वैज्ञानिक क्षेत्र में अनुसंधान हुए। इन को ही नेहरू आधुनिक मन्दिर मानते थे। परमाणु शक्ति के विकास की आधारशिला रखी गई। रेल के इंजन, कारें। और हवाई जहाज का निर्माण अपने देश में आरम्भ हुआ।

विदेश नीति के क्षेत्र में भी भारत पूरे विश्व में उभर कर सामने आया। पंचशील और सह-अस्तित्व के सिद्धान्तों को अपनाया गया। रूस अमेरिका और चीन के साथ मैत्री संबंध बने, इण्डोनेशिया और कोरिया के साथ जुड़े।

सन् 1962 में जब चीन ने मैत्री के नारे के साथ भारत की पीठ में चाकू घोंपा तो नेहरू को बहुत आघात पहुंचा। उसके बाद भारत सैन्य-विकास की ओर बढ़ा। शस्त्रों के बड़े-बड़े कारखाने बने। इस प्रकार वे नए भारत के निर्माता बने।

व्यक्तित्व – जवाहर लाल नेहरू को अपने पर पूरा भरोसा था। उनका विश्वास था कि अगर दृढ़-संकल्प से, कोई कार्य किया जाए तो कोई कारण नहीं कि वह पूर्ण न हो। इसलिए भारत की आज़ादी से पहले ही उन्हें भरोसा था कि हम आज़ाद हो कर ही रहेंगे और उन्हें दृढ़ विश्वास था कि आज़ाद होकर हम स्वतन्त्रता की रक्षा कर सकेंगे और समस्याओं को सुलझा लेंगे। नेहरू जी अधिक परिश्रमी थे। निराशा तो उनके मुख पर कभी झलकती तक न थी। कार्यों से वह घबराते न थे। उनका विचार था कि यह जीवन संग्राम है, संघर्षों से ही जीवन निखरता है, निकम्मे और निठल्ले रहने से जीवन अपने आप में ही बोझ बन जाता है। उनका कहना था कि मैं सौ वर्ष तक जीना चाहता हैं और देखना चाहता हूँ कि । जीवन की पगडंडियां कितनी ऊबड़-खाबड़ हैं। वह जीवन इसीलिए नहीं चाहते थे कि । सुख-भोग प्राप्त करें, वह जीवन इसलिए नहीं चाहते थे कि उन्हें वैभव का नशा था, अधिकारों का उन्माद था बल्कि उनके विचार में जीने का अर्थ था जनता की भलाई, संघर्षों से दो हाथ होना और साधना के पथ पर चलना।। ।

वह एशिया की एक महान् विभूति थे। सारा विश्व भी उन्हें आदर की दृष्टि से देखता  था। वह अपने कोट के ऊपर गुलाब का फूल लगाया करते थे, इसलिए कि जितनी देर जियो मुस्कराते हुए जियो। अपने सत्कार्य-सुमनों की महक को बिखेरते हुए जियो। बच्चों के चाचा नेहरू को कैसे मुलाया जा सकता था। उन्हें बच्चों से, नन्हें मुन्नों से बहुत प्यार था। इसीलिए उनका जन्म दिन ‘बाल-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

नेहरू के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सम्मुख उनके विरोधी भी दब जाते हैं अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विदेशी नेता उनकी प्रशंसा और सम्मान करते थे। उन्होंने केवल भारत की राजनीति को ही नहीं अपितु विश्वे राजनीति को नई दिशा दी थी। राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वे उच्च-कोटि के लेखक और वक्ता भी थे। नेहरू का लेखकीय व्यक्तित्व भी प्रभावशाली रहा। है। उन्होंने ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम ‘विश्व इतिहास की झलक’ ‘मेरी कहानी’ तथा ‘भारत । की खोज’ जैसी बहुचर्चित पुस्तकें लिखी हैं। लोकतंत्र के समर्थक नेहरू के संबंध में अमेरिकी  राजदूत श्री चेस्टर बोल्स ने कहा था-‘भारत में जवाहर लाल नेहरू की राजनीतिक शक्ति । इस सीमा तक बढ़ी थी कि वे आसानी से उसी प्रकार एक व्यक्ति के शासन का मार्ग अपना सकते थे जिस प्रकार दूसरे अन्य विकासशील देश के नेताओं ने किया था। पर इसके विपरीत उन्होंने अपने अपार व्यक्तित्व के प्रभाव का प्रयोग रचनात्मक ढंग से भारत के लोकतंत्रीय संस्थानों को सबल बनाने के लिए किया।

उपसंहार -भारतीय-राजनीति के इतिहास में नेहरू का व्यक्तित्व निर्विवाद रूप से अप्रतिम रहा है, उन्होंने भारत को विश्व के सम्मुख एक उन्नत और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में अपूर्व योगदान दिया। अपने देश, अपनी संस्कृति और अपने लोगों से उन्हें असीमित प्यार था। उन्हीं के शब्दों में-“अगर मेरे बाद कुछ लोग मेरे बारे में सोचें तो मैं चाहूँगा कि वे कहें-वह एक ऐसा आदमी जो अपने पूरे दिल और दिमाग से हिन्दुस्तानियों से मुहब्बत करता था और हिन्दुस्तानी भी उस की कमियों को भुलाकर उससे बेहद मुहब्बत करते थे।”

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Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

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पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

इस लेख में पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi) लिखा गया है।

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री होने के कारण पंडित नेहरू के विषय में छोटी बड़ी लगभग सभी परीक्षाओं में निबंध पूछा जाता है। यह निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है आशा है आपको यह निबंध जानकारी से भरपूर लगेगी।

Table of Contents

प्रस्तावना (पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi)

आज के समय में भारत पूरी दुनिया में एक अलग स्थान रखता है। भारत को इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए न जाने कितने लोगों ने अपना जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया है। 

जब भारत ब्रिटेन का गुलाम था तब महान राजनेताओं और क्रांतिकारियों ने मिलकर भारत को एक स्वतंत्र देश बनाया। पंडित जवाहरलाल नेहरू जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे उन्होंने देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

जवाहरलाल नेहरू का जन्म कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता पेशे से ब्रिटिश गवर्नमेंट में एक नामी वकील थे। इसीलिए मोतीलाल नेहरू चाहते थे कि उनका पुत्र भी एक प्रसिद्ध बैरिस्टर बने।

जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा विदेशों के सबसे जाने-माने शिक्षा संस्थानों पर संपन्न हुई। पंडित नेहरू उस समय विदेश जाकर अपनी पढ़ाई कर रहे थे जिस समय  ब्रिटिश  सरकार भारत को एक गरीब और पिछड़ा देश समझती थी।

अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत लौटने के बाद नेहरू गांधी जी की विचारधारा से बहुत आकर्षित हुए। कुछ समय बाद गांधी जी के संपर्क में आकर उन्होंने कई सारे आंदोलनों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रारंभिक जीवन Early Life of Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ब्रिटिश भारत के इलाहाबाद जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक बहुत प्रख्यात बैरिस्टर थे। पंडित नेहरू की माता का नाम स्वरूप रानी था जो लाहौर के प्रख्यात कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी।

मोतीलाल नेहरू के कुल तीन बच्चे थे जिनमें जवाहरलाल नेहरू इकलौते पुत्र थे और 2 बेटियां थी जिनमें  जवाहरलाल नेहरू सबसे बड़े थे।

जवाहरलाल नेहरू के पिता वकील थे इसलिए वे अपने पुत्र को भी उसी दिशा में आगे बढ़ाना चाहते थे। अपने पिता के जैसे ही जवाहरलाल नेहरू भी उस समय देश के लिए कुछ करने की इच्छा रखते थे।

नेहरू बचपन से ही पढ़ने में रुचि रखते थे। अपने पिता के जैसे ही वह भी बड़े होकर एक प्रख्यात वकील बनना चाहते थे उन्होंने अपनी पढ़ाई विदेशों से की।

शिक्षा Education of Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू का परिवार आर्थिक रूप से बहुत ही संपन्न था, जिससे पंडित नेहरू को दुनिया के कुछ सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालयों से पढ़ने का मौका मिला।

उन्होंने अपनी  प्रारंभिक शिक्षा हैरो स्कूल से पूरी करने के बाद ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज जोकि लंदन के सबसे प्रख्यात विश्वविद्यालय में से एक है वहां अपनी पढ़ाई की।

कॉलेज की शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा ग्रहण की। जवाहरलाल नेहरू अंग्रेजी के बहुत अच्छे ज्ञाता थे। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं वापस अपने वतन भारत लौट गए।

राजनीतिक करियर Political Career of Jawaharlal Nehru in Hindi

1912 में जवाहरलाल नेहरू कानून की पढ़ाई पूरी करके भारत आ गए और वकालत का कार्य आरंभ कर दिया।

भारत लौटने के बाद पंडित नेहरू महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित हुए। देश की आजादी में अपना योगदान देने के लिए बाल तिलक द्वारा स्थापित होम रूल लीग में 1917 जुड़े।

कुछ समय बाद 1919 में पंडित नेहरू की मुलाकात गांधी जी से हुई जिस समय रोलेट अधिनियम के विरोध में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन चलाया जा रहा था। जवाहरलाल नेहरू ने इस आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपना योगदान दिया।

ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन में  पंडित नेहरू की अहम भूमिका रही है। इसके बाद पूरे देश में जवाहरलाल नेहरू को जाना जाने लगा।

गांधी जी के उपदेशों से प्रभावित होकर जवाहरलाल नेहरू ने अपने पूरे परिवार के साथ ब्रिटिश सरकार के विरोध में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा स्वदेशी अपनाने पर अधिक बल दिया तथा पश्चिमी देशों में बने वस्त्र त्याग कर खादी से बने कपड़े और टोपी धारण करने लगे।

अब तक के सभी आंदोलन में पंडित नेहरू प्रत्यक्ष रूप से आगे नहीं आए थे किंतु 1920 से 1922 तक चले असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिए और ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध खूब विरोध किया जिसके लिए उन्हें  जेल भी जाना पड़ा था।

 जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद में नगर निगम के प्रमुख चुने गए जहां उन्होंने 2 वर्ष तक काम किया और 1926 में त्यागपत्र दे दिया।

जवाहरलाल नेहरू की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि 1929 में लाहौर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष चुन लिए गए।

गांधी जी के नेतृत्व में पंडित नेहरू ने 1930 में ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगाए अन्याय पूर्ण कानून के खिलाफ दांडी मार्च में हिस्सा लिया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन  के बाद 1947 में कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री के पद के लिए चुनाव लड़े।

स्वतंत्र भारत में पहली बार हुए चुनाव में सरदार वल्लभ भाई पटेल को बहुमत मिला था किंतु गांधी जी के कहने पर पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए।

जवाहरलाल नेहरू के कार्य Works of Jawaharlal Nehru in Hindi

भारत को जब ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता मिली तो वह कुल 565 देसी रियासतों में बटा हुआ था। अपने कुशल बुद्धि तथा रणनीति से जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और वीपी मेनन के भागीदारी में सभी 565 देसी रियासतों को भारत में विलय कर लिया गया।

भारत के आजाद होने के बाद चीन हमेशा से भारत के सीमा पर अपना अधिकार होने का दावा करता है। चीन ने जब तिब्बत पर कब्जा किया था तो वहां के धर्मगुरु दलाई लामा को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से प्रार्थना करने पर भारत में शरण दी थी।

दलाई लामा को भारत में शरण देने के कारण चीन भारत के सीमा पर भी अपना दावा करने लगा। 1962 में धोखे से चाइना ने अचानक से भारत पर हमला कर दिया और भारत के उत्तर पश्चिम मैं स्थित सीमा से लगने वाले कुछ भाग पर अपना कब्जा कर लिया।

 जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में भारत के इस प्रकार हादसे पूरा देश गुस्से में था और कांग्रेस पार्टी की बहुत अधिक आलोचना हो रही थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू को  भारत का यह जगह होने पर बहुत दुख था। 

निजी जीवन Personal Life of Jawaharlal Nehru in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक अच्छे राजनीतिज्ञ की तरह बहुत अच्छे लेखक भी थे। पंडित नेहरू जब भारत आए थे तब 7 फरवरी 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू से हुआ था।

कमला नेहरू दिल्ली के एक प्रमुख व्यापारी पंडित ‘जवाहरलालमल’ और राजपति कॉल की पुत्री थी। विवाह के कुछ समय बाद उनकी एक प्यारी सी पुत्री हुई  जिसका नाम इंदिरा रखा गया। इंदिरा गांधी आगे चलकर भारत की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनी।

जवाहरलाल नेहरू को बच्चे बहुत प्रिय लगते थे। उनका मानना था कि यह बच्चे ही आगे चलकर देश का भविष्य निर्धारित करेंगे। इसलिए पंडित नेहरू के जन्म तिथि 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर 10 लाइन Best 10 Lines on Jawaharlal Nehru in Hindi

  • चाचा नेहरू जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे उन्होंने देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया
  • पंडित नेहरू का जन्म कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। 
  • उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था।
  • अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत लौटने के बाद नेहरू गांधी जी की विचारधारा से बहुत आकर्षित हुए।
  • पंडित नेहरू के जन्म तिथि 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ब्रिटिश भारत के इलाहाबाद जिले में हुआ था।
  • मोतीलाल नेहरू के कुल तीन बच्चे थे जिनमें जवाहरलाल नेहरू इकलौते पुत्र थे।
  • कॉलेज की शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा ग्रहण की
  • 1919 में पंडित नेहरू की मुलाकात गांधी जी से हुई जिस समय रोलेट अधिनियम के  विरोध में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन चलाया जा रहा था।
  • तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से प्रार्थना करने पर भारत में शरण दी थी।

मृत्यु Death

जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के सम्बन्ध में बहुत लोगों के अलग अलग तर्क हैं लेकिन जो बात भारतीय कांग्रेस पार्टी द्वारा कही जाती है वह यह है की जवाहर लाल चीन द्वारा मिले धोखे के बाद विरोधियों के निशाने पर आ चुके थे।

उसके बाद वे काफी बीमार रहने लगे थे और एक बार 26 मई 1964 की अगली सुबह नेहरु की पीठ में लगातार दर्द होना शुरू हो गया और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

जब तक उन्हें डॉक्टर देख पाते तब तक उनके प्राण निकल चुके थे 27 मई 1964 की दोपहर को लोकसभा ने यह ऐलान किया की नेहरु अब नहीं रहे। 

मृत्य के कारण में हार्ट अटैक बताया गया लेकिन कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है की नेहरु की मौत की असली रिपोर्ट को छुपाया गया। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने जवाहरलाल नेहरु पर निबंध हिंदी में (Jawaharlal Nehru Essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपके लिए मददगार साबित हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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Information About Jawaharlal Nehru in Hindi

hindiinhindi Jawaharlal Nehru in Hindi

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi 300 Words

पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे। वे काफी संपन्न व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था। जवाहर लाल की माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। 15 वर्ष की आयु में नेहरू जी को शिक्षा प्राप्ति के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया। सन 1912 में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे भारत लौट आए। 1915 में जवाहर लाल कमला नेहरू के साथ विवाह-सत्र में बंध गए।

स्वदेश लौटने पर नेहरू जी ने वकालत आरंभ की परंतु उसमें उनका चित्त नहीं रहा। भारत की परतंत्रता उनके मन में काँटे की तरह चुभती थी। उन्होंने इंग्लैण्ड का स्वतंत्र वातावरण देखा था, उसकी तुलना में भारत दीन हीन देश था। यहाँ की दीन दशा के लिए अंग्रेजों की नीति जिम्मेदार थी। उधर पंजाब में हुए जलियाँवाला हत्याकाँड ने उनके मन को झकझोर कर रख दिया। नेहरू जी ने पहले होमरूल आदोलन में भाग लिया, फिर गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे अहिंसात्मक आदोलन में सक्रिय सहयोग देने लगे। राजसी ठाठ-बाट छोडकर खादी का कपड़ा पहना और सत्याग्रही बन गए। असहयोग आदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने संपूर्ण जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया।

सन् 1929 में लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नेहरू जी ने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की माँग की। 15 अगस्त 1947, के दिन भारत अंग्रेजो की दो सौ वर्षों की गुलामी को पछाड़ कर स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। नेहरू जी स्वतंत्र राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री बने। बच्चों के चाचा नेहरु और भारत के पहले प्रधानमंत्री की देश की सेवा करते हुए हृदय घात की वजह से 27 मई 1964 को निधन हो गया। भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के महानायक पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने जिस तरह अपने दूरदर्शी सोच, कठोर प्रयास और संघर्षों के बाद भारत को शक्तिशाली और मजबूत राष्ट्र बनाने में अपने अपूर्व योगदान दिया, उससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं हम सभी को उनके आदर्शों पर चलकर भारत के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए।

Biography of Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi 400 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री और हम सबके प्यारे चाचा नेहरू उन नेताओं में से एक थे, जिन्हें आधुनिक भारत के निर्माण का श्रेय जाता है। श्री नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक मशहूर वकील थे। उनकी माताजी का नाम स्वरूप रानी था। श्री नेहरू ने विदेश के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की। 1912 में वे भारत लौटकर वकालत करने लगे।

चार साल बाद 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू से हुआ। इसके बाद वे छोटी-मोटी राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ने लगे, लेकिन राजनीति से उनका असल जुड़ाव 1919 में महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद हुआ। वे गांधीजी की शांतिपूर्वक प्रतिरोध करने की नीति से बहुत प्रभावित हुए। वहीं गांधीजी ने भी उनमें भारत कीं राजनीति का भविष्य देखा। सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद श्री नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। तीन साल तक पार्टी के महासचिव रहने के बाद दिसंबर, 1929 में लाहौर अधिवेशन के दौरान वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए। इसी अधिवेशन के दौरान 26 जनवरी, 1930 को भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।

1935 को भारत सरकार अधिनियम बनने के बाद हुए चुनावों में उन्होंने पार्टी के लिए बढ़-चढ़कर प्रचार किया। नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने लगभग हर राज्य में अपनी सरकार बनाई और वे एक प्रभावशाली राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।

1945 में जेल से बाहर आने पर उन्होंने देश की आज़ादी को लेकर ब्रिटिश सरकार से हुई बातचीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हो गया और पं० नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। अगले 17 सालों, यानी 1964 तक वे इस पद पर बने रहे। इस दौरान उन्होंने देश के सामने आने वाली हर चुनौती का बहुत सूझबूझ से सामना किया। ये उनकी नीतियों का ही कमाल था कि भारत ने कृषि, विज्ञान और उद्योग के क्षेत्र में खूब प्रगति की। पंचवर्षीय योजनाओं से लेकर भारत की विदेश नीति तय करने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। यही वजह है कि उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है। 27 मई, 1964 को हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया।

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Quotes of Jawaharlal Nehru in Hindi

Action to be effective must be directed to clearly conceived ends। कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ठ लक्ष्य की तरफ निर्देशित किया जाना चाहिए।

Citizenship consists in the service of the country. नागरिकता देश की सेवा में निहित है।

ESSAY ON JAWAHARLAL NEHRU IN HINDI

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Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 300 Words

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 4 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. मोती लाल नेहरू था, जो प्रसिदध वकील थे तथा उनकी मां का नाम स्वरुप्रानी था। जवाहरलाल नेहरू की परवरिश एक राजकुमार की तरह हुई थी। एक अंग्रेजी ट्यूटर द्वारा घर पर अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया। उन्होंने इंग्लैंड से कानून में अपनी डिग्री ली और बैरीस्टर के रूप में भारत लौट आये।

जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी के साथ भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भेजा गया। उनका पूरा जीवन स्वतंत्रता के लिए भारत की लड़ाई का इतिहास है। उन्होंने कई सालों के लिए महा सचिव के रूप में कांग्रेस की सेवा की। वह एक महान राजनीतिक नेता थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उन्होंने पांच साल की योजना शुरू कर दी थी और बहुउद्देशीय परियोजनाओं का निर्माण किया था। अंत में, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद वह भारत के पहले प्रधान मंत्री बने।

जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। उन्हें बच्चो से बात करना, उनके साथ रहना बहुत पसंद था और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहते थे। बच्चो के प्रति उनके इसी प्रेम के कारण, हमारे देश में हर साल 14 नवंबर को उनका जन्मदिन ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसे स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है तथा कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

जवाहरलाल नेहरू भारत के महानतम नेताओं में से एक थे और भारतीय संस्कृति के प्रेमी थे। वह पंचशीला के संस्थापक थे, जो मानवीय अच्छाई और नैतिक मूल्यों में विश्वास रखता है और जिसमे नेहरू जी ने सुरक्षा और व्यवस्था के सिंधान्तो का जवाब दिया। उन्होंने “आत्मकथा”, “द डिस्कवरी ऑफ इंडिया” और “ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” जैसी प्रसिद्ध किताबें लिखीं।

27 मई 1964 को नेहरू जी का निधन हो गया। चाचा नेहरू जी की मौत दुनिया के सभी शांतिप्रिय लोगों के लिए एक बड़ा झटका था। राष्ट्र ने अपना एक महान आदमी और महान राष्ट्रवादी खो दिया है जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 500 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों में गिना जाता है और लगभग हर भारतीय उनके बारे में बहुत अच्छी तरह से जानता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1898 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्हें हम चाचा नेहरू के रूप में भी जानते हैं। उनका जन्मदिन, देश के बच्चों के लिए उनके महान प्रेम और स्नेह के कारण बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जवाहरलाल नेहरू के मुताबिक, बच्चे देश के उज्ज्वल भविष्य हैं। नेहरुजी अच्छी तरह से जानते थे कि देश का उज्ज्वल भविष्य बच्चों के उज्ज्वल भविष्य पर ही निर्भर करता है।

उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था और माता का नाम स्वरूपरानी थूसु था। उनके पिता इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध वकील थे। इसलिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा। नेहरू जी ने वहां वकालत पूरी की और 1912 में एक वकील के रूप में भारत लोट आए।

भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी से मिले। महात्मा गांधीजी से मिलने के बाद नेहरु जी – गांधी जी से बहुत प्रभावित हुए थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी जी ने देश की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया था। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान जवाहरलाल नेहरू जी को कई बार जेल भेजा दिया गया। इस प्रकार, पंडित नेहरू जी ने भारत की आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया था।

1916 में उन्होंने 27 साल की उम्र में कमला कौल (कमला नेहरू) से शादी की और उनकी पुत्री का नाम इंदिरा गांधी था। पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान राजनीतिक नेता थे और वह एक बहुत ही अनुकूल व्यक्ति थे। नेहरू जी हमेशा बच्चों को देशभक्त बनने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उन्हें कड़ी मेहनत और बहादुरी से काम करने का सुझाव देते थे, क्योंकि नेहरु जी बच्चों को देश का भविष्य मानते थे।

इस प्रकार, 27 मई, 1964 को, भारत की सेवा के दौरान, दिल का दौरा पड़ने के कारण नेहरू जी का निधन हो गया। दुनिआ भर के शांतिप्रिय लोगो पर इनकी मौत का गहरा असर पड़ा, क्योकि उन्होंने एक ऐसा शांतिप्रिय नेता खो दिया था जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा। उनकी मृत्यु के बाद, हर साल 14 नवंबर को, उनका जन्मदिन एक बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। चाचा नेहरू को उनके बलिदान और राजनीतिक उपलब्धियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 800 Words

स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद के प्रसिद्ध आनन्द भवन में हुआ था। यह भवन उन दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस और राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। देश के सभी बड़े नेता समय-समय पर यहीं एकत्रित होते थे और अपनी रणनीति तय करते थे। बालक नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू अपने समय के प्रसिद्ध वकील और कांग्रेस के नेता थे। इनकी माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। वे अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। इनकी दो बहिनें-विजय लक्ष्मी पंडित और कृष्णा हठी सिंह थीं। जवाहरलाल नेहरू का पालन-पोषण बड़ी सुख-सुविधाओं के बीच हुआ। 15 वर्ष की आयु में इन्हें उच्च कानूनी शिक्षा प्राप्त कर वैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड भेजा गया। लंदन में इन्होंने हैरे तथा कैम्ब्रिज में अध्ययन किया और इनर टैम्पल में कानून का प्रशिक्षण पूरा किया। अंततः 1912 में वे स्वदेश लौट आए।

सन् 1916 में इनका विवाह कमला कॉल से हो गया। नेहरू जी की गाँधी जी से मुलाकात से उनके जीवन में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ आया। 1916 में वकालत छोड़कर वे स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। गाँधी जी के नेतृत्व ने नेहरू जी के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया। इसके पश्चात् उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 19 नवम्बर, 1919 को बेटी इन्दिरा का जन्म हुआ। 1936 में कमला नेहरू की मृत्यु पर नेहरू जी को बड़ा धक्का लगा परन्तु वे देश की आजादी के संग्राम में लगे रहे। 1918 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस का सदस्य बनाया गया और फिर वे जीवन भर इसके सदस्य बने रहे। उन्होंने भारत का व्यापक दौरा किया और अपनी आंखों से देश की दयनीय तस्वीर देखी।

जलियांवाला बाग की त्रासदी और अत्याचार ने तो सभी देशवासियों को गहरा आघात पहुंचाया। नेहरू जी भी इससे बड़े आहत हुए। सन् 1923 में वे पहली बार जेल गये। 1926 में उन्होंने यूरोप का भ्रमण किया तथा वहां के स्वतन्त्र देशों के संविधान, कार्यप्रणाली आदि का अध्ययन किया। 1927 में वे भारत लौट आये और पुन: स्वतन्त्रता-संग्राम में संलग्न हो गये। 1929 में लाहौर अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का प्रधान बनाया गया। इसी ऐतिहासिक अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। शीघ्र ही नेहरू जी, गाँधी जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी और देश के प्रमुख नेताओं में गिने जाने लगे।

9 अगस्त, 1942 को मुम्बई अधिवेशन में ऐतिहासिक ”भारत छोडो” आन्दोलन का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तुरन्त बाद गाँधी जी, नेहरू जी व अन्य सभी बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया। गाँधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा देश को दिया और स्वतन्त्रता आन्दोलन अपने पूरे उफान पर पहुंच गया। इसी बीच नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज का गठन कर लिया था। दूसरे विश्व युद्ध में विनाश का तांडव सर्वत्र छाया हुआ था। अंतत: अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा और भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्र हो गया, परन्तु जाते-जाते भी अंग्रेज देश का हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में विभाजन करने में सफल रहे।

नेहरू जी स्वतन्त्र भारत के प्रधान मंत्री बनाये गये। 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गाँधी जी की हत्या ने सारे भारत को गहरे शोक में डुबो दिया। नेहरू जी को इससे बड़ा आघात लगा परन्तु शीघ्र ही उन्होंने अपने आप को संभाल लिया और वे पुन: अपने कार्यों में सक्रिय हो गये। नेहरू जी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई परिवर्तन देखे परन्तु कभी हिम्मत नहीं हारी। वे पूरे आशावादी थे। सन् 1960 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ (यू. एन. ओ.) में एक बड़ा ओजस्वी भाषण दिया और विश्वशांति की जोरदार वकालत की।

नेहरू जी के व्यक्त्वि के कई आयाम थे। 17 वर्ष की लम्बी अवधि तक वे देश को समृद्ध, शिक्षित, गतिशील व पूर्णत: स्वावलम्बी बनाने के प्रयत्न में लगे रहे। वे महान मानवतावादी तथा सहिष्णु स्वभाव के नेता थे और जनता की सेवा को ही अपना परम धर्म मानते थे। देश के लोगों में वे बहुत लोकप्रिय थे और सारी जनता उन्हें बड़ा आदर व प्यार करती थी। वे एक बहुत अच्छे वक्ता, लेखक और इन्सान थे। उनके भाषण सुनने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती थी। बच्चों से उनको असीम प्यार था। उन्हीं की आंखों में वे भारत का स्वर्णिम भविष्य देखते थे। बहुत व्यस्त रहने के बावजूद भी वे बच्चों से मिलने का समय निकाल लेते थे। बच्चों में वे स्वयं भी बच्चे बन जाते थे।

उनका जन्म दिन 14 नवम्बर उनकी इच्छा के अनुसार “बाल दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा और आज भी मनाया जाता है। इस दिन देश के सभी बच्चे अपने प्यारे चाचा नेहरू को याद करते हैं, उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग पर चलने का प्रयत्न करते हैं। यदि पण्डित नेहरू राजनीति में नहीं होते तो महान् लेखक बनते। लिखने और पढ़ने का उन्हें बड़ा शौक था। जब भी समय मिलता तो वे पुस्तकें पढ़ते थे या फिर सृजन करते। वर्ल्ड हिस्ट्री, द डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ऑटोबाओग्राफी, लैटर्स फ्रॉम फादर टू हिज डॉटर, ए बन्च ऑफ लैटर्स आदि उनकी प्रसिद्ध कृतियां हैं। अंग्रेजी भाषा पर उनकी असाधारण पकड़ थी। विश्वशांति के लिए उन्होंने अनेक प्रयत्न किये। पंचशील के सिद्धांतों का प्रतिपादन इन में से एक था। इन सिद्धान्तों का पालन कर सहज ही विश्व में शांति और व्यवस्था को बनाये रखा जा सकता है।

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 1000 Words

काल-चक्र के परिभ्रमण के साथ विश्व-इतिहास और मानवीय सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए हैं। इस परिवर्तन की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप समाज, देश, सभ्यता तथा मूल्यों में परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को रूप देने वाले और नवीन-सिद्धान्तों की स्थापना करने वाले व्यक्ति भी इतिहास के ही अंग बन जाते हैं। इस प्रकार के व्यक्तित्व कभी धर्म और दर्शन के क्षेत्र में कभी ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में तो कभी राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में प्रकट होते हैं तथा अपनी मान्यताओं और कार्यों से विश्व इतिहास को नई दिशा देते हैं भारतीय राजनीति के इतिहास में जवाहर लाल नेहरू ऐसे ही गौरवशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रकट हुए हैं। शान्ति के उपासक, पंचशील के अधिष्ठाता, बच्चों के “चाचा नेहरू” विश्व इतिहास में अमर हो गए हैं।

जवाहर लाल नेहरू का जन्म पावन तीर्थ प्रयाग में माता स्वरूप रानी की गोद हरी करने के लिए नेहरू वंश की वृद्धि के लिए, पीड़ित भारत के कल्याण के लिए 14 नवम्बर, सन् 1889 को श्री मोती लाल के घर हुआ। श्री मोती लाल विख्यात वकील थे और पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित थे। आरम्भ में नेहरू जी को शिक्षा भी कुछ ऐसी ही मिली। अध्यापक कुछ आध्यात्मिक अधिक थे, इसलिए नेहरू भी आध्यात्मिक बनने लगे। पिता को यह अच्छा न लगा और उन्होंने सन् 1905 में नेहरू को इंग्लैंड भेज दिया। वहां नेहरू जी ने निरन्तर सात वर्ष तक अध्ययन किया। 1912 में वकालत पास करके आए। पिता की इच्छा थी कि बेटा इनकी तरह ही विख्यात वकील बने, फलतः पुत्र ने पिता के साथ वकालत में सहयोग देना शुरु किया। इधर वकालत चलती उधर विख्यात राजनीतिज्ञ मोती लाल नेहरू के घर आते और राजनीतिक चर्चा करते। फलत: नेहरू पर भी कुछ-कुछ राजनीतिक प्रभाव पड़ने लगा।

1916 में श्री कौल की पुत्री कमला से जवाहर लाल नेहरू का पाणिग्रहण हुआ और 1917 में एक लड़की हुई जिसका नाम इन्दिरा प्रियदर्शिनी रखा गया। कुछ समय बाद एक लड़का पैदा हुआ पर वह जीवित न रह सका। 1919 में जलियांवाला बांग के गोलीकांड को देखकर नेहरू की आत्मा कांप उठी और तब वह राजनीतिक नेताओं के सम्पर्क में आने लगे। 1921 से छः मास की और 1922 में अठारह महीने की कैद का दण्ड उनको मिला। इधर कमला का स्वास्थ्य बहुत गिर रहा था। 1927 में नेहरू स्विट्ज़रलैण्ड गए। वहां उन्होंने कई नेताओं से भेंट की। अब तो नहेरू का ध्येय ही बदल गया।

26 जनवरी, 1930 को रावी के किनारे साँझ के समय तिरंगा फहराते हुए पण्डित जवाहरलाल ने कहा, “स्वतन्त्रता प्राप्त करके ही रहेंगे।” कांग्रेस के इस प्रस्ताव से अंग्रेज़ बौखला उठे। उन्होंने दमनचक्र शुरू किया, कमला फिर बीमार हुई। आखिर 1936 में कमला का देहान्त हो गया। इधर मोती लाल की भी मृत्यु हो गई। नेहरू अब राजनीतिक कार्यों में अधिक भाग लेने लगे। आन्दोलन करते और जेल जाते। गांधी जी के पथप्रदर्शन से नेहरू का व्यक्तित्व विकसित होने लगा। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू हुआ। बड़े-बड़े नेता जेल में डाल दिए गए। देश में बहुत हलचल हुई। युद्ध समाप्त हो गया। अंग्रेज़ों की विजय तो हुई पर वे बहुत जर्जर हो गए। 1945 में शिमला कांन्फ्रेंस हुई, पर वह असफल रही। 1946 में अन्तरिम सरकार बनी, पर जिन्ना के कारण वह भी असफल ही रही। आखिर भारत का विभाजन करके 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ चल दिए।

प्रधानमन्त्री के रूप में

नेहरू स्वतन्त्र देश के पहले प्रधानमन्त्री बने। भारत के सामने एक नहीं, अनेक समस्याएं मुंह खोले खड़ी थीं। नेहरू ने कुशल वीर पुरुष की तरह डट का उनका मुकाबला किया। तकनीकी उन्नति, वैज्ञानिक उन्नति, शिक्षा-सम्बन्धी उन्नति, आर्थिक उन्नति, तात्पर्य यह कि भारत को हर तरह से उन्नत करने का प्रयास किया। उनके जीवनकाल में तीन बार आम चुनाव हुए – 1952 1957 और 1962 में, तीनों ही बार नेहरू भारत के प्रधानमन्त्री बने तथा तीनों बार कांग्रेस को बहुमत मिला। नेहरू की पंचशील की योजना का

सम्मान विश्व भर में हुआ। देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर नेहरू देश के नव-निर्माण में जुट गए। इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ हुआ। सन् 1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना आरम्भ हुई। देश के औद्योगीकरण की ओर कदम बढ़ाए गए। वैज्ञानिक प्रगति के इस युग में इस ओर आए बिना उन्नति संभव न थी। अतः बड़े-बड़े कल कारखाने आरम्भ हुए और बड़े-बड़े बाँध बनाए गए। वैज्ञानिक क्षेत्र में अनुसंधान हुए। इन को ही नेहरू आधुनिक मन्दिर मानते थे। परमाणु शक्ति के विकास की आधारशिला रखी गई। रेल के इंजन और हवाई जहाज का निर्माण अपने देश में आरम्भ हुआ।

विदेश नीति के क्षेत्र में भी भारत पूरे विश्व में उभर कर सामने आया। पंचशील और सह-अस्तित्व के सिद्धान्तों को अपनाया गया। रूस अमेरिका और चीन के साथ मैत्री सम्बन्ध बने, इण्डोनेशिया और कोरिया के साथ जुड़े।

सन् 1962 में जब चीन ने मैत्री के नारे के साथ भारत की पीठ में चाकू घोंपा तो नेहरू को बहुत आघात पहुंचा। उसके बाद भारत सैन्य-विकास की ओर बढ़ा। शस्त्रों के बड़े-बड़े कारखाने बने। इस प्रकार वे नए भारत के निर्माता बने।

जवाहर लाल नेहरू को अपने पर पूरा भरोसा था। उनका विश्वास था कि अगर दृढ़-संकल्प से, कोई कार्य किया जाए तो कोई कारण नहीं कि वह पूर्ण न हो। इसलिए भारत की आज़ादी से पहले ही उन्हें भरोसा था कि हम आज़ाद हो कर ही रहेंगे। और उन्हें दृढ़ विश्वास था कि आज़ाद होकर हम स्वतन्त्रता की रक्षा कर सकेंगे और समस्याओं को सुलझा लेंगे। नेहरू जी अधिक परिश्रमी थे। निराशा तो उनके मुख पर कभी झलकती तक न थी। कार्यों से वह घबराते न थे। उनका विचार था कि यह जीवन संग्राम है, संघर्षों से ही जीवन निखरता है, निकम्मे और निठल्ले रहने से जीवन अपने आप में ही बोझ बन जाता है। उनका कहना था कि मैं सौ वर्ष तक जीना चाहता हैं और देखना चाहता हूँ कि जीवन की पगडंडियां कितनी ऊबड़-खाबड़ हैं। वह जीवन इसीलिए नहीं चाहते थे कि सुख-भोग प्राप्त करें, वह जीवन इसलिए नहीं चाहते थे कि उन्हें वैभव का नशा था, अधिकारों का उन्माद था बल्कि उनके विचार में जीने का अर्थ था जनता की भलाई, संघर्षों से दो हाथ होना और साधना के पथ पर चलना।

वह एशिया की एक महान् विभूति थे। सारा विश्व भी उन्हें आदर की दृष्टि से देखता था। वह अपने कोट के ऊपर गुलाब का फूल लगाया करते थे, इसलिए कि जितनी देर जियो मुस्कराते हुए जियो। अपने सत्कार्य-सुमनों की महक को बिखेरते हुए जियो। बच्चों के चाचा नेहरू को कैसे भुलाया जा सकता था। उन्हें बच्चों से, नन्हें मुन्नों से बहुत प्यार था। इसीलिए उनका जन्म दिन ‘बाल-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

नेहरू के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सम्मुख उनके विरोधी भी दब जाते हैं अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विदेशी नेता उनकी प्रशंसा और सम्मान करते थे। उन्होंने केवल भारत की राजनीति को ही नहीं अपितु विश्व राजनीति को नई दिशा दी थी। राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वे उच्च-कोटि के लेखक और वक्ता भी थे। नेहरू का लेखकीय व्यक्तित्व भी प्रभावशाली रहा है। उन्होंने पिता के पत्र पुत्री के नाम ‘विश्व इतिहास की झलक’ ‘मेरी कहानी तथा ‘भारत की खोज’ जैसी बहुचर्चित पुस्तकें लिखी हैं। लोकतंत्र के समर्थक नेहरू के संबंध में अमेरिकी राजदूत श्री चेस्टर बोल्स ने कहा था -“भारत में जवाहर लाल नेहरू की राजनीतिक शक्ति इस सीमा तक बढ़ी थी कि वे आसानी से उसी प्रकार एक व्यक्ति के शासन का मार्ग अपना सकते थे जिस प्रकार दूसरे अन्य विकासशील देश के नेताओं ने किया था। पर इसके विपरीत उन्होंने अपने अपार व्यक्तित्व के प्रभाव का प्रयोग रचनात्मक ढंग से भारत के लोकतंत्रीय संस्थानों को सबल बनाने के लिए किया।

भारतीय-राजनीति के इतिहास में नेहरू का व्यक्तित्व निर्विवाद रूप से अप्रतिम रहा है, उन्होंने भारत को विश्व के सम्मुख एक उन्नत और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में अपूर्व योगदान दिया। अपने देश, अपनी संस्कृति और अपने लोगों से उन्हें असीमित प्यार था। उन्हीं के शब्दों में – “अगर मेरे बाद कुछ लोग मेरे बारे में सोचे तो मैं चाहँगा कि वे कहें – वह एक ऐसा आदमी जो अपने पूरे दिल और दिमाग से हिन्दुस्तानियों से मुहब्बत करता था और हिन्दुस्तानी भी उस की कमियों को भुलाकर उससे बेहद मुहब्बत करते थे।”

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essay writing on jawaharlal nehru in hindi

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पंडित जवाहरलाल नेहरू पर हिन्दी निबंध |Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi

essay writing on jawaharlal nehru in hindi

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi – परिचय :  भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 इलाहाबाद में हुआ था। उनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो एक धनाढ्य परिवार के थे और माता का नाम स्वरूपरानी था। पिता पेशे से वकील थे। जवाहरलाल नेहरू उनके इकलौते पुत्र थे और 3 पुत्रियां थीं। नेहरू जी को बच्चों से बड़ा स्नेह और लगाव था और वे बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे।

शि‍क्षा :  जवाहरलाल नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी। उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। हैरो और कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरूजी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वे बार में बुलाए गए।

पंडित नेहरू शुरू से ही गांधीजी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी। 1935 में अलमोड़ा जेल में ‘आत्मकथा’ लिखी। उन्होंने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। उन्होंने विश्वभ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए।

योगदान :  उन्होंने 6 बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद (लाहौर 1929, लखनऊ 1936, फैजपुर 1937, दिल्ली 1951, हैदराबाद 1953 और कल्याणी 1954) को सुशोभित किया। 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में नेहरूजी 9 अगस्त 1942 को बंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे, जहां से 15 जून 1945 को रिहा किए गए। नेहरू ने पंचशील का सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1954 में ‘भारतरत्न’ से अलंकृत हुए नेहरूजी ने तटस्थ राष्ट्रों को संगठित किया और उनका नेतृत्व किया।

सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले थे। किंतु महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद 1947 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 27 मई 1964 को उनके निधन तक इस पद पर बने रहे।

नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। चीन का आक्रमण जवाहरलाल नेहरू के लिए एक बड़ा झटका था और शायद इसी वजह से उनकी मौत भी हुई। जवाहरलाल नेहरू को 27 मई 1964 को दिल का दौरा पडा़ जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

‘स्वाधीनता और स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई का खास प्रस्ताव तो करीब-करीब एकमत से पास हो गया। …खास प्रस्ताव इत्तफाक से 31 दिसंबर की आधी रात के घंटे की चोट के साथ, जबकि पिछला साल गुजरकर उसकी जगह नया साल आ रहा था, मंजूर हुआ।’ -लाहौर अधिवेशन में स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित होने के बारे में नेहरू की ‘मेरी कहानी’ से।

उपसंहार : पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे।

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जवाहर लाल नेहरू पर निबंध, 300 शब्द | Short Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 300 words

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परिचय :-स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तथा उसके बाद भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 में हुआ। लोगों के अनुसार पढ़ाई में इनका विशेष रुझान था।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की शिक्षा दीक्षा

जवाहर लाल नेहरू ने 13 वर्ष की उम्र तक अपने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। अक्टूबर 1907 में नेहरू ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए और वहां से 1910 में प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। इस अवधि के दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा साहित्य का भी अध्ययन किया। बर्नार्ड शॉ, वेल्स, जे. एम. केन्स, मेरेडिथ टाउनसेंड के लेखन ने उनके राजनैतिक सोच पर गहरा असर डाला। 1910 में अपनी डिग्री पूर्ण करने के पश्चात नेहरू कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और ‘इनर टेम्पल इन’ से वकालत किया। 1912 में नेहरू शिक्षा प्राप्त कर भारत वापस आ गए।

नेहरू ने कुछ समय पश्चात लिखा “मैं पूर्व और पश्चिम का एक अलग मिश्रण बन गया हूँ, घर पर, हर जगह और कहीं भी”।

स्वतंत्र भारत के लिए नेहरू का संघर्ष

नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन तथा इसी प्रकार के अनेक महत्वपूर्ण आन्दोलन में महात्मा गाँधी के कंधे से कंधा मिला कर जवाहर लाल नेहरू ने भाग लिया। 1928 में साइमन कमीशन के विरूद्ध आन्दोलन का नेतृत्वकर्ता होने के फलस्वरूप नेहरू समेत अन्य लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया।

7 अगस्त 1942 मुम्बई में हुई कांग्रेस कमेटी की बैठक में नेहरू के ऐतिहासिक संकल्प “भारत छोड़ो” के वजह से नेहरू को एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। यह अंतिम मौका था जब वह जेल जा रहें थे। इस बार नेहरू की गिरफ्तारी लंबे समय के लिए हुई। अपने पूरे जीवन काल में वह देश की सेवा करने के वजह से नौ बार जेल जा चुँके हैं।

1929 लाहौर अधिवेशन के पश्चात, नेहरू देश के बुद्धिजीवी तथा युवा नेता के रूप में उभरे। भारतीय नेता के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका अनेक यातनाएं सह कर भी निभाई है

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध, 400 शब्द | Short Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 400 Words

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 400 Words

परिचय :-नेहरू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण के एक ऐसे परिवार में हुआ था जो उनकी प्रशासनिक योग्यता और विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। इनके पिता मोती लाल नेहरू पेशे से वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे। आगे चल कर नेहरू महात्मा गाँधी के प्रमुख सहयोगी में से एक बने। उनकी आत्मकथा में भारतीय राजनीति के प्रति उनकी जिवांत रुचि का पता चलता है।

जवाहर लाल नेहरू राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में

जवाहर लाल नेहरू ने 1912 में बांकीपुर पटना में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। स्थिति सुस्त और निराशाजनक होने के वजह से उन्होंने तिलक और एनी बेसेंट द्वारा होम रूल लीग के साथ अपना राजनैतिक जुड़ाव शुरू किया। 1916 में राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू की गांधी जी से मुलाकात हुई और वह उनके शालीन व्यक्तित्व से अत्यधिक प्रभावित हुए।

जवाहर लाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद, नगर निगम विभाग के अध्यक्ष बने। दो साल के कार्यकाल के उपरांत 1926 में इस पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। तत्पश्चात 1926 से 1928 तक कांग्रेस समीति के महासचिव के रूप में नेहरू ने कार्यभार संभाला। दिसम्बर 1929 लाहौर, कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में नेहरू पार्टी के अध्यक्ष नियुक्त हुए। इसी वर्ष में इन्होनें पूर्ण स्वराज की मांग किया।

नेहरू तथा भारत के लिए महत्वपूर्ण सत्र

1935 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। नेहरू इस चुनाव का हिस्सा नहीं थे पर ज़ोरो-शोरों से पार्टी का प्रचार-प्रसार करने लगे इसके परिणाम में कांग्रेस को लगभग हर प्रांत से जीत हासिल हुई। नेहरू 1935-1936 के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई तथा 1945 में उन्हें रिहा कर दिया गया। 1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन के समय उन्होंने ब्रिटिश सरकार से वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में

जब से महात्मा गांधी ने नेहरू को लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप में चुना तब से जवाहर लाल नेहरू का प्रधानमंत्री बनना यह तय था। वोटो की संख्या कम होने के बाद भी नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। इसके बाद उनके आलोचकों ने जमकर उनकी निंदा की पर उन्होंने अपने पद पर रहते हुए अपने शक्तियों का उचित प्रयोग कर देश के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री पद पर नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका

1947 में ब्रिटिश सरकार ने लगभग 500 छोटे-बड़े रियासतों को आज़ाद किया। इन सभी रियासतों को पहली बार एक झण्डे के नीचे लाना चुनौतीपूर्ण कार्य था पर नेहरू ने अन्य महापुरुषों के मदद से इस कार्य में सफलता प्राप्त किया। आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू का विशेष योगदान है। उनके नीतियों के परिणाम स्वरूप आज पंचवर्षिय योजना के माध्यम से कृषि तथा उद्योग में विकास देखा जा सकता है।

नेहरू के राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव तथा देश के हित में लिए गए निर्णय के फलस्वरूप गर्व से कहा जा सकता है स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री का पद उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर मिला है।

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध, 500 शब्द | Short Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 500 Words

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 500 Words

परिचय :-जवाहर लाल नेहरू के पंडित होने के वजह से लोग उन्हें पंडित नेहरू भी पुकारते थे तथा भारत में उनकी लोकप्रियता होने के वजह से भारतीय उन्हें चाचा नेहरू कहकर भी बुलाते थे। तीन भाई बहनों में जवाहर लाल नेहरू अकेले भाई थे, इनके अलावां इनकी दो बहने थीं। एक विजय लक्ष्मी पंडित तथा दूसरी कृष्णा हुतेसिंग।

नेहरू एक निपुण लेखक के रूप में

समस्त राजनीतिक विवादों से दूर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की नेहरू एक उत्तम लेखक थे। उनकी ज्यादातर रचना जेल में ही लिखी गई हैं, पिता के पत्र : पुत्री के नाम (1929), विश्व इतिहास की झलक (1933), मेरी कहानी (नेहरू की ऑटो बायोग्राफी – 1936), इतिहास के महापुरुष, राष्ट्रपिता, भारत की खोज (Discovery of India – 1945) यह कुछ महान रचनाएं नेहरू के कलम से लिखी गई। यह आज भी लोगों के मध्य उतनी ही लोक प्रिय है जितना की उस वक्त थीं।

नेहरू का देश हित में निर्णायक निर्णय

कांग्रेस समीति का वार्षिक सत्र 1928-29, मोतीलाल नेहरू के अध्यक्षता में आयोजित किया गया। उस समय पर मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के अंदर ही प्रभुत्व संपंन राष्ट्र का दर्जा पाने की मांग की। जबकि जवाहर लाल नेहरू तथा सुबास चंद्र बोस ने पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग की। यहां पहली बार जवाहर लाल नेहरू अपने पिता के निर्णय का विरोध कर रहें थे। यह स्वतंत्र भारत के लिए उचित निर्णय था।

नेहरू की आलोचना

कुछ लोगों के अनुसार, गाँधी जी के वजह से नेहरू को प्रधानमंत्री का पद मिला। माना जाता है की कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालेगा यह तय था। इसके बाद भी गाँधी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत अन्य योग्य नेताओं के स्थान पर नेहरू को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना। जो भी हो नेहरू ने अपने पद के महत्व को समझते हुए अनेक बेहतर प्रयास कर आधुनिक भारत का निर्माण किया है।

चाचा नेहरू का जन्म दिवस, बाल दिवस के रूप में

चाचा नेहरू का बच्चों के प्रति असीम प्रेम के वजह से 14 नवम्बर, नेहरू का जन्म दिवस, को बाल दिवस के रूप में देश के सभी विद्यालयों में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों को ख़ास महसूस कराने के लिए विद्यालय में विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिता तथा खेल का आयोजन किया जाता है।

जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु

नेहरू ने 50 की दशक में कई राजनैतिक, आर्थिक तथा समाजिक निर्णय देश के आने वाले आधुनिक कल को सोच कर लिए। 27 मई 1964 की सुबह उनकी तबीयत खराब हुई तथा दोपहर 2 बजे तक उनका निधन हो गया।

पंडित नेहरू ने अपनी वसीयत में लिखा था- “मैं चाहता हूँ कि मेरी मुट्ठीभर राख को प्रयाग संगम में बहा दिया जाए जो हिंदुस्तान के दामन को चुमते हुए समंदर में जा मिले, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखेर दिया जाए, वो खेत जहां हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिल जाए..”

जाने माने तथा समृद्ध परिवार से संबंध होने के फलस्वरूप नेहरू का पालन पोषण बहुत ही नाजो से किया गया था। इसके बाद भी वह अपने देश की मिट्टी से जुड़े हुए थे। बच्चों में लोक प्रियता के वजह से लोग उन्हें चाचा नेहरू कह कर संबोधित करते हैं।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं आजादी के बाद बने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ही थे.

आज भी उनकी राजनीती आदर्श विदेश नीति भारत की राजनीती में स्पष्ट देखा जा सकता हैं. सबके चहेते नेता नेहरु को बच्चें प्यार से चाचा कहकर पुकारते थे.

इस कारण जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. आज के जवाहरलाल नेहरू निबंध को आप बाल दिवस  पर बोल सकते हैं.

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi

किसी व्यक्ति की देशभक्ति का अनुमान उसकी इच्छा से लगाया जा सकता हैं. और यदि कोई व्यक्ति मरने के बाद भी अपने देश के जर्रे जर्रे में समा जाने की इच्छा रखता हो तो उसके बारे में निसंदेह यह कहा जा सकता है कि वह व्यक्ति एक महान देशभक्त हैं. ऐसे ही एक महान देशभक्त थे पंडित जवाहरलाल नेहरू .

पंडित नेहरु ने न केवल देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सक्रिय भूमिका अदा की थी, बल्कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी प्रथम प्रधानमंत्री  के रूप में देश का नेतृत्व करते हुए इसे विकास के पथ पर अग्रसर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया,

वे अपने देश से कितना प्रेम करते थे, इसका अनुमान उनकी आत्मकथा में प्रकाशित उनके विचारों से होता हैं. उन्होंने लिखा था कि मैं चाहता हूँ कि मेरी भस्म का शेष भाग उन खेतों में बिखेर दिया जाए,

जहाँ भारत के किसान बड़ी मेहनत करते हैं. ताकि वह भारत की धूल और मिटटी में मिलकर भारत का अभिन्न अंग बन जाएँ.

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) शहर में हुआ था. उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध एवं धनाढ्य वकील थे. उनकी माताजी का नाम स्वरूप रानी नेहरू था.

समृद्ध परिवार में जन्म लेने के कारण उनका लालन पोषण शाही तरीके से हुआ था. उन्हें विश्व के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा लंदन के हैरो स्कूल से पूरी की.

उसके बाद कॉलेज की शिक्षा उन्होंने लंदन के ही ट्रिनिटी कॉलेज से पूरी की. कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद कानून में करियर बनाने के दृष्टिकोण से उन्होंने लंदन के विश्व प्रसिद्ध कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लो की डिग्री प्राप्त की.

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे 1912 में भारत लौटे और इलाहबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की. वर्ष 1916 में जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला नेहरू से हुआ.

1919 ई में रोलेट एक्ट के विरोध में जब महात्मा गाँधी ने एक अभियान शुरू किया, तब नेहरु जी उनके सम्पर्क में आए. गांधीजी के व्यक्तित्व एवं विचारधारा का नेहरू जी पर ऐसा प्रभाव पड़ा

कि उन्होंने वकालत छोड़ दी और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके साथ हो गये. गाँधी जी के प्रभाव से ही उन्होंने एश्वर्यपूर्ण जीवन को त्यागकर खाकी कुर्ता और टोपी धारण करना शुरू किया,

जब 1920-22 ई में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन का बिगुल बजाय तो इसमें नेहरू जी ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई. इस कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पहली बार गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

1924 में वे इलाहबाद नगर निगम के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और इस पद पर दो वर्षों तक बने रहे. इसके बाद में 1926 में ब्रिटिश अधिकारियों ने सहयोग की कमी का हवाला देकर उन्होंने इस पद से  त्यागपत्र दे दिया.

1926 ई. से 1928 तक जवाहरलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रहे. दिसम्बर 1929 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया, जिसमें जवाहरलाल नेहरु कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए.

इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य निर्धारित किया गया तथा 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई. इस दिन लाहौर में स्वतंत्रता दिवस मनाते हुए नेहरू जी ने भारतीय झंडा फहराया.

भारत सरकार अधिनियम 1935 के अध्यारोपित होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत में चुनाव करवाए तो नेहरू जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लगभग सभी प्रान्तों में अपनी सरकार का गठन किया एवं केन्द्रीय असेम्बली में भी सबसे ज्यादा सीटें हासिल की.

1939 में भारतीय सैनिकों को द्वितीय विश्वयुद्ध में भेजने के ब्रिटिश सरकार के निर्णय के खिलाफ नेहरू जी ने केन्द्रीय असेम्बली भंग कर दी. केबिनेट मिशन योजना को स्वीकार किये जाने के पश्चात संविधान सभा के निर्माण के लिए जुलाई 1946 में हुए

चुनाव में कांग्रेस ने नेहरू जी के नेतृत्व में 214 स्थानों में से 205 स्थानों पर जीत हासिल की, इसके बाद नेहरू जी के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन 2 सितम्बर 1946 को हुआ.

15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तो वे देश के पहले प्रधानमंत्री बने. इसके बाद लगातार तीन आम चुनावों 1952, 1957 एवं 1962 में इनके नेतृत्व में कांग्रेस ने बहुमत में सरकार बनाई और तीनों बार वे प्रधानमंत्री बने.

प्रधानमंत्री के रूप में नेहरूजी आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. देश के विकास के लिए उन्होंने सोवियत रूस की पंचवर्षीय योजना की नीति को अपनाया.

उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि एवं उद्योग का नया युग शुरू हुआ. इसलिए उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता हैं.

देश के नौजवानों को कर्मठ बनने की प्रेरणा देने के लिए उन्होंने नारा दिया- आराम हराम है . उनकी उपलब्धियों एवं देश के प्रति उनके योगदान को देखते हुए,

भारत सरकार ने उन्हें 1955 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया. उन्हें बच्चों से बेहद लगाव था तथा बच्चों में वे चाचा नेहरू के रूप में प्रसिद्ध थे. इसलिए उनका जन्मदिन 14 नवम्बर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

नेहरू जी भारत की विदेश नीति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने जोसेफ ब्राज टीटों और अब्दुल कमाल नासिर के साथ मिलकर एशिया एवं अफ्रीका के उपनिवेशवाद की समाप्ति के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत की.

नेहरू जी शांति के मसीहा थे. उन्होंने पंचशील सिद्धांत के साथ चीन की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से भारत पर आक्रमण कर दिया.

नेहरूजी के लिए यह बड़ा झटका था और इसी वजह से 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई. नेहरू जी न केवल एक महान राजनेता एवं वक्ता थे, बल्कि वे एक महान लेखक भी थे,

इसका प्रमाण इनके द्वारा रचित पुस्तकें डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री हैं. इसके अतिरिक्त अपनी पुत्री इंदिरा प्रियदर्शनी को नैनी जेल से लिखे गये उनके पत्रों का संकलन पिता का पुत्री के नाम नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हैं.

इस पुस्तक में जिस तरह उन्होंने सामाजिक विज्ञान, सामान्य विज्ञान एवं दर्शन का वर्णन किया हैं उससे पता चलता है कि वे उच्च कोटि के विद्वान् थे.

उन्होंने विश्व को शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं गुटनिरपेक्षता के महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए. जवाहरलाल नेहरू भारत के सच्चे सपूत थे, उनका जीवन एवं उनकी विचारधारा हम सबके लिए अनुकरणीय हैं.

  • पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी
  • मेरा देश भारत पर निबंध
  • पुस्तकों का महत्व निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा.

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By savita s. more, essay on jawaharlal nehru in english and hindi.

Last updated on September 22nd, 2022 at 10:27 pm

Essay on Jawaharlal Nehru in English

Jawaharlal Nehru was one of the most important political leaders in India’s history.

He was the first Prime Minister of India, serving from 1947 until his death in 1964.

He was a key figure in the Indian independence movement and is considered to be the architect of modern India.

Nehru was a passionate advocate for democracy and socialism, and his policies helped to transform India into a modern, industrialized nation.

Nehru was born into a wealthy family in Allahabad, India in 1869.

He was educated in England, where he studied law at the Inner Temple.

After returning to India, he began his political career as a member of the Indian National Congress.

He quickly rose through the ranks of the party, and became one of its most prominent leaders.

Nehru was a close friend and ally of Mahatma Gandhi, and he played a key role in the Indian independence movement.

After India achieved independence in 1947, Nehru became the first Prime Minister.

He served in this role for 17 years, until his death in 1964.

During his time as Prime Minister, Nehru oversaw the transition of India from a colony to a independent nation.

He also implemented a number of important reforms, including the nationalization of key industries and the establishment of a universal healthcare system.

Nehru’s policies helped to modernize India and make it into a leading economic power.

Conclusion: Jawaharlal Nehru was one of the most important political leaders in India’s history. He played a key role in the country’s independence movement and helped to transform India into a modern, industrialized nation. Nehru’s policies and vision helped to make India into the thriving democracy it is today.

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध। jawaharlal nehru essay in hindi

jawaharlal nehru essay in hindi

जवाहर लाल नेहरू जिन्हे चाचा नेहरू कहकर देश के बच्चे पुकारते आये है। आज इस लेख में हम jawaharlal nehru essay in hindi लेकर आये है। स्कूलों में कॉलेज में अक्सर jawaharlal nehru essay पुछा जाता है। भारत में नेहरू जी के विचार या उनके जीवन से सिखने को बहुत कुछ मिलता है। लोगो को about jawaharlal nehru in hindi में एक संक्षिप्त झलक देने की कोशिश जा रही है।

जवाहर लाल नेहरू जिन्हें प्यार से बच्चे चाचा नेहरू बुलाते थे। आज़ादी की लड़ाई के प्रमुख नायकों में से एक थे जवाहरलाल नेहरू। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री थे। वे प्रधान मंत्री होने के साथ  कुशल राजनीतिक मस्तिष्क के थे। जवाहर लाल नेहरू भारत के आधुनिक युग के निर्माता व शिल्पकार कहलाते है। स्वतंत्रता सेनानी जवाहरलाल नेहरू ने  भारत के निर्माण की नींव रखी। उन्हें प्रखर वक्ता कहने में भी कोई संकोच नही। होनहार लेखक भी माने जाते है नेहरू जी। एक व्यक्ति में इतनी विशेषताएं होना आम बात नही। वे संभव ही भारत निर्माण के लिए जन्में एक महापुरुष है। वे ऐसे दिव्यपुरुष है जिनकी कीर्ति आज भी समूचे भारत मे राजनेता, प्रधान मंत्री, प्रखर व्यक्ता व लेखक के रूप में होती है। 

प्रस्तावना-   जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में इलाहबाद में हुआ। उनका जन्म दिन हर वर्ष बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।ऐसा कहा जाता है कि नेहरू जी को बच्चों से विशेष प्रेम था। उन्हें बच्चों के आस पास रहने में बड़ा आनंद आता था।वे बच्चों के लिए हमेशा चॉकलेट उपहार आदि लाते थे। वे बच्चों में इतने घूल मिल जाते थे कि बच्चे उनके आने की खबर से भी खुश हो जाया करते थे।बच्चे बड़े ही प्यार से उन्हें चाचा नेहरू- चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। बच्चों के प्रति प्रेमी स्वभाव की वजह से ही उनके जन्म दिवस को हर वर्ष पूरे भारत देश के लोग बाल दिवस के रूप में मनाते है।नेहरू जी के बारे में बताते लोग आज भी थकते नही है आखिर देश के प्रथम प्रधान मंत्री होने के साथ वे सरल विचार सरल स्वभाव के व्यक्ति थे।उनकी छवि आज भी लोगो को बखूबी याद है।

Read Also : –  Christmas Essay in Hindi

नेहरू जी का बचपन व पढ़ाई काल- नेहरू जी के जीवन के प्रथम 15 वर्ष इलाहबाद में बीते। 15 वर्ष तक उन्होंने घर मे ही शिक्षा ग्रहण की। उनके पिता मोतीलाल वकील थे। वे चाहते थे कि नेहरू बड़े से बड़े विद्यालय व विश्वविद्यालय में पढ़े। इसीलिए उन्हें 15 वर्ष की आयु में इंग्लैंड के लिए रवाना कर दिया।वहां वे हर्रो में पढ़े।इसके बाद अपने पिता की तरह वकील बनने के लिए वह लंदन गए। वहां कैंब्रिज में ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी की।इंग्लैंड में वह अपनी युवा अवस्था मे रहे। वहां रहकर उन्होंने बहुत कुछ सीखा। 7 साल इंग्लैंड में रहकर उन्होंने तर्कसंगत दृष्टिकोण समाज के प्रति विकसित किया। वहां पढ़ाई के साथ उन्होंने समाज के प्रति भी ध्यान दिया। वहां के रहन-सहन को समझा। समाज की क्रिया व कार्य प्रणाली का अध्ययन किया।इसके बाद वह1912 में भारत देश वापिस लौट आये।

नेहरू जी का स्वतंत्रता में योगदान- 1912 में नेहरू जी के भारत लौटने के बाद नेहरू जी  भारतवासी पर हो रहे अत्याचारों, कुरीतियों को देख विचलित थे।अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ हर कोई आवाज उठाना चाहता था। लोग आज़ादी की मांग कर रहे थे। सभी अंग्रेज़ो द्वारा अत्यधिक कर वसूली, भ्रमित कानून से और अत्याचारों से परेशान थे। अंग्रेज़ी शासन में लोग नस्ल रंग आदि  भेद भाव के भी शिकार हुए। इन सब के बीच कोई धीरे धीरे लोगो मे अंग्रेजों के खिलाफ अत्याचारों से लड़ने की चिंगारी जला रहा था। वो थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। नेहरू जी की दृष्टि स्वतंत्रता संग्राम की और पड़ी। जो गतिविधियां गांधीजी द्वारा चल रही थी उसपर नेहरू जी ने समर्थन जताया।गांधी जी के साथ नेहरू जी भी स्वतंत्रता की जंग का महत्वपूर्ण हिस्सा बने।वे गांधी जी से प्ररित थे। वे गांधी जी के बताए हुए मार्ग पर बखूबी चलते थे। गांधी जी उन्हें प्रोत्साहित करते थे।नेहरू जी गांधी जी की हर बात पर सहमत थे। वे उनके काम करने के तरीके से बड़े प्रभावित हुए थे।गांधीजी और नेहरू जी परम मित्र भी थे। 1916 में नेहरू जी का विवाह कमला नेहरू से हुआ। 1919 में  नेहरू जी ने   गांधीजी के साथ रॉलेट एक्ट के खिलाफ अभियान शुरू किया। नेहरू जी इस अभियान का शांति पूर्ण हिस्सा बने। रॉलेट एक्ट में अंग्रेजों द्वारा किसी भी भारतीय पर बिना मुकदमा चलाये जेल में बंद किया जा सकता था। जिसका खिलाफ गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया। देशवासियों को अंग्रेज़ी कपड़े व वस्तुओं का त्याग कर शांतिपूर्ण आंदोलन करने को कहा।नेहरू जी ने भी तब पश्चिमी वस्तुओ का त्याग कर खादी के कपड़े व टोपी धारण की। 

इन्ही आंदोलनों के चलते1920-1922 में नेहरू जी जेल भी गए।1929 में कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस के मुखिया के रूप में चुने गए।नेहरू जी के कार्य रूपांतरण से सभी प्रभावित होते थे। उनके कार्य कौशल की सराहना उन्नीसवीं सदी से चली आ रही है। जब लोग अत्याचारों के खिलाफ आवाज तक उठाना नही जानते थे तब नेहरूजी ने अत्याचारों के खिलाफ कदम उठाए। उनकी निपुणता हर क्षेत्र में है। वे जिस क्षेत्र में कदम रखते थे वहां से सफल होकर और अपने कार्य की छाप छोड़ कर ही दम लेते थे। उनके जैसे महानुभवि नेता देश के गौरव थे। देश मे स्वराज की मांग एक या दो जन नही समूचे देश वासी कर रहे थे। उस वक़्त नेहरू जी ने 26 जनवरी को स्वराज की मांग करते हुए रावी नदी पर तिरंगा झंडा लहराया।देश चाहता था कि 26 जनवरी को हमे आज़ादी मिले पर , अनिश्चित दिन आजादी मिलने के बाद हमने अपना संविधान 26 जनवरी को ही लागू किया। स्वराज की मांग से बेशक नेहरू जी ने 26 जनवरी जो तिरंगा रावी नदी पर लहराया पर शायद विधि के विधान ने हमारे स्वतंत्र होने की तारीख पहले ही तय करली थी।

1942 में नेहरू जी  और गांधीजी ने भारत छोड़ो का नारा उठाया, जो कि अंग्रेजों को रास नही आया। इसके चलते नेहरू जी को जेल भी जाना पड़ा। परंतु गांधी और नेहरू के विचार  लोगो के हृदय में ज्वाला बन निकल रहे थे। बड़े बड़े शहर, गांव आदि के लोग  इकठ्ठे हुए। गांधीजी, नेहरू जी ने मिलकर भारत छोड़ो आंदोलन की पहल की और अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की दास्तान की जंजीरों से हमेशा के लिए मुक्त हुआ। प्रखर वक्ता, आधुनिक सोच, और राष्ट्र हित चाहने वाले जवाहर लाल नेहरू जी स्वतंत्र भारत देश के सर्वप्रथम प्रधानमंत्री बने।

नेहरू जी के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य- स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होने के कारण उन्हें कई चुनितियों का सामना करना पड़ा। जहां  अन्य देश आधुनिकता, शिक्षा और आर्थिक रूप से शिखर पर पहुँच रहे थे, वहां भारत का स्थान उस क्षेत्र में बनाना बेहद मुश्किल था। भारत को ऊंचाइयों पर पहुचाने की पहल नेहरू जी ने शुरू की। नेहरू जी समृद्ध, कुशल व शिक्षित थे। उन्होंने अन्य देश मे रहकर बहुत कुछ सीखा था। इंग्लैंड से उन्होंने समाजवाद व राष्ट्रवाद के लिए तर्कसंगत दृष्टिकोण हासिल किया। नहरु जी ने भारत का आधुनिकरण करने का विचार बनाया। भारत को आधुनिक रूप देना नेहरू जी के प्रखर नेतृत्व को दर्शाता है। उन्होंने अपनी दूर दृष्टि से भारत को एक आधुनिक देश के रूप में देखा। उन्होंने भारत को नई पहचान देने की ठान ली। विकास कार्य किये, जिसमे बच्चे, बुज़ुर्ग, समाज के हर व्यक्ति के लिए संतोषजनक कार्य किये। आधुनिक भारत बनाने के लिए उन्होंने देश के युवाओं को प्ररित किया। नेहरू जी ने युवाओं को मेहनत करने के लिए जागरूक किया। समस्त देश के युवाओं को महत्वपूर्ण और जीवन परिवर्तन करने वाला नारा दिया ” आराम हराम है ”  मेहनत करो मेहनत का फल मीठा होता है। युवाओं में इस्फुर्ति लाने के अथक प्रयास किये। जिससे देश धीरे धीरे ऊंचाइयों की तरफ बढ़ने लगा। जब कोई भी देश को ऊंचाइयों पर पहुचाने की बात आती है तो सबसे पहली महत्वपूर्ण दिशा सिर्फ शिक्षा होती है। नेहरू जी ये बात बखूबी जानते थे। उन्होंने शिक्षा की पहल भारत मे की,  आई-आई-टी  और मेडिकल कॉलेज खोले। धीरे धीरे ऐम्स, आईआईएम जैसे प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान खोले। देश को शिक्षा की दिशा, आधुनिकरण का मार्ग , विकास के प्रति कुशल बनाया।

उपसंहार-  जवाहरलाल नेहरू जी ने कहा था कि वे प्रधान मंत्री नही प्रधान सेवक है। देश के हर नागरिक की सेवा करना उनका कर्तव्य है, ना कि गद्दी पर बैठ बस देश को गतिहीन होते देखना। आज तक हर प्रधान मंत्री नेहरू जी की तरह बनना चाहता है। आज भी लोग उनके राजनीतिक तरीकों को पढ़ते और उसपर अमल करने का प्रयत्न करते है। अपने आप को देश के प्रधान सेवक मानने वाले कोमल हृदय वाले नेहरू जी की मृत्यु 1964 में 27 मई को  दिल का दोहरा पड़ने से हुई। देश ने नेहरू जी के शरीर को खो दिया लेकिन आज भी देश उन्ही के बताए मार्ग पर कार्य करने के अटूट प्रयास कर रहा है। नेहरूजी से युवा आज भी प्रेरणा लेते है, उनकी लिखी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया को पढ़ कर नेहरू जी के मस्तिष्क को पढ़ने की कोशिश करते है। उनके एक एक शब्द प्रभावी होते है। देश को आधुनिक बनाने वाले नेहरू जी को हर वर्ष 14 नवंबर को याद किया जाता है। उनकी खुशी स्वरूप उनका जन्म  दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

नेहरू जी देश के गौरव, प्रमुख नायक व हमारे आधुनिक जीवन के दाता है।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध – Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi: दोस्तो आज हमने जवाहरलाल नेहरू पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

  • जवाहरलाल नेहरू पर निबंध – Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

जवाहरलाल नेहरू निबंध- जवाहरलाल नेहरू वह नाम है जिससे हर भारतीय वाकिफ है। जवाहरलाल बच्चों के बीच काफी प्रसिद्ध थे। जिसके कारण बच्चों ने उन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहा। चूंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे, इसलिए सरकार ने उनके जन्मदिन को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया। जवाहरलाल नेहरू एक महान नेता थे। वह देश के लिए बहुत प्यार के व्यक्ति थे।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

जबड़ा नेहरूलाल नेहरू का प्रारंभिक जीवन

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक अच्छे वकील थे। उनके पिता बहुत अमीर थे जिसकी वजह से नेहरू को सबसे अच्छी शिक्षा मिली।

कम उम्र में ही उन्हें पढ़ाई के लिए विदेश भेज दिया गया था। उन्होंने इंग्लैंड के दो विश्वविद्यालयों अर्थात् हैरो और कैम्ब्रिज में अध्ययन किया। उन्होंने वर्ष 1910 में अपनी डिग्री पूरी की।

चूंकि नेहरू अपनी पढ़ाई में औसत आदमी थे इसलिए उन्हें कानून में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। उनकी राजनीति में रुचि थी। हालांकि बाद में वे एक वकील बने और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कानून का अभ्यास किया। 24 साल की उम्र में, उन्होंने श्रीमती से शादी कर ली। कमला देवी। उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम इंदिरा रखा गया।

एक नेता के रूप में जवाहरलाल नेहरू

सबसे उल्लेखनीय, जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। वह बड़े दूरदर्शी व्यक्ति थे। वह एक नेता, राजनीतिज्ञ और लेखक भी थे। चूँकि उन्होंने हमेशा भारत को एक सफल देश बनने के लिए देश की भलाई के लिए दिन-रात काम किया। जवाहरलाल नेहरू बड़े दूरदर्शी व्यक्ति थे। सबसे महत्वपूर्ण बात उन्होंने gave अराम हराम है ’का नारा दिया।

जवाहरलाल नेहरू शांति के व्यक्ति थे लेकिन उन्होंने देखा कि कैसे ब्रिटिश भारतीयों के साथ व्यवहार करते थे। जिसके कारण उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। उन्हें अपने देश से प्यार था जिसके कारण उन्होंने महात्मा गांधी (बापू) से हाथ मिलाया। परिणामस्वरूप, वह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए ।

अपने स्वतंत्रता संग्राम में, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यहां तक ​​कि वह कई बार जेल भी गए। हालांकि, देश के लिए उनका प्यार कम नहीं हुआ। उन्होंने एक महान लड़ाई लड़ी जिसका परिणाम स्वतंत्रता है। 15 अगस्त 1947 को भारत को इसकी स्वतंत्रता मिली। जवाहरलाल नेहरू के प्रयासों के कारण, उन्हें भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया।

एक प्रधानमंत्री के रूप में उपलब्धियां

नेहरू आधुनिक सोच के व्यक्ति थे। वह हमेशा भारत को एक अधिक आधुनिक और सभ्य देश बनाना चाहते थे। गांधी और नेहरू की सोच में अंतर था। गांधी और नेहरू का सभ्यता के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण था। जबकि गांधी एक प्राचीन भारत चाहते थे नेहरू आधुनिक भारत के थे। वह हमेशा चाहते थे कि भारत आगे की दिशा में जाए। भारत में सांस्कृतिक और धार्मिक मतभेदों के बावजूद।

हालाँकि, देश में धार्मिक स्वतंत्रता का दबाव था। उस समय देश को एकजुट करना मुख्य मकसद था। सभी दबावों के साथ जवाहरलाल नेहरू ने वैज्ञानिक और आधुनिक प्रयासों में देश का नेतृत्व किया।

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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जवाहरलाल नेहरू के पास एक बड़ी उपलब्धि थी। उन्होंने प्राचीन हिंदू सांस्कृतिक को बदल दिया। इसने हिंदू विधवाओं की बहुत मदद की। बदलाव ने महिलाओं को पुरुषों की तरह समान अधिकार दिए थे। उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार।

यद्यपि नेहरू महान प्रधानमंत्री थे, एक समस्या ने उन्हें बहुत तनाव दिया। कश्मीर क्षेत्र जो भारत और पाकिस्तान दोनों द्वारा दावा किया गया था। उन्होंने कई बार विवाद को सुलझाने की कोशिश की लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई थी।

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  • Pandit Jawaharlal Nehru Essay

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An Introduction

Pandit Jawaharlal Nehru was one of the most famous freedom fighters and the first Prime Minister of independent India. Since he was such an important and inspirational figure for the country, children are taught about his personality and contributions. They are often asked to write a few lines about Jawaharlal Nehru in the form of a short note or Jawaharlal Nehru essay. Here are some lines on Jawaharlal Nehru in the form of a long and a short Pt. Jawaharlal Nehru Essay is given. 

The paragraph on Jawaharlal Nehru will be helpful for the students not only in writing Pandit Jawaharlal Nehru essay in English but also for writing Pandit Jawaharlal par Nibandh in Hindi.

Long Jawaharlal Nehru Essay in English 

India has been the home to many great freedom fighters and world leaders. Pandit Jawaharlal Nehru is one among them. He was born on 14 th November 1889 at Allahabad, officially known as Prayagraj. His father, Motilal Nehru, was a famous barrister. In the initial years, Jawaharlal Nehru had his primary education at home. He was then sent to England for high school studies. He completed his graduation in Law from Trinity College in Cambridge and became a barrister at the Inner Temple in London. He then returned to India as he was passionate about the Indian freedom struggle.

In the fight for Indian independence, he was deeply influenced by Mahatma Gandhi. Under his guidance, Jawaharlal Nehru took an active part in the freedom struggle following the path of truth and non-violence. Due to this, he was sent to jail many times. During his one of the jail periods, he wrote the book, ‘The Discovery of India’. He also wrote a series of letters to his daughter, Indira, telling her about the rich social and cultural heritage of India and the importance of the freedom struggle. He played a very active role in the struggle for independence with Congress. He was made the president of the Indian National Congress in 1929. Under him, Congress took the pledge of complete independence from British rule. This was known as the Poorna Swaraj declaration and was officially acknowledged on 26 th November 1930. This day is celebrated as ‘The Republic Day in India when India officially adopted its constitution.

After the independence of India on 15 th August 1947, Pandit Jawaharlal Nehru became the first Prime Minister of India. Under his astute leadership and global vision, India achieved progress, prosperity, and respect on the international stage. He laid the foundation of democracy in India. He exemplified his belief in democracy at an international level by adopting the Non-Aligned Policy as part of India’s foreign policy. This made India the pioneer of the Non-Aligned Movement in the world. He believed in peaceful co-existence and therefore he signed the Panchsheel Agreement between India and China in 1961. He was a great supporter of disarmament and worked hard to create an international order of peace and brotherhood. Following the path defined by Buddha, Christ, and Nanak, he led India, the largest democracy in the world, to a position of respect in the world. 

He died on 27 th May 1964. He left behind the rich heritage of planning and development. He created a network of educational, technical, and medical institutions. One of the best examples is the establishment of a chain of the Indian Institute of Technology and the Indian Institute of Management. He left a legacy of large industrial, agricultural, irrigation, and power projects. Projects such as setting up steel plants, construction of dams, and establishing power plants led India to the path of technological and infrastructural development.

His contributions have been noteworthy in all fields. Because of this, Pandit Jawaharlal Nehru came to be known as ‘The Architect of Modern India’. He was one of the few men who made a great impact on the country and the world. Being a favorite amongst the children and popularly known as ‘Chacha Nehru’, his birthday is celebrated as Children’s Day in India. He is and will be known for being a visionary and his beliefs for the unity of the country and the liberty of mankind.

Short Jawaharlal Nehru Essay in English

Pandit Jawaharlal Nehru became the first Prime Minister when India achieved independence on 15 th August 1947. He was born on 14 th November 1889 at Allahabad (which is now known as Prayagraj). Because he shared a fond relationship with children his birthday is celebrated as ‘Children’s Day in India. This is also the reason why he was famously known as ‘Chacha Nehru’. He was the son of a famous barrister Motilal Nehru and his wife Swaroop Rani. 

He went for his high school studies in London. He finished his graduation in Law from Trinity College, Cambridge, and practiced law at Inner Temple in London. He came to India to fight for Indian Independence. Under the guidance of Mahatma Gandhi, he worked for independence with the Indian National Congress.

When he was in jail from 1942 to 1946 he wrote, ‘The Discovery of India’. His inaugural speech as the first Prime Minister of independent India, ‘Tryst with Destiny’, is widely popular. His vision established several prominent educational, technological, and medical institutions. His contributions to diverse fields such as industrial, agricultural, projects, and foreign policies put India in a respectable position on the world map.

Timeline of  Jawaharlal Nehru's Life

Jawaharlal Nehru was born on 14  November 1889 in Allahabad (Now officially named as Prayagraj). His father was Motilal Nehru and his mother was Swaroop Rani, both belong to the Kashmiri pandit community.

In 1905, he started his institutional schooling at Harrow, (a leading school in England), with the nickname of Joe.

In October 1907, he went to Trinity College, Cambridge, to pursue the course on an honors degree in natural science.

After his degree was completed in 1910, he started studying law at the Inner Temple Inn.

In the year 1912, he returned to India and tried to settle down as a barrister like his father.

Within months of returning to India, he attended the annual session of the Indian National Congress in Patna and from there started playing his part as a Freedom fighter.

He married Kamala Kaul in 1916 and had a daughter named Indra in 1917.

At the time of the non-cooperation movement in 1920, he made his first big involvement in national politics. And also had to go to jail many times due to their involvement in such activities.

He also internationalized the Indian Freedom struggle and sought foreign allies for India. He forged links with others movements for independence and democracy. His efforts paid off in the year 1927 when Congress was invited to the congress of oppressed nationalities in Brussels, Belgium

From the year 1939, At the start of World War 2, Congress under Nehru decided to help the British but on the fulfillment of certain conditions, one of which was the assurance of complete independence of India after the war and right to frame a new constitution, but the British didn’t agree.

After the war, India somehow got Independence from the British, but sadly India was divided into two nations, Pakistan and modern-day India. And Nehru was elected as the Prime minister of this nation.

He led the country with his modern thinking and worked on the modernization of the Hindu religion.

At last, he died on 27th May, in 1962 due to a cardiac arrest.

This essay on Pandit Jawaharlal Nehru will be beneficial to the students for both English and Hindi language. This simple Jawaharlal Nehru essay can be easily translated into Hindi helping the students to write ‘Jawaharlal Nehru par Nibandh’ in Hindi.

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FAQs on Pandit Jawaharlal Nehru Essay

1. Who was Pandit Jawaharlal Nehru?

Pandit Jawaharlal Nehru was an Indian freedom fighter and later the first Prime Minister of independent India. He belonged to a family of Kashmiri pandits and was the son of Motilal Nehru and Swaroop Rani. Under the guidance of Mahatma Gandhi, he fought for the complete independence of India from British rule along with many other freedom fighters. 

2. Who was the First Prime Minister of India?

Jawaharlal Nehru was the first Prime Minister of independent India. He was a very active freedom fighter and fought for the independence of India against British rule. He was a member of the Indian National Congress and actively participated in the struggle for independence under the guidance of Mahatma Gandhi. 

3. How was Jawaharlal Nehru’s life as a leader and the prime minister of India?

Most Noteworthy, Jawaharlal Nehru was elected to be the first Prime Minister of Free India. He was considered a man of great thinking and modern thinking. He worked day and night for the betterment of the country and was also given the slogan Aaram Haram Hai. 

As PM, he wanted India to go in a forward direction in a scientific and modern way, despite the cultural and religious differences that existed in India in the past. The biggest achievement of Nehru as a PM will be the modernization of the Hindu religion. He helped a lot to change the Hindu cultures and practices. And by doing so, he made Hinduism a modern religion. Due to his changes, women were given equal rights as men.

4. Discuss the early life of Jawaharlal Nehru?

Jawaharlal Nehru was born on 14 November 1889 in Allahabad, now known as Prayagraj at the house of their father - Motilal Nehru, and Mother - Swaroop Rani. Nehru writes about his early life as a sheltered and uneventful one in his autobiography. His father was a self-made wealthy barrister and belongs to the Kashmiri Pandit community. Hence, he grew up in an atmosphere of privilege in a wealthy home. In his youth, he started developing nationalist feelings and became an ardent nationalist. He was amused by the idea of Indian freedom and Asiatic freedom from the thraldom of Europe.

5. What was in his inaugural speech as the Prime Minister of independent India Tryst with Destiny?

Pandit Jawaharlal Nehru, after becoming the PM of the Independent state of India, gave his inaugural speech at midnight on the eve of India’s independence (on 15 August 1947), which became quite famous and named Tryst with Destiny. This speech is considered the best speech of the 20th century. It fits well with that special day and captures the essence of the last day of the Indian independence movement against British colonial rule in India.

Jawaharlal Nehru Essay for Students and Children

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Jawaharlal Nehru Essay- Jawaharlal Nehru is the name that every Indian is aware of. Jawaharlal was quite famous among children. Due to which the children called him ‘Chacha Nehru’. Since he loved children so much the government celebrated his birthday as ‘ Children’s Day ’. Jawaharlal Nehru was a great leader. He was a person of great love for the country.

JawaharLal Nehru Essay

Jaw aharlal Nehru’s Early Life

Jawaharlal Nehru was born on 14th November 1889 in Allahabad (now Prayagraj). His father’s name was Motilal Nehru who was a good lawyer. His father was very rich because of which Nehru got the best education.

At an early age, he was sent abroad for studies. He studied in two universities of England namely Harrow and Cambridge. He completed his degree in the year 1910.

Since Nehru was an average guy in his studies he was not much interested in law. He had an interest in politics. Though he later became a lawyer and practiced law in Allahabad High Court. At the age of 24, he got married to Smt. Kamla Devi. They gave birth to a daughter who was named Indira.

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Jawaharlal Nehru as a Leader

Most Noteworthy, Jawaharlal Nehru was the first Prime Minister of India. He was a man of great vision. He was a leader, politician, and writer too. Since he always India to become a successful country he always worked day and night for the betterment of the country. Jawaharlal Nehru was a man of great vision. Most importantly he gave the slogan ‘Araam Haram Hai’.

Jawaharlal Nehru was a man of peace but he saw how Britishers treated Indians. Due to which he decided to join the freedom movement. He had a love for his country because of which he shook hands with Mahatma Gandhi (Bapu). As a result, he joined the Non-Cooperation movement of Mahatma Gandhi .

In his freedom struggle, he had to face many challenges. He even went to jail many times. However, his love for the country did not get any less. He fought a great fight which results in Independence. India got its’ Independence on 15th August 1947. Because of Jawaharlal Nehru’s efforts, he was elected as the first prime minister of India.

Achievements as a Prime Minister

Nehru was a man of modern thinking. He always wanted to make India a more modern and civilized country. There was a difference between the thinking of Gandhi and Nehru. Gandhi and Nehru had different attitudes toward civilization. While Gandhi wanted an ancient India Nehru was of modern India. He always wanted India to go in a forward direction. Despite the cultural and religious differences in India.

However, there was a pressure of religious freedom in the country. At that time the main motive was to unite the country. With all the pressures Jawaharlal Nehru led the country in scientific and modern efforts.

Most importantly Jawaharlal Nehru had a great achievement. He changed ancient Hindu cultural. It helped the Hindu widows a lot. The change had given women equal rights like men. The right of inheritance and property.

Though Nehru was great prime minister a problem stressed him a lot. The Kashmir region that was claimed by both India and Pakistan. He tried to settle the dispute several times but the problem was still there.

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Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi ? जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi पर पुरा आर्टिकल लेकर आया हु। Jawaharlal Nehru हमारे भारत के सबसे पहले प्रधान मंत्री थे। आज कल essay poem सिर्फ स्कूलों तक ही सिमित रह गए है लेकिन पहले इनका कई और जगह भी प्रयोग होता था। लेकिन आजकल Essay सिर्फ बच्चो को दिए जाते है ताकि वो उस टॉपिक के बारे में अच्छे से जान सके। अगर स्कूल में आपके बच्चो को जवाहरलाल नेहरू पर निबंध या essay लिखने के लिए बोला गया है तो आप नीचे दिए हुवे आर्टिकल को पढ़ सकते है। आईये पढ़ते है Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 

  • जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

जवाहरलाल नेहरू वह महान विभूति हैं, जिन्हें संपूर्ण विश्व जानता है। गाँधीजी की शहादत के 16 वर्ष बाद तक जीवित रहकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही मंचों पर गाँधीजी की भाषा में बात की। पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज कौल थे, परंतु बाद में कौल छूट गया और यह परिवार केवल नेहरू नाम से जाना जाने लगा।

उनके पिता पं. मोतीलाल नेहरू थे। जवाहरलाल, मोतीलाल के तीसरे पुत्र थे। मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के सुविख्यात वकील थे। इलाहाबाद में आनंद भवन मोतीलाल नेहरू ने ही खरीदा था, जब जवाहरलाल नेहरू दस वर्ष के थे।

पं. जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा घर पर ही हुई, बाद में उन्हें वकालत करने इंग्लैण्ड भेजा गया। सन् 1912 में वे वकालत करने भारत लौट आए। फिर उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। बाद में वे राजनीतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हुए और 1916 में उन्होंने कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया, जहाँ पहली बार उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई। पं. नेहरू उनसे अत्यंत प्रभावित हुए।

पं. जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला कौल से हुआ था। 1917 में उन्होंने इंदिरा गाँधी को जन्म दिया। तभी 13 अप्रैल, अमृतसर 1919 को गया, में जलियाँवाला बाग कांड हुआ, जिसमें जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने का आदेश देकर सैकड़ों लोगों को मरवा दिया था। इस हत्याकांड की जांच के लिए एक समिति बनाई गई, जिसमें जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे। हालांकि, डायर को इस कांड के लिए जिम्मेदार पाया गया, किन्तु हाउस ऑफ लार्डस् ने उसे दोष-मुक्त कर दिया।

सन् 1921 के असहयोग आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से उनकी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो तो वे देश आज़ाद होने तक नौ बार जेल गए और नौ वर्ष से अधिक समय उन्होंने जेल में बिताया। जेल में ही उन्होंने अपनी आत्मकथा-“ डिस्कवरी ऑफ इंडिया ” (भारत-एक खोज) लिखी, जो बहुत चर्चित हुई। जेल में ही उन्होंने “ग्लिम्प्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” की रचना की।

सन् 1927 में उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और पुलिस की लाठियों के प्रहार सहन किए। 1929 में, लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू को प्रथम बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। इस अधिवेशन के दौरान ही उन्होंने पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पेश किया। फिर जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के लिए ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ शुरू किया, तो उन्हें गाँधीजी और मोतीलाल नेहरू के साथ जेल जाना पड़ा।

इसी आंदोलन के चलते 6 फरवरी, 1931 को मोतीलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। परंतु पं. नेहरू ने देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपने कदम पीछे नहीं हटाए। इन्हीं कष्टों से जूझते हुए 28 फरवरी, 1936 को नेहरू जी की पत्नी का भी देहांत हो गया। फिर 1936 में पं. नेहरू को दूसरी बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। सारी विफलताओं के बाद ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू हुआ और 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया।

पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और भारत माता की सेवा करते हुए 27 मई, 1964 को उनका स्वर्गवास हो गया। उनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में सदैव अंकित रहेगा।

  • Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi

महात्मा गांधी यदि स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपिता हैं तो पण्डित जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। राजसी परिवार में जन्म लेकर तथा सभी तरह की सुख-सुविधा भरे वातावरण में पल कर भी उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता एवं आन-बान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया।

पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 ई. को इलाहाबाद के आनन्द भवन में हुआ था। उनके पिता पं. मोती लाल नेहरू अपने समय के प्रमुख वकील थे। उनकी माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। उसके बाद वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से बैरिस्टर बनकर सन् 1912 में वापस आए और अपने पिताजी के साथ प्रयाग में ही वकालत करने लगे। सन् 1915 ई. में रोलट एक्ट के विरुद्ध होने वाली बम्बई कांग्रेस में नेहरूजी ने भाग लिया।

यहीं से नेहरूजी का राजनीतिक जीवन प्रारम्भ हुआ था। नेहरूजी का विवाह सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला के साथ हुआ। सन् 1917 में 19 नवम्बर के दिन उनके घर इन्दिरा प्रियदर्शिनी नामक पुत्री ने जन्म लिया। कुछ दिन पश्चात् नेहरूजी कांग्रेस के सदस्य बन गए और फिर महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश की सेवा के कार्य में लग गए। सन् 1919 के किसान आन्दोलन और 1921 के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण नेहरूजी को जेल जाना पड़ा। सन् 1931 ई. में उनके पिता श्री मोती लाल नेहरू और सन् 1936 ई. में उनकी धर्मपत्नी कमला नेहरू का निधन हो गया।

15 अगस्त, 1947 को भारतवर्ष स्वतंत्र हो गया। तब वे सर्वसम्मति से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और जीवन के अन्त तक इसी पद पर बने रहे। नेहरूजी ने भारत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से उन्नत करने के लिए महान् कार्य किए। उन्होंने जाति-भेद को दूर करने, स्त्री-जाति की उन्नति करने व शिक्षा प्रसार जैसे अनेक कार्य किए। युद्ध के कगार पर खड़े विश्व को उन्होंने शान्ति का मार्ग दिखाया। नेहरूजी के ‘पंचशील के सिद्धान्तों ने विश्व शान्ति की स्थापना में सहायता की।

पं. जवाहर लाल नेहरू एक महान् राष्ट्रीय नेता तो थे ही, वे उच्च कोटि के चिन्तक, विचारक और लेखक भी थे। उनकी रची ‘मेरी कहानी’, ‘भारत की खोज’, ‘विश्व इतिहास की झलक व पिता के पुत्री के नाम पत्र’ आदि रचनाएं विश्व प्रसिद्ध हैं। पं. नेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे, इसीलिए बच्चे उन्हें आदर तथा प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते थे। अतः उनके जन्म को आज भी ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

विश्व शान्ति का वह मसीहा 27 मई, 1964 ई. को हमारे बीच से उठ गया। देश-विदेशों से विशेष प्रतिनिधि उनके अन्तिम दर्शनों के लिए आए। 28 मई, 1964 ई. को उनका पार्थिव शरीर अग्नि को समर्पित कर दिया गया। उनकी वसीयत के अनुसार उनका भस्म खेतों और गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया गया। उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा।

पंडित जवाहर लाल भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में महात्मा गाँधी के साथ कठिन मेहनत की। वह सदैव लाल गुलाब का फूल अपनी शेरवानी पर लगाते थे। वह आम जनता में बहुत लोकप्रिय थे। वह एक महान नेता एवं आधुनिक भारत के निर्माता थे। इसीलिये उन्हें हमारे राष्ट्र का निर्माता’ कहा जाता है। उनके पास भारत को महान एवं शक्तिशाली बनाने की योजनायें थीं।

वह कम है चरित्र के धनी एवं दृढ़ संकल्प के व्यक्ति हैं थे। लोगों के लिये उनके स्नेह एवं बच्चों के लिये उनके प्यार ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया। वह एक महान विचारक एवं -7 ( , लेखक थे। उन्होंने प्रसिद्ध पुस्तक ‘द डिस्कवरी ऑफ इण्डिया लिखी।

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889, में इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता श्री मोती लाल नेहरू एक मशहूर बैरिस्टर थे। उन्हें अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से घर पर ही एक टयूटर से मिली। हाई स्कूल की पढ़ाई के लिये उन्हें इंग्लैंड भेजा गया उन्होंने कानून की शिक्षा ली। कानून पढ़ने के पश्चात् वह भारत वापस आये। उनके हदय में अपने देश एवं उसकी स्वतंत्रता के लिये एक गहरा ज़ज्बा था। वह महात्मा गाँधी जी से बहुत प्रभावित हुये। उनकी सबसे बड़ी इच्छा भारत को स्वतंत्र कराना था।

महात्मा गाँधी के मार्गदर्शन में श्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रिय हिस्सा लिया। उन्होंने भी सत्य एवं अहिंसा का मार्ग अपनाया। उन्हें बहुत बार जेल भेजा गया। 1929 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। वहां स्वतंत्रता की शपथ ली गयी। संविधान सभा में उन्होंने कहा – “हम इतिहास पुरुष या महिलायें हों न हों, भारत भवितव्यता का राष्ट्र है।”

1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ वह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उनकी दूरदर्शिता एवं मार्गदर्शन से राष्ट्र की उन्नति, सम्पन्नता एवं सम्मान में वृद्धि हुई। उन्होंने प्रणेता की नींव रखी। वह शान्तिपूर्वक समझौता में विश्वास रखते थे। 1961 में भारत एवं चीन के मध्य पंचशील समझौता हुआ। वह निरस्त्रीकरण के परम समर्थक थे। उनके नेतृत्व में भारत को विश्व में सम्मान मिला। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय भाईचारे एवं शान्ति के लिये कड़ी मेहनत की। उन्होंने बुद्धईसा एवं नानक के बताये मार्ग का अनुसरण किया।

लम्बे समय तक मानवता एवं राष्ट्र की सेवा करने के पश्चात् 27 मई, 1964 में उनकी मृत्यु हुयी। वह अपने पीछे योजना एवं विकास की परम्परा छोड़ गये। उन्होंने विकास के चक्र एवं सामाजिक न्याय को प्रारम्भ किया। उन्होंने शिक्षा, प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा संस्थानों का जाल बिछा दिया। उन्होंने बड़ेबड़े औद्योगिक कृषिसिंचाई एवं ऊर्जा की योजनायें बना। सभी क्षेत्रों में उनका योगदान महत्वपूर्ण है। वह उन कुछ लोगों में से एक थे जो राष्ट्र एवं सम्पूर्ण विश्व पर अपनी छाप छोड़ जाते है।

14 नवम्बर को उनका जन्मदिन ‘बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है इससे हमें उनके महान चरित्र, आर्दशों एवं कार्यों की पुर्नस्मरण हो जाता है। विन्सटन चर्चिल के अनुसार – “उन्होंने भय सहित सभी चीजों पर विजय प्राप्त करती थी।”

जवाहरलाल नेहरू की दृष्टि अत्यन्त गहरी थी। वह एक महान वक्ता एवं अच्छे लेखक थे। वह राष्ट्र की एकता एवं व्यक्ति की स्वन्त्रता में विश्वास रखते थे।

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  • कुत्ता पर निबंध Essay on Dog in Hindi

जवाहरलाल नेहरू हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे एक महान नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 ई. में इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता का नाम स्वरूप रानी था। बालक जवाहरलाल की आरंभिक शिक्षा घर पर हुई। उच्च शिक्षा के लिए उन्हें इंग्लैण्ड भेजा गया। वहाँ से वे वकील बनकर लौटे। 1915 . में नेहरू जी का विवाह कमला नेहरू से हुआ।

नेहरू जी भारत की दुर्दशा देखकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ेउन्हें गाँधी जी का उचित मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। वे कई बार जेल गए। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के उत्थान में लगा दिया। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने भारत को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर किया। 27 मई, 1964 ई. को उनका निधन हो गया। देश आज भी उनकी सेवाओं को याद करता है। उनके जन्मदिन 14 नवंबर को ‘बाल दिवसके रूप में मनाया जाता है।

जवाहरलाल नेहरू वह महान विभूति हैं, जिन्हें संपूर्ण विश्व जानता है। गाँधीजी की शहादत के 16 वर्ष बाद तक जीवित रहकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही मंचों पर गाँधीजी की भाषा में बात की। पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर1889 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

उनके पूर्वज 2 . कौल थे, परंतु बाद में कौल छूट । गया और यह परिवार केवल नेहरू नाम से जाना जाने लगा। उनके पिता . मोतीलाल नेहरू थे। जवाहरलालमोतीलाल के तीसरे पुत्र थे। मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के सुविख्यात वकील थे।

इलाहाबाद में आनंद भवन मोतीलाल नेहरू ने ही खरीदा था, जब जवाहरलाल नेहरू दस वर्ष के थे। प. जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा घर पर ही हुई, बाद में उन्हें वकालत करने इंग्लैण्ड भेजा गया। सन् 1912 में वे वकालत करने भारत लौट आए। फिर उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। बाद में वे राजनीतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हुए और 1916 में उन्होंने कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया, जहाँ पहली बार उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई। . नेहरू उनसे अत्यंत प्रभावित हुए।

जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला कौल से हुआ था। 1917 में उन्होंने इंदिरा गाँधी को जन्म दिया। तभी 13 अप्रैल1919 को अमृतसर में जलियाँवाला बाग कांड हुआ, जिसमें जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने का आदेश देकर सैकड़ों लोगों को मरवा दिया था।

इस हत्याकांड की जांच के लिए एक समिति बनाई गई, जिसमें जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे। हालांकि, डायर को इस कांड के लिए ज़िम्मेदार पाया गयाकिन्तु हाउस ऑफ लार्डस् ने उसे दोष मुक्त कर दिया। सन् 1921 के असहयोग आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से उनकी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो गया, तो वे देश आजाद होने तक नौ बार जेल गए और नौ वर्ष से अधिक समय उन्होंने जेल में बिताया।

जेल में ही उन्होंने अपनी आत्मकथा–“डिस्कवरी ऑफ इंडिया” (भारत-एक खोज) लिखी, जो बहुत चर्चित हुईजेल में ही उन्होंने “ग्लिम्प्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” की रचना की। सन् 1927 में उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और पुलिस की लाठियों के प्रहार सहन किए। 1929 में, लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू को प्रथम बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गयाइस अधिवेशन के दौरान ही उन्होंने पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पेश कियाफिर जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के लिए ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कियातो उन्हें गाँधीजी और मोतीलाल नेहरू के साथ जेल जाना पड़ा। इसी आंदोलन के चलते 6 फरवरी, 1931 को मोतीलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। परंतु पं. नेहरू ने देश की स्वतंत्रता

प्राप्ति के लिए अपने कदम पीछे नहीं हटाए। इन्हीं कष्टों से जूझते हुए 28 फरवरी1936 को नेहरू जी की पत्नी का भी देहांत हो गया। फिर 1936 में पं. नेहरू को दूसरी बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। सारी विफलताओं के बाद ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू हुआ और 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया।

पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और भारत माता की सेवा करते हुए 27 मई 1964 को उनका स्वर्गवास हो गया। उनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में सदैव अंकित रहेगा।

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भोगों के बीच राजा जनक की तरह महायोगी यदि कोई वर्तमान समय में हुआ, तो वे थे पंडित जवाहरलाल नेहरू। अँगरेजी के सुप्रसिद्ध नाटककार शेक्सपियर ने लिखा है, “कुछ लोग जन्म से ही महान होते हैं, कुछ महत्ता प्राप्त करते हैं और कुछ व्यक्तियों पर महत्ता लाद दी जाती है।” पं. नेहरू जन्म से ही महान थे और अपनी निरंतर तपस्या के बल पर उस महत्ता को उन्होंने सुरक्षित रखा।

हमारे जननायक नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता पं. मोतीलाल नेहरू बड़े नामी बैरिस्टर थे। जब रुपये का बीस सेर चावल मिलता था, पं० मोतीलाल की मासिक आय लगभग तीस हजार थी। ऐसे प्रतिभाशाली समृद्ध पिता के इकलौते पुत्र होने का सौभाग्य पं. नेहरू को प्राप्त हुआ था।

पं. जवाहरलालजी की शिक्षा का श्रीगणेश घर पर हुआ। 15 वर्ष की उम्र में वे इंगलैंड के सुप्रसिद्ध स्कूल हैरो’ में भेजे गये। दो वर्ष के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में तीन वर्ष तक विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की। वकालत की परीक्षा लंदन-स्थित महाविद्यालय से पास कर 1912 में वे स्वदेश लौट आये।

पंडित नेहरू अत्युच्च शिक्षा प्राप्त कर विदेश से लौटे थे। उन्हें अच्छी-से-अच्छी नौकरी मिल सकती थी, किंतु वे सरकारी नौकरियों को लात मारकर वकालत करने लगे। वकालत से अर्थोपार्जन में समय की अधिक बरबादी होती थी, अतः उन्होंने देशसेवा के लिए वकालत भी त्याग दी। उन्होंने अपना सारा जीवन राष्ट्रसेवा के लिए अर्पित किया। ऐसे समय में उन्हें एक सुयोग्य पथ-प्रदर्शक की आवश्यकता थी। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का नेतृत्व प्राप्त किया। गाँधीजी ऐसा व्यक्ति चाहते थे, जो मनसा-वाचा-कर्मणा देशसेवा में अपने को उत्सर्ग कर दे। उन्हें नेहरू के रूप में मनोनुकूल व्यक्ति प्राप्त हुआ।

गाँधीजी ने ‘रॉलेट ऐक्ट’ के विरोध में सत्याग्रह करने का संकल्प किया। जवाहरलालजी भी उसमें सम्मिलित होना चाहते थे, परंतु उनके पिता नहीं चाहते थे। पंडित मोतीलाल नेहरू ने गाँधीजी से सिफारिश करायी कि जवाहर जेल न जायँ। गाँधीजी के आदेश से जवाहरलालजी ने जेल जाना स्थगित कर दिया।

कुछ दिनों के बाद देश में बर्बर जालियाँवाला-काण्ड हुआ। निर्दोष भारतवासी संगीन की नोक पर डायर द्वारा तड़पा-तड़पाकर मारे गये। अँगरेजों के इस राक्षसी दुर्व्यवहार ने जवाहरलालजी के हृदय पर बड़ा ही गहरा आघात किया। विदेशी सरकार ने इस खूनी कांड के कारण भारतीयों के हृदय की धधकती ज्वाला को शान्त करने के लिए प्रिंस ऑफ वेल्स को भारत बुलाकर उसके प्रति भारतीयों से भक्तिप्रदर्शन कराने की चेष्टा की। किंतु, प्रिंस का आना आग में और भी घी डालना था। गाँधीजी ने इसका विरोध किया और ऐलान किया कि प्रिंस का स्वागत काले झंडे से किया जाय। इलाहाबाद में पं. जवाहरलाल नेहरू ने यह काम किया। बस क्या था, अँगरेज सरकार ने पिता-पुत्र को जेल की चहारदीवारी के अंदर बंद कर दिया। जेल में जवाहरलालजी ने श्रवणकुमार की भाँति पितृभक्ति दिखलायी। वे स्वयं कमरे में झाड़ लगाते थे, पिता के कपड़े साफ करते थे तथा इसी प्रकार के अनेक सेवाकार्य खुशी-खुशी करते थे। तब से वे अनेक बार जेल गये। तरह-तरह की विपत्तियाँ झेली और तभी दम लिया जब अँगरेज-रावण का विनाश किया। 1947 में राष्ट्र स्वतंत्र हुआ। शताब्दियों से परतंत्र भारतीयों ने मुक्ति की साँस ली। जनता ने अपने जनप्रिय नेता को अपना प्रधानमंत्री चुना। खुशहाली का सूरज चमका। 1952, 1957, 1962 में जब-जब निर्वाचन होता रहा, नेहरूजी एकमत से देश के प्रधानमंत्री होते रहे। उन्होंने इस देश को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए कुछ उठा न रखा।

नेहरूजी केवल भारत के ही नहीं, विश्व के नेता थे। सारे संसार में जब कोई तूफान आता था, लोगों की दृष्टि उनकी ओर टॅग जाती थी। उन्होंने समग्र संसार को पंचशील की अमोघ औषधि प्रदान की। जब वे 1961 के नवम्बर में अमेरिका गये थे, वहाँ के प्रेसिडेंट कैनेडी ने उनका स्वागत करते हुए कहा था, “आपका स्वागत करते हुए हमारे देश को बड़ी प्रसन्नता होती है। इस देश का निर्माण उनलोगों ने किया है जिनकी कीर्तिपताका समुद्र की तरंगों पर दिखाई देती है। आप और आपके महान् नेता गाँधीजी दोनों विश्वनेता हैं। संसार आपकी नीति का मान-आदर और सत्कार करने के लिए लालायित है।’

1964 को 27 मई को विश्व की महान भारतीय विभूति का पंचभूत-चोला उठ गया, किंतु उनकी आत्मा हमारे उत्थान में सदा सहायक है। वे गुणों के भंडार थे। उनके अपार गुणों में से एक-दो गुण भी हमारे पल्ले पड़ें, तो हम राष्ट्र के लिए बड़ा काम कर सकते हैं। महान मुक्तिदाता, आधुनिक भारत के निर्माता, शांति के अग्रदूत तथा अनासक्त कर्मयोगी का वैसा समन्वित व्यक्तित्व पता नहीं, हम पुनः कब पा सकेंगे!

महात्मा गांधी जी यदि स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपिता , तो पण्डित जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। राजसी परिवार में जन्म लेकर तथा सभी तरह की सुखसुविधा भरे वातावरण में पल कर भी उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता एवं आनबान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया। पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर1889 ई को इलाहाबाद के आनन्द भवन में हुआ था।

उनके पिता पं. मोती लाल नेहरू अपने युग के प्रमुख वकील थे। उनकी माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। उसके बाद वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से बैरिस्टर बनकर सन् 1912 में वापस आए और अपने पिता जी के साथ प्रयाग में ही वकालत करने लगे। सन 1915 ई. में रोलट एक्ट के विरुद्ध होने वाली बम्बई कांग्रेस में नेहरू जी ने भाग लिया।

यहीं से नेहरू जी का राजनीतिक जीवन प्रारम्भ हुआ था। नेहरू जी का शुभ परिणय सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला के साथ हुआ। सन् 1917 में 19 नवम्बर के दिन उनके घर इन्दिरा प्रियदर्शिनी नामक पुत्री ने जन्म लिया। कुछ दिन पश्चात् नेहरू जी कांग्रेस के सदस्य बन गए और फिर महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में देश की सेवा के कार्य में लग गए। सन् 1919 के किसान आन्दोलन और 1921 के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण पं. नेहरू जी को जेल जाना पड़ा। सन् 1931 ई. में उनके पिता श्री मोती लाल नेहरू और सन् 1936 ई. में उनकी धर्म पत्नी कमला नेहरू का निधन हो गया।

15 अगस्त1947 को भारतवर्ष स्वतंत्र हो गया। तब वे सर्वसम्मति से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और जीवन के अन्त तक इसी पद पर बने रहे। नेहरू जी ने भारत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से उन्नत करने के लिए महान कार्य किए। उन्होंने जाति भेद को दूर करने, स्त्री जाति की उन्नति करने व शिक्षा प्रसार जैसे अनेक कार्य किए। युद्ध के कगार पर खड़े विश्व को उन्होंने शान्ति का मार्ग दिखाया। नेहरू जी के ‘पंचशील’ के सिद्धान्तों ने विश्व शान्ति की स्थापना में सहायता की।

पं. नेहरू एक महान राष्ट्रीय नेता तो थे ही, वे उच्च कोटि के चिन्तक, विचारक और लेखक भी थे। उनकी रची मेरी कहानी, भारत की कहानी’, विश्व इतिहास की झलक’ व पिता के पुत्री के नाम पत्र आदि रचनाएँ विश्व प्रसिद्ध हैं। पंनेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे। इसीलिए बच्चे उन्हें आदर तथा प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते थे। अतः उनके जन्म को आज भी बाल दिवसके रूप में मनाया जाता है।

वह विश्व शान्ति का मसीहा 27 मई1964 ई. को हमारे बीच से उठ गया। देशविदेशों से विशेष प्रतिनिधि उनके अन्तिम दर्शनों के लिए आए।

28 मई1964 ई. को उनका पार्थिव शरीर अग्नि को समर्पित कर दिया गया। उनकी वसीयत के अनुसार उनकी भस्म खेतों और गंगा नदी में प्रवाहित कर दी गई। उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा।

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पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म १४ नवम्बर सन् १८८ को इलाहाबाद में हुआ था। इनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू बड़े प्रसिद्ध वकील थे । वे बड़े धनवान थे । वे काश्मोरी ब्राह्मण थे । जवाहरलाल की माता का नाम स्वरूप रानी था। जवाहरलाल बचपन में अपनी माता के साथ त्रिवेणी संगम पर जाया करते थे। इन्होंने आरम्भ की शिक्षा अपने घर पर ही पाई।

पन्द्रह वर्ष की आयु में इन्हें पढ़ने के लिये इंग्लैंड भेजा गया । वहां ये दो वर्ष हैो स्कूल में पढ़े । फिर इन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से विज्ञान में डिग्री ली। तब इन्होंने इन्नर टैम्पल में बैरिस्टरी पास की । सन् 1612 में भारत लौटकर इन्होंने इलाहाबाद में प्रैक्टिस शुरू की। कांग्रेस में जाने पर इन पर महात्मा गांधी का बड़ा प्रभाव पड़ा। नेहरू जी बैरिस्ट्री छोड़कर राज नीति में कूद पड़े ।

नेहरू जी स्वतन्त्रता की लड़ाई में कई बार जेल गए । इनकी पत्नी कमला नेहरू भी कैद हुई । फिर वे बीमार हो गई और उनकी मृत्यु हो गई । नेहरू जो की एकमात्र पुत्री इन्दिरा थी । नेहरू जी सन् 1626 में कांग्रेस के प्रधान बने । इनकी प्रधानता में लाहौर कांग्रेस में पूर्ण स्वतन्त्रता का प्रस्ताव पास हुआ । बहुत संघर्ष के बाद सन् १९४७ में भारत स्वतन्त्र हुआ । जवाहर लाल प्रधानमंत्री बने । बाद में के तीत चुनावों में भी ये ही प्रधानमन्त्री बने । बच्चों के ये प्रिय ‘चाचा नेहरूथे। सन् 1 9 62 में चीन ने भारत पर हमला किया। 27 मई, 1 9 64 को इनका देहान्त हो गया।

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जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था। मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे। वे काफी संपन्न व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था।

जवाहर लाल की माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था। माता-पिता के इकलौते पुत्र होने के कारण बालक जवाहर लाल को घर में काफ़ी लाड़-प्यार मिलाइसकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। घर पर इन्हें पढ़ाने के लिए एक अंग्रेज शिक्षक को नियुक्त किया गया था। 15 वर्ष की आयु में जवाहर लाल को शिक्षा प्राप्ति के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया।

वहाँ इन्होंने हैरो स्कूल , फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन किया सन् 1912 ई. में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे भारत लौट आए1915 में जवाहर लाल कमला नेहरू के साथ विवाह-सूत्र में बंध गए स्वदेश लौटने पर नेहरू जी ने वकालत आरंभ की परंतु उसमें उनका चित्त नहीं रमा। भारत की परतंत्रता उनके मन में काँटे की तरह चुभती थी।

उन्होंने इंग्लैण्ड का स्वतंत्र वातावरण देखा था, उसकी तुलना में भारत दीन-हीन देश था। यहाँ की दीन दशा के लिए अंग्रेजों की नीति जिम्मेदार थी। उधर पंजाब में हुए जलियाँवाला हत्याकाँड ने उनके मन को झकझोर कर रख दिया। नेहरू जी ने पहले होमरूल आंदोलन में भाग लियाफिर गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे अहिंसात्मक आंदोलन में सक्रिय सहयोग देने लगे।

राजसी ठाठ-बाट छोड़कर खादी का कपड़ा पहना और सत्याग्रही बन गए असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने संपूर्ण जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया 1920 से लेकर 1944 तक अनेक बार जेलयात्राएँ कीं और यातनाएँ सहीं।

सन् 1929 में लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नेहरू जी ने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की माँग की। अपनी कार्य-क्षमता और सूझ-बूझ से उन्होंने कांग्रेस को नई दिशा दी। उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष कई बार बनाया गया।

नेहरू जी ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की और तीन वर्ष तक कारावास में रहे। अंतत: 1946 में अंग्रेज सरकार ने भारत को स्वतंत्र करने का निर्णय लिया। 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत अंग्रेजों की दो सौ वर्षों की गुलामी को पछाड़ कर स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। नेहरू जी स्वतंत्र राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री बने। सन् 1952 में पहला आम चुनाव हुआ। इसमें कांग्रेस को जीत मिली और नेहरू जी पुनप्रधानमंत्री बने। इसके बाद वे आजीवन भारत के प्रधानमंत्री के पद पर रहे।

जवाहर लाल जी विश्व शांति के पक्षधर थे। उन्होंने चीन के साथ पंचशील के सिद्धांतों के आधार पर मित्रता का संबंध स्थापित किया। परंतु 1962 में चीन ने विश्वासघात कर भारत पर आक्रमण कर दिया।

भारतीय सेना इस युद्ध के लिए तैयार नहीं थी। अत: भारत को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा। इससे नेहरू जी को बहुत दु:ख हुआ। 27 मई, 1964 को उनका देहांत हो गया। नेहरू जी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश को नई दिशा प्रदान की। उन्होंने भारत में आधुनिक उद्योगों की आधारशिला रखी। आज के भारत की औद्योगिक उन्नति उनके सुकर्मों का फल ही है। साथ ही उन्होंने किसानों को जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने के लिए नदी-घाटी परियोजनाओं का आरंभ करवाया।

उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा देश के समग्र विकास का प्रयास किया। वे भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने शहरों के विकास के साथ-साथ गाँवों के विकास पर भी पर्याप्त बल दिया।

नेहरू जी के गुणों को भारत के लोग आज भी याद करते हैं। उन्हें भारत और भारत के लोगों से असीम प्यार था। उन्हें बच्चे तो सबसे अधिक प्यारे थे। इसलिए बच्चे उनके जन्मदिन 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। यमुना तट पर शान्ति वन में उनकी समाधि बनी हुई है। नेतागण और आम नागरिक यहाँ उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं।

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महात्मा गांधीजी यदि स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपिता हैं, तो पण्डित जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। राजसी परिवार में जन्म लेकर तथा सभी तरह की सुखसुविधा भरे वातावरण में पल कर भी उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता एवं आनबान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया। पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर1889 ई. को इलाहाबाद के आनन्द भवन में हुआ था।

उनके पिता . मोती लाल नेहरू अपने समय के प्रमुख वकील थे। उनकी माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। उसके बाद वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से बैरिस्टर बनकर सन् 1912 में वापस आए और अपने पिताजी के साथ प्रयाग में ही वकालत करने लगे।

सन् 1915 ई. में रोलट एक्ट के विरुद्ध होने वाली बम्बई कांग्रेस में नेहरूजी ने भाग लिया। यहीं से नेहरूजी का राजनीतिक जीवन प्रारम्भ हुआ था। नेहरूजी का विवाह सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला के साथ हुआ। सन् 1917 में 19 नवम्बर के दिन उनके घर इन्दिरा प्रियदर्शिनी नामक पुत्री ने जन्म लिया। कुछ दिन पश्चात् नेहरूजी कांग्रेस के सदस्य बन गए और फिर महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश की सेवा के कार्य में लग गए।

सन् 1919 के किसान आन्दोलन और 1921 के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण नेहरूजी को जेल जाना पड़ा। सन् 1931 ई. में उनके पिता श्री मोती लाल नेहरू और सन् 1986 ई. में उनकी धर्मपत्नी कमला नेहरू का निधन हो गया।

15 अगस्त, 1947 को भारतवर्ष स्वतंत्र हो गया। तब वे सर्वसम्मति से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और जीवन के अन्त तक इसी पद पर बने रहे। नेहरूजी ने भारत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से उन्नत करने के लिए महान् कार्य किए। उन्होंने जातिभेद को दूर करनेस्त्री-जाति की उन्नति करने व शिक्षा प्रसार जैसे अनेक कार्य किए। युद्ध के कगार पर खड़े विश्व को उन्होंने शान्ति का मार्ग दिखाया। नेहरूजी के ‘पंचशील’ के सिद्धान्तों ने विश्व शान्ति की स्थापना में सहायता की।

नेहरू एक महान् राष्ट्रीय नेता तो थे ही, वे उच्च कोटि के चिन्तक, विचारक और लेखक भी थे। उनकी रची मेरी कहानी, ‘ भारत की कहानी , ‘ विश्व इतिहास की झलक ‘ व पिता के पुत्री के नाम पत्र ‘ आदि रचनाएं विश्व प्रसिद्ध हैं। पं. नेहरू बच्चों को बहुत प्यार करते थे, इसीलिए बच्चे उन्हें आदर तथा प्यार से ‘चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। अतः उनके जन्म को आज भी ‘बाल दिवसके रूप में मनाया जाता है।

वह विश्व शान्ति का मसीहा 27 मई1964 ई. को हमारे बीच से उठ गया। देश-विदेशों से विशेष प्रतिनिधि उनके अन्तिम दर्शनों के लिए आए 28 मई1964 ई. को उनका पार्थिव शरीर अग्नि को समर्पित कर दिया गया। उनकी वसीयत के अनुसार उनकी भस्म खेतों और गंगा नदी में प्रवाहित कर दी गई। उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा।

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Romi Sharma

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